REVIEW: घरेलू हिंसा की शिकार तीन औरतो की सशक्त कथा है ‘ब्लैक विडो’

रेटिंगः ढाई स्टार

निर्माताः रिलायंस बिग सिनर्जी

निर्देशकः बिसरा दास गुप्ता

कलाकारः शमिता शेट्टी, मोना सिंह,  स्वास्तिका मुखर्जी,  निखिल भांबरी,  शरद केलकर, राइमा सेन,  मोहन कपूर, आमीर अली,  परमब्रता चक्रवर्ती व अन्य.

अवधिः 12 एपीसोड, 32 से 39 मिनट के , कुल अवधि सात घंटे

ओटीटी प्लेटफार्मः जी 5

फिनलैंड की 2014 की चर्चित वेबसीरीज ‘मुस्टट लेस्केट’ का कई देशों में रीमेक हो चुका है. अब ‘रिलायंस बिग सिनर्जी’ भी उसी का रीमेक ‘ब्लैक विडो’ लेकर आया है, जो कि 18 दिसंबर को ‘जी 5’पर स्ट्रीम हुई है. इस वेब सीरीज को बोल्ड कहा जा कसता है. क्योंकि इस वेब सीरीज में शुरू से आखिर तक बरकरार तीनों महिला किरदार समाज की हास्य व भावनाओं के साथ उस हकीकत को बयां करती हैं,  जिनके बारे में अक्सर बात ही नहीं जाती.

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कहानीः

यह कहानी तीन सहेलियों जयति सरदेसाई(स्वास्तिका मुखर्जी), वीरा मेहरोत्रा (मोना सिंह )और कविता( शमिता शेट्टी )की, जो कि अपने अपने पतियों से परेशान हैं. जयति सरदेसाई का पति ललित(मोहन कपूर)उसके साथ आए दिन मारपीट करते रहते हैं. कविता का पति नीलेश उसे भावनात्मक रूप से ब्लैकमेल करते हुए पैसांे की खातिर पर पुरूषों के पास भेजता रहता है. जबकि वीरा का पति जतिन मेहरोत्रा(शरद केलकर)तनाव के चलते उसे पीटने के साथ ही बेटी सिया को मार डालने की धमकी देता है. जतिन व वीरा के पास अपना आलीशान मकान है. जतिन का ‘जेएम ट्रांसपोर्ट’का बड़ा व्यापार है, जिसमें रामी शेख भागीदार है. इन तीनों सहेलियों के सामने अब दो विकल्प हैं. एक खुद आत्महत्या कर लें अथवा अपने पतियों की हत्या कर दें. तीनों योजना बनाकर नाव में बम लगाकर अपने पतियों की हत्या कर डालती हैं. पर उनकी मुसीबत खत्म नही होती. पुलिस इंस्पेक्टर पंकज मिश्रा(परमब्रता चट्टोपाध्याय)अपनी सहायक रिंकू के साथ इस केस की जांच में जुट जाता है. पुलिस के साथ इन तीनों महिलाओं का चूहे बिल्ली का खेल शुरू रहता है, तो वहीं तीनों सेक्स संबंधों में लीन होकर अपनी स्वच्छंद जीवन को आगे बढ़ाने का प्रयास करती हैं.

केस आगे बढ़ता है तो उंगली ‘मेडी फार्मा’की मालकिन इनाया ठाकुर(राइमा सेन)की तरफ भी बढ़ती हैं. इनाया और‘जे एम ट्रांसपोर्ट’ का अपना संबंध है. इनाया एक वैक्सीन का अवैध तरीके से इंसानो पर ट्रायल बिहार के कोडा गांव में करा रही है,  जहां वैक्सीन पहुंचाने की जिम्मेदारी जतिन की है. इनाया लैब में एक वायरस तैयार कर रही है, जिसे फैलाकर लोगों को बीमार करेगी,  फिर उस बीमारी से लोगों को ठीक करने के लिए अपनी वैक्सीन बेचेगी. इनाया ने पुलिस कमिश्नर बैरी सिंह ढिल्लों (सव्यसाची चक्रवर्ती) को फांस रखा है.

