रेटिंगः ढाई स्टार
निर्माताः धर्मा प्रोडक्शंस
निर्देशकः भानु प्रताप सिंह
कलाकारः विक्की कौशल, सिद्धांत कपूर, भूमि पेडणेकर, आशुतोष राणा व अन्य.
अवधिः एक घंटा 54 मिनट
लंबे समय के अंतराल के बाद बतौर निर्माता करण जोहर लोगों को डराने के लिए हौरर फिल्म‘‘ भूत पार्ट वनः द हंटेड शिप’’ लेकर आए हैं, जिसके निर्देशक भानुप्रताप सिंह हैं. मगर निर्माता निर्देशक इस सच को नजरंदाज कर गए कि किसी भी इंसान को हंसाना कठिन मगर डराना बहुत आसान है. इसके बावजूद फिल्म को देखते समय दर्शक डर के मारे खुद को सीट से चिपका कर नही रखता.
कहानीः
यह कहानी है मर्चेंट नेवी में काम करने वाले युवक पृथ्वी (विक्की कौशल) की, जो कि अपनी प्रेमिका सपना (भूमि पेडणेकर) को भगाकर उससे कोर्ट मैरिज कर लेते हैं और उनकी बेटी मेघा हो जाती है. पर एक हादसे में मेघा व पत्नी की मौत हो जाती है. उसके बाद वह मर्चेंट नेवी से स्वेच्छा से अवकाश लेकर डी जी शिपिंग में नौकरी करने लगते हैं. वह अभी तक पत्नी व बेटी को खोने के गम से उबरे नहीं है, मगर लोगों के सामने न दिखाते हैं कि वह सब कुछ भूलकर सामान्य इंसान बन गए हैं. एक दिन पृथ्वी एक कंटेनर से अपनी जान पर खेलकर तमाम छोटी बच्चियों को उनकी तस्करी होने से बचाता है. अचानक एक दिन ‘सी बर्ड’ नामक एक हंटेड शिप मुंबई के जुहू समुद्री तट पर आकर लगता है. अब सर्वेयर होने की वजह से पृथ्वी इस शिप के अंदर जाते हैं और उनके साथ कुछ ऐसा हादसा होता है, जिसे देखकर दर्शक डरता है, मगर वह निडर हैं. पृथ्वी इस शिप के साथ छिपे रहस्य की तह तक पहुंचना चाहते हैं. इस प्रयास में इंटरवल के बाद एक अजीब सी कहानी सामने आती है.
लेखन व निर्देशनः
इस फिल्म में भूत, प्रेम कहानी, प्रेमिका को उसके घर से भगाकर कोर्ट में शादी करना, नफरत की कहानी, बदले की कहानी, गुड़िया, ड्ग्स आदि की स्मगलिंग तस्करी, चाइल्ड ह्यूमन ट्रेफीकिंग, लाल रंग के कपड़े, चर्च, निडर हीरो, कुछ मंत्र आदि सारे मसाले मौजूद हैं. मगर इस बेसिर पैर की कहानी में डराने का जिम्मा ‘साउंड इफेक्ट’के हिस्से ही रहा. निर्देशक के अनुसार हौंटेड शिप के अंदर कई वर्षों से कोई नही है, मगर भूत मृत इंसान की आत्मा ने एक बच्ची को जरुर कैद करके रखा है, वह बच्ची जिंदा है और समय के साथ बड़ी भी होती गयी. तो फिर यह बच्च्यी शिप से बाहर क्यों नहीं निकल पायी? इसे भोजन पानी किसने दिया? क्या यह सब भूत ने दिया? हंटेड शिप के समुद्री तट पर पहुंचने पर सुरक्षा व्यवस्था कड़ी होती है और लोग उसके पास नहीं जा सकते, फिर भी एक दंपति दस मंजिला शिप के उपर पहुंच कैसे जाता है? कहने का अर्थ यह कि फिल्म में अविश्वसनीय घटनाक्रमों की भरमार है. लेखक व निर्देशक ने पृथ्वी के अतीत की कहानी को भी बताने का प्रयास किया है, मगर पृथ्वी की अतीत की कहानी को वह हौरर जौनर के साथ जोड़ नही पाए. इंटरवल के बाद फिल्म एकदम विखर जाती है. हौरर का स्थान एक्शन ले लेता है. क्लायमेक्स में भी अनसुलझे सवालों के जवाब नही है.
जहां तक निर्देशन का सवाल है तो भानुप्रताप सिंह की यह पहली फिल्म है. उन्होने अपनी तरफ से बेहतर काम करने का प्रयास किया है. मगर कहानी में झोल और पटकथा की कमजोरी के चलते फिल्म आपेक्षित मापदंडों पर खरी नहीं उतरती. फिल्म के कुछ दृश्य टुकड़ो टुकड़ों में अच्छे बन पड़े हैं, मगर पूरी फिल्म के रूप में बात नहीं बनी. फिल्म की शुरूआत में वह दर्शकों को डराने में सफल रहते हैं, मगर जैसे जैसे फिल्म आगे बढ़ती है, फिल्म पर से निर्देशक की पकड़़ ढीली होती जाती है और फिर यह हौरर की बजाय रहस्य व एक्शन वाली फिल्म बनकर रह जाती है.
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अभिनयः
जहां तक अभिनय का सवाल है तो पृथ्वी के किरदार में विक्की कौशल ने जानदार अभिनय किया है. भूमि पेडणेकर और आशुतोष राणा की प्रतिभा को जाया किया गया है. इसके अतिरिक्त एक भी कलाकार अपनी प्रतिभा से प्रभावित नहीं करता.