Father’s day 2023: पिता और पुत्र के रिश्तों में पनपती दोस्ती

‘‘हाय डैड, क्या हो रहा है? यू आर एंजौइंग लाइफ, गुड. एनीवे डैड, आज मैं फ्रैंड्स के साथ पार्टी कर रहा हूं. रात को देर हो जाएगी. आई होप आप मौम को कन्विंस कर लेंगे,’’ हाथ हिलाता सन्नी घर से निकल गया.

‘‘डौंट वरी सन, आई विल मैनेज ऐवरीथिंग, यू हैव फन,’’ पीछे से डैड ने बेटे से कहा. आज पितापुत्र के रिश्ते के बीच कुछ ऐसा ही खुलापन आ गया है. किसी जमाने में उन के बीच डर की जो अभेद दीवार होती थी वह समय के साथ गिर गई है और उस की जगह ले ली है एक सहजता ने, दोस्ताना व्यवहार ने. पहले मां अकसर पितापुत्र के बीच की कड़ी होती थीं और उन की बातें एकदूसरे तक पहुंचाती थीं, पर अब उन दोनों के बीच संवाद बहुत स्वाभाविक हो गया है. देखा जाए तो वे दोनों अब एक फ्रैंडली रिलेशनशिप मैंटेन करने लगे हैं. 3-4 दशकों पहले नजर डालें तो पता चलता है कि पिता की भूमिका किसी तानाशाह से कम नहीं होती थी. पीढि़यों से ऐसा ही होता चला आ रहा था. तब पिता का हर शब्द सर्वोपरि होता था और उस की बात टालने की हिम्मत किसी में नहीं थी. वह अपने पुत्र की इच्छाअनिच्छा से बेखबर अपनी उम्मीदें और सपने उस को धरोहर की तरह सौंपता था. पिता का सामंतवादी एटीट्यूड कभी बेटे को उस के नजदीक आने ही नहीं देता था. एक डरासहमा सा बचपन जीने के बाद जब बेटा बड़ा होता था तो विद्रोही तेवर अपना लेता था और उस की बगावत मुखर हो जाती थी.

असल में पिता सदा एक हौवा बन बेटे के अधिकारों को छीनता रहा. प्रतिक्रिया करने का उफान मन में उबलने के बावजूद पुत्र अंदर ही अंदर घुटता रहा. जब समय ने करवट बदली और उस की प्रतिक्रिया विरोध के रूप में सामने आई तो पिता सजग हुआ कि कहीं बागडोर और सत्ता बनाए रखने का लालच उन के रिश्ते के बीच ऐसी खाई न बना दे जिसे पाटना ही मुश्किल हो जाए. लेकिन बदलते समय के साथ नींव पड़ी एक ऐसे नए रिश्ते की जिस में भय नहीं था, थी तो केवल स्वीकृति. इस तरह पितापुत्र के बीच दूरियों की दीवारें ढह गईं और अब आपसी संबंधों से एक सोंधी सी महक उठने लगी है, जिस ने उन के रिश्ते को दोस्ती में बदल दिया है.

पितापुत्र संबंधों में एक व्यापक परिवर्तन आया है और यह उचित व स्वस्थ है. पिता के व्यक्तित्व से सामंतवाद थोड़ा कम हुआ है. थोड़ा इसलिए क्योंकि अगर हम गांवों और कसबों में देखें तो वहां आज भी स्थितियों में ज्यादा परिवर्तन नहीं आया है. बस, दमन उतना नहीं रहा है जितना पहले था. आज पिता की हिस्सेदारी है और दोतरफा बातचीत भी होती है जो उपयोगी है. मीडिया ने रिश्तों को जोड़ने में अहम भूमिका निभाई है. टैलीविजन पर प्रदर्शित विज्ञापनों ने पितापुत्री और पितापुत्र दोनों के बीच निकटता का इजाफा किया है. समाजशास्त्री श्यामा सिंह का कहना है कि आज अगर पितापुत्र में विचारों में भेद हैं तो वे सांस्कृतिक भेद हैं. अब मतभेद बहुत तीव्र गति से होते हैं. पहले पीढि़यों का परिवर्तन 20 साल का होता था पर अब वह परिवर्तन 5 साल में हो जाता है. आज के बच्चे समय से पहले मैच्योर हो जाते हैं और अपने निर्णय लेने लगते हैं. जहां पिता इस बात को स्वीकार नहीं कर पा रहे हैं वहां दिक्कतें आ रही हैं. पितापुत्र के रिश्ते में जो पारदर्शिता होनी चाहिए वह अब दिखने लगी है. नतीजतन बेटा अपने पिता के साथ अपनी बातें शेयर करने लगा है.

