ब्लड प्रैशर बढने से क्या स्ट्रोक का खतरा रहता है?

सवाल-

मेरी उम्र 62 साल है. मुझे 6-7 वर्षों से उच्च रक्तदाब की समस्या है. मैं ने सुना है उच्च रक्तदाब के कारण स्ट्रोक आने का खतरा बढ़ जाता है. ऐसे में मुझे क्या सावधानियां बरतनी चाहिए?

जवाब-

उच्च रक्तदाब के कारण रक्त का दाब बढ़ने से दिल की सामान्य कार्यप्रणाली गड़बड़ा जाती है, जिस से उसे दूसरे अंगों तक रक्त पहुंचाने के लिए अधिक मेहनत करनी पड़ती है. इस स्थिति के कारण दिल पर दबाव पड़ता है, जिस से रक्तनलिकाओं को नुकसान पहुंचता है और स्ट्रोक की चपेट में आने की आशंका बढ़ जाती है. एक बार जब रक्तनलिकाएं कमजोर हो जाती हैं तो वे आसानी से ब्लौक हो जाएंगी. इस में मस्तिष्क का रक्त का प्रवाह प्रभावित होता है. इस स्थिति से बचने के लिए आप अपने रक्तदाब को नियंत्रित रखें, अपनी दवा नियत समय पर लें, नियमित रूप से वर्कआउट करें, तनाव न लें, अपना वजन न बढ़ने दें और अपने खानपान का ध्यान रखें.

ये भी पढ़ें- 

ब्लडप्रैशर या हाइपरटैंशन की समस्या आज आम समस्या बन गई है, जो जीवन शैली से जुड़ी हुई है, लेकिन कहते हैं न कि भले ही समस्या कितनी ही बड़ी हो लेकिन समय पर जानकारी से ही बचाव संभव होता है. ऐसे में जब पूरी दुनिया पर कोविड-19 का खतरा है, तब आप अपने लाइफस्टाइल में बदलाव ला कर हृदय रोग और हाई ब्लडप्रैशर के खतरे को काफी हद तक कंट्रोल कर सकते हैं. इस संबंध में जानते हैं डा. के के अग्रवाल से:

हाइपरटैंशन क्या है

खून की धमनियों में जब रक्त का बल ज्यादा होता है तब हमारी धमनियों पर ज्यादा दबाव पड़ता है, जिसे हम ब्लडप्रैशर की स्थिति कहते हैं. ये 2 तरह के होते हैं एक सिटोलिक ब्लडप्रैशर और दूसरा डायास्टोलिक ब्लडप्रैशर. 2017 की नई गाइडलाइंस के अनुसार अगर ब्लडप्रैशर 120/80 से कम हो तो उसे उचित ब्लडप्रैशर की श्रेणी में माना जाता है. इस की रीडिंग मिलीमीटर औफ मरकरी में नापी जाती है.

130/80 एमएम एचजी से ऊपर हाई ब्लडप्रैशर होता है. अगर ब्लडप्रैशर 180 से पार है, तब तुरंत इलाज की जरूरत होती है. वरना स्थिति गंभीर हो सकती है.

पूरी खबर पढ़ने के लिए- ब्लडप्रैशर पर रखें नजर

अगर आपकी भी ऐसी ही कोई समस्या है तो हमें इस ईमेल आईडी पर भेजें- submit.rachna@delhipress.biz   सब्जेक्ट में लिखे…  गृहशोभा-व्यक्तिगत समस्याएं/ Personal Problem

ब्लडप्रैशर कंट्रोल करने के लिए क्या करना चाहिए?

सवाल-

मेरे पति को पान खाने की आदत है और वे पान में मुलेठी डलवाना भी पसंद करते हैं. उन का स्वास्थ्य यों तो ठीक है, पर उन का ब्लडप्रैशर कभीकभी बढ़ जाता है. इधर पिछले 6-7 महीनों से वे दवा ले रहे हैं जिस से ब्लडप्रैशर कंट्रोल में है. हाल ही में मेरे जीजाजी हमारे यहां आए थे. उन्होंने हमें बताया कि ब्लडप्रैशर बढ़े होने पर मुलेठी खाना ठीक नहीं, क्योंकि यह ब्लडप्रैशर बढ़ाती है. पर मेरे पति का कहना है कि उन्होंने तो ऐसा कहीं नहीं पढ़ा. आप ही बताएं कि सच क्या है?

जवाब- 

आप के जीजाजी ने बिलकुल वाजिब सलाह दी है. यह बात सच है कि मुलेठी का सेवन करने से ब्लडप्रैशर बढ़ता है और ब्लडप्रैशर की दवाएं भी अपना असर ठीक से नहीं दिखा पातीं और अगर ब्लडप्रैशर बढ़ा रहे तो पूरे शरीर पर बुरा असर पड़ता है. अधिक दाब बने रहने से शरीर को ऊर्जा देने वाली धमनियां अपना लचीलापन गवां बैठती हैं और पत्थर जैसी सख्त होती जाती हैं. इस का असर आदमी के हृदय, मस्तिष्क, आंखों और गुरदों पर पड़ता है और न सिर्फ उम्र घटती है, बल्कि तरहतरह के शारीरिक कष्टों का अंदेशा बना रहता है. अपने पति को समझाएं कि वे ब्लडप्रैशर नियंत्रण में रखें ताकि संभावित दुष्प्रभावों पर रोक लगी रहे. अध्ययनों से पता चला है कि ब्लडप्रैशर काबू में रखने के कई बड़े लाभ हैं. इस से ब्रेन स्ट्रोक होने की दर 35-40%, दिल की बीमारी होने की दर 20-25% और हार्ट फेल्योर की दर 50% कम हो जाती है.

ये भी पढ़ें-माता-पिता को डायबिटीज होने से क्या मुझे भी खतरा है, इलाज बताएं?

