किसी अपराध से कम नहीं बौडी शेमिंग, सेलेब्रिटी भी हो चुकें है शिकार

हाल ही में फिटरेटेड द्वारा किए गए एक सर्वे के मुताबिक 93% महिलाओं और 83% पुरुषों ने स्वीकार किया कि वे कभी न कभी बौडी शेमिंग का शिकार हो चुके हैं. 2016 में किए गए एक अध्ययन में यह बात भी सामने आई है कि पुरुषों के मुकाबले महिलाओं को लंबे समय तक बौडी शेमिंग सहनी पड़ती है. 14 की हों या 84 साल की, हर उम्र में अपनी शारीरिक बनावट को ले कर कमैंट्स सुनने पड़ते हैं, जबकि पुरुष समय के साथ अपनी बौडी को ले कर अधिक कौन्फिडैंट हो जाते हैं.

बौडी शेमिंग यानी आप की शारीरिक खामियों पर लोगों द्वारा की गई टिप्पणी और उस की वजह से खुद को ले कर आप के अंदर उत्पन्न शर्मिंदगी की भावना. बचपन में घर वालों से शुरू हुई इस तरह की टीकाटिप्पणियों का सिलसिला स्कूलकालेज में बुलिंग के रूप में और फिर सोशल मीडिया के बढ़ते हस्तक्षेप की वजह से जिंदगीभर टिप्पणियों के रूप में जारी रहता है.

बौडी शेमिंग मुख्यतया वजन, रंगरूप, पहनावा, शारीरिक आकर्षण और नैननक्श को ले कर की जाने वाली आलोचनाएं हैं. इस के शिकार मानसिक रूप से इतने आहत हो जाते हैं कि वे उम्रभर हीनभावना से ग्रस्त रहते हैं.

कैसे समझें कि आप हो रहीं शिकार

आप को कितनी दफा लोगों ने कहा कि आप मोटी और बेडौल दिखती हैं या आप का चेहरा आकर्षक नहीं. आप बेहद पतली हैं या

आप को गोरा दिखने के लिए ज्यादा पाउडर लगाना चाहिए. अगर आप के साथ भी ऐसा हुआ है तो आप यकीनन बौडी शेमिंग की शिकार बन चुकी हैं. यदि आप लोगों के सामने खुद की उपस्थिति को नकारात्मक मानती हैं तो यह बौडी शेमिंग है.

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दूसरों के फिट शरीर को देख कर खुद के बारे में नकारात्मक विचार आना, अपनी बौडी शेप, वेट या साइज को ले कर शर्मिंदगी महसूस करना और इस वजह से लोगों के बीच जाने से बचना बौडी शेमिंग है.

आप कोई खूबसूरत ड्रैस पहनती हैं और आप को महसूस होता है जैसे आप इस ड्रैस में अच्छी नहीं लग रहीं, यह ड्रैस आप पर फिट नहीं बैठ रही है या कोई और इसे पहन कर ज्यादा खूबसूरत दिखेगी, यह सोच इस बात का इशारा करती है कि आप जानेअनजाने बौडी शेमिंग का शिकार हो रही हैं.

आप को यह लगता हो कि बेडौल शरीर या खूबसूरत न होने के कारण ही आज तक आप सिंगल हैं और आप को भविष्य में भी मनचाहा साथी नहीं मिलेगा तो यह भी बौडी शेमिंग का ही लक्षण है.

फोर्टिस हैल्थकेयर ने देशभर के 20 शहरों जिन में दिल्ली, एनसीआर, मुंबई, बैंगलुरु, हैदराबाद,चेन्नई, अमृतसर, लुधियाना, जालंधर, मोहाली आदि शामिल थे, की 15 से 65 वर्ष की आयुवर्ग की 1,244 महिलाओं पर सर्वे किया ताकि बौडी इमेज को ले कर उन के रवैए और सोच को समझा जा सके, साथ ही इस का यह पता लगाना भी मकसद था कि बौडी शेमिंग का मनोवैज्ञानिक असर उन पर कैसा पड़ता है.