खत्म हो गई संवादहीनता

आज पितापुत्र संबंधों में जो खुलापन आया है उस से यह रिश्ता मजबूत हुआ है. मनोवैज्ञानिक समीर मल्होत्रा के अनुसार, अगर पिता अपने पुत्र के साथ एक निश्चित दूरी बना कर चलता है तो संवादहीनता उन के बीच सब से पहले कायम होती है. पहले जौइंट फैमिली होती थी और शर्म पिता से पुत्र को दूर रखती थी. बच्चे को जो भी कहना होता था, वह मां के माध्यम से पिता तक पहुंचाता था. लेकिन आज बातचीत का जो पुल उन के बीच बन गया है, उस ने इतना खुलापन भर दिया है कि पितापुत्र साथ बैठ कर डिं्रक्स भी लेने लगे हैं. आज बेटा अपनी गर्लफ्रैंड के बारे में बात करते हुए सकुचाता नहीं है.

करने लगा सपने साकार

महान रूसी उपन्यासकार तुरगेनेव की बैस्ट सेलर किताब ‘फादर ऐंड सन’ पीढि़यों के संघर्ष की महागाथा है. वे लिखते हैं कि पिता हमेशा चाहता है कि पुत्र उस की परछाईं हो, उस के सपनों को पूरा करे. जाहिर है, इस उम्मीद की पूर्ति होने की चाह कभी पुत्र को आजादी नहीं देगी. पिता चाहता है कि उस के आदेशों का पालन हो और उस का पुत्र उस की छाया हो. टकराहट तभी होती है जब पिता अपने सपनों को पुत्र पर लादने की कोशिश करता है. पर आज पिता, पुत्र के सपनों को साकार करने में जुट गया है. प्रख्यात कुच्चिपुड़ी नर्तक जयराम राव कहते हैं कि जमाना बहुत बदल गया है. बच्चों की खुशी किस में है और वे क्या चाहते हैं, इस बात का बहुत ध्यान रखना पड़ता है. यही वजह है कि मैं अपने बेटे की हर बात मानता हूं. मैं अपने पिता से बहुत डरता था, पर आज समय बदल गया है. कोई बात पसंद न आने पर मेरे पिता मुझे मारते थे पर मैं अपने बेटे को मारने की बात सोच भी नहीं सकता. आज वह अपनी दिशा चुनने के लिए स्वतंत्र है. मैं उस के सपने साकार करने में उस का पूरा साथ दूंगा. बहरहाल, अब पितापुत्र के सपने, संघर्ष और सोच अलग नहीं रही है. यह मात्र भ्रम है कि आजादी पुत्र को बिगाड़ देती है. सच तो ?यह है कि यह आजादी उसे संबंधों से और मजबूती से जुड़ने और मजबूती से पिता के विश्वास को थामे रहने के काबिल बनाती है.

Flim review: चिड़ियाखाना- कमजोर पटकथा व कमजोर निर्देशन

रेटिंग: पांच में से डेढ़ स्टार

 निर्माताः एन एफडी सी,कमल मिश्रा

लेखकः मनीष तिवारी और पद्मजा ठाकुर

निर्देषक: मनीष तिवारी

कलाकार: राजेश्वरी सचदेव,प्रशांत नारायण,रित्विक साहोर,गोविंद नाम देव,अंजन श्रीवास्तव,अवनीत कौर,रवि किशन,जयेश कार्डक,पुष्कर चिरपुतकर, नागेश भोसले,अजय जाधव मिलिंद जोशी व अन्य.

अवधिः दो घंटा एक मिनट

बिहार,अब झारखंड में जन्में, प्रारंभिक शिक्षा तिलैया सैनिक स्कूल से लेने के बाद दिल्ली,इंग्लैंड व अमरीका से शिक्षा ग्रहण करने के बाद भारत,रोम व नेपाल में संयुक्त राष्ट् संघ के खाद्य व कृषि विभाग में नौकरी की. आर्थिक व राजनीतिक विषयों पर कुछ लेख लिखे.उसके बाद उन्होने 2007 में प्रकाश झा निर्मित असफल फिल्म ‘‘दिल दोस्ती इस्टा’ का निर्देशन किया.