ये भी पढ़ें- 

ब्लडप्रैशर या हाइपरटैंशन की समस्या आज आम समस्या बन गई है, जो जीवन शैली से जुड़ी हुई है, लेकिन कहते हैं न कि भले ही समस्या कितनी ही बड़ी हो लेकिन समय पर जानकारी से ही बचाव संभव होता है. ऐसे में जब पूरी दुनिया पर कोविड-19 का खतरा है, तब आप अपने लाइफस्टाइल में बदलाव ला कर हृदय रोग और हाई ब्लडप्रैशर के खतरे को काफी हद तक कंट्रोल कर सकते हैं. इस संबंध में जानते हैं डा. के के अग्रवाल से:

हाइपरटैंशन क्या है

खून की धमनियों में जब रक्त का बल ज्यादा होता है तब हमारी धमनियों पर ज्यादा दबाव पड़ता है, जिसे हम ब्लडप्रैशर की स्थिति कहते हैं. ये 2 तरह के होते हैं एक सिटोलिक ब्लडप्रैशर और दूसरा डायास्टोलिक ब्लडप्रैशर. 2017 की नई गाइडलाइंस के अनुसार अगर ब्लडप्रैशर 120/80 से कम हो तो उसे उचित ब्लडप्रैशर की श्रेणी में माना जाता है. इस की रीडिंग मिलीमीटर औफ मरकरी में नापी जाती है.

130/80 एमएम एचजी से ऊपर हाई ब्लडप्रैशर होता है. अगर ब्लडप्रैशर 180 से पार है, तब तुरंत इलाज की जरूरत होती है. वरना स्थिति गंभीर हो सकती है.

ये भी पढ़ें- बच्चों के लिए जरूरी हाइजीन हैबिट्स

बता दें कि हाइपरटैंशन के लिए निम्न कारण जिम्मेदार हैं:

– उम्र सब से बड़ा कारक माना

जाता है, क्योंकि उम्र बढ़ने के कारण रक्त धमनियां की इलास्टिसिटी में कमी आने के साथसाथ होर्मोन्स में उतार चढ़ाव आने से ब्लडप्रैशर के बढ़ने का खतरा बना रहता है.

– अस्वस्थ जीवन शैली की वजह से भी हाइपरटैंशन की समस्या होती है. क्योंकि जब हमारी

शारीरिक गतिविधि कम होने से हमारा वजन बढ़ता है, तब हाइपरटैंशन की समस्या होती है, क्योंकि दिल को औक्सीजन की आपूर्ति करने के लिए ज्यादा खून पंप करना पड़ता है, जिस से रक्त पर दबाव पड़ता है.

इन 9 होममेड टिप्स से ट्राय करें हाई ब्लड प्रेशर

उच्च रक्तचाप यानी कि हाई ब्लड प्रेशर वह स्थिति है जब रक्तचाप सामान्य (120/80mmHg) से अधिक हो जाता है. सामान्य रूप से मोटापा, आनुवांशिक कारण, शराब का अत्यधिक सेवन, अधिक मात्रा में नमक का सेवन, व्यायाम न करना, तनाव, दर्द निवारक दवाओं का सेवन और किडनी रोग आदि उच्च रक्तचाप के प्रमुख कारण हैं. वैसे तो इसके निवारण के लिए अनेक दवाएं हैं लेकिन कुछ प्राकृतिक उपाय ऐसे हैं जिनको अपनाकर आसानी से उच्च रक्तचाप से मुक्त हुआ जा सकता है. इन घरेलू उपायों को अपनाने के साथ-साथ डाक्टर के निर्देशों का पालन जरूर किया जाना चाहिए और नियमित चेकअप के साथ-साथ खान-पान संबंधी निर्देशों का भी पालन किया जाना चाहिए.

1. केला

केले में पोटैशियम प्रचुर मात्रा में होता है जो कि सोडियम के असर को कम करता है. केले का हाईब्लड प्रेशर के मरीजों को नियमित रूप से सेवन करना चाहिए. रोज एक से दो केले का सेवन शुरू करें. केले के साथ आप सूखे खुबानी, किशमिश, संतरे का रस, पालक, बेक्ड आलू और कैंटोलाप का भी सेवन कर सकते हैं.

2. अजवायन

अजवाइन में मौजूद फाइटोकेमिकल 3-एन-ब्युटिल्फथलाइड का उच्च स्तर बहुत उच्च रक्तचाप को नियंत्रित करने में मदद करता है. यह धमनियों में अधिक स्थान बनाने के साथ बिना बाधा के रक्त प्रवाह में मदद करता है. इसके साथ ही साथ यह तनाव पैदा करने वाले हार्मोन्स, जो कि रक्त वाहिकाओं को सिकोड़ते हैं, को नियंत्रित करने में भी मदद करता है. रोजाना एक गिलास पानी के साथ अजवाइन खाएं. यदि आप चाहें तो दिन में कई बार अजवाइन चबा सकती हैं.

ये भी पढ़ें- ‘वर्ल्ड डायबिटिक डे’ पर रेटिनोपैथी के बारें में जाने यहां

3. नारियल पानी

उच्च रक्तचाप से पीड़ित लोगों को शरीर में पानी की कमी नहीं होने देना चाहिए. रोजाना आठ से दस गिलास पानी पीना आपके लिए अच्छा होगा. रक्तचाप को कम करने के लिए नारियल का पानी विशेष रूप से फायदेमंद है. नारियल के पानी के साथ, आप खाना पकाने में भी नारियल तेल का उपयोग कर सकती हैं.

4. नीबू

नीबू धमनियों को नरम रखने में सहायक होता है. जब रक्त वाहिकाओं में कठोरता नहीं होगी तो स्वाभाविक रूप से उच्च रक्तचाप कम हो जाएगा. इसके अलावा आप नीबू के नियमित सेवन से हार्टफेल की संभावना को भी कम कर सकते हैं. नीबू में मौजूद विटामिन सी एक एंटीआक्सीडेंट है जो मुक्त कणों के हानिकारक प्रभावों को बेअसर करने में आपकी मदद करता है.

5. शहद

शहद रक्त वाहिकाओं पर असर करती है और दिल पर रक्त के दबाव को कम करती है. इसीलिए यह उच्च रक्तचाप को कम करने में सहायक होती है. हर सुबह खाली पेट दो चम्मच शहद सेवन करें. आप एक चम्मच शहद और अदरक का रस को दो चम्मच जीरा के साथ मिलाकर ले सकती हैं. इसे दिन में दो बार खाएं. एक अन्य प्रभावी उपाय है तुलसी का रस और शहद को बराबर मात्रा में लेना. इसे रोजाना एक बार खाली पेट ले सकते हैं.