बौडी शेमिंग का असर

बौडी शेमिंग हमारी सैल्फ  इमेज पर अटैक करती है. बचपन से हमारे बारे में जो बोला जाता है उन बातों का असर हमारी सबकौंशस पर पड़ता है. इन्हीं बातों के आधार पर हमारे मन में अपनी एक इमेज बन जाती है. समय के साथ दूसरों की टिप्पणियों की वजह से यह अच्छी या बुरी बनती जाती है. मान लीजिए किसी बच्चे को बारबार कहा जाए कि तुम बेवकूफ  हो तो धीरेधीरे उस के मन में यह बात अनजाने ही बैठती जाएगी कि वह वाकई किसी काम का नहीं. उस का आत्मविश्वास कम होता जाएगा और अनजाने ही वह बौडी शेमिंग का शिकार बनता जाएगा.

हीनभावना

समाज द्वारा रिजैक्शन मिलने की वजह से बौडी शेमिंग के शिकार व्यक्ति को महसूस होता है जैसे वह किसी लायक नहीं. उस के अंदर हीनभावना बैठने लगती है और धीरेधीरे वह अपना आत्मविश्वास खो बैठता है. इस तरह काबिलीयत होने के बावजूद वह कुछ अच्छा या ऊंचा करने का हौसला गंवा बैठता है.

ऐसा बहुत कम होता है कि बौडी शेमिंग का शिकार व्यक्ति इस से बाहर निकलने और फिर से मजबूत होने की कोशिश करे, क्योंकि उसे पता ही नहीं होता कि वह इस का शिकार हो चुका है. वह या तो जिंदगी से हार जाता है या फिर मानसिक बीमारियों का शिकार बन जाता है. समय के साथ और भी ज्यादा कुंठित हो कर अपनी जिंदगी बरबाद कर लेता है.

कई बार दूसरों की नजरों में अपनी छवि सुधारने और बौडी शेमिंग के जंजाल से उबरने के लिए लोग तरहतरह के प्रयास करने लगते हैं. वजन घटाने के लिए बहुत कम खाने से ले कर आकार सही करने के लिए सर्जरी कराने, लोगों के बीच निकलने से बचने, आत्महत्या का प्रयास करने जैसे कदम भी उठाने लगते हैं. वे सामाजिक स्वीकृति की चाह में जिंदगी जीना भूल जाते हैं. जैसे हैं वैसा खुद को स्वीकार नहीं कर पाते और सारी उम्र डिप्रैशन में गुजार देते हैं.

क्यों की जाती है बौडी शेमिंग

बौडी शेमिंग की घटनाएं भी दूसरे सामाजिक अपराधों की तरह हैं. यह एक तरह का सामाजिक शोषण है. इस का मकसद सामने वाले की कीमत कम करना है. समाज का एक बड़ा तबका समाज द्वारा निर्धारित मानदंडों के मुताबिक अनफिट पाए गए लोगों पर गलत और नकारात्मक टिप्पणियां करता है. उन के आत्मविश्वास को चोट पहुंचाता है ताकि उन्हें अपने हिसाब से चला सके, दबा कर रख सके.

यह समाज में बढ़ते वर्गविभेद का ही एक प्रकार है. इस में दूसरे को नीचा दिखाया जाता है. ऐसा करने वाले स्वयं कमजोर और हारे हुए होते हैं. वे दूसरों को गिरा कर खुद उठना चाहते हैं. यह एक तरह का अकारण बैर है अमीर का गरीब से, ताकतवर का कमजोर से और उच्च जाति का निम्न जाति से. यह एक तरह से गु्रपिज्म का आधार है. अपनी लौबी बनाने के लिए दूसरे को जलील किया जाता है.

धर्म की भूमिका

इस मनोवृत्ति के विकास में धर्म की अहम भूमिका होती है. ज्यादातर धर्मग्रंथ इस बात की पुष्टि करते हैं कि आप की समृद्धि, खूबसूरती, जाति आदि पूर्वजन्म के कर्मों का प्रतिफल है. सर्वोत्तम लोगों पर भगवान की असीम कृपा होती है तभी उन्हें खूबसूरत शरीर, गौर वर्ण और उच्च जाति में जन्म मिला है, जबकि बदसूरती या शारीरिक कमियों को देव प्रकोप का नाम दिया जाता है. खूबसूरती, रंग और समृद्धि के आधार पर समाज में आप का स्थान निर्धारित किया जाता है.

