बौडीशेप के अनुसार कैसा हो आप का स्टाइल

अक्सर महिलाएं अपने बौडीशेप को लेकर परेशान रहती हैं. उन्हें लगता है कि जब तक उन का बौडीशेप परफेक्ट नहीं होगा तब तक वे स्टाइलिश नहीं लगेंगी. बौडी का आकार, रंग और बनावट खूबसूरती की पहचान होते हैं. अगर आप भी ऐसा सोचती हैं तो ठहरिए. जब बात कपड़ों की आती है तो इसमें आप के बौडी का आकार मायने नहीं रखता. मायने रखता है तो यह कि आप किस फिटिंग के कपड़े पहनती हैं. आप की बौडी शेप कैसी भी क्यों न हो अगर आप उस अनुरूप सही और स्टाइलिश कपड़े पहनती हैं तो आप का आत्मविश्वास बढ़ता है और आप खूबसूरत नजर आती हैं.

आइये जानते हैं फैशन डिजाइनर आशिमा शर्मा से कि अपने बौडी टाइप को कैसे पहचानें और फिर उस के हिसाब से सही और स्टाइलिश कपड़ों का चयन कैसे करें….

नौर्मली हमारा बौडी टाइप पांच प्रकार का हो सकता है;

1. एप्पल शेप के लिए ये करें ट्राय

एप्पल शेप वालों का शारीरिक आकार नीचे की तुलना में ऊपर से भारी होता है.  ऐसे बौडी का ज्यादातर वजन हिप्स के ऊपरी हिस्से में होता है. अगर आप के बौडी के बीच यानी पेट और कमर के आसपास बहुत ज्यादा फैट है तो आप के बौडी का आकार सेब के आकार जैसा दिखता है.

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एप्पल बॉडी शेप वालों के कंधे और सीना, कमर की तुलना में कुछ चौड़ा होता है इसलिए कपड़े ऐसे लें कि आप के उन हिस्सों पर लोगों का ध्यान कम से कम जाए जब कि खूबसूरती उभर कर सामने आये. आप अपने पैरों को दिखाने वाली वी या डीप वी गले की ड्रेस चुन सकती हैं. इससे आप का ऊपर का बौडी लंबा दिखेगा. अपने ऊपरी हिस्से से ध्यान भटकाने के लिए आप प्रिंटिड ड्रेस और प्रिंटिड जैकेट भी चुन सकती हैं. आप मोनोक्रोम लुक, गहरे रंग के कपड़े, पूरी या 3/4 स्लीव्स की ड्रेस भी चुन सकती हैं. लेकिन स्किनी जींस के साथ फिगर-हगिंग ड्रेसेस या टौप पहनने से बचें.

2. औवरग्लास बौडी शेप करें ट्राय

इस प्रकार की शेप वाली बौडी का ऊपरी और निचला, दोनों हिस्सा समान होता है और कमर पतली और आकर्षक लगती है. आज के समय में ज्यादातर महिलाएं ऐसे बॉडी पाने के लिए जिम का सहारा ले रही है. इस तरह की बौडी टाइप पर अक्सर हर तरह के कपड़े अच्छे लगते हैं.

लुक और बेहतर बनाने के लिए ऐसी ड्रेसचुनें जिसे कमर से बांधना पड़े. वी नेक, डीप वी और स्वीटहार्ट नेक भी आप पर काफी अच्छा लगेगा. यह आप के ऊपरी बौडी को दिखाने में मदद करेगा. ए लाइन ड्रेस या इसी तरह के कट बौडी के निचले हिस्से को बेहतर दिखाते हैं. इस के साथ ही बॉडीहगिंग ड्रेसेस भी आकर्षक लुक देते हैं.

3. पीयर शेप बौडी के लिए ट्राय करें ये फैशन

इस शेप की बौडी के लोगों का बौडी ऊपर के बजाए नीचे से अधिक चौड़ा होता है. इन के हिप्स और जांघ ऊपरी बौडी की तुलना में बड़े होते हैं.

