कभीकभी अतिमहत्त्वाकांक्षा, बेबाकी और बड़बोलापन खुद पर ही भारी पड़ जाता है. बौलीवुड क्वीन कंगना रनौत के साथ यही हो रहा है. ऐक्टर सुशांत सिंह राजपूत की संदिग्ध परिस्थितयों में हुई मौत की जांच के मामले में महाराष्ट्र सरकार से बैर मौल ले कर कंगना ने अपने लिए कई मुसीबतें खड़ी कर ली हैं. एक ओर जहां उन का फिल्म कैरियर दांव पर लगा है, इंडस्ट्री के ज्यादातर लोग उन से अलग हो चुके हैं, वहीं बौंबे म्यूनिसिपल कारपोरेशन (बीएमसी) उन के बांद्रा स्थित ‘मणिकर्णिका फिल्म’ के औफिस पर चढ़ बैठा है. बीएमसी ने कंगना के दफ्तर को अवैध निर्माण बता कर ढहा दिया है और मुंबई पुलिस ड्रग्स लेने के आरोप में उन के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर के जांच शुरू कर चुकी है.
9 सितंबर को मुंबई पहुंचने पर एयरपोर्ट पर कंगना को शिवसैनिकों ने काले झंडे दिखाए. उन के समर्थकों और विरोधियों के बीच एयरपोर्ट पर भारी हंगामा हुआ और नौबत मारपीट तक पहुंच गई. कंगना को वीआईपी गेट के बजाय दूसरे गेट से बाहर निकालना पड़ा. वे एयरपोर्ट से सीधे खार स्थित अपने घर पहुंचीं, जहां 50 से ज्यादा पुलिसकर्मी उन के घर के बाहर तैनात किए गए थे.
सोशल मीडिया का सहारा
गौरतलब है कि सुशांत सिंह राजपूत की मौत की तह तक पहुंचने में जहां देश की 3 बड़ी जांच एजेंसियां लगी हैं और 3 माह बीतने के बाद भी किसी नतीजे पर नहीं पहुंची हैं, वहीं कंगना ने शुरू से ही सुशांत की मौत को हत्या करार दे कर सोशल मीडिया पर इस मामले में अपनी राय जाहिर करनी शुरू कर दी थी.
उन्होंने पहले बौलीवुड में फैले नैपोटिज्म यानी भाईभतीजावाद को उन की मौत का जिम्मेदार ठहराया और मुंबई पुलिस की जांच को भटकाने की कोशिश की, फिर जब इस मामले से ड्रग ऐंगल जुड़ा तो कंगना फिल्म इंडस्ट्री में कैंसर की तरह फैले ड्रग कारोबार का खुलासा करने लगीं और इस बड़बोलेपन में यह भी कबूल कर गईं कि उन्हें भी उन का मैंटर ड्रग्स लेने के लिए मजबूर करता था. हालांकि उन्होंने उस का नाम नहीं लिया. फिर वे अपने ट््वीट्स में इंडस्ट्री के लोगों को निशाना बनाने लगीं और अंत में जा भिड़ीं
शिवसेना के नेता और प्रवक्ता संजय राउत से. कंगना और संजय राउत के बीच ट्वीट पर भयानक जंग चली और यह कहना गलत न होगा कि दोनों के बीच जबानी जंग शब्दों की तमाम मर्यादाएं लांघ गई.
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अभिनय पर हावी राजनीति
एक तरफ जहां शिवसेना कंगना पर लगातार हमले बोल रही है और उन्हें बेईमान, देशद्रोही और हरामखोर तक कह चुकी है, वहीं अब अभिनेत्री के बचाव में भारतीय जनता पार्टी खुल कर सामने आ गई है. वरिष्ठ भाजपा नेता सुब्रह्मण्यम स्वामी ने कंगना का हौसला बढ़ाया है. उन्होंने ट्वीट कर के कंगना से भरोसा रखने को कहा है. उन्होंने अपने ट्वीटर हैंडल से ट्वीट कर के कहा कि कगना से कहें कि वे भरोसा रखें. हम सभी इस संघर्ष में उन के साथ हैं.