इसके बाद 2013 में प्रतीक बब्बर,अमायरा दस्तूर,रवि किशन व राजेश्वरी सचदेव को लेकर फिल्म ‘‘इसाक’’ का निर्देशन किया,जिसमें दो ‘भू माफिया’ के बच्चों की प्रेम कहानी पेश की थी. ‘इसाक’ का लेखन मनीष तिवारी और पद्मजा ठाकोर तिवारी ने किया था. फिल्म ‘इसाक’ अपनी आधी लागत भी वसूल नहीं कर पायी थी.अब पूरे दस वर्ष बाद मनीष तिवारी फिल्म ‘‘चिड़ियाखाना’’ लेकर आए हैं. इस फिल्म का निर्माण तो पांच वर्ष पहले ही पूरा हो गया था. 2019 में इसे सेंसर बोर्ड से प्रमाण पत्र भी मिल गया था.

मगर अफसोस यह फिल्म अब दो जून को सिनेमाघरों में पहुॅच रही है.पिछली फिल्म ‘इसाक’ की ही तरह इस फिल्म का लेखन भी मनीष तिवारी व पद्मजा ठाकोर ने किया है. इस बार मनीष तिवारी अपनी फिल्म ‘चिड़ियाखाना’ को लेकर मंबुई पहुॅच गए हैं. पर उनके दिमाग में ‘भू माफिया’,बिहार, ‘बाहरी’ यानी कि गैर मंबुईकर, झारखंड व बिहार का नक्सलवाद पूरी तरह से छाया हुआ है.

उन्होने एक अच्छी कहानी पर ‘‘चूं चूं का मुरब्बा’’ वाली फिल्म बनाकर पेश कर दी है. वास्तव में फिल्म ‘‘चिड़ियाखाना’’ का निर्माण ‘चिल्डन फिल्म सोसायटी’’ ने किया है, जिसका अब ‘एनएफडीसी’ में विलय हो चुका है. ‘चिल्डन फिल्म सोसायटी’ का दायित्व बच्चों के लिए उत्कृष्ट सिनेमा बनवाना रहा है, पर इसमें वह बुरी तरह से असफल रहा. यूं तो फिल्म ‘चिड़ियाखाना’’ एक ‘अंडरडाॅग’ की कहानी है,जो सफलता का मुकाम हासिल करता है.फिल्म के पोस्टरों में भी लिखा है-‘‘हर इंसान के अंदर एक टाइगर यानी कि षेर होता है.’मगर इस बात को सही परिप्रक्ष्य में चित्रित करने में मनीष तिवारी विफल रहे हैं.

कहानी

कहानी के केंद्र में 14 वर्ष का बिहारी लड़का सूरज (ऋत्विक साहोरे) और उसकी मां बिभा  (राजेश्वरी सचदेव) हैं. जो कि बिहार से भोपाल वगैरह होते हुए मंबुई पहुॅचा है. सूरज व उसकी मां एक झोपड़पट्टी मे रहती है.सूरज नगर पालिका यानी कि सरकारी स्कूल में पढ़ने जाने लगता है. जबकि मां बिभा एक घर में काम करने लगती है. सूरज के पिता नही है और बिभा,सूरज को उसके पिता का नाम बताना भी नही चाहती. सूरज का जुनून फुटबाल खेलना है,मगर स्कूल का मराठी भाषी गुंडा व स्कूल फुटबाल टीम का कैप्टन बाबू (जयेश कर्डक), सूरज को पसंद नही करता.

वह अपने दोस्तों के साथ सूरज का मजाक उड़ाता है. सूरज को हर लड़के में किसी न किसी जानवर का चेहरा नजर आता है. (शायद फिल्मकार ने अपनी फिल्म के नाम को जायज ठहराने के लिए ऐसा प्रतीकात्मक किया है). सूरज से उसकी सहपाठी मिली (अवनीत कौर ) प्यार करने लगती है.वह अपने तरीके से सूरज की मदद करने का प्रयास करती रहती है.

सूरज अपनी स्कूल टीम में जगह बनाने के लिए प्रयासरत रहता है,तो उसे झोपड़पट्टी के गुंडे /भाई प्रताप ( प्रशांत नारायणन ) की मदद मिलती है. जब से बिभा अपने बेटे सूरज के साथ इस बस्ती में रहने आयी है,तब से प्रताप मन ही मन बिभा को चाहने लगा है. प्रताप स्थानीय डाॅन भाउ (गोविंद नामदेव) के लिए काम करता है. यह स्थानीय डॉन बिल्डरों के एक समूह के साथ बीएमसी स्कूल के कब्जे वाली जमीन को हड़पने के लिए एक सौदा करता है,जहां यह बच्चे फुटबॉल खेलते हैं.