ऐसी बौडी शेप वालों पर पैटर्न वाली वाइड लेग्ड पैंट (चौड़ी पैंट), ए-लाइन स्कर्ट और रफल्ड टौप जैसे कपड़े ज्यादा अच्छे लगते हैं. इन से बौडी के ऊपरी हिस्से को बेहतर शेप मिलती है और आप खूबसूरत दिखती हैं. अगर आप औवरग्लास की तरह अपना बॉडी शेप दिखाना चाहती हैं तो ढीले टौप के साथ स्किनी जींस पहनें.

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4. रेक्टेंगल बौडी शेप के लिए ट्राय करें ये फैशन

ऐसे बौडी का आकार आमतौर पर कंधों से हिप्स तक अच्छी तरह से संतुलित होता है. रेक्टेंगल बौडी शेप में बस्ट, कमर और हिप्स चौड़ाई लगभग बराबर ही होती है.

ऐसी शेप वाले ए-लाइन स्कर्ट, रफल्ड और लेयर्ड टॉप पहन सकते हैं. स्लीवलेस, स्ट्रैपलेस और स्वीटहार्ट लाइन्स ऐसी शेप के लोगों को अच्छी लगेंगी. अपने स्टाइल को और आकर्षक बनाने के लिए ब्लेजर, लौन्ग जैकेट और केप्स आजमाएं.

5. इंवर्टेड ट्राईएंगल बौडीशेप के लिए ट्राय करें ये फैशन

ऐसी बौडीशेप ज्यादातर एथेलेटिक लोगों की होती है. इन के कंधे हिप्स से ज्यादा चौड़े होते हैं. आपके हाथ और कंधे बड़े होते हैं. ऐसा बौडी शेप हो तो आप पेंसिल कट स्कर्ट, स्किनी जींस के साथ टौप पहन सकती हैं.  मगर रफल्स, लेयर्स पहनने से बचें और मिनिमलिस्टिक ड्रेस ट्राय करें.

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परफेक्ट फिगर के लिए एक्सरसाइज

आजकल के युवा जहां सलमान खान की तरह अपनी मसल्स बनाना चाहते हैं, वहीं युवतियां दीपिका पादुकोण और करीना कपूर खान जैसी सैक्सी फिगर पाना चाहती हैं. लड़कों में मसल्स और ऐब्स का क्रेज है तो लड़कियों में ब्रैस्ट, अंडर आर्म्स और हिप्स को ले कर क्रेज है, जिस की वजह से वे जिम जाती हैं.

सब से खास बात यह है कि उन को यह पता नहीं होता कि बौडी में फैट समानरूप से हर जगह बढ़ता और घटता है. इस को कम करने के लिए डाइटिंग करनी पड़ती है. इस के साथ ही बौडी को टोन करने के लिए ऐक्सरसाइज ही एकमात्र उपाय है. आप बोल्ड ऐंड ब्यूटीफुल शेप में बौडी को देखना चाहते हैं तो ऐक्सरसाइज जरूर करें. यह केवल बौडी को शेप ही नहीं देती बल्कि कई तरह की बीमारियों से भी शरीर को दूर रखती है.

सनी फिटनैस फैक्ट्री के सनी और सोनिया मेहरोत्रा कहते हैं, ‘‘युवावस्था में यदि शरीर अनफिट होता है, तो बाकी जीवन पर भी इस का प्रभाव पड़ता है. मोटापा लड़कियों में शादी के बाद बांझपन को बढ़ाता है. लड़कों में यह कई बीमारियों को जन्म देता है. सही माने में वे जिंदगी का पूरा आनंद नहीं ले पाते हैं. लड़केलड़कियों में ऐक्सरसाइज के तरीके एकजैसे ही होते हैं. इस का समय कमज्यादा हो सकता है. लड़कियों में बजाय लड़कों के तुरंत असर दिखता है.

‘‘युवाओं में आज तेजी से ब्लडप्रैशर, डायबिटीज और कोलैस्ट्रौल की बीमारी बढ़ रही है. इस की मुख्य वजहों में नशा करना, हैल्दी डाइट न लेना और ऐक्सरसाइज न करना हैं. नशा करने से बौडी कई तरह की बीमारियों से घिर जाती है और कुछ सालों में ही कमजोर हो कर बीमारी का घर बन जाती है.

