रेटिंगः तीन स्टार
निर्माताः रेड चिल्ली इंटरटेनमेंट
निर्देशकः अतुल सभरवाल
कलाकारः बॉबी देओल, अनूप सोनी, हितेश भोजराज, भूपेंद्र जदावत, समीर परांजपे.
अवधिःएक घंटा 38 मिनट
ओटीटी प्लेटफार्मः नेटफ्लिक्स
अपराधियों और गैंगस्टरों पर राजनीतिज्ञों का वरदहस्त होना कोई नई बात नही है. अस्सी के दशक में मुंबई में भी बहुत कुछ ऐसा ही हो रहा था. उसी काल की सत्यघटनाओं के आधार पर हुसैन जैदी ने एक किताब ‘‘द क्लास आफ 83’’लिखी थी अस्सी के दषक मे गैंगस्टरों व अपराधियों की पत्रकार के रूप में रिपोर्टिंग करते आए हुसेन जैदी ने कई किताबें लिखी हैं. उनकी दूसरी किताबों पर भी बौलीवुड में फिल्में बन चुकी हैं. अब हुसैन जैदी लिखित. ‘‘द क्लास आफ 83’’ पर ‘‘रेडचिल्ली इंटरटेनमेंट’’एक अपराध कथा वाली फिल्म‘‘क्लास आफ 83’’लेकर आया है. अतुल सभरवाल निर्देशित यह फिल्म 21 अगस्त से ‘‘नेटफ्लिक्स’’पर प्रसारित हो रही है. इस कहानी के केंद्र में एक ईमानदार व काबिल पुलिस अफसर विजय सिंह हैं, जिन्हे अपराध व राजनीतिक गंठजोड़ के चलते अस्सी के दशक में सजा के तौर पर पुलिस अकादमी में डीन बनाकर भेज दिया गया था.
कहानीः
कहानी शुरू होती है अस्सी के दशक में पुलिस अकादमी से, जहां पर पुलिस अफसर विजय सिंह (बॉबी देओल) को नौकरशाही ने सजा के तौर पर पुलिस अकादमी का डीन बनाकर भेजा है. विजय सिंह की गिनती मंुबई पुलिस के सर्वाधिक इमानदार व काबिल अफसर के रूप में हुआ करती थी. हर अपराधी, खासकर कालसेकर उससे थर थर कांपता था. पुलिस अकादमी के छात्र भी उसके नाम से ही भय खाते हैं.
वास्तव में विजय सिंह को उसके खबरी सूचना देते हैं कि बहुत बड़ा गैंगस्टर कालसेकर नासिक में मौजूद है. उस वक्त विजय सिंह की पत्नी सुधा अस्पताल में थी और उसका आपरेशन होना था. मगर विजय सिंह अपनी पत्नी व बेटे रोहण को जरुरी काम बताकर नासिक जाते हैं. नासिक जाते समय विजय सिंह फोन करके मुख्यमंत्री मनोहर (अनूप सोनी) को बता देते हैं कि वह कालसेकर को खत्म करने के लिए नासिक जा रहे हैं. पर कालसेकर को विजय सिंह के पहुंचनेे से पहले ही खबर मिल जाने से वह भागने में कामयाब हो गया था. उसके कुछ गुर्गों के साथ छह पुलिस कर्मी मारे जाते हैं. मामला गरमा जाता है और विजय सिंह को सजा के तौर पर पुलिस अकादमी का डीन बनाकर भेज दिया जाता है. विजय सिंह को अहसास होता है कि कालसेकर को खबर देने वाला कोई और नही बल्कि मख्यमंत्री मनोहर पाटकर ही हैं, क्योंकि इस बात की जानकारी उनके अलावा किसी को नहीं थी.
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इसलिए विजय सिंह पुलिस अकादमी के तीन बदमाश कैडेट प्रमोद षुक्ला(भूपेंद्र जदावत), विष्णु वर्दे( हितेष भोजराज ), असलम(समीर परांजपे ) को इस ढंग से तैयार करता है कि उनकेे पास अपराधियों और गैंगस्टर के साथ मुठभेड़ों की बिना किसी प्रतिबंध के स्वतंत्रता होगी. पर उसी दौरान मंुबई में कालसेकर को चुनौती देने वाला गैंगस्टर नाइक गैंग पनप रहा था. अब दोनों गैंग के लोग एक दूसरे के गैंग के गुर्गो का सफाया पुलिस को सूचना देकर करवाने लगे. तो वही मिल की जमीने बिकने लगी. इससे मुख्यमंत्री मनोहर पाटकर की चिंता बढ़ गयी. तब मनोहर पाटकर ने विजय सिंह से मदद मांगते हुए उनका तबादला पुलिस अकादमी से मुंबई पुलिस में कर दिया. उसके बाद कई घटनाक्रम तेजी से बदलते हैं.
लेखन व निर्देशनः
एक बेहतरीन पटकथा पर बनी इस फिल्म में खूंखार अपराधियों के खत्मे के लिए पुलिस की बर्बरता को सही ठहराने की कोशिश की गयी है. तो वहीं फिल्मकार ने काॅटन मिलों की जमीन पर अपराधियों की सांठगांठ से आॅंखे गड़ाए बैठे राजनीतिज्ञो व मुंबई शहर जिस तरह के मंथन के दौर से गुजर रहा था, उसका सजीव चित्रण किया है. इतना ही नही इसमें स्वर्ण, नकली मुद्रा, ड्रग्स, हथियार और संपत्ति की तस्करी के माध्यम से अवैध धन की जो अंतहीन धारा बह रही थी, उस पर भी रोशनी डाला गया है. फिल्मकार ने फिल्म में अस्सी के दषक को न्याय संगत तरीके से उकेरा गया है. जिन्होने कभी अस्सी के दशक के मंुबई को अपनी आंखों से देखा है, उनके सामने इस फिल्म को देखते हुए अस्सी के दशक की मंुबई हूबहू जीवंत होकर खड़ी हो जाती है. इस सबसे बड़ी चुनौती पर निर्देशक अतुल सभरवाल खरे उतरे हैं. निर्देशक ने अपने कौशल का बेहतरीन परिचय दिया है. फिल्म काफी कसी हुई है. अच्छाई व सच्चे इंसानों की रक्षा करते हए बुराई के खात्मे पर एक बेहतरीन रोचक व मनोरंजक फिल्म है.
फिल्म के कुछ संवाद बहुत अच्छे बन पडे़ हंै. मसलन-जिंदगी किसी भी विजय सिंह से बेरहम हो सकती है’ अथवा ‘जहां बारूद काम न करे, वहां दीमक की तरह काम करना चाहिए. ’
अभिनयः
इस फिल्म में पहली बार बॉबी देओल अनूठे रूप में नजर आ रहे हैं. उन्होने काफी सधा हुआ और उत्कृष्ट अभिनय किया है. विजय सिंह के किरदार में बाॅबी देओल के अभिनय को देखकर दर्शक भी सोच में पड़ जाता है कि उनकी अभिनय प्रतिभा का अब तक फिल्मकारों ने सही उपयोग क्यांे नही किया. मुख्यमंत्री मनोहर पाटकर के किरदार में अनूप सोनी ने भी कमाल का अभिनय किया है. विष्वजीत प्रधान, भूपेंद्र जदावत, हितेष भोजराज, जॉय सेन गुप्ता, निनाद महाजनी, पृथ्विक प्रताप, समीर परांजपे ने भी अच्छा अभिनय किया है.
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