इस से पहले सुब्रह्मण्यम स्वामी के वकील ईशकरण ने सोशल मीडिया पर जानकारी दी थी कि कंगना को डा. स्वामी कानूनी रूप से मदद करने को तैयार हैं. उन्होंने ट्वीट कर कहा था कि अगर कंगना या उन की टीम को पुलिस में स्टेटमैंट देने के दौरान किसी प्रकार की कोई कानूनी मदद चाहिए तो सुब्रह्मण्यम स्वामी कंगना की पूरी मदद करेंगे.
खुद स्वामी ने ट्वीट किया कि कंगना रनौत के औफिस ने ईशकरण से संपर्क किया. ईशकरण और मैं जल्द ही मिल कर चर्चा करेंगे कि कैसे कंगना की उन के कानूनी अधिकारों में मदद करें और मुंबई पुलिस के साथ कब मीटिंग की जाए. मुझे बताया गया है कि वे हिंदी सिनेमा की टौप 3 स्टार्स में से एक हैं लेकिन हिम्मत के मामले में वे सब से अव्वल हैं.
अब केंद्रीय गृहमंत्रालय द्वारा कंगना रनौत को वाई श्रेणी की सुरक्षा मुहैया कराने से साफ हो जाता है कि कंगना किस के दम पर इतना जोश दिखा रही हैं.
कंगना को सुरक्षा क्यों?
उल्लेखनीय है कि कंगना रनौत को अब चौबीस घंटे सीआरपीएफ के कमांडो कवर देंगे. बौलीवुड के अन्य सितारों को अधिकतर महाराष्ट्र पुलिस या निजी सुरक्षा ऐजैंसियों द्वारा सुरक्षा दी जाती है, लेकिन कंगना पहली बौलीवुड स्टार हैं, जिन की सुरक्षा सीआरपीएफ करेगी.
केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह, भारत के मुख्य न्यायाधीश एसए बोबडे, कांग्रेस प्रमुख सोनिया गांधी, राहुल गांधी और प्रियंका गांधी सहित लगभग 60 हाई प्रोफाइल व्यक्तियों को सीआरपीएफ सुरक्षा देती है.
वाई प्लस की सुरक्षा के तहत कंगना रनौत को 10-11 सशस्त्र कमांडो द्वारा 24 घंटे सुरक्षा दी जाएगी. कंगना की सुरक्षा में 2-3 सशस्त्र पीएसओ भी शामिल होंगे, जो उन के साथ रहेंगे, जबकि अन्य सुरक्षाकर्मी उन के आवास पर तैनात रहेंगे. कंगना के घर से बाहर आने और जाने वाले सभी लोगों का कंट्रोल सुरक्षाकर्मियों के पास होगा. कंगना को अपनी सुरक्षा टीम ले जाने के लिए एस्कौर्ट वाहन भी मिलने की उम्मीद है. हालांकि एस्कौर्ट वाहन जैड कैटेगरी की सुरक्षाकर्मियों को मिलता है और जैड प्लस कैटेगरी को एस्कौर्ट वाहन के साथ पायलट भी मिलता है.
धमकी और गालीगलौच का दौर
कंगना का गृह राज्य हिमाचल प्रदेश है. कोरोना काल के दौरान कंगना मुंबई से दूर हिमाचल में अपने परिवार के साथ रह रही थीं. लेकिन सुशांत मामले पर वे पूरी नजर बनाए हुए थीं और लगातार ट्वीट्स के जरीए टिप्पणियां कर रही थीं. वे लगातार मुंबई पुलिस और इंडस्ट्री के लोगों पर आरोप लगा रही थीं. उन के वाक्बाणों ने कइयों को छलनी किया और बढ़तेबढ़ते महाराष्ट्र सरकार तक पहुंच गईं.