‘‘पेरैंट्स बच्चों को आउटडोर गेम्स के लिए नहीं भेजते जिस वजह से उन को बचपन से ही दौड़भाग की आदत नहीं पड़ती है. ज्यादातर यूथ मसल्स बनाने के लिए जिम आते हैं और सप्लीमैंट्स डाइट का सहारा लेने की कोशिश करते हैं, जबकि जरूरत इस बात की है कि वे अच्छी डाइट लें. इस में नाश्ता जरूर हो. नाश्ते में ओट्स, फू्रट्स और नट्स शामिल करें. फ्राइड फूड छोड़ दें. नियमित जिम या ऐक्सरसाइज करें.’’

सोनिया बताती हैं, ‘‘लड़कियां वेट बढा़ने और कम करने दोनों के लिए जिम आती हैं. वे भी ऐक्सरसाइज के जरिए ही फिटनैस हासिल कर सकती हैं. इस के लिए ऐक्सरसाइज का नियमित करना जरूरी है.

‘‘कई बार यह देखा जाता है कि लड़कियां जिम जाती हैं पर एकदो दिन ऐक्सरसाइज करने के बाद ही जिम छोड़ देती हैं. वे ज्यादातर इस प्रयास में रहती हैं कि क्रश डाइट से उन का वजन कम हो जाए. वेट लौस के साथ अगर सही से जिम नहीं किया गया तो बौडी टोन सही नहीं दिखेगी. फैट लटकालटका सा दिखेगा. ऐक्सरसाइज शुरू करते समय कुछ समय बौडी में दर्द रहता है पर धीरेधीरे यह सही हो जाता है.

‘‘वजन बढ़ने से कई तरह की बीमारियों के होने का खतरा बढ़ जाता है. ऐसे में जरूरी है कि वजन सही रखें और स्वस्थ रहें. वजन घटाने के लिए डाइटिंग की नहीं, बल्कि राइट डाइट की जरूरत होती है. कोल्डड्रिंक से दूर रहें. ग्रीन टी वजन घटाने में मददगार होती है. ऐक्सरसाइज की शुरुआत फिटनैस ऐक्सपर्ट की देखरेख में ही करें. लड़कियां चेस्ट पुशअप से ब्रैस्ट साइज बढ़ा सकती हैं.’’

टोंड आर्म के लिए ऐक्सरसाइज

बेहतर फिटनैस के लिए बाजुओं का भी स्ट्रौंग और टोंड होना जरूरी है. इस के लिए कुछ ऐक्सरसाइज हैं जो आर्म्स को टोंड और स्ट्रौंग बनाती हैं. आर्म के 2 हिस्से होते हैं. पहला बाइसेप्स और दूसरा ट्राइसेप्स. दोनों ही हिस्सों के लिए अलगअलग ऐक्सरसाइज होती हैं.

अल्टरनेट हैमर कर्ल

अल्टरनेट हैमर कर्ल करने के लिए सीधे खड़े हो जाएं और रीढ़ की हड्डी जितनी हो सके सीधी रखें. अब दोनों हाथों में समान वजन के डंबल्स लें. डंबल्स अंदर की तरफ रखें. इस के बाद दाएं हाथ को छाती तक ऊपर ले जाएं और धीरेधीरे नीचे लाएं. इस प्रक्रिया को कम से कम 10 से 15 बार करें.

प्लांक आर्म ऐक्सरसाइज

प्लांक आर्म ऐक्सरसाइज न केवल बाजुओं बल्कि एब्स मसल्स को भी मजबूत बनाती है. प्लांक आर्म के लिए पेट के बल जमीन पर लेट जाएं और फिर माथे को जमीन से छुआएं इस के बाद शरीर के ऊपरी हिस्से से कोहनी को आगे लाते हुए कोहनी को जमीन से और पैरों को पंजों के ऊपर टिका दें. अब पेट व जांघों को धीरेधीरे ऊपर की ओर उठाने का प्रयास करें. इस के रोज 10 राउंड करें.