6. काली मिर्च

हल्के उच्च रक्तचाप से पीड़ित लोगों को काली मिर्च खाने से फायदा मिलता है. यह प्लेटलेट्स के साथ मिलकर रक्त के थक्के बनने से रोकती है साथ ही चिकनाई पैदा करके रक्त प्रवाह में मदद करती है. आप फलों या सब्जियों के सलाद में कुछ काली मिर्च डाल सकती हैं या सूप में भी एक चुटकी काली मिर्च डाल सकती हैं.

7. लहसुन

कई अध्ययनों से साबित हुआ है कि लहसुन में ब्लड प्रेशर कम करने की क्षमता है. कच्चा हो या पका हुआ दोनों तरह का लहसुन उच्च रक्तचाप को नियंत्रित करने में मददगार होता है. साथ ही यह कोलेस्ट्राल के स्तर को भी कम करता है. रोजाना एक या दो कुचले हुए लहसुन खाएं. यह रक्त प्रवाह को सामान्य रखता है, गैस निकालता है और दिल पर दबाव कम करता है. यदि आप कच्चा लहसुन खाना पसंद नहीं करती हैं या इसके सेवन में जलन महसूस हैं तो इसे एक कप दूध के साथ ले सकती हैं.

8. प्याज का रस

एक मध्यम आकार की कच्ची प्याज नियमित रूप से खाने की कोशिश करें. आप एक से दो सप्ताह तक प्रतिदिन दो बार आधा चम्मच प्याज का रस शहद के साथ ले सकते हैं. प्याज में एक एंटीआक्सिडेंट फ्लावानोल मौजूद होता है जिसे क्वरेटिन कहा जाता है. यह आपके रक्तचाप को कम करने में मददगार साबित हो सकता है.

ये भी पढ़ें- Testosterone का स्‍तर कम होना है खतरनाक

9. मेथी के बीज

मेथी के बीज में उच्च पोटेशियम और फाइबर होने के कारण यह उच्च रक्तचाप को कम करने के लिए प्रभावी है. दो चम्मच मेथी के बीजों को पानी में लगभग दो मिनट तक उबालें और फिर इसे ठंडा कर लें. इसके बाद इसके बीज निकालकर उसका पेस्ट बना लें. इस पेस्ट को रोज दो बार खाएं, सुबह एक बार खाली पेट पर और एक बार शाम को. अपने रक्तचाप के स्तर में महत्वपूर्ण सुधार के लिए इस उपाय को दो से तीन महीनों तक करें.

6 टिप्स: दवाई के बिना भी काबू में रहेगा ब्लड प्रेशर

ब्लड प्रेशर आजकल शहरी जीवन में एक बेहद आम समस्या बन गई है. हाई ब्लड प्रेशर हो या लो ब्लड प्रेशर दोनों ही स्थितियां आपके सामान्य जीवन को नुकसान पहुंचाने का काम करती हैं. आज हम आपको कुछ ऐसे तरीके बताने जा रहे हैं जिससे आप बिना कोई दवा खाए अपने ब्लड प्रेशर की समस्या को काबू में कर सकते हैं…

1. रोज 7 घंटे सोना है जरूरी :

रिसर्च में ये सामने आया है कि जो लोग 5 घंटे या उससे कम सोते हैं उनमें हाई ब्लड प्रेशर की समस्या बेहद आमतौर पर पाई जाती है. ये आदत न सिर्फ ब्लड प्रेशर बल्कि हाइपर टेंशन का भी कारण बनती है. वैज्ञानिकों का मानना है कि ब्लड प्रेशर की समस्या से जूझ रहे लोग अगर रोज़ 7 घंटे की नींद लेने लगे तो इस समस्या पर काबू पाने में मदद मिल सकती है.

2. नमक कम खाएं :

नमक आपके शरीर में ज्यादा पानी बनाए रखने में मददगार साबित होता है. शरीर में जब पानी की मात्रा ज्यादा होती है तो ये ब्लड प्रेशर बढ़ाने का काम करती है. जो लोग ब्लड प्रेशर के पहले से मरीज़ है अगर वो ज्यादा नमक का इस्तेमाल करते हैं तो उनमें कार्डियोव्स्क्युलर बीमारियों का खतरा पहले से ज्यादा बढ़ जाता है. ऐसे लोगों को नॉन वेज भी संभल कर खाना चाहिए क्योंकि उसमें सामान्य से ज्यादा नमक पाया जाता है.

ये भी पढ़ें- बार-बार सर्दी-जुकाम होना ठीक नहीं

3. हर हफ्ते कम से कम 150 मिनट एक्सरसाइज जरूरी :

वैसे तो वर्कआउट करना आपको ज्यादातर बीमारियों से दूर रखता है लेकिन ब्लड प्रेशर के मामले में तो ये और भी ज़रूरी हो जाता है. ब्लड प्रेशर की समस्या से दूर रहने के लिए आपको हर हफ्ते करीब 150 मिनट वर्कआउट करने में खर्च करने चाहिए. रेग्युलर एरोबिक आपके ब्लड प्रेशर को सामान्य बनाए रखने में मदद करता है और आपको दवाओं से भी दूर कर देता है.

4. रोजाना 10 मिनट मेडिटेशन :

स्ट्रेस में मानव शरीर में एड्रेलिन नाम का एक हारमोन निकलता है जो कि हार्टबीट और ब्लड प्रेशर को बढ़ाने का कम करता है. इसलिए स्ट्रेस भी ब्लड प्रेशर को बढ़ाने का काम करता है ऐसे में स्ट्रेस से दूर रहकर ब्लड प्रेशर से भी छुटकारा मिल जाता है. मेडिटेशन स्ट्रेस से छुटकारा पाने का सबसे बेहतर तरीका हो सकता है. रिसर्च में सामने आया है कि दिन में सिर्फ 10 मिनट मेडिटेशन आपको ब्लड प्रेशर की समस्या से दूर रखता है.