जन्म से ही इस तरह की तमाम घुट्टियां पिला दी जाती हैं और फिर सारी उम्र व्यक्ति इसी आधार पर दूसरों या खुद को आंकने का काम करता है.

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धार्मिक ग्रंथों में भेदभाव का आदेश

प्राचीनकाल से भारत में स्त्रियों के साथ भेदभाव पूर्ण व्यवहार कायम रहा है. सती प्रथा, देवदासी प्रथा, बाल विवाह जैसी कितनी ही कुप्रथाएं स्त्रियों की जिंदगी बदतर बनाने के लिए काफी थीं.

यदि विधवा होने पर किसी स्त्री का दोबारा विवाह नहीं होता था तो उस के सिर के बाल काट दिए जाते थे. यह बात अथर्ववेद (14-2-60) में साफतौर पर लिखित है. इस तरह से बाल काट कर उस का अपमान ही किया जाता था वरना पति के मरने का स्त्री के सिर के बालों से क्या संबंध हो सकता है? जाहिर है कि इस तरह बदसूरत बना कर उसे खुद के प्रति शर्मिंदगी महसूस कराने का प्रयास किया जाता था. उसे बौडी शेमिंग का शिकार बनाया जाता था.

ऐसी स्त्रियां किसी समारोह में नहीं जा सकती थीं. किसी अच्छे काम में मौजूद नहीं हो सकती थीं. उन के वजूद पर अशुभ और कुरूप होने का ठप्पा लगा दिया जाता था. किसी स्त्री का पति चल बसा यानी वह अपने पति को खा गई. इस का मतलब वह अंदर से कुरूप है तो फिर बाहर से भी उसे बदसूरती का जामा पहनना चाहिए और शर्मिंदगी के साथ जीवन बिताना चाहिए.

इसी तरह मनुस्मृति जैसे धर्मग्रंथों में विवाह के लिए उपयुक्त लड़कियों की शारीरिक खूबियों का वर्णन मिलता है. कई ऐसी शारीरिक कमियों का भी जिक्र है, जिन की वजह से स्त्री को नीचा दिखाया गया है. ऐसी स्त्रियों से विवाह न करने की हिदायत दी गई है.

मनुस्मृति के अध्याय 3, श्लोक 8 के अनुसार ललाई लिए भूरे रंग वाली, अधिक (या कम) अंग वाली जैसे 6 या फिर 3-4 उंगलियों वाली, ज्यादा बालों वाली या फिर बिना बालों वाली, ज्यादा बोलने वाली और भूरी आंखों वाली कन्या से विवाह न करें.

तीसरे अध्याय के ही 9वें श्लोक में कहा गया है कि बहुत मोटी, बहुत दुबलीपतली, बहुत लंबी, बहुत नाटी, किसी अंग से हीन और झगड़ा करने वाली कन्या से विवाह न करें.

श्लोक संख्या 10 के मुताबिक, जो किसी अंग से हीन न हो, सुंदर नाम वाली हो, हंस तथा हाथी के समान चलने वाली हो, सूक्ष्म रोम तथा पतलेपतले दांतों वाली और सुकुमार शरीर वाली हो, ऐसी कन्या से विवाह करें.

इसी तरह सामुद्रिक शास्त्र में भी लड़कियों की शारीरिक खूबियों और खूबसूरती के मानदंड के आधार पर उन के स्वभाव और भविष्य का आकलन किया गया है-

पूर्णचंद्रमुखी या च बालसूर्य समप्रभा।

विशालनेत्रा विंबोष्ठी सा कन्या लभते सुखम्।1।

या च कांचनवर्णाभ रक्तपुष्परोरुहा।

सहस्त्राणां तु नारीणां भवेत् सापि पतिव्रता।2।

अर्थात् जिस कन्या का मुख चंद्रमा के समान गोल, शरीर का रंग गोरा, आंखें थोड़ी बड़ी और होंठ हलकी सी लालिमा लिए हुए हों तो वह कन्या अपने जीवनकाल में सभी सुख भोगती है.

