सवाल-
मेरे पति को पान खाने की आदत है और वे पान में मुलेठी डलवाना भी पसंद करते हैं. उन का स्वास्थ्य यों तो ठीक है, पर उन का ब्लडप्रैशर कभीकभी बढ़ जाता है. इधर पिछले 6-7 महीनों से वे दवा ले रहे हैं जिस से ब्लडप्रैशर कंट्रोल में है. हाल ही में मेरे जीजाजी हमारे यहां आए थे. उन्होंने हमें बताया कि ब्लडप्रैशर बढ़े होने पर मुलेठी खाना ठीक नहीं, क्योंकि यह ब्लडप्रैशर बढ़ाती है. पर मेरे पति का कहना है कि उन्होंने तो ऐसा कहीं नहीं पढ़ा. आप ही बताएं कि सच क्या है?
जवाब-
आप के जीजाजी ने बिलकुल वाजिब सलाह दी है. यह बात सच है कि मुलेठी का सेवन करने से ब्लडप्रैशर बढ़ता है और ब्लडप्रैशर की दवाएं भी अपना असर ठीक से नहीं दिखा पातीं और अगर ब्लडप्रैशर बढ़ा रहे तो पूरे शरीर पर बुरा असर पड़ता है. अधिक दाब बने रहने से शरीर को ऊर्जा देने वाली धमनियां अपना लचीलापन गवां बैठती हैं और पत्थर जैसी सख्त होती जाती हैं. इस का असर आदमी के हृदय, मस्तिष्क, आंखों और गुरदों पर पड़ता है और न सिर्फ उम्र घटती है, बल्कि तरहतरह के शारीरिक कष्टों का अंदेशा बना रहता है. अपने पति को समझाएं कि वे ब्लडप्रैशर नियंत्रण में रखें ताकि संभावित दुष्प्रभावों पर रोक लगी रहे. अध्ययनों से पता चला है कि ब्लडप्रैशर काबू में रखने के कई बड़े लाभ हैं. इस से ब्रेन स्ट्रोक होने की दर 35-40%, दिल की बीमारी होने की दर 20-25% और हार्ट फेल्योर की दर 50% कम हो जाती है.
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ब्लडप्रैशर या हाइपरटैंशन की समस्या आज आम समस्या बन गई है, जो जीवन शैली से जुड़ी हुई है, लेकिन कहते हैं न कि भले ही समस्या कितनी ही बड़ी हो लेकिन समय पर जानकारी से ही बचाव संभव होता है. ऐसे में जब पूरी दुनिया पर कोविड-19 का खतरा है, तब आप अपने लाइफस्टाइल में बदलाव ला कर हृदय रोग और हाई ब्लडप्रैशर के खतरे को काफी हद तक कंट्रोल कर सकते हैं. इस संबंध में जानते हैं डा. के के अग्रवाल से:
हाइपरटैंशन क्या है
खून की धमनियों में जब रक्त का बल ज्यादा होता है तब हमारी धमनियों पर ज्यादा दबाव पड़ता है, जिसे हम ब्लडप्रैशर की स्थिति कहते हैं. ये 2 तरह के होते हैं एक सिटोलिक ब्लडप्रैशर और दूसरा डायास्टोलिक ब्लडप्रैशर. 2017 की नई गाइडलाइंस के अनुसार अगर ब्लडप्रैशर 120/80 से कम हो तो उसे उचित ब्लडप्रैशर की श्रेणी में माना जाता है. इस की रीडिंग मिलीमीटर औफ मरकरी में नापी जाती है.
130/80 एमएम एचजी से ऊपर हाई ब्लडप्रैशर होता है. अगर ब्लडप्रैशर 180 से पार है, तब तुरंत इलाज की जरूरत होती है. वरना स्थिति गंभीर हो सकती है.
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बता दें कि हाइपरटैंशन के लिए निम्न कारण जिम्मेदार हैं:
– उम्र सब से बड़ा कारक माना
जाता है, क्योंकि उम्र बढ़ने के कारण रक्त धमनियां की इलास्टिसिटी में कमी आने के साथसाथ होर्मोन्स में उतार चढ़ाव आने से ब्लडप्रैशर के बढ़ने का खतरा बना रहता है.
– अस्वस्थ जीवन शैली की वजह से भी हाइपरटैंशन की समस्या होती है. क्योंकि जब हमारी
शारीरिक गतिविधि कम होने से हमारा वजन बढ़ता है, तब हाइपरटैंशन की समस्या होती है, क्योंकि दिल को औक्सीजन की आपूर्ति करने के लिए ज्यादा खून पंप करना पड़ता है, जिस से रक्त पर दबाव पड़ता है.