कंगना ने जब मुंबई की तुलना ‘पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर’ से कर दी तो संजय राउत भड़क उठे और फिर धमकी और गालीगलौच का जो दौर शुरू हुआ तो कंगना को कहना पड़ा कि उन्हें मुंबई से डर लगता है, उन की जान को वहां खतरा है. उन का यह कहना था कि देश के गृहमंत्री अमित शाह ने उन के लिए वाई श्रेणी की सुरक्षा मुहैया करवा दी.
हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर कंगना रनौत को केंद्रीय सुरक्षा देने से काफी खुश हैं. उन्होंने कहा, ‘‘मुझे जानकारी मिली है कि सीआरपीएफ का 11 सदस्यीय कमांडो की टीम को कंगना की सुरक्षा के लिए गृह मंत्रालय द्वारा लगाया गया है. मैं इस फैसले का स्वागत करता हूं और केंद्रीय गृहमंत्री का आभार व्यक्त करता हूं. कंगना की सुरक्षा हमारे लिए महत्त्वपूर्ण है.’’
खुद कंगना ने इस सुरक्षा को ले कर खुशी जताते हुए गृहमंत्री अमित शाह को टैग करते हुए लिखा, ‘‘ये प्रमाण है कि जब किसी देशभक्त आवाज को कोई फासीवादी नहीं कुचल सकेगा. मैं अमित शाहजी की आभारी हूं. वे चाहते तो हालातो के चलते मुझे कुछ दिन बाद मुंबई जाने की सलाह देते, मगर उन्होंने भारत की एक बेटी के वचनों का मान रखा, हमारे स्वाभिमान और आत्मसम्मान की लाज रखी, जय हिंद.’’
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अब इस में काई शक नहीं रह गया है कि कंगना के पीछे भाजपा की ताकत काम कर रही है. अब यह ताकत कंगना का राजनीतिक भविष्य तय कर रही है या उन के जरीए सिर्फ महाराष्ट्र सरकार को घेरना चाहती है यानी इस खेल में कंगना रनौत खिलाड़ी हैं या मुहरा, यह आने वाले दिनों में साफ हो जाएगा, लेकिन अफसोस इस बात का है कि सुशांत सिंह राजपूत की मौत इस राजनीतिक बिसात पर एक खेल बन कर रह गई है.
शिवसेना के धोखे से बिलबिलाती भाजपा
सुशांत सिंह राजपूत की मौत के इर्दगिर्द खेला जा रहा सियासत का गंदा खेल मुंबई पर कब्जे को ले कर है. मुंबई में ड्रग माफिया, बौलीवुड और आईपीएल के अरबों रुपयों पर अब महाराष्ट्र की उद्धव सरकार का कब्जा है. इस कब्जे को उस से कैसे हथियाया जाए या ऐसा कुछ कर दिया जाए कि यह पैसा महाराष्ट्र सरकार की तिजोरी में न जा पाए, सारी साजिश इसी सोच के इर्दगिर्द है.
भाजपा शिवसेना से बेवफाई का बदला भी लेना चाहती है. गौरतलब है कि महाराष्ट्र में भाजपा और शिवसेना ने मिल कर विधानसभा चुनाव लड़ा था, लेकिन सीएम पद के लिए शिवसेना अड़ गई थी. बाद में शिवसेना ने पाला बदल कर कांग्रेस और एनसीपी के साथ मिल कर सरकार बना ली और उद्धव ठाकरे सीएम बन गए. शिवसेना के इस ‘धोखे’ को भाजपा अब तक पचा नहीं पाई है. ऐसे में सुशांत की मौत ने भाजपा को शिवसेना से बदला लेने का अच्छा अवसर दे दिया है और उस पर कंगना के बयानों ने आग में घी डालने का काम किया है.
सुशांत की मौत को हत्या कह कर कंगना ने जैसे ही मुंबई पुलिस की जांच पर सवाल खड़े किए तो उन के बयानों से भाजपा सियासी लाभ लेने की जुगत में लग गई. भाजपा एक तीर से दो निशाने साध रही है.