जिस स्त्री के शरीर का रंग सोने के समान हो और हाथों का रंग कमल के समान गुलाबी हो वह हजारों पतिव्रताओं में प्रधान होती है.

ललनालोचने शस्ते रक्तांते कृष्णतारके।

गोक्षीरवर्णविषदे सुस्निग्धे कृष्ण पक्ष्मणी।1।

राजहंसगतिर्वापि मत्तमातंगामिनि।

सिंह शार्दूलमध्या च सा भवेत् सुखभागिनी।2।

अर्थात् जिस के दोनों नेत्र प्रांत (आंखों के ऊपरनीचे की त्वचा) हलकी लाल, पुतली का रंग काला, सफेद भाग गाय के दूध के समान तथा बरौनियों (भौंहों) का रंग काला हो वह स्त्री सुलक्षणा होती है.

जो स्त्री राजहंस तथा मतवाले हाथी के समान चलने वाली हो और जिस की कमर सिंह अथवा बाघ के समान पतली हो वह स्त्री सुख भोगने वाली होती है.

बचने के लिए क्या करें

खुद को स्वीकार करें

खुद से प्यार करें. चाहें लोगों ने आप की कितनी भी बुरी इमेज बना दी हो पर आप जैसे हैं खुद को वैसा स्वीकार करें. समयसमय पर खुद को सराहें. अपनी अच्छाइयों और खूबियों को पहचानें और उन में निखार लाने का प्रयास करते हुए आगे बढ़ें. अपना विश्वास मजबूत करें. जिन चीजों को सुधारा जा सकता है उन्हें सुधारें. जिन के लिए कुछ नहीं कर सकते उन्हें वैसा ही स्वीकार करें ताकि दूसरों की फुजूल बातों का असर आप पर न पड़े. यदि आप की तारीफ  आप के दोस्त या घर वाले नहीं कर रहे हैं तो खुद अपनी तारीफ  करें और खुद को सकारात्मक ऊर्जा से भरपूर रखें.

सैल्फ  हैल्प

इस संदर्भ में साइकोलौजिस्ट डा. कनक पांडेय बताती हैं कि यदि आप 16 साल तक वह नहीं बन पाए जो आप बनना चाहते थे तो आप अपने पेरैंट्स को दोष दे सकते हैं. मगर यदि आप 60 साल तक भी न बन पाए तो इस के लिए सिर्फ  आप जिम्मेदार हैं. इसलिए हारने से पहले एक बार खुद का मूल्यांकन करें और खुद से यह सवाल करें कि क्या आप सचमुच ऐसे हैं तो बहुत सी गांठें खुलने लगेंगी.

आप भले ही खूबसूरत नहीं पर अपनी इंटैलिजैंस का प्रयोग कर ऊंचा मुकाम तो पाया ही जा सकता है. आप को ले कर लोग उलटेसीधे कमैंट करें तो उन पर बिलकुल ध्यान न दें. अपनी सफलता से आप सब का मुंह बंद कर सकती हैं. अपने जीवन का एक मकसद निर्धारित करें और उसे गंभीरता से पाने का प्रयास करें.

किसी फिट और अच्छे व्यक्ति को अपना आदर्श बनाएं और उस के जैसा शरीर पाने की कोशिश करें. अपने अंदर यह विश्वास लाएं कि चाहे कुछ भी हो जाए आप वैसी बन कर दिखाएंगी.

गौसिप का हिस्सा न बनें: यदि आप अपने बारे में बात करने से दूसरों को नहीं रोक सकते तो कम से कम दूसरों के बारे में की जा रही गौसिप का हिस्सा भी न बनें. जब आप किसी की बुलिंग करने में दूसरों की मदद करते हैं तो उस का मतलब है आप खुद ऐसा कर रहे हैं.

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अपने परिजनों और दोस्तों से बात करें. उन्हें बताएं कि जब कोई शारीरिक बनावट की वजह से आप को नीचा दिखाता है तो आप कैसा महसूस करते हैं. उन्हें ऐसा करने से मना करें. बौडी शेमिंग का अर्थ है अपने शरीर को ले कर आप को बुरा महसूस कराना, क्योंकि आप समाज द्वारा निर्धारित खूबसूरती के पैमानों पर खरा नहीं उतरते.