5. सब्जियां और फल खाएं :

रिसर्च में ये सामने आया है कि आपकी थाली में सब्जियां और फल जितने ज्यादा होते हैं ब्लड प्रेशर की समस्या आपसे उतनी ही दूर रहती है. हापरटेंशन के मरीजों के लिए भी फ्रूट्स का इस्तेमाल करना बेहद फायदेमंद साबित होता है. ये आपके ब्लड को सामान्य रखने में मदद करता है. ये शरीर में विटामिन और पोटेशियम जैसे तत्वों को कम नहीं होने देते.

ये भी पढ़ें- Corona में धूम्रपान करने वाले लोगों को है न्यूलॉजिकल बीमारियां होने का खतरा

6. वजन को कंट्रोल में रखें :

ब्लड प्रेशर को कंट्रोल रखने के लिए आपको अपने वज़न को भी कंट्रोल में रखना पड़ता है. जैसे-जैसे आपका वजन बढ़ता है आपके दिल को ब्लड पंप करने में मुश्किल पेश आने लगती है. इसका सीधा नतीजा ब्लड प्रेशर के रूप में सामने आता है. आपकी लंबाई के मुताबिक आपको अपना वज़न मेंटेन करना चाहिये.

बच्चों से लेकर युवाओं तक ब्लड प्रेशर पर रखें नजर

लेखक- श्री  प्रकाश

बच्चा , युवा या बूढ़ा कोई भी हो ब्लड प्रेशर किसी को भी हो सकता है. अनियंत्रित ब्लड प्रेशर मध्य आयु के लोगों में हार्ट अटैक का मुख्य कारण है. आरम्भ में हाई ब्लड प्रेशर या हाइपर टेंशन का कोई स्पष्ट लक्षण नहीं दिख सकता है भले ही देखने में  किशोर या युवा स्वस्थ क्यों न लगे. डॉक्टरों के अनुसार ब्लड प्रेशर अंदर ही अंदर धीरे धीरे शरीर के अंगों पर बुरा असर डालता है और आगे चल कर यह गंभीर स्वास्थ्य समस्या हो सकती है.

 नार्मल ब्लड प्रेशरजैसा कि हम जानते हैं स्वस्थ युवा के लिए 120 / 80 mmHg ( सिस्टॉलिक / डायस्टोलिक )  ब्लड प्रेशर माना जाता है जबकि

129 / 80   mmHg को एलेवेटेड ( यानि बढ़ा हुआ ) ,

130 / 80 – 90  mmHg स्टेज 1 हाई ब्लड प्रेशर और

140 / 90 या अधिक  mmHg स्टेज 2 हाई ब्लड प्रेशर कहलाता है.

एलिवेटेड या हाई ब्लड प्रेशर हार्ट के लिए नुकसानदेह होता है क्योंकि

1 . इस से हार्ट को  ब्लड पंप करने में ज्यादा मेहनत करनी पड़ती  है.इसके चलते  धीरे धीरे हार्ट की मांसपेशियाँ मोटी और सख्त हो जाती हैं. फलस्वरूप हार्ट में समुचित मात्रा में ब्लड नहीं पहुँचता है और इसे पंप करना भी कठिन होता है.

2 . हार्ट के आर्टरी  ( धमनी )  संकीर्ण और सख्त हो जाते हैं और शरीर में रक्त संचार सुचारू रूप से नहीं हो पाता है.

3 . इसके चलते  आर्थिक समस्या भी हो सकती है , जैसे ब्लड प्रेशर की दवाओं पर या भविष्य में अगर हार्ट पर असर हुआ तो उसके  इलाज में खर्च.

4 . Covid 19 में हाई ब्लड प्रेशर से समस्या और भी गंभीर हो सकती है.

बच्चों ,किशोरों और युवाओं में ब्लड प्रेशर भले ही नजर में न आता हो पर  इस पर नजर नहीं रखने से भविष्य में स्ट्रोक , ह्रदय रोग जैसी गंभीर समस्या हो सकती है.

ये भी पढ़ें- जानें कितना सेहतमंद है आपका तकिया

बच्चों किशोरों और युवाओं में हाइपरटेंशन आजकल ब्लड प्रेशर की समस्या सभी उम्र में देखने को मिलती है , यहाँ तक कि 6 – 18 / 20 साल की उम्र में. कुछ वर्ष पूर्व के एक अध्ययन में भारत में स्कूल के विद्यार्थियों  में करीब 11 % बच्चों में प्री हाइपर टेंशन और  4.6 % में हाइपर टेंशन देखा गया था. युवाओं में करीब 20  % युवा ब्लड प्रेशर से प्रभावित हैं.

बच्चों / किशोरों में हाइपर टेंशन के लक्षण सर दर्द , मिचली और उल्टी , सीजर , सीने में दर्द , असामन्य हार्ट बीट और शॉर्टनेस ऑफ़ ब्रीदिंग.

बच्चे / किशोरों में हाइपरटेंशन के कारणमोटापा , हार्मोनल  असंतुलन , जेनेटिक , हार्ट और किडनी की समस्या , लाइफ स्टाइल , थयरॉइड की समस्या , अनिद्रा या अल्पनिद्रा , ड्रग  का सेवन. आजकल पढ़ाई लिखाई , खेलकूद सभी जगह प्रतिस्पर्धा बढ़ जाने से कुछ किशोरों और युवकों में हाइपर टेंशन देखा गया  है.

हाइपरटेंशन से संभावित खतरेअनियंत्रित हाइपर टेंशन से स्ट्रोक , हार्ट अटैक या हार्ट फेल , आँखों और किडनी की समस्या हो सकती है.

डॉयग्नोसिसब्लड प्रेशर मेजर करना  या आवश्यकतानुसार  डॉक्टर ब्लड , पेशाब टेस्ट , इको और अल्ट्रा साउंड की सलाह दे सकते हैं.

उपचार स्टेज 1 हाइपरटेंशन में आमतौर पर डॉक्टर लाइफ स्टाइल में बदलाव कर इसे कंट्रोल करने की सलाह देते हैं.  स्टेज 2 हाइपरटेंशन में डॉक्टर आवश्यकतानुसार दवा देते हैं.

