बौडीशेमिंग से हर कोई किसी न किसी रूप से रूबरू होता है. इस से चाहे वह डिप्रैशन में चला जाए या फिर उसे किसी बात पर बुरा लगे पर सच तो सच है. आखिर सच से रूबरू कराने में हर्ज क्या?
इन मोटे गैंडे जैसे पैरों में शौर्ट्स तो बिलकुल अच्छे नहीं लगेंगे
क्या लड़कियों की तरह रो रहा है,
लड़का बन, लड़का
इतनी भारी आवाज है तेरी बिलकुल मर्दों वाली
बेटा, बालों में तेल लगा ले,
वैसे ही चिडि़या का घोंसला लगते हैं
तू क्रौप टौप मत पहना कर, तेरा पेट बाहर लटकता है
बौडीशेमिंग से कौन वाकिफ नहीं है, ‘यार, आज तू बहुत मोटी लग रही है’, ‘तेरा रंग इतना काला क्यों होता जा रहा है’, ‘कल न तू पतली लग रही थी’, यह सब बौडीशेमिंग ही तो है. खैर, कहने वालों को क्या, कौन सा उन्हें फर्क ही पड़ता है. कोई चाहे उन की बातों से अंदर ही अंदर घुट जाए या एंग्जायटी और डिप्रैशन का शिकार हो जाए, वे तो केवल सच बोलते हैं और किसी को सचाई से रूबरू कराने में हर्ज कैसा. मेरी खुद की सुबह ही ‘और हाथी का बच्चा कहां जा रही है’ सुन कर होती है.
दिन में 7-8 लोगों से मुलाकात होती है तो उन में से 4 ‘आज न तू ज्यादा ही फैली हुई लग रही है’ बोल ही जाते हैं, और बाकी 4 को मैं ‘लिपस्टिक लगा ले तेरे होंठ बड़े काले लग रहे हैं’, ‘कुछ खाके आया कर हवा का झोंका आया तो उड़ जाएगी.’ ‘ये कैसा पीला रंग है तुझ पर बिलकुल अच्छा नहीं लग रहा’, ‘तेरे बाल इतने बेकार से क्यों लग रहे हैं, धो कर नहीं आई क्या’ बोल ही देती हूं. आखिर बोलूं भी क्यों न, सब मुझे भी तो बोलते हैं और अगर मैं ने बोल दिया तो कौन सी बड़ी बात हो गई.
मैं अपने इस ज्ञान का पूरा श्रेय अपने परिवार, दोस्तों, सोशल नैटवर्किंग साइट्स, इंस्टाग्राम और यूट्यूब ब्लौगर्स और बौलीवुड को देती हूं.
बौडीशेमिंग का पहला प्रकार वह है जिस में हम व्यक्ति को यह एहसास दिलाते हैं कि उस में कितनी कमियां हैं, वह कितना गलत रंगरूप ले कर धरती पर आया है.
– तू पक्का लड़की ही है न? लड़के की तरह क्यों दिखती है?
– तेरी बौडी में लचक ही नहीं है.
– क्या लड़कियों की तरह से रो रहा है, लड़का बन लड़का.
– तुझे अंधेरे कमरे में बिठा दिया न तो तू नजर ही नहीं आएगी.
– यह लहंगा तेरी जगह मैं पहनती तो दीपिका से कम नहीं लगती.
– कैसी चाइनीज जैसी आंखें हैं तेरी.
– यह सारे पकौड़े अकेले खाएगी तो फट जाएगी.
– यह ड्रैस तुझ पर अच्छी नहीं लगेगी, चर्बी देख अपनी.
– तू इस के ऊपर बैठ गई तो बेचारा मर जाएगा.
– तू जहां गिरेगी वहां की तो जमीन ही धंस जाएगी अंदर.
– तुझ में और उस खंबे में कोई फर्क नहीं है, दोनों ही लंबू हो.
– तू तो जिराफ को कंपीटिशन दे सकता है.
– तेरे गाल कैसे पिचके हुए से हैं.
– तुझ में न, लड़कियों वाली अदाएं ही नहीं हैं.
– कैसी तीखी आवाज है तेरी, कानो में चुभती है.
– इतनी भारी आवाज है तेरी बिलकुल मर्दों वाली.
– कितने बाल हैं तेरे हाथ पर, तुझे तो लड़का होना चाहिए था.
– तुझ में तो मोटापा भरभरकर दिखने लगा है.
– कैसे घोड़े की पूंछ से बाल हैं तेरे.
– बेटा बालों में तेल लगा ले, वैसे ही चिडि़या का घोंसला लगते हैं.
– कैसी सरकंडे सी टांगे हैं तेरी.
– इन मोटे गैंडे जैसे पैरों में शौर्ट्स तो बिलकुल अच्छे नहीं लगेंगे.
– यार तू न सफेद कपड़े मत पहना कर, पूरी ब्लैक ऐंड व्हाइट लगती है.
– तेरे दांत कैसे हैं टेड़ेमेढे, हंसते वक्त तो बिलकुल अच्छे नहीं लगते.
– तू ने कभी अफ्रीका में बसने का नहीं सोचा.