इधर इन तीनों औरतों की जिंदगी में उथल पुथल मचती रहती है. जयति के पति ललित का बेटा जहांन सरदेसाई (निखिल भांबरी), जयति से सारी संपत्ति हासिल करने के लिए आ जाता है. तो वहीं तीनों मेंसे एक यानी कि जतिन मेहरोत्रा जीवित बच जाता है. कइ घटनाक्रम बदलते है. रामी शेख सहित कईयों की हत्याएं होती हैं. इनाया भी कर्ई लोगों की हत्या कराती रहती है. जतिन के जीवित वापस आने से पहले रीवा की जिंदगी में एलडी (आमीर अली ) का प्रवेश हो चुका होता है. उधर कविता की जिंदगी में कई प्रेमी आते हैं. कविता और जहान सरदेसाई के बीच सेक्स संबंध बनते हैं. अंततः कहानी एक नए मोड़ पर पहुंचती है.

लेखन व निर्देशनः

फिनलैंड की वेब सीरीज का भारतीय करण करते समय फिल्मकार बिरसा दास गुप्ता यह भूल गए कि फिनलैंड और भारत की संस्कृति में बहुत बड़ा अंतर है. पहले दो एपीसेाड देखते हुए दर्शक इससे तोबा कर लेता है, जबकि उसके बाद कहानी रोचक मोड़ से होकर गुजरती है. मगर पहले दो एपीसोड इस वेब सीरीज का बंटा धार कर देते हैं. पहले दो एपीसोड में मोहन कपूर की हरकते व संवाद भारतीय परिवेश में बहुत गलत हैं. कोई भी भारतीय पुरूष खुले आम अपनी पत्नी से पर पुरूष के साथ चिपकने के लिए नहीं कहेगा. इतना ही नहीं दो एपीसोड तक औरतों के साथ घरेलू हिंसा की बात है, मगर उसके बाद यह गायब हो जाता है. फिर अपराध, रहस्य व पुलिस की जांच व भ्रष्टाचार की कहानी हावी हो जाती है.

इसमें रोमांचक तत्व का घोर अभाव है. पर बकवास हास्यप्रद घटना जरुर हैं. कुछ दृश्य भावनात्मक बन पड़े हैं. मगर कहानी को खींचने के चक्कर में बेवजह के कई किरदार व दृश्य जोड़े गए हैं, जिनकी वजह समझ से परे है. पटकथा लेखन में काफी गड़बड़ियां हैं. यह पूरी सीरीज सही ढंग से बनती तो आठ एपीसोड से ज्यादा लंबी न होती. निर्देशक के तौर पर कई जगह बिरसा दासगुप्ता मात खा गए हैं. फिल्मकार का सारा ध्यान महिला किरदारों द्वारा अपने तरीके से पितृसत्ता को नष्ट करने  पर है, जिससे  वह महिलाएं अपने जीवन को नियंत्रित कर सकें और घरेलू हिंसा से आजादी का जश्न मना सकें.

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अभिनयः

सेक्स फोबिया कविता के किरदार को शमिता शेट्टी अपने अभिनय से जीवंतता प्रदान करती हैं, पर कई जगह वह ओवर एक्टिंग करते नजर आती हैं. मोना सिंह स्थिरता लाती हैं. और निरंतर मानसिक और शारीरिक शोषण का शिकार रही जयति के किरदार में स्वास्तिका मुखर्जी ने शानदार अभिनय किया है. जतिन मेहरोत्रा के रूप में शरद केलकर,  ललित सरदेसाई के रूप में मोहन कपूर और नीलेश थरूर के रूप में विपुल रॉय अपनी भूमिका में ठीक ठाक हैं. शरद केलकर ने मुख्य कलाकार के रूप में अपने शानदार अभिनय के साथ सस्पेंस बनाए रखा,  जो हर तरफ से छाया हुआ है और कथा पर नियंत्रण रखने की कोशिश करते है. सही मायनों में यह वेब सीरीज तो शरद केलकर की है. मजबूत,  चालाक,  सेक्सी उद्यमी इनाया के पेचीदा किरदार में राइमा सेन अपना जबरदस्त प्रभाव छोड़ती हैं. उन्होने अपने किरदार केे ग्रे रंगों को जीवंतता के साथ उकेरा है. जहांन के किरदार में निखिल भंाबरी अपना प्रभाव छोड़ जाते हैं, वैसे उनके किरदार का सही ढंग से चरित्र चित्रण नही किया गया.

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