माता पिता बच्चों में  हाइपर टेंशन की समस्या में क्या करें समय समय पर बच्चे का ब्लड प्रेशर खुद मेजर करें या डॉक्टर के क्लिनिक में जा कर नपवायें. हाइपर टेंशन होने से डॉक्टर की सलाह के अनुसार उपचार करें. बच्चे के वजन पर नजर रखें , पौष्टिक भोजन दें और नियमित व्यायाम के लिए प्रोत्साहित करें.

खानपानपौष्टिक और संतुलित भोजन जिसमें  कैलोरी कम हो दें.  स्नैक्स , फ़ास्ट फ़ूड , सुगरी ड्रिंक आदि जिसमें  हाई फैट और शुगर होते हैं , न दें.  इनके बदले फल और सब्जी पर जोर दें. सोडियम यानि नमक ज्यादा न हो.

फिजिकल एक्टिविटी बच्चे / किशोर को उनकी  आयु के अनुसार नियमित व्यायाम के लिए प्रोत्साहित करें जैसे –

स्कूल ऐज बच्चेवाकिंग , साइकिलिंग , बॉल फेंकना और पकड़ना , रस्सी खींचना , पेड़ पर चढ़ना , स्विमिंग , बैडमिंटन , बास्केटबॉल  ,  स्किपिंग , योगा आदि.

ये भी पढ़ें- पैनक्रियाटिक रोगों की बड़ी वजह है अल्कोहल सेवन, धूम्रपान और गॉल ब्लॉडर स्टोन

3. किशोर  और युवा वाकिंग , जॉगिंग , हाईकिंग , चढ़ाई पर साइकिलिंग ,   स्पोर्ट्स और गेम – टेनिस , मार्शल आर्ट्स , हाई जम्प या लॉन्ग जम्प , क्रॉस कंट्री दौड़ , टग ऑफ़ वॉर ,  योग आदि

हेल्दी वजनबच्चों या किशोरों में हाइपरटेंशन का एक मुख्य कारण मोटापा है. इसके लिए BMI , बॉडी मास इंडेक्स , जो शरीर के वजन ( Kg में ) को लम्बाई के  वर्ग ( sq meter में  ) से भाग देने पर मिलता है. BMI ऐज और सेक्स पर भी निर्भर करता है.आमतौर पर  19 – 24 BMI  ( kg / sq met ) नार्मल है , 24 से 29  ओवर वेट और 30 से ज्यादा BMI मोटापा होता है.

इन्वॉल्वमेंटबच्चों की  एक्टिविटी में दिसलचस्पी लें और खुद भी शामिल हों , जैसे उनके खानपान और व्यायाम में.

Blood Pressure को बैलेंस रखने के लिए क्या करना चाहिए?

सवाल-

मेरी उम्र 42 साल है. कई बार मेरा रक्तचाप अत्यधिक बढ़ जाता है. क्या इसे नियंत्रित रखने के कुछ घरेलू उपाय हैं?

जवाब-

उच्च रक्तचाप को नियंत्रित करने वाली चीजें आप की किचन में ही उपलब्ध हैं. घरेलू उपायों से रक्तचाप को नियंत्रित करना न केवल सस्ता और आसान होता है, बल्कि इन से किसी प्रकार के साइड इफैक्ट्स होने की भी आशंका नहीं होती है. नीबू रक्त नलिकाओं को मुलायम रखता तो तरबूज के बीज इन्हें चौड़ा बनाए रखते हैं. लहसुन नाइट्रिक औक्साइड और हाइड्रोजन सल्फाइड के निर्माण को स्टिम्यूलेट कर के रक्त नलिकाओं को रिलैक्स रखता है. केला पोटैशियम का अच्छा स्रोत है, जो सोडियम के प्रभाव को कम करता है. इस प्रकार यह रक्तचाप को नियंत्रित करने में सहायता करता है. नारियल पानी पोटैशियम, मैग्नीशियम और विटामिन सी का अच्छा स्रोत है. ये सिस्टोलिक दाब को कम करने में सहायता करते हैं.

सवाल-

मेरी उम्र 52 वर्षीय एक घरेलू महिला हूं. मेरा रक्तदाब अकसर सामान्य से थोड़ा कम रहता है. आगे चल कर मेरे लिए बीमारियों का खतरा तो नहीं बढ़ जाएगा?

जवाब-

रक्तदाब सामान्य से थोड़ा कम रहना कई प्रकार से हमारे स्वास्थ्य के लिए लाभदायक भी है. अगर रक्त का दाब लगातार सामान्य से थोड़ा कम बना रहता है तो स्ट्रोक और हार्ट अटैक की आशंका कम हो जाती है. स्वस्थ लोगों में अगर निम्न रक्तदाब बिना किसी लक्षण के है तो चिंता की कोई बात नहीं है और इस का उपचार करने की जरूरत भी नहीं है. वैसे कई लोगों का ब्लड प्रैशर आनुवंशिक रूप से ही कम होता है.

ये भी पढ़ें- ब्लड प्रैशर कम करने के लिए क्या मुझे नमक खाना चाहिए?

सवाल-

मेरे परिवार में हृदय रोगों का पारिवारिक इतिहास रहा है. मुझे उच्च रक्तदाब की शिकायत है, ऐसे में मेरे लिए हृदय रोगों का खतरा कितना बढ़ जाता है?

जवाब-

हृदय रोगों का पारिवारिक इतिहास होने पर वैसे ही आप के लिए सामान्य लोगों से खतरा अधिक है. उच्च रक्तदाब हृदय रोगों का सब से बड़ा रिस्क फैक्टर माना जाता है. इसलिए आप के लिए स्थिति और गंभीर है. आप अपने रक्तदाब को नियंत्रित रखने के साथ रक्त में शुगर और कोलैस्ट्रौल के स्तर को भी स्वस्थ सीमा से अधिक न बढ़ने दें. अत्यधिक मानसिक तनाव से भी बचें.

सवाल-

मेरे बेटे की उम्र केवल 13 साल है. उसे उच्च रक्तदाब की शिकायत है. मुझे उस के भविष्य को ले कर बहुत चिंता होती है. बताएं क्या करूं?

