सोनाली स्वामी (फिटनेस गुरु,एथलीट,बॉडी बिल्डर)
फिटनेस सबके लिए जरुरी है, फिर चाहे वह पुरुष हो या महिला फिटनेस से शरीर स्वस्थ रहता है, व्यक्ति को स्फूर्ति मिलती है और वह हर काम में आगे रहता है कुछ ऐसी ही सोच रखती है फिटनेस गुरु, एथलीट, बॉडी बिल्डर और माँ सोनाली स्वामी, जिसने पहला फिट फैक्टर इंडिया इन बॉडी एक्सपो 2014 जीता. बंगलुरु मेंरहने वाली सोनाली के पति संजय स्वामी सॉफ्टवेयर में काम करते है. उनकी बेटी संचाली स्वामी (16 वर्ष) और बेटा शौर्य स्वामी (13वर्ष) है.
बॉडी बिल्डिंग में फिटनेस गुरु सोनाली स्वामी ने 37 साल की उम्र में शुरू की और कई ख़िताब जीती. हिमालया ड्रग कंपनी की ‘फर्स्ट पिम्पल’ कैम्पेन पर फिटनेस को लेकर बात की, आइये जानते है, कैसे वह परिवार के साथ अपनी बॉडी को बनाये रखती है,बातें रोचक थी,कुछ अंश इस प्रकार है.
सवाल-किसी ब्रांड के साथ जुड़ते समय किस बात का ध्यान रखती है?
ये एक बड़ी ब्रांड है और इसके जो कैम्पेन है वह भी एक बड़ी बात को कहता है. मैं भी इस दौर से गुजरी हूं. 12 साल की उम्र में मुझे पहला पिम्पल हुआ था. युवा पीढ़ी के लिए पिम्पल बड़ी चीज होती है, इससे उनका आत्मबल गिरता है, जिसे आगे बढ़ने के लिए हमेशा बनाए रखने की जरुरत होती है. मैं टिनएजर्स दो बच्चों की माँ हूं और मुझे पता है कि एक पिम्पल उन्हें कितना परेशान करती है, हार्मोनल बदलाव की वजह से ऐसा होता है, इसलिए मेरा इसके साथ जुड़ना अच्छा लगा.
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सवाल-फिटनेस को लेकर महिलाये कम जागरूक होती है, इस बारें में आपकी सोच क्या है?
अभी महिलएं पहले से अधिक जागरूक हो चुकी है. मेरी सास 70 साल की है, जबकि मेरे ससुर 75 साल के है और दोनों मेरे साथ ही रहते है. वे दोनों हर सुबह एक घंटा टहलने जाते है और वापस आकर योग भी करते है. सौ प्रतिशत जागरूक महिलाएं नहीं हुई है और इसे होने में थोडा समय लगेगा. जिम जाकर कुछ अलग करने के बारें में महिलाएं सोच नहीं पाती, क्योंकि वे इस बारें में अधिक जानकारी नहीं रखती. महिलाएं डॉक्टर की सलाह पर विटामिन और मिनरल्स की गोलियां ले लेती है, ऐसे में अगर उन्हें किसी भी वर्क आउट के फायदे के बारें में जानकारी हो, तो अच्छी बात होगी. महिलाएं पहले से जागरूक हुई है, पर अभी भी बहुत काम करना बाकी है.
सवाल-आपने वर्कआउट देर से शुरू की है, इसकी वजह क्या रही? फिटनेस से आपको फायदा क्या मिला?
मेरा वेट ट्रेनिंग 37 की उम्र में हुई. उससे पहले मैंने कथक और लैटिन डांस सीखी थी. मैं मध्यप्रदेश की ग्वालियर से हूं, लेकिन अभी बंगलुरु में सेटल्ड हूं, क्योंकि मेरे पति सॉफ्टवेयर में काम करते है. बच्चे होने के बाद मैं फिट नहीं थी. कुछ करने के बाद मैं हांफने लग जाती थी. थक जाती थी. फिर मैं और मेरे पति दोनों मिलकर जिम ज्वाइन किया. सारे फायदे पता चलने के बाद मैंने प्रशिक्षण लेकर ट्रेनर बन गयी. 40 की उम्र में जब मैंने ये सब किया, तो महिलाएं भी प्रेरित हुई. उन्हें लगा कि वर्क आउट की कोई उम्र नहीं होती कभी भी आप इसे शुरू कर फिट रह सकते है. अभी मैं 45 उम्र की हूं और मुझे लगता है कि इतनी फिट तो मैं अपनी 20 साल की उम्र में भी नहीं थी. कॉन्फिडेंस के साथ-साथ मानसिक और शारीरिक रूप से भी खुद को बेहतर महसूस करती हूं.