बीएमसी कमिश्नर भी स्कूल के प्रिंसिपल (अंजन श्रीवास्तव )की नही सुनते.पर प्रताप,भाउ की बजाय बच्चों के साथ मिलकर स्कूल के ग्राउंड को बचाना चाहता है.जिससे सूरज व अन्य बच्चे वहां पर फुटबाल खेल सके.कभी प्रताप भी इस स्कूल की फुटबाल टीम का कैप्टन रह चुका है. वह प्रिंसिपल को मेयर से मिलने की सलाह देता है. मेयर ग्राउंड बचाने के लिए षर्त रख देता है कि बीएमसी स्कूल के बच्चे एक प्रायवेट स्कूल के बच्चे की टीम को फुटबाल में हरा दे,तो वह ग्राउंड उनका रहेगा. इसी बीच बिभा का भाई  बिक्रम सिंह पांडे (रवि किशन ) ,बंदूक लेकर सूरज की हत्या करने आता है. पर प्रताप के आगे वह चला जाता है. तब पता चलता है कि बिभा ने अपने परिवार वालों के खिलाफ जाकर एक नक्सली महतो से षादी की थी. महतो की मोत हो चुकी है. पर बिभा का भाई बिभा व महतो के बेटे सूरज को खत्म करना चाहते हैं.खैर,दो स्कूलों की फुटबाल टीम के बीच मैच होता हैै.

लेखन व निर्देशनः

लेखकों के साथ ही फिल्मकार मनीष तिवारी का अधकचरा ज्ञान इस फिल्म को ले डूबा.एक अच्छी कहानी का सत्यानाश कैसे किया जाता है,यह मनीष तिवारी से सीखा जा सकता है.इसकी मूल वजह यह नजर आती है कि फिल्मकार खुद तय नही कर पाए है कि वह फुटबाल पर या घटतेे खेल के मैदान या भू माफिया द्वारा खेल के मैदान हड़पने या ‘मुंबई बाहरी’ या नक्सल में से किसे प्रधानता देना चाहते हैं.

फिल्म की पटकथा इतनी लचर है कि दर्शक को पहले से ही पता होता है कि अब यही होगा.इंटरवल से पहले फिल्म ठीक ठाक चलती है. लेकिन इंटरवल के बाद फिल्म पर से मनीष तिवारी की पकड़ खत्म हो जाती है. वह तो जितने मसाले डाल सकते थे,वह सब डाल देते हैं.यहां तक बिहारी अस्मिता के लिए वह सूरज के मुंह से बिहारी भाषा में कुछ संवाद भी बुलवा देते हैं. फिल्म में 2001 में आयी फिल्म ‘लगान’ की नकल भी है. फिल्मकार ‘बाहरी’ का मुद्दा भी ठीक से नही उठा पाए. इसकी मूल वजह यह है कि मुंबई जैसे शहर में यह मुद्दा कई दशक से गौण हो चुका है.

मुंबई शहर में खेल के मैदानों पर बिल्डर लाॅबी का कब्जा अहम मुद्दा है. सिर्फ मुंबई से सटे भायंदर जैसे छोटे इलाके में भाजपा के विधायक रहते हुए नरेंद्र मेहता ने जिस तरह से खेल के मैदान पर कब्जा कर अपना निजी रिसोर्ट खड़ा कर किया है, वह जगजाहिर है. पर अब तक उनके खिलाफ कोई काररवाही नही हुई. पर अफसोस की बात यह है कि जब खेल के मैदान कई सौ करोड़ो में बिक रहे हों,चिल्डन पार्क खत्म हो रहे हैं,तब भी इस मुद्दे को फिल्मकार सही परिप्रेक्ष्य में चित्रित करने में बुरी तरह से विफल रहे हैं. जबकि महज इसी मुद्दे को फुटबाल खेल की पृष्ठभूमि में वह अच्छे से उठाते तो फिल्म अच्छी बन जाती.