याद रखें आप का व्यक्तित्व और व्यवहार आप की खूबसूरती को दर्शाता है न कि शारीरिक बनावट. अत: बिंदास रहें और खुद को मोटीवेट करती रहें.

सैलिब्रिटी भी इस के शिकार

सैलिब्रिटीज, जिन्हें हम परफैक्ट मानने लगते हैं, वे भी अकसर बौडी शेमिंग का शिकार बनते हैं. एक आम लड़की से विश्व सुंदरी, फिर बौलीवुड और अब हौलीवुड का हिस्सा बन चुकी प्रियंका चोपड़ा ने अपनी काबिलीयत के बल पर एक अलग मुकाम पाया है. प्रियंका चोपड़ा ने हाल ही में अमेरिकी शो ‘द व्यू’ में शिरकत की. इस दौरान उन्होंने अपनी जिंदगी से जुड़े कुछ अनछुए पहलुओं पर चर्चा की. प्रियंका ने बताया कि ऐक्टिंग कैरियर की शुरुआत में उन्हें बौडी शेमिंग का शिकार होना पड़ा था.

प्रियंका ने शो में बताया कि जब वे ऐक्टिंग कैरियर की शुरुआत करने के लिए एक फिल्म प्रोड्यूसर के पास गईं तो उस ने उन का काफी मजाक बनाया और कहा कि तुम्हारी नाक ठीक नहीं है. बौडी की शेप भी अच्छी नहीं है. इस तरह उस वक्त प्रियंका को बौडी शेमिंग का शिकार होना पड़ा था.

विश्व सुंदरी ऐश्वर्या राय की खूबसूरती का दीवाना हरकोई है पर इन्हीं ऐश्वर्या को उस वक्त बौडी शेमिंग से जुड़ी टिप्पणियों का सामना करना पड़ा जब आराध्या के जन्म के बाद वे बढ़े हुए वजन के साथ नजर आईं. उन के वजन पर कमैंट किए गए. मगर वे खामोश रहीं. उन के पति अभिषेक ने जरूर मुंहतोड़ जवाब देते हुए कहा कि भले ही ऐश एक पब्लिक फिगर है, मगर यह न भूलें कि वह एक औरत है और अब एक मां भी है. अपनी सीमा रेखा पार न करें.

जरीन खान और विद्या बालन को भी अकसर अपने वजन की वजह से कमैंट्स सुनने को मिलते हैं. मगर दोनों ने कभी इन बातों पर ध्यान नहीं देतीं और हमेशा खुद को खूबसूरती से पेश करती हैं.

इसी तरह टैनिस खिलाड़ी सेरेना विलियम्स, सिंगर लेडी गागा, जेनिफर लोपेज जैसी हस्तियों पर भी उन की बौडी शेप और बढ़ते वजन की वजह से कमैंट्स किए जाते रहे हैं. यदि आप अपनी बौडी को ले कर कंफर्टेबल नहीं हैं तो जरूर इसे बेहतर बनाने का प्रयास करें. मगर यदि आप कंफर्टेबल हैं तो किसी और को आप पर कोई कमैंट करने का हक नहीं है.

दीपिका पादुकोण को भी कई दफा दुबलेपन की वजह से कमैंट्स सुनने पड़े हैं मगर वे शांत रह कर अपने काम करती रहीं और सफलता की बुलंदियां छूती रहीं.

‘‘समाज द्वारा रिजैक्शन मिलने की वजह से बौडी शेमिंग के शिकार व्यक्ति को महसूस होता है जैसे वह किसी लायक नहीं. उस के अंदर हीनभावना बैठने लगती है और फिर धीरेधीरे अपना आत्मविश्वास खो बैठता है…’’

‘‘समाज का एक बड़ा तबका समाज द्वारा निर्धारित मानदंडों के मुताबिक अनफिट पाए गए लोगों पर गलत और नकारात्मक टिप्पणियां करता है. उन के आत्मविश्वास को चोट पहुंचाता है ताकि उन्हें अपने हिसाब से चला सके, दबा कर रख सके…’’

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