– तू क्रौप टौप मत पहना कर, तेरा पेट बाहर लटकता है.
– लाल लिपिस्टक मत लगा तेरे होंठ ऐसे ही इतने बड़े हैं, जरा से मुंह पर बस होंठ ही चमकेंगे.
– इतना मत नाचा कर ऐसा लगता है जैसे कोई हाथी कूद रहा हो.
अब आता है दूसरा प्रकार जिस में हम किसी व्यक्ति के साथ मिल कर किसी तीसरे पर टीकाटिप्पणी करते हैं.
– इतनी टाइट जींस पहन कर आई है मानो 2 कदम चलेगी तो फट जाएगी.
– मेरी मम्मी बता रहीं थी कि सुषमा प्रोटीन ले रही है मगर क्या फायदा, लग तो अभी भी झाड़ू की तिल्ली जैसी रही है.
– ये परकटी हो कर पता नहीं क्यों घूम रही है आजकल.
– नेहा तू न फेसपैक वगैरह लगाया कर तो तेरा चेहरा भी हम दोनों जैसा निखर जाएगा.
– वो कितनी अजीब लग रही थी कल.
– उस का पेट कितनी बुरी तरह से निकला हुआ है.
– आज न कशिश भी पार्टी में आएगी, मोरों के बीच में एक अकेली भैंस.
– उस ने स्कर्ट पहनी थी कल लेकिन काले घुटने दिख रहे थे.
– ऐसे बालों का भी क्या फायदा जो बाल कम और झाड़ ज्यादा लगें.
– उस का बौयफ्रैंड इतना छोटा सा है और ये इतनी लंबी ऊंट, कोई मैच ही नहीं है.
– अगर वो इस स्कूटी पर बैठी तो और कोई नहीं बैठ पाएगा.
– कैसी हब्शी का बच्चा बन कर आई है.
– पूनम और कोमल बहने तो लगती ही नहीं हैं, एक इतनी गोरीचिट्टी और एक इतनी कालीकलूटी.
– आप का बेटा कोयले की खदान में काम करता है क्या.
– बबली तू कैसी गिट्ठी बहू लाई है, बेटे की कदकाठी तो देख लेती.
तीसरा प्रकार सब से ज्यादा महत्त्वपूर्ण है, इस में हम खुद को बौडीशैम करते हैं. कोई हमें कुछ कह दे तो उसे अपने जेहन में तो उतारते ही हैं लेकिन खुद को बौडीशैम करने का तो मजा ही कुछ और है.
– मुझे लाल रंग पहनना ही नहीं चाहिए, फुटबौल लगूंगी पूरी.
– मैं इस ड्रैस में मोटी लग रही हूं क्या.
– काश मैं इस ब्लौगर जैसी दिख पाती.
– मेरा मुंह इतना पतला क्यों है.
– मैं बबलगम खाऊंगी तो शायद मेरे गाल थोड़े पिचक जाएं.
– इस पाजामी में मेरे पैर कितने मोटे दिख रहे हैं.
– मेरी आंखें लाइनर में कितनी अजीब दिख रहीं हैं.
– यह कालेकपड़े पहनूंगी तो मैं नजर ही नहीं आऊंगी.
– मैं स्टेज पर सुंदर नहीं दिखी तो.
– हर एंगल से मैं मोटी क्यों दिखती हूं.
– कितनी फूलती जा रही हूं मैं, आज से दौड़ लगाना चालू.
– मुझे किसी के सामने कूदना नहीं चाहिए, शरीर हिलेगा तो अच्छा नहीं लगेगा.
– मुझे किसी के सामने खुल कर हंसना नहीं चाहिए, मेरे दांत जरूरत से ज्यादा टेढ़े हैं.
– कैसा गुब्बारे जैसा मुंह है मेरा, जोलाइन तक दिखाई नहीं देती.
– काश मैं माया जैसी दिखती.
कई बार बौडीशेमिंग करने वाले को इस बात का एहसास नहीं होता कि वह अपनी दोस्त, बहन या बेटी की बौडीशेमिंग कर रहा है.
– तुझे पता है अगर तू थोड़ी सी पतली होती तो क्या सुंदर लगती.
– उस की बेटी की शक्ल कितनी ज्यादा सुंदर है न, काश तू भी ऐसी होती.
– सुषमा अपने बेटे को कोयले से नहलाती है क्या.
– तू कौन सी क्रीम लगाती है, कहीं उसी से और काली तो नहीं हो रही.
– माना तू गोरी है पर तेरे नैननक्श तो बिलकुल अच्छे नहीं हैं.
– तू सुंदर है यार पर तेरी नाक न थोड़ी ज्यादा मोटी है.
– तुझ पर न जंपसूट अच्छा नहीं लगेगा, तेरे नितंब बिलकुल चिपके हुए हैं.
– तू इतनी फ्लैट है न, मुझे चिंता होने लगती है कि तेरी शादी कैसे होगी.
– प्रिया देख, इस फोटो में तो तू दिखाई ही नहीं दे रही है, बस तेरे सफेद दांत और आंखें चमक रहीं हैं.