एल्बो प्लांक

प्लांक आर्म ऐक्सरसाइज करने के बाद एल्बो प्लांक करें. इसे करने के लिए पीठ के बल लेट जाएं और फिर दाएं पैर को बाएं पैर के ऊपर रखें. हाथों को सीधा सिर के ऊपर तक उठाएं. लेकिन ध्यान रहे कि बाजू कान से छूते हुए जाएं. इस के बाद अपने शरीर को रैगुलर क्रंच की तरह ऊपर उठाएं. फिर शरीर के ऊपरी हिस्से पर दबाव डालते हुए अपनी कोहनी से घुटने को छूने की कोशिश करें. दूसरे पैर से भी इस प्रक्रिया को दोहराएं.

रिवर्स बारबेल कर्ल

रिवर्स बारबेल कर्ल को इजेड बार के साथ करने पर अधिक लाभ होता है. आप इसे साधारण तरीके से भी कर सकते हैं.

3 सैट 10 रैप की इस कसरत का उद्देश्य अपर मसल के नीचे की मसल्स को लाभ देना है.

स्टैंडिंग डंबल ट्राइसेप्स ऐक्सटैंशन

कमर में दर्द की शिकायत वाले लोग स्टैंडिंग डंबल ट्राइसेप्स ऐक्सटैंशन को बैठ कर भी कर सकते हैं. इसे रस्सी लगा कर मशीन के साथ भी किया जा सकता है, क्योंकि डंबल में कई बार ग्रिप अच्छी नहीं बन पाती. इस के रोजाना 3 सैट और 15 रैप लगाएं.

इंक्लाइन डंबल कर्ल

इंक्लाइन डंबल कर्ल एक कमाल की बाइसेप्स की कसरत है. यह सीधा बाइसेप्स के सहारे होती है, तो इस का पूरा फायदा भी बाजुओं को ही मिलता है. यदि इस के कई रैप नहीं निकल पा रहे हैं तो डंबलों को नीचे लाने के बाद हथेलियां पैरों की ओर कर लें और फिर ऊपर ले जाते समय फिर से सीधा ले जाएं. इस के 3 सैट और 15 रैप किए जा सकते हैं.

क्लोज ग्रिप बैंच प्रैस

ट्राइसेप्स की 2 बेहतरीन कसरत हैं, एक ट्राएंगल पुशअप्स और दूसरी यह. बाइसैप्स को टोंड करने के लिए ट्राइसेप्स पर काम करना भी बेहद जरूरी होता है. मोटे, मजबूत ट्राइसैप्स की इस कसरत से चैस्ट पर भी काम होता है. इस में आप हैवी वेट भी लगा सकते हैं, लेकिन ध्यान रहे कि इसे करते समय एक अच्छा रिस्ट बैंड इस्तेमाल में लें.

ट्रेडमिल ऐक्सरसाइज

आप कोई भी कसरत कर लें, लेकिन जब तक आप ट्रेडमिल पर दौड़ नहीं लगा लेते, वर्कआउट अधूरा माना जाता है. उम्र, वजन या लिंग चाहे जो भी हो, ट्रेडमिल पर वर्कआउट करने के कई फायदे होते हैं. इस से शरीर फिट तो रहता ही है, साथ ही, आप के शरीर के सारे अंग भी चुस्तदुरुस्त रहते हैं. ट्रेडमिल ऐक्सरसाइज के पूरे फायदे लेने के लिए इसे ठीक से करना जरूरी है.

सही जूते पहनें

ऐक्सरसाइज के लिए लोगों का जूतों पर ध्यान नहीं, बल्कि उन के लुक्स पर अधिक रहता है. ट्रेडमिल पर या सामान्य रनिंग के लिए जूतों के सोल में ऐक्स्ट्रा पैडिंग होनी चाहिए. इस से पैर आरामदायक रहते हैं और दौड़ते समय  पैरों पर अधिक जोर भी नहीं पड़ता. जूते ठीक न होने पर पैरों में दर्द, मोच जैसी दिक्कतें आ सकती हैं. इस से आप का संतुलन बिगड़ सकता है.