जवाब-

खराब जीवनशैली, खानपान की अस्वस्थ आदतें, शारीरिक सक्रियता की कमी और बढ़ता मोटापा बच्चों में उच्च रक्तदाब का कारण बन रहा है. आप अपने बच्चे की जीवनशैली में बदलाव लाएं. अगर उस का वजन अधिक है तो उसे सामान्य स्तर तक लाएं. उसे जंक फूड न खाने दें. घर का बना संतुलित और पोषक भोजन खिलाएं और नियमित रूप से ऐक्सरसाइज करने या आउटडोर गेम्स खेलने के लिए प्रेरित करें. अगर किसी और स्वास्थ्य समस्या के कारण उच्च रक्तदाब की समस्या हो रही हो तो उस के प्रबंधन से भी इसे नियंत्रित किया जा सकता है. बचपन में ही रक्तदाब को नियंत्रित करना जरूरी है वरना उम्र बढ़ने के साथ यह समस्या गंभीर हो कर हृदय रोगों, डायबिटीज, ब्रेन स्ट्रोक और गुरदों से संबंधित बीमारियों का कारण बन सकती है.

   -डा. रमन कुमार

ऐकैडमी औफ फैमिली फिजिशियंस औफ इंडिया, दिल्ली.

ये भी पढ़ें- मेरे बहनोई बेरोजगार हैं और वह नौकरी नही करना चाहते, मैं क्या करुं?

अगर आपकी भी ऐसी ही कोई समस्या है तो हमें इस ईमेल आईडी पर भेजें- submit.rachna@delhipress.biz
 
सब्जेक्ट में लिखे…  गृहशोभा-व्यक्तिगत समस्याएं/ Personal Problem

ब्लड प्रैशर कम करने के लिए क्या मुझे नमक खाना चाहिए?

सवाल-

मैं 45 वर्षीय कामकाजी महिला हूं. मुझे पिछले कुछ महीनों से उच्च रक्तचाप की शिकायत हो गई है. क्या मुझे नमक खाना पूरी तरह बंद कर देना चाहिए?

जवाब-

शरीर के सुचारु रूप से काम करने के लिए उचित मात्रा में नमक का सेवन जरूरी है. मगर आप का रक्तचाप सामान्य से अधिक रहने लगा है, इसलिए नमक का सेवन थोड़ा कम जरूर कर दीजिए पर पूरी तरह बंद मत कीजिए. अधिक नमक का सेवन उन लोगों के रक्तचाप को खतरनाक स्तर तक बढ़ा सकता है, जिन्हें हाइपरटैंशन है, क्योंकि नमक में सोडियम होता है. यह रक्त नलिकाओं को कड़ा और संकरा कर देता है. इस से हृदय को शरीर में रक्त पंप करने के लिए अतिरिक्त मेहनत करनी पड़ती है. लेकिन अगर आप नमक का सेवन पूरी तरह से बंद कर देंगी तो आप का रक्तचाप खतरनाक स्तर तक कम हो जाएगा और इस से शरीर के दूसरे अंगों की कार्यप्रणाली भी प्रभावित होगी.

ये भी पढ़ें- 

ब्लडप्रैशर या हाइपरटैंशन की समस्या आज आम समस्या बन गई है, जो जीवन शैली से जुड़ी हुई है, लेकिन कहते हैं न कि भले ही समस्या कितनी ही बड़ी हो लेकिन समय पर जानकारी से ही बचाव संभव होता है. ऐसे में जब पूरी दुनिया पर कोविड-19 का खतरा है, तब आप अपने लाइफस्टाइल में बदलाव ला कर हृदय रोग और हाई ब्लडप्रैशर के खतरे को काफी हद तक कंट्रोल कर सकते हैं. इस संबंध में जानते हैं डा. के के अग्रवाल से:

हाइपरटैंशन क्या है

खून की धमनियों में जब रक्त का बल ज्यादा होता है तब हमारी धमनियों पर ज्यादा दबाव पड़ता है, जिसे हम ब्लडप्रैशर की स्थिति कहते हैं. ये 2 तरह के होते हैं एक सिटोलिक ब्लडप्रैशर और दूसरा डायास्टोलिक ब्लडप्रैशर. 2017 की नई गाइडलाइंस के अनुसार अगर ब्लडप्रैशर 120/80 से कम हो तो उसे उचित ब्लडप्रैशर की श्रेणी में माना जाता है. इस की रीडिंग मिलीमीटर औफ मरकरी में नापी जाती है.

पूरी खबर पढ़ने के लिए- ब्लडप्रैशर पर रखें नजर

अगर आपकी भी ऐसी ही कोई समस्या है तो हमें इस ईमेल आईडी पर भेजें- submit.rachna@delhipress.biz
 
सब्जेक्ट में लिखे…  गृहशोभा-व्यक्तिगत समस्याएं/ Personal Problem

मुझे छोटी-छोटी बात पर बहुत जल्दी गुस्सा आता है?

सवाल-

मेरी उम्र 41 साल है. मुझे छोटीछोटी बात पर बहुत जल्दी गुस्सा आता है. शौपिंग में ज्यादा समय लगना, भीड़भाड़ वाली जगह, गरमी आदि में मुझे बेचैनी होने लगती है, साथ ही पसीना भी आता है. इस का क्या कारण हो सकता है और इस से राहत कैसे मिलेगी?

जवाब-

आप के द्वारा बताए गए लक्षणों से उच्च रक्तचाप का पता चलता है. इसे हाइपरटैंशन या हाई बीपी के नाम से भी जाना जाता है. हाई बीपी के दौरान धमनियों में खून का दबाव तेज हो जाता है. इस दबाव की वजह से धमनियों में रक्त का प्रवाह बनाए रखने के लिए दिल को सामान्य से अधिक काम करने की आवश्यकता पड़ती है. ऐसे में आप की धड़कन भी तेज हो सकती है. यही नहीं उच्च रक्तचाप हार्ट फेल्योर और हार्ट अटैक का एक बड़ा कारण माना जाता है, इसलिए इसे नियंत्रित करना बेहद जरूरी है. यह समस्या धूम्रपान, मोटापा, शारीरिक गतिविधियों में कमी, शराब का अत्यािक सेवन, तनाव आदि के कारण होती है. हालांकि, हाई ब्लड प्रैशर के उपचार के लिए बाजार में कई दवाइयां मिल जाएंगी. इस समस्या को कुछ हद तक घर बैठे ही नियंत्रित किया जा सकता है. रोज सुबहशाम 1 चम्मच शहद के साथ लहसुन की 1 कली खाएं. 1 गिलास पानी में 2 चम्मच आंवले का रस मिलाएं. इसे हर सुबह खाली पेट पीएं. बेचैनी होने पर ठंडा पानी पीएं. इस से राहत मिलेगी.