चंद माह बाद ही बिहार में विधानसभा चुनाव होने हैं. वहां एनसीपी और कांग्रेस पार्टी आरजेडी के साथ मिल कर चुनाव लड़ने की तैयारी में है. बिहार से तअल्लुक रखने वाले सुशांत सिंह राजपूत की संदिग्ध मौत को ले कर बिहार मानस व्यथित है. सशांत को न्याय दिलाने के लिए वहां काफी प्रदर्शन भी हुए हैं. उन्हें न्याय दिलाने की मुहिम भी चल रही है. बिहार सरकार के मंत्रियों तक ने मुंबई पुलिस पर आरोप लगाया कि वह ठीक से जांच नहीं कर रही है.
इसी बीच कंगना ने भी महाराष्ट्र सरकार पर आक्रमण शुरू कर दिया. अब कंगना के माध्यम से एक ओर भाजपा चुनाव के दौरान बिहारी संवेदना अपने हक में भुनाने की कवायद में जुटी है तो वहां दूसरी ओर वह महाराष्ट्र सरकार को घेरने में लगी है. कंगना का हौसला बढ़ाए रखने के लिए उन्हें वाई श्रेणी की कमांडो सुरक्षा मुहैया कराने के पीछे भाजपा की यही रणनीति काम कर रही है, साथ ही बांद्रा का उन का औफिस तोड़ने वाले बीएमसी अधिकारियों को महाराष्ट्र के गवर्नर और भाजपा नेता भगत सिंह कोश्यारी ने अपने दफ्तर तलब किया है.
उकसाने का भरपूर प्रयास
कंगना को उकसाने और उन की पीठ थपथपाने में भाजपा पीछे नहीं है. दिल्ली से ले कर महाराष्ट्र तक के नेतामंत्री महाराष्ट्र सरकार के खिलाफ कंगना को सपोर्ट कर रहे हैं. महाराष्ट्र में भाजपा नेता राम कदम ने शिवसेना प्रवक्ता संजय राउत पर कंगना को धमकी देने का आरोप लगाया है. कदम ने कहा कि राज्य सरकार सुशांत मामले को आत्महत्या करार देने के लिए मुंबई पुलिस पर दबाव बना रही है. उन्होंने उद्धव सरकार पर बौलीवुड ड्रग माफिया को बचाने का भी आरोप मढ़ा.
भाजपा नेता ने कहा कि महाराष्ट्र विकास अघाड़ी मुंबई पुलिस पर अपने फायदे के लिए दबाव बना रही है ताकि सुशांत सिंह राजपूत को न्याय न मिले और बौलीवुड ड्रग माफिया और नेताओं को बचाया जा सके. राम कदम यहीं नहीं रुके, उन्होंने कहा कि कंगना रनौत, झांसी की रानी हैं, जो धमकियों से नहीं डरती हैं.
राम कदम के बयानों से कंगना को खूब हौसला मिला और सोशल मीडिया पर संजय राउत के साथ उन की खुली जंग शुरू हो गई. नतीजा यह हुआ कि कंगना की 15 साल की मेहनत पर बीएमसी का बुलडोजर चल गया और ‘मणिकर्णिंका फिल्म’ का दफ्तर पलक झपकते धूल में मिल गया.
महाराष्ट्र सरकार के इस हमले से कंगना काफी आहत हैं. उन के दुख का अंदाजा सोशल मीडिया पर आए उन के बयान से लगता है. कंगना ने अपने औफिस का वीडियो शेयर कर के कहा, ‘‘ये मुंबई में मणिकर्णिका फिल्म का औफिस है, जिसे मैं ने 15 साल मेहनत कर के कमाया, मेरा जिंदगी में एक ही सपना था कि मैं जब भी फिल्म निर्माता बनूं मेरा अपना खुद का औफिस हो, मगर लगता है यह सपना टूटने का वक्त आ गया है. आज वहां अचानक बीएमसी के लोग आए.’’
