शाहरूख खान की बहुप्रतीक्षित फिल्म पठान आते आते ही बहुचर्चित हो गई है. मगर पठान फिल्म के मद्देनजर देश का माहौल विषाक्त करने का अपराधी कौन है यह जानना समझना जागरूक व्यक्ति के लिए जरूरी है . सच तो यह है कि किसी वस्त्र के रंग पर जिस तरह आलोचना और गरमा गरमी का माहौल देश में बनाया गया है वह कई संदेहों को पैदा करता है और बताता है कि आज भारतीय जनता पार्टी के सत्तासीन होने के बाद स्थितियां किस तरह असहिष्णु होती चली जा रही है. यह भी समझने की बात है कि सैकड़ों सालों से भारत में सभी जाति समुदाय के लोगों, धर्मों के लोग मिलजुल कर रहते रहे हैं इसीलिए कहा भी गया है कि अनेकता में एकता भारत की विशेषता है. किसी भी सरकार अथवा राजनीतिक पार्टी को इस भावना को मजबूत करने का काम करना चाहिए लोगों में आपसी संबंध में सामंजस्य और शांति सद्भाव का संदेश देना चाहिए.
आज की कुछ एक राजनीतिक पार्टियां और उसकी इकाइयां देश का माहौल बिगाड़ने का काम कर रहे हैं जोकि सीधे-सीधे अवांछित लोगों का काम भी कहा जा सकता है.यहां यह भी सत्य है कि हाल ही में आमिर खान की भी एक फिल्म आई थी और भारतीय जनता पार्टी का दस्ता उसे मटिया मेट करने में लग गया और उनके सौभाग्य से यह फिल्म नहीं चली तो वे अपनी पीठ थपथपाने लगे यहां यह भी एक बड़ा सच है कि अगर पठान फिल्म बॉक्स ऑफिस पर हिट हो जाती है तो ऐसे लोगों के गाल पर एक करारी थप्पड़ कही जा सकती है. इससे यह भी सिद्ध हो सकता है कि हमारे देश में चाहे कुछ लोग कितना ही सामाजिक धार्मिक खाई खोदने का काम करें मगर देश की जनता आवाम आपसी सौहार्द के साथ रहते आई है और आगे भी रहेगी.
दरअसल,पठान फिल्म के गाने में अभिनेत्री दीपिका पादुकोण के भगवा कपड़े पहन एक फिल्मांकन पर नौटंकी की जा रही है . देश की आवाम को यह समझाया जा रहा जा रहा है कि यह सब शाहरुख खान की फिल्में में इसलिए है क्योंकि वह मुसलमान है इस तरह धर्म विशेष के प्रति असहिष्णुता का बीज बोया जा रहा है जो कि भारतीय संस्कृति और ताने-बाने के खिलाफ है.
नेताओं की तलवारबाजी
पठान फिल्म के आते ही देश के चिर परिचित नेताओं के मानो ज्ञान चक्षु खुल गए हैं और वह इस पर अपनी राय कुछ इस तरह दे रहे हैं मानो नेताजी जो कह देंगे वही अंतिम सत्य है.
दरअसल, ऐसे मसलों पर नेताओं के समाचार जो सुर्खियों में प्रकाशित होते हैं और चर्चा में आ जाते हैं की जगह बौद्धिक विभूतियों के बयान प्रकाशित होने चाहिए ताकि लोगों को एक प्रेरणा मिल सके और देश का माहौल सद्भाव पूर्ण हो जाए. मगर अब नेताओं में जुबानी जंग छिड़ी हुई है. छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा कि भगवा रंग त्याग का प्रतीक है. आज उसे बजरंगी गुंडे पहन रहे हैं. बताएं कि उन्होंने क्या त्याग किया है. भुपेश बघेल ने कहा -“पहनना और धारण करना दोनों में अंतर है जब कोई समाज और परिवार को त्याग देता है, उसके बाद वो भगवा या गेरुआ रंग धारण करता है, लेकिन अब वे बताएंगे कि उन्होंने समाज के लिए क्या त्याग किया है .”
दूसरी तरफ हरियाणा के गृहमंत्री अनिल विज ने भूपेश बघेल को राक्षस तक कह दिया .छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के बयान पर हरियाणा के गृह मंत्री मानो बौखला गए और उन्हें राक्षस प्रकृति का कह दिया. वे बोले हिंदू संस्कृति का अध्ययन करें , हर युग में देवता और राक्षस रहे हैं अनिल विज ने कहा कि मुझे लगता है भूपेश बघेल आज के राक्षस प्रकृति के महानुभाव हैं. दरअसल यह समझने वाली सच्चाई है कि चाहे भूपेश बघेल हो अनिल विज दोनों ही पठान फिल्म की मूवी के संदर्भ में आपस में वाक् युद्ध में लगे हुए हैं और यही स्थिति देशभर में नेताओं के बीच बनी हुई है एक तरफ है भगवा रंग में रंगे भाजपाई और दूसरी तरफ है कांग्रेस और अन्य दल के नेता.