ये भी पढ़ें-

ब्लडप्रैशर या हाइपरटैंशन की समस्या आज आम समस्या बन गई है, जो जीवन शैली से जुड़ी हुई है, लेकिन कहते हैं न कि भले ही समस्या कितनी ही बड़ी हो लेकिन समय पर जानकारी से ही बचाव संभव होता है. ऐसे में जब पूरी दुनिया पर कोविड-19 का खतरा है, तब आप अपने लाइफस्टाइल में बदलाव ला कर हृदय रोग और हाई ब्लडप्रैशर के खतरे को काफी हद तक कंट्रोल कर सकते हैं. इस संबंध में जानते हैं डा. के के अग्रवाल से:

हाइपरटैंशन क्या है

खून की धमनियों में जब रक्त का बल ज्यादा होता है तब हमारी धमनियों पर ज्यादा दबाव पड़ता है, जिसे हम ब्लडप्रैशर की स्थिति कहते हैं. ये 2 तरह के होते हैं एक सिटोलिक ब्लडप्रैशर और दूसरा डायास्टोलिक ब्लडप्रैशर. 2017 की नई गाइडलाइंस के अनुसार अगर ब्लडप्रैशर 120/80 से कम हो तो उसे उचित ब्लडप्रैशर की श्रेणी में माना जाता है. इस की रीडिंग मिलीमीटर औफ मरकरी में नापी जाती है.

130/80 एमएम एचजी से ऊपर हाई ब्लडप्रैशर होता है. अगर ब्लडप्रैशर 180 से पार है, तब तुरंत इलाज की जरूरत होती है. वरना स्थिति गंभीर हो सकती है.

पूरी खबर पढ़ने के लिए- ब्लडप्रैशर पर रखें नजर

अगर आपकी भी ऐसी ही कोई समस्या है तो हमें इस ईमेल आईडी पर भेजें- submit.rachna@delhipress.biz
 
सब्जेक्ट में लिखे…  गृहशोभा-व्यक्तिगत समस्याएं/ Personal Problem

ब्लडप्रैशर पर रखें नजर

ब्लडप्रैशर या हाइपरटैंशन की समस्या आज आम समस्या बन गई है, जो जीवन शैली से जुड़ी हुई है, लेकिन कहते हैं न कि भले ही समस्या कितनी ही बड़ी हो लेकिन समय पर जानकारी से ही बचाव संभव होता है. ऐसे में जब पूरी दुनिया पर कोविड-19 का खतरा है, तब आप अपने लाइफस्टाइल में बदलाव ला कर हृदय रोग और हाई ब्लडप्रैशर के खतरे को काफी हद तक कंट्रोल कर सकते हैं. इस संबंध में जानते हैं डा. के के अग्रवाल से:

हाइपरटैंशन क्या है

खून की धमनियों में जब रक्त का बल ज्यादा होता है तब हमारी धमनियों पर ज्यादा दबाव पड़ता है, जिसे हम ब्लडप्रैशर की स्थिति कहते हैं. ये 2 तरह के होते हैं एक सिटोलिक ब्लडप्रैशर और दूसरा डायास्टोलिक ब्लडप्रैशर. 2017 की नई गाइडलाइंस के अनुसार अगर ब्लडप्रैशर 120/80 से कम हो तो उसे उचित ब्लडप्रैशर की श्रेणी में माना जाता है. इस की रीडिंग मिलीमीटर औफ मरकरी में नापी जाती है.

130/80 एमएम एचजी से ऊपर हाई ब्लडप्रैशर होता है. अगर ब्लडप्रैशर 180 से पार है, तब तुरंत इलाज की जरूरत होती है. वरना स्थिति गंभीर हो सकती है.

ये भी पढ़ें- बच्चों के लिए जरूरी हाइजीन हैबिट्स

बता दें कि हाइपरटैंशन के लिए निम्न कारण जिम्मेदार हैं:

– उम्र सब से बड़ा कारक माना

जाता है, क्योंकि उम्र बढ़ने के कारण रक्त धमनियां की इलास्टिसिटी में कमी आने के साथसाथ होर्मोन्स में उतार चढ़ाव आने से ब्लडप्रैशर के बढ़ने का खतरा बना रहता है.

– अस्वस्थ जीवन शैली की वजह से भी हाइपरटैंशन की समस्या होती है. क्योंकि जब हमारी

शारीरिक गतिविधि कम होने से हमारा वजन बढ़ता है, तब हाइपरटैंशन की समस्या होती है, क्योंकि दिल को औक्सीजन की आपूर्ति करने के लिए ज्यादा खून पंप करना पड़ता है, जिस से रक्त पर दबाव पड़ता है.

– अनुवांशिक कारणों से भी हाइपरटैंशन की समस्या होती है.

हाइपरटेंशन की स्थिति को नियंत्रण करने के लिए निम्न चीजों को अपनी दिनचर्या में जरूर शामिल करें:

स्वस्थ व ताजा भोजन खाएं

आहार स्वस्थ जीवन का आधार होता है. यदि आप का आहार ठीक नहीं है तो कुछ समय बाद आप को रोग घेर लेंगे. अपने भोजन में जितना हो सके हरी सब्जियां, दाल, फल और अनाज का इस्तेमाल करें. इस के अलावा फैट बढ़ाने वाले पदार्थों से दूर रहें.

समयसमय पर ब्लडप्रैशर की जांच

आप समयसमय पर ब्लडप्रैशर की जांच करते रहें. इस से आप को अपने ब्लडप्रैशर के लेवल का पता चलता रहेगा और आप के मन में चिंता नहीं रहेगी.