अभी तक संजय राउत से जबानी जंग लड़ने वाली कंगना अपना 48 करोड़ रुपए मूल्य का दफ्तर टूटता देख घायल शेरनी की तरह महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे पर टूट पड़ीं. उद्धव के लिए उन के शब्द पहले से ज्यादा कर्कश थे. कंगना दहाड़ी, ‘‘उद्धव ठाकरे तुझे क्या लगता है कि तूने फिल्म माफिया के साथ मिल कर मेरा घर तोड़ कर मुझ से बहुत बड़ा बदला लिया है? आज मेरा घर टूटा है, कल तेरा घमंड टूटेगा. यह वक्त का पहिया है, याद रखना, हमेशा एकजैसा नहीं रहता.’’
कंगना की इस आक्रामकता का आने वाले समय में महाराष्ट्र सरकार की तरफ से क्या नया जवाब मिलेगा यह देखना दिलचस्प होगा. इतना तो साफ है कि सत्ता की बिसात पर कंगना अपना काफी व्यक्तिगत नुकसान कर बैठी हैं. नुकसान अभी और होगा. सुशांत सिंह राजपूत की मौत की वजह हत्या है या आत्महत्या, इसे जानने में लोगों की दिलचस्पी बढ़ती ही जा रही है.
क्या कंगना को मुंबई पुलिस ड्रग केस में पलटेगी? क्या बौलीवुड कंगना के समर्थन में आगे आएगा? उन के ऐक्टिंग कैरियर की दिशा और दशा अब क्या होगी? क्या कंगना का फिल्म कैरियर अब खत्म हो जाएगा? क्या भाजपा कंगना के लिए राजनीति की राह साफ करेगी या अपना काम निकाल कर उन्हें उन के हाल पर छोड़ देगी? क्या अपनी ‘जान से प्यारी मुंबई’ में कंगना सुरक्षित रहेगी? सवाल बहुतेरे हैं.
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17 साल की उम्र में ‘गैंगस्टर’ जैसी फिल्म से अपने कैरियर की शुरुआत करने वाली कंगना रनौत ने ‘क्वीन’ और ‘तनु वेड्स मनु’ जैसी फिल्मों में बौलीवुड में अपनी एक खास जगह बनाई. 3 नैशनल अवार्ड्स समेत कमर्शियल फिल्मों में धमाकेदार कमाई के बावजूद कंगना के खाते में फिल्में आनी धीरेधीरे कम होती चली गईं. वजह है कंगना का बड़बोलापन और इंडस्ट्री के लोगों से उन के झगड़े.
कंगना खुद मानती हैं कि इंडस्ट्री में जगह बनाने के लिए उन्होंने कई लोगों का साथ पकड़ा, मगर बाद में रिश्ते खराब होने पर कंगना उन्हें सरेआम नंगा करने से भी नहीं चूकीं. फिर चाहे वे आदित्य पंचोली हों, अध्ययन सुमन हों या ऋतिक रोशन. सोशल मीडिया पर उन्होंने कई बड़े ऐक्टर्स को बदनाम किया.
उन पर प्रताड़ना और ब्लैकमेल करने के आरोप लगाए. मगर ये सब सिर्फ सोशल मीडिया पर ही चलता रहा, कभी पुलिस के रजिस्टर में एफआईआर के तौर पर दर्ज नहीं हुआ. सुशांत मामले में तो कंगना रनौत नैपोटिज्म से ले कर बौलीवुड माफिया, ड्रग्स कौकस तक पर बोलीं.
उल्लेखनीय है कि बौलीवुड में अपने शुरुआती दिनों के दौरान कंगना अभिनेता आदित्य पंचोली के साथ एक रिश्ते में थीं. आदित्य उन से करीब 20 वर्ष बड़े हैं और वे विवाहित भी थे. कंगना से उन का रिश्ता तब टूटा जब कंगना ने आदित्य पर उन के साथ हिंसा करने का आरोप लगाया. उन के बीच तलखी अभी भी बनी हुई है और समयसमय पर कंगना के ट्वीट्स में दिखती भी है.