सवाल-बॉडी बिल्डिंग में अधिकतर पुरुष ही होते है, ऐसे में क्या कभी आपको किसी प्रकार की आलोचना को सामना करना पड़ा?
हाँ कई बार लोगों ने भला-बुरा कहा. शुरुआत में लगा नहीं था कि इतना आगे बढ़ पाउंगी, केवल एक बार प्रतियोगिता ट्राय करने की बात सोची थी, लेकिन जब मैं जीती और पता चला कि उम्र इसमें कोई मायने नहीं रखती , तो बहुत कॉन्फिडेंस आ गया. मेहनत, ट्रेनिंग और अनुसाशन के बल पर आप इस खेल को जित सकते है. कुछ लोगों ने मुझे सुझाव दिया कि आप हिन्दू ब्राह्मण है, मैरिड और माँ है, इसलिए आपको शोभा नहीं देता, लेकिन मेरे पिता रिटायर्ड मेजर जनरल है और आर्मी में थे. मुझे तो मेरी इच्छा के अनुरूप काम करने की हमेशा सलाह दी गयी थी. मैंने उसी को अपनाया. महिलाओं को भी मैं कहना चाहती हूं कि खुद की सेहत का ख्याल हमेशा उन्हें हर उम्र में रखने की जरुरत है और मैं ऐसा हमेशा कहती रहती हूं. कई महिलाओं ने इसका सबूत तक पेश किया. मैंने परिवार के साथ ये सब किया. कभी कोम्प्रोमाईज नहीं किया. परिवार को साथ में लेकर काम किया. उन्होंने पूरा सपोर्ट किया और दूसरों की बात सुनने की मुझे कभी जरुरत नहीं पड़ी. एक समय के बाद तो मना करने वाले लोग भी तारीफ करने लगे.
सवाल-आगे आपकी प्लानिंग क्या है?
इस साल तो कोरोना की वजह से कुछ नहीं हो पाया है. अगले साल के लिए खुद को अच्छी तरह से तैयार कर रही हूं और देश के लिए मैडल लाना चाहती हूं. अभी ऑनलाइन भी कई शो करती हूं, जिसमें महिलाएं घर पर बैठकर वर्कआउट को फोलो कर सकें और कई बिमारियों से दूर रह सकें.
सवाल-फिटनेस को कितना महत्व देती है?
फिटनेस के लिए कोई भी एक्टिविटी किसी भी रूप में करने की जरुरत है, मेरे लिए ये बहुत जरुरी है, क्योंकि मैं एक एथलीट के अलावा वेट लिफ्टिंग और स्ट्रेंथ ट्रेनिंग भी करती हूं. मैं हफ्ते में 5 से 6 दिन एक घंटे का प्रॉपरवर्कआउट के लिए हमेशा जाती हूं. मेरी लाइफ बहुत अनुशाषित है, सुबह उठकर पूरा काम कर लेती हूं. टाइम मेनेजमेंट हर कोई कर सकता है, अगर उसके दिल में कुछ पाने की इच्छा हो. मेरी इच्छा है कि मैं खुद को बेहतर रखने के साथ-साथ आसपास के सभी को फिट रखूँ.
सवाल-डाइट का कितना ध्यान रखती है ?
हमें मसल्स अधिक बनानी पड़ती है, इसलिए संतुलित भोजन में प्रोटीन की मात्रा अधिक लेनी पड़ती है. मैं बॉडी बिल्डिंग के अलावा बैडमिन्टन खेलती हूं. मैराथन में भाग लेने के साथ-साथ डांसिंग भी मेरा एक पैशन है, जिसे मैं करती हूं.
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सवाल-पति का सहयोग कितना रहता है?
उनके सहयोग के बिना कोई काम संभव नहीं. उनकी वजह से मैं यहाँ तक पहुंची. हर प्रतियोगिता में वे मेरे साथ रहते है. मेरी डाइट, ट्रेनिंग, वर्कआउट सब वे देखते है.