अचानक नक्सलवाद का एंगल लाकर फिल्मकार कहानी के बहाव को रोकने का प्रयास करते हैं.बिभा के भाई बिक्रम के आगमन वाला दृष्य फिल्मकार के दिमागी दिवालियापन को ही दिखाता है.क्या बिक्रम ने वास्तव में सोचा था कि वह  एक विदेशी भूमि (मुंबई उसके लिए विदेशी है) की बस्ती में किसी की हत्या करके बच जाएगा?फिल्मकार खुद झारखंड से हैं,मगर उन्हे यही नहीं पता कि उत्तर भारत में लोगों के ‘सरनेम’ क्या होते हैं? ‘चिल्डन फिल्म ‘सोसायटी’ का दायित्व बच्चों के लिए षिक्षाप्रद फिल्मों का निर्माण करना हुआ करता था,पर वह ‘चिड़ियाखाना’ जैसी फिल्म का निर्माण कर अपने मकसद से  भटक गया था,शायद इसी वजह से इसे बंद कर दिया गया.

इस फिल्म में एक दृष्य में प्रताप ,बाबू को बंदूक देकर कहता है कि वह सूरज को गोली मार दे. भले ही बंदूक में गोली नही थी, मगर इस तरह के दृष्य बच्चों के मानस पटल पर किस तरह का असर डालते हैं. नक्सलवाद को जिस तरह से फिल्म में पेष किया गया है,उस तरह से एक नौसीखिया फिल्मकार भी नहीं करता. बिभा के अतीत को बेहतर ढंग से पेष किया जा सकता था. सूरज को फुटबाल खेलने का जुनून है,पर कब कहां से विकसित हुआ? वह बिहार व भोपाल होते हुए मुबई पहुॅचा है. पर इन जगहों पर फुटबाल के खेल को कम लो गही जानते हैं. मनीष तिवारी की सबसे बड़ी कमजोर कड़ी विषय की नासमझी ही रही. इसी कारण वह बेहतरीन प्रतिभाषाली कलाकारों को फिल्म से जोड़ने के बाद भी अच्छी फिल्म ही बना सके.

अभिनयः

अपने बेटे की जिंदगी बचाने के लिए दर दर भटक रही मां के दर्द,अपने अतीत को अपने बेटे से छिपाने की कश्मकश,बेटे की सुरक्षा की चिंता, गरीबी, इन सारे भावों को बिभा के किरदार में जीते हुए राजेश्वरी सचदेव ने अपने अभिनय के कई नए आयामों को परदे पर उकेरा है.जबकि उन्हे अपने किरदार को निभाने के लिए पटकथा से कहीं कोई मदद नही मिलती.

उनकी अतीत की कहानी भी सही ढंग से चित्रित नहीं की गयी.सूरज के किरदार में रित्विक साहोर को देखकर कल्पना करना मुश्किल हो सकता है कि उसके अंदर कितनी प्रतिभा है. बाबू के जटिल किरदार को जिस तरह से जयेश कार्डक ने जिया है, उसे अनुभवी कलाकार भी नही निभा सकते थे,पर नवोदित कलाकार जयेश कार्डक ने तो कमाल कर दिया. प्रशांत नारायणन हमेशा नकारात्मक किरदारों में ही पसंद किए जाते रहे हैं. मगर इस फिल्म में उन्होने थोड़ा सा उससे हटकर प्रताप के किरदार को बेहतर ढंग से जिया है. प्रताप के किरदार में भाउ और स्कूल प्रिंसिपल  के किरदार में अंजन श्रीवास्तव से बेहतर कोई दूसरा कलाकार हो ही नही सकता था. वैसे यह दोनो किरदार अधपके ही रहे. मिली के किरदार मे बेबी अवनीत कौर अपनी छाप छोड़ जाती हैं. कैमरा कॉन्शस तो दूर वह हर पोज को एंजॉय करती नजर आती है. पुष्करराज चिरपुतकर, अजय जाधव, नागेश भोंसले, मिलिंद जोशी, माधवी जुवेकर, संजय भाटिया, शशि भूषण, प्रशांत तपस्वी, रीतिका मूर्ति, श्रीराज शर्मा, योगिराज, लरिल गंजू, स्वाति सेठ, योगेश, अखिलेश (दो रैपर्स) भी ठीक ठाक हैं.

कांस में रेड कार्पेट पर चलने वाली सबसे कम उम्र की भारतीय अदाकारा बनी शैनन

हैरिसन फोर्ड अभिनीत फिल्म ‘इंडियाना जोन्स 5’’अभिनय करने वाली एकमात्र भारतीय अभिनेत्री व गायिका शैनन के भी ‘कांस फिल्म फेस्टिवल 2023’ में रेड कार्पेट पर चलकर एक नए इतिहास को रचा.वह कांस फिल्म फेस्टिवल में रेड कार्पेट पर चलने वाली सबसे कम उम्र की पहली भारतीय अदाकारा बनी.