अभिनेता शेखर सुमन के बेटे अध्ययन सुमन के साथ कंगना का रिश्ता रहा और जब यह टूटा तो अध्ययन ने कहा, ‘‘मेरे रिश्ते की वजह से मुझे भावनात्मक रूप से बदनाम किया जा रहा है. कंगना ने मेरा इस्तेमाल किया है और वह मेरा दुरुपयोग करती थी. वह मुझे अपमानजनक कौल करती थी और उस ने अपनी सीमाएं पार कर दीं. चूंकि वह मेरी मां को फोन कर के परेशान करने लग गई थी.’’
ऋतिक रोशन और कंगना रनौत के बीच की लड़ाई भी खूब सुर्खियों में रही. दोनों की लड़ाई इस कदर चर्चा में रही कि ऋतिक और उन की पत्नी सुजैन के अलग होने में भी कंगना का नाम अफवाहों में आया. लेकिन ऋतिक और कंगना के बीच तलखी चरम पर तब पहुंची जब कंगना ने एक इंटरव्यू के दौरान ऋतिक को अपना ऐक्स बताया और कहा कि ऋतिक उन की अटेंशन पाने के लिए उन के आगेपीछे घूमते हैं.
इस पर ऋतिक ने पलटवार करते हुए कंगना को कहा कि वे दिमागी तौर से बीमार हैं और वह उन की इमेज खराब कर रही हैं.
निशाने पर महाराष्ट्र सरकार क्यों
कंगना हमेशा से अपने बेबाक बोलों के लिए जानी जाती हैं और इस के चलते ही अब फिल्म इंडस्ट्री में लोग उन से कटने लगे हैं. कोई उन के साथ काम नहीं करना चाहता कि पता नहीं कब, किस पर, वे क्या इलजाम थोप दें. इंडस्ट्री में अपने खत्म होते कैरियर को देख कर भी कंगना के उग्र व्यवहार में रत्तीभर फर्क नहीं आया, बल्कि अब तो वे और ज्यादा मुखर हो गई हैं. अब तक कंगना के विवाद बौलीवुड ऐक्टर्स के साथ थे, लेकिन यह पहला मौका है जब कंगना एक ऐसे मुद्दे के केंद्र में आ गई हैं, जिस में उन के निशाने पर मुंबई पुलिस, बीएमसी और महाराष्ट्र सरकार है.
कंगना ने बीते दिनों बौलीवुड में ड्रग्स के इस्तेमाल को ले कर बड़े दावे किए हैं. बकौल कंगना फिल्म इंडस्ट्री ड्रग माफिया के चंगुल में है. उन्होंने यह भी कहा कि वह नारकोटिक्स ब्यूरो की मदद करने को तैयार हैं, क्योंकि उन्हें बौलीवुड पार्टीज में ड्रग्स के इस्तेमाल को ले कर काफी जानकारी है. उन्होंने ट्वीट किया, ‘‘मैं नारकोटिक्स ब्यूरो की मदद करने के लिए पूरी तरह तैयार हूं, लेकिन मुझे केंद्र सरकार से सुरक्षा चाहिए. मैं ने सिर्फ अपने कैरियर को जोखिम में नहीं डाला है, बल्कि मैं ने अपनी जिंदगी को भी जोखिम में डाला है. यह काफी स्पष्ट है कि सुशांत को कुछ बुरे राज पता थे, इसलिए उसे मार दिया गया.’’
सुशांत सिंह मामले में जब ड्रग ऐंगल सामने आया तो उन्होंने ट्वीट कर के कहा कि उन का मैंटर भी उन्हें पार्टीज में ड्रग्स लेने के लिए मजबूर करता था यानी कंगना ने खुद ड्रग्स लेने की बात स्वीकार की है, जिस का नतीजा यह हुआ कि मुंबई पुलिस ने उन के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर जांच शुरू कर दी है.
