शरीर के किसी भाग भी को छेदना यानी बौडी पियर्सिंग करवाना आजकल का फैशन हो गया है. लेकिन शरीर के किसी भाग को छेड़ना एक बहुत बड़ा निर्णय है और इसे हल्के में नहीं लेना चाहिए. बौडी पियर्सिंग का निर्णय लेने से पहले आपके लिए इन खतरों के बारे में जानना और समझना बहुत महत्वपूर्ण है.
संक्रमण
शरीर को छेदने पर होने वाला सबसे आम खतरा है संक्रमण. यदि तुरंत उपचार नहीं किया गया तो इससे दाग पड़ सकता है और खून में भी संक्रमण हो सकता है. ध्यान न दिए जाने पर यह आपके ऊपर एक भद्दा दाग छोड़कर आपको बदसूरत बना सकता है.
एलर्जिक रिएक्शन
चूंकि धातुएं आम तौर पर त्वचा के संपर्क में आने पर डरमेटाईटिस (त्वचा की सूजन) को बढ़ाती हैं, कुछ लोगों को गहनों से एलर्जिक रिएक्शन हो सकते हैं. इन रिएक्शन्स में सांस लेने में समस्या हो सकती है, छेदन किये गए स्थान पर रेशेज और सूजन आ सकती है. कभी कभी गंभीर होने पर अस्पताल में भी एडमिट होना पड़ सकता है.
तंत्रिकाओं में क्षति होना
गलत तरीके से छेदने पर कोई तंत्रिका क्षतिग्रस्त हो सकती है जिससे कि छेद किये जाने वाला और इसके आसपास का स्थान हमेशा के लिए मृत हो सकता है. तंत्रिकाओं में सबसे ज्यादा क्षति जीभ छेदने के दौरान होती है खासकर जब इसे किसी गैर अनुभवी व्यक्ति से कराया गया हो.
अत्यधिक रक्तस्त्राव
कभी कभी जब छेदन किसी गैर अनुभवी व्यक्ति से कराया जाता है या छेदने वाला स्थान गलत हो तो सुई किसी रक्त वाहिका(नस) को छेदकर उसे क्षतिग्रस्त कर सकती है अत्यधिक रक्तस्राव हो सकता है और शरीर में खून की कमी हो सकती है.
प्रतिकूल दूषण का खतरा
अस्वास्थ्यकर(गंदे) वातावरण में किसी गैर अनुभवी व्यक्ति से शरीर के किसी भाग में छेद कराने पर रक्त से संबंधित कई बीमारियां हो सकती है जैसे कि एचआईवी वायरस, हेपेटाईटिस और कई अन्य बीमारियां.
केलोइड्स
केलोइड्स छेदन किये गए स्थान पर सख्त गांठें या उतकों की अतिरिक्त वृद्धि होते हैं जो बाहर निकले हुए होते हैं और बहुत बदसूरत दिखाई देते हैं. जब भी केलोइड्स के उपचार की बात आती है तो इसकी रोकथाम बहुत महत्वपूर्ण है क्योंकि किसी भी प्रकार का उपचार इन्हें पूरी तरह से नहीं हटा सकता या उपचार पूर्ण रूप से सफल नहीं हो सकता.
दांतों से संबंधित खतरे
मुंह में छेदन कराने पर दांतों से संबंधित कई खतरे हैं जैसे कि छिले हुए दांत, जबड़ों और मसूड़ों का क्षतिग्रस्त होना, दांतों के इनेमल का निकल जाना और इसके अलावा गहनों की वजह से फेफड़ों की गंभीर समस्याएं हो सकती हैं.