– जतिन जिम जौइन कर ले, लड़कियों को तेरे जैसे लड़के कम ही पसंद आते हैं.
– बेटा एक तो वैसे ही तेरे लिए रिश्ते नहीं आ रहे ऊपर से अब तू वजन भी बढ़ाए जा रही है, गिट्ठी थी वह क्या कम था.
– शोभा रोज सुबह उठ कर एक ग्लास पानी में शहद डाल कर पिया कर, तेरा पेट अंदर हो जाएगा.
– बालों में तेल लगाया कर थोड़ा, इतने रूखेसूखे चिडि़या के घोंसले जैसे बना कर घूम रही हैं.
– मोना के घर बेटी हुई है, इतना पक्का रंग है उस का इतना ज्यादा कि लाइट चली जाए तो बच्ची ही न मिले.
– सर आप डाई क्यों नहीं लगाते, इतने सफेद बाल आप को शोभा नहीं देते.
– तू मटक कर क्यों चलता है, जनाना जैसे.
– इतने तो भालू के शरीर पर बाल नहीं होते, जितने तेरे शरीर पर हैं.
– पूरे गरदन तक के कपड़े पहनने चाहिए तुझे, तेरी गरदन की हड्डी बिलकुल अच्छी नहीं दिखती.
– इतना कमर लचका कर क्यों चलती है, बहुत बुरी लगती है.
– तेरी नाभि इतनी ज्यादा बड़ी है, इस में तो एक लीटर पानी जमा हो जाए.
– तेरे पैर हैं कि फावड़ा.
– सौरी मैडम आप के साइज की शर्ट नहीं है. इतना लार्ज साइज हम नहीं रखते.
– हम सब तो बिकिनी पहन रहे हैं, तू क्या पहन रही है. बिकिनी मत पहनियो तू प्लीज. बहुत इंसल्ट हो जाएगी तेरी.
– दीदी आप ऐसे चंपू सी बन कर क्यों घूमती रहती हो.
– यार मैं न किसी हौट सी लड़की के साथ पार्टी मैं जाऊंगा, तेरे साथ गया तो समझ कितना ओड लगेगा मुझे.
– तू सुंदर है यार. बस, तू मेरे टाइप की नहीं है. मैं इतना फिट और तू बिलकुल अपोजिट.
– बेटा तेरी तो मुझे चिंता होने लगी है, ऊंट सी लंबी लड़की के लिए रिश्ता कहां से आएगा.
– तू थोड़ा सा गोरा होता तो क्या हीरो जैसा दिखता.
– तेरे होंठ न बहुत पतले हैं तो तू लिपस्टिक थोड़ी आउटलाइन बढ़ा कर लगाया कर.
– इतने मोटेमोटे गाल हैं तेरे, थोड़ा पतले कर ले.
– ऐसे क्यों खड़ा है, थोड़ा सांस अंदर खींच कर खड़ा रह पेट कम दिखेगा.
– इतने स्ट्रैच मार्क्स हैं तेरे, इन्हे ढक कर रखा कर.
– तार लगवा ले दांतों में तो क्या सही दिखेंगे.
– रीमा ये ले बेसन और दही का पेस्ट लगा ले, देखना चेहरे पर कितना निखार आ जाएगा.
– तू हौट या सैक्सी नहीं है, क्यूट है बट हौट नहीं.
– तुझ में सुई घुसा के देखूं,? क्या पता तेरी हवा निकल जाए और तू पतली हो जाए.
– तेरा पाउट इतना गंदा दिखता है, इस से अच्छी तो तू मुस्कराते हुए लगती है.
– तुम थोड़े से लंबे होते न तो मैं तुम से शादी कर लेती.
– मैं तेरी दोस्त नहीं होती न तो शायद तुझ से कोई और दोस्ती भी न करता तेरी शक्ल देख कर.
– अपने आप को ज्यादा इंटैलीजैंट मत बन, दिखने में तो वह रुचि ही तुझ से अच्छी है.
– लाल लिपिस्टक तुझ पर अच्छी नहीं लगती, वो शीतल जैसी गोरी चिट्टी लड़कियों पर लगती है.
– यार किसी डाक्टर को क्यों नहीं दिखाता, अभी से टकला हो जाएगा तो लड़की नहीं मिलेंगी.
इन सभी तरीकों को अपनाया जाना भी बड़ा जरूरी है, हां बताने की जरूरत तो नहीं है कि कैसे हम सभी को बहुत अच्छी तरह से लोगों को बौडीशेम करना आता है.
कोई हमारी इस बौडीशेमिंग के कारण अपना आत्मविश्वास खो दे, डिप्रैशन का शिकार हो जाए, एनरोक्सिया या बुलिमिया नर्वोसा जैसे रोगों की चपेट में आ जाए या फिर अपना अस्तित्व खो कर लोगों की प्रशंसा प्राप्त करने वाला पुतला बन जाए, उस से हमें क्या. इस से हमें क्या फर्क पड़ता है आखिर हमें तो जो दिख रहा है हम वही तो कह रहे हैं. इस में गलत क्या है?