शैनन के ने कांस में अपने रेड कार्पेट पर चलने को ‘‘यूक्रेनी युद्ध पीड़ितों को किया समर्पित. अंतर्राष्ट्रीय गायिका और अभिनेत्री शैनन के जब अपने अनोखे पहनावे के साथ कांस फिल्म फेस्टिवल में कालीन पर टहल रही थीं,तब हर किसी की नजरें उन्हीं पर टिकी हुई थी. वास्तव में शैनन के ने लगातार युद्ध से पीड़ित यूक्रेन का प्रतिनिधित्व करने के लिए यूक्रेनी डिजाइनरों ब्लैंक डी ब्लैंक्स और लाना मारिनेंको द्वारा सुंदर सिला हुआ सफेद गाउन पहना हुआ था. उनका यह पहनावा पहनावा शांति का प्रतीक है. उन्होंने महिलाओं की शक्ति के रूप में भारतीय देवी-देवताओं का प्रतिनिधित्व करने के लिए एक डायमंड टियारा पहना था!

इस बीच, प्रशंसकों ने उनकी रेड कार्पेट-उपस्थिति को पसंद किया और ‘‘व्हाट ए डेब्यू‘‘, ‘‘दिस हाउ यू रिप्रेजेंट इंडिया‘‘, ‘‘हेल द क्वीन‘‘ जैसी तारीफों से इंटरनेट पर बाढ़ ला दी.शैनन के कान्स में ‘मॉडर्न डे स्नो व्हाइट‘ का एक शाब्दिक उदाहरण थी.

शैनन के ने कहा, ‘‘यह अविश्वसनीय लगता है,लेकिन ईमानदारी से कहूं तो मैं कान्स के रेड कार्पेट पर चलने के लिए बहुत घबरायी हुई थीा! दिग्गज हैरिसन फोर्ड की प्रतिष्ठित फिल्म प्रीमियर के लिए आमंत्रित किए जाने पर बहुत खुश हूं.यह अवास्तविक लगता है! यह जीवन के लिए एक स्मृति है! कान में पदार्पण एक शानदार था. कुल मिलाकर मेरे लिए अद्भुत अनुभव रहा..’’ वास्तव में 76वें कान्स फिल्म फेस्टिवल में 18 मई 2023 को ‘‘इंडियाना जोन्स 5’’ यानी कि ‘‘इंडियाना जोन्स एंड द डायल ऑफ डेस्टिनी’’ का प्रीमियर हुआ और अब यह फिल्म तीस जून को अमरीकी सिनेमाघरों में प्रदर्षित होगी.

‘इंडियाना जोन्स एंड द किंगडम ऑफ द क्रिस्टल स्कल’ (2008) की अगली कड़ी यानी कि पांचवीं फिल्म ‘‘इंडियाना जोन्स एंड द डायल ऑफ डेस्टिनी’’ एक अमेरिकी एक्शन एडवेंचर फिल्म है,जिसका निर्देशन जेम्स मैंगोल्ड ने किया है,जबकि इसका लेखन जेज बटरवर्थ, जॉन-हेनरी बटरवर्थ और डेविड कोएप ने मिलकर किया है.फिल्म में हैरिसन फोर्ड,जॉन राइस-डेविस, फोबे वालर-ब्रिज, एंटोनियो बैंडेरस, शॉनेट रेनी विल्सन, थॉमस क्रेशमैन, टोबी जोन्स, बॉयड होलब्रुक, एथन इसिडोर और मैड्स मिकेलसेन,शैनन के जैसे कलाकार हैं.

सस्टेनेबल फैशन में हाथ बढाने, आगे आये कई सेलेब्स

पिछले कई सालों से फैशन इंडस्ट्री को सस्टेनेबिलिटी के साथ जोड़ा जाता रह है, क्योंकि फैशन इंडस्ट्री का एनवायर्नमेंटल पोल्यूशन में एक बड़ा हाथ रहा है, क्योंकि फैशन प्रोडक्ट से एक बहुत बड़ी मात्रा में वेस्ट प्रोडक्ट निकलता है, जिसका सही रूप में प्रयोग करना जरुरी है, इसलिए सभी डिज़ाइनर इस बात का ध्यान रखने की कोशिश करते है कि स्लो फैशन हो, ताकि अंधाधुंध कपडे न खरीदकर एक अच्छी और खूबसूरत पोशाक पर व्यक्