नींद पूरी लें

नींद का पूरा होना बहुत जरूरी है. यदि दिमाग को आराम नहीं मिलेगा तो वह टैंशन, चिंता, तनाव से भरा रहेगा और इस से डिप्रैशन तक हो सकता है.

खुद को हाइड्रेट रखें

ब्लडप्रैशर चाहे हाई हो या लो या फिर उचित हमेशा एक बात याद रखिए कि आप पानी प्रचुर मात्रा में पीएं. यदि आप के शरीर में पानी की मात्रा ठीक रहेगी तो आप को ब्लडप्रैशर संबंधित समस्या कम होगी.

ये भी पढ़ें- डाक्टर्स से जानें कोरोना में कैसे सेफ रहें प्रैग्नेंट महिलाएं

सरका रेंज

माइक्रोलाइफ के द्वारा निर्मित इस रेंज की मार्केटिंग एरिस लाइफसाइंसेज द्वारा की जाती है. इसके बीपी मौनिटर्स को 11 क्लिनिकल कंडीशंस में परखा गया है ताकि इस के सही परिणाम मिल सकें. बीपी मौनिटर्स 5 साल की वारंटी के साथ आते हैं. इसके 98 एफएक्स थर्मोमीटर भी उपलब्ध हैं जो कि एफडीए द्वारा प्रमाणित हैं.

ध्यान रखें यदि आप का बीपी मौनिटर प्रमाणित नहीं है तो वह सही माप नहीं दे सकता, जो कि आप की सेहत के लिए काफी हानिकारक हो सकता है.

Dr Pk Jain: कही आप भी तो नहीं हैं इरेक्टाइल डिसफंक्शन के शिकार?

सर्वे रिपोर्टस की मानें तो लगभग 40 वर्ष की आयु तक आते-आते ज्यादातर पुरूष इरेक्टाइल डिसफंक्शन का शिकार हो जाते हैं. आसान शब्दों में कहें तो इरेक्टाइल डिसफंक्शन का मतलब है सेक्स करते टाइम अपने गुप्तांग में प्रोपर इरेक्शन न ला पाना या यूं कहें कि अपने साथी को संतुष्ट ना कर पाना. अगर आप भी इस समस्या से जूझ रहे हैं तो संपर्क करिए लखनऊ के डॉक्टर पी. के. जैन से जो पिछले 40 सालों से इसका इलाज कर रहे हैं.

अक्सर देखने को मिलता है कि ज्यादातर पुरूष तनाव के कारण भी इस बिमारी का शिकार हो जाते हैं और फिर वे इसका या तो घरेलु इलाज करते हैं या फिर किसी गुप्त रोग वाले डौक्टर्स से सलाह या दवा लेते हैं. पर इन सब कोशिशों के बाद भी कई पुरूष ठीक नहीं हो पाते और ज्यादा मात्रा में दवाइयां लेने लग जाते हैं जो कि उनकी सेहत को और ज्यादा नुकसान पहुंचाती हैं.

आइए जानते हैं कुछ खास टिप्स, जिससे इस बीमारी को बढ़ने से रोका जा सकता है.

  1. स्मोकिंग को कहें अल्विदा…

अगर आप बीड़ी या सिगरेट पीने के आदी हैं तो आपको सेक्स करते वक्त स्टेमिना की कमी महसूस होने लगेगी और साथ ही इरेक्टाइल डिसफंक्शन भी हो सकता है. बीड़ी या सिगरेट का सीधा असर हमारे कई अंगों पर पड़ता है जिससे कई सारी बिमारियां हो सकती हैं. तो अगर आप अपनी सेक्स लाइफ बहतर करना चाहते हैं तो आपको बीड़ी और सिगरेट जैसे पदार्थों से दूर रहना होगा.

  1. डेली वर्क-आउट है जरूरी…

हम अपने पूरे दिन के कामों में अपने शरीर को थोड़ा भी समय नहीं दे पाते जिससे कि हमारा शरीर समय से पहले ही जवाब देने लगता है. अगर हम पूरे दिन में 1 घंटा भी अपने शरीर को देते हैं तो इससे हमारी सेक्स लाइफ पर काफी असर पड़ सकता है क्यूंकि डेली वर्क-आउट से हमारा शरीर बिल्कुल फिट रहता है और बेहतरीन सेक्स लाइफ में फिट एंड हैल्दी शरीर काफी मायने रखता है.

  1. ज़रूरत है कोलेस्ट्रोल कम करने की…

कोलेस्ट्रोल हमारे शरीर में खून का बहाव कम कर देता है जिससे की प्रोपर इरेक्शन होने के चांसेस बहुत कम हो जाते हैं. बौडी को फिट रखने के लिए हेल्दी खाना जैसे हरी सब्जियां, कम फाइड खाना, फूट्स आदि बेहद जरूरी है. हाई कोलेस्ट्रोल के कारण इरेक्शन होना मुश्किल हो जाता है जिस वजह से सेक्स के समय अपने पार्टनर को संतुष्ट करना मुश्किल हो सकता है.

  1. ब्लड प्रेशर पर दें ध्यान…

ब्लड प्रेशर कंट्रोल में रखना बेहद जरूरी है क्यूंकि प्रोपर इरेक्शन ना होने का एक मुख्य कारण यह है कि, जब खून का बहाव आपके लिंग तक नहीं पहुंच पाता तो इससे आपकी सेक्स करने की अवधि कम हो जाती है और सेक्स लाइफ में काफी बुरा असर पड़ता है. ब्लड प्रेशर कंट्रोल में रखने के लिए सबसे जरूरी है टाइम-टू-टाइम अपना ब्लड प्रेशर चैक करवाना और इसके लिए डौक्टर से सलाह लेना.

लखनऊ के डॉक्टर पी. के. जैन, जो पिछले 40 सालों से इन सभी समस्याओं का इलाज कर रहे हैं. तो आप भी पाइए अपनी सभी  सेक्स समस्या का बेहतर इलाज अंतर्राष्ट्रीय ख्याति एवं मान्यता प्राप्त डॉ. पी. के. जैन द्वाराृ.

ज्यादा जानकारी के लिए यहां क्लिक करें….

अनलिमिटेड कहानियां-आर्टिकल पढ़ने के लिएसब्सक्राइब करें