दौड़ते हुए नीचे देखना

जब भी ट्रेडमिल पर दौड़ें या वाक करें तो सामने देखें. यदि आप नीचे देखेंगे या फिर पैरों की गतिविधि पर ध्यान देंगे तो ध्यान हट सकता है और आप फिसल सकते हैं. वहीं नीचे देखने पर कमर या गरदन की नस में भी खिंचाव आ सकता है.

दौड़ते समय हैंडल पकड़ना

कई लोग ट्रेडमिल पर दौड़ते समय हैंडल पकड़ लेते हैं ताकि उन को सहारा मिल जाए, लेकिन फिटनैस ऐक्सपर्ट्स इसे सही नहीं मानते. उन की राय में ऐसा करने से शरीर को सहारा मिल जाता है और कैलोरी सही प्रकार बर्न नहीं होती. यदि आप इंक्लाइन मोड पर हैं तब भी बहुत आगे की ओर झुक कर नहीं चलना चाहिए.

मुंह से सांस लेना

यदि आप ट्रेडमिल पर दौड़ते समय मुंह से सांस लेते हैं, तो इस का मतलब है कि रेस्पिरेटरी सिस्टम को दुरुस्त करने की आवश्यकता है. इस से बचने के लिए डीप ब्रीदिंग की प्रैक्टिस करें, ताकि नाक से गहराई से सांस लेते हुए आप के शरीर को पूरी औक्सीजन मिले.

दौड़ने से पहले स्ट्रैचिंग न करना

किसी भी ट्रेनिंग प्रोग्राम के लिए शरीर में फ्लेक्सिबिलिटी का होना बहुत जरूरी है. इसलिए अगर आप बिना स्ट्रैचिंग के ट्रेडमिल पर ऐक्सरसाइज करेंगे तो थकान अधिक होगी और चोट लगने की आशंका भी अधिक रहेगी. ऐसे में मसल्स पर भी खिंचाव सब से ज्यादा परेशान करता है. ट्रेडमिल पर दौड़ने से पहले हमेशा 5 मिनट की स्ट्रैचिंग प्रैक्टिस जरूर करें और उतरने के बाद भी.

बेहतर मैटाबौलिज्म

ट्रेडमिल पर ऐक्सरसाइज करने से शरीर का मैटाबौलिज्म बढ़ता है. शरीर का मैटाबौलिज्म रेट शरीर की कार्यप्रणाली को सुचारु करने में मदद करता है. शरीर का मैटाबौलिज्म जितना ज्यादा होता है, शरीर में उतनी ही ज्यादा एनर्जी होती है. बढ़े हुए मैटाबौलिज्म से वजन कम करने में भी मदद मिलती है.

देखा गया है कि जैसेजैसे लोगों की उम्र बढ़ती है, उन की हड्डियां कमजोर होने लगती हैं, लेकिन अगर नियमित रूप से ट्रेडमिल पर दौड़ लगाएं तो आप की हड्डी की मोटाई बढ़ेगी और हड्डी जितनी मोटी होगी वह उतनी ही मजबूत बनेगी.

टोंड मसल्स

ट्रेडमिल पर रनिंग करने से न केवल वजन घटता है बल्कि शरीर की मासपेशियां भी टोंड होती हैं. ध्यान रहे अच्छे शेप में आने के लिए मांसपेशियों का टोंड होना जरूरी है. ट्रेडमिल पर ऐक्सरसाइज करने से पैर, जांघ, पेट और कूल्हे पर जोर पड़ता है और इन का शेप बेहतर होता है. ट्रेडमिल पर दौड़ने से शरीर में औक्सीजन की मात्रा ठीक होती है और इस का ठीक प्रवाह होता है. इस से पसीना आता है और त्वचा के पोर्स खुल जाते हैं, शरीर से गंदगी बाहर निकलती है और त्वचा कुछ ही दिनों में चमकदार बन जाती है, जो आप को सुदंर बनाती है.

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