महाराष्ट्र सरकार के गृहमंत्री अनिल देशमुख ने कहा है कि महाराष्ट्र सरकार कंगना रनौत के ड्रग्स लेने के मामले की जांच करेगी. इस पर पलटवार करते हुए कंगना ने महाराष्ट्र सरकार को चुनौती देते हुए कहा है कि अगर जांच में उन के और ड्रग पैडलर्स के बीच किसी तरह का संबंध होने का सुबूत मिलता है तो वे हमेशा के लिए मुंबई छोड़ने के लिए तैयार हैं.
उधर सुशांत केस में न्याय के लिए आवाज उठाने वाले शेखर सुमन के बेटे अध्ययन सुमन का कहना है कि कंगना खुद ड्रग्स लेती थीं और उन्हें लेने के लिए भी मजबूर करती थीं. इस बात को आधार मान कर अनिल देशमुख ने जांच के आदेश दिए हैं. मुंबई पुलिस इस केस को देखेगी.
आखिर कंगना ऐसा क्यों कर रही हैं
19 साल की उम्र में घर से बगावत कर के फिल्म इंडस्ट्री में अपनी पहचान बनाने के इरादे से आई कंगना रनौत अपनी हर अगली फिल्म के साथ बेहतर से बेहतर होती गईं, लेकिन जब बात उन के व्यवहार की होती है तो उन का बड़बोलापन, बिना सोचेसमझे बात कह देना, निजी संबंधों को बेदर्दी से उघाड़ देना, शब्दों की कटुता उन्हें इंडस्ट्री से दूर करती जा रही है.
उन्हें फिल्में मिलनी काफी समय से बहुत कम हो गई हैं और अब एक अभिनेत्री के रूप में कंगना रनौत को खुद इंडस्ट्री में अपना भविष्य कुछ खास नहीं दिख रहा है. इसीलिए उन्होंने फिल्म प्रोडक्शन की ओर कदम बढ़ाना शुरू किया था और बांद्रा में ‘मणिकर्णिका फिल्म’ के नाम से करोड़ों की लगात लगा कर औफिस खोला था.
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2017-18 तक कंगना मुख्यधारा की अभिनेत्रियों में गिनी जाती थीं, जिन्होंने अपने अच्छे काम से अपनी जगह बनाई, लेकिन इस के बाद धीरेधीरे उन की टिप्पणियां इतनी अपमानजनक होती गईं कि अब लोगों के लिए उन के साथ काम करना मुश्किल हो गया है.
हाल ही में मुंबई के प्रतिष्ठित डाइरैक्टर औफ फोटोग्राफी पीसी श्रीराम ने अपने आधिकारिक ट्विटर अकाउंट से कंगना के साथ काम न करने का ऐलान किया है. इंडस्ट्री में ऐसे बहुत कम लोग बचे हैं, जो उन के साथ फिल्म करने की हिम्मत रखते हैं. सुशांत मामले के बाद तो यह संख्या और भी घट गई है. कंगना को भी इस बात का एहसास है और इसीलिए उन्होंने अपने ऐक्टिंग कैरियर को महत्त्व देना बंद कर दिया है और जिस तरह उन्हें भाजपा से शह मिल रही है, शायद वे राजनीति में जाने के संकेत दे रही हैं.
कंगनाशिवसेना विवाद के पीछे सुशांत सिंह राजपूत को न्याय दिलाने से ज्यादा एक राजनीतिक अंडर करंट है, जिस की वजह से दोनों पक्षों के बीच आक्रामकता इतनी ज्यादा बढ़ गई है. भाजपा की मदद से कंगना अब अपनी राष्ट्रीय छवि गढ़ रही हैं. उन की महत्त्वाकांक्षाएं बड़ी हैं. हो सकता है आने वाले समय में वे राष्ट्रपति के कोटे से राज्यसभा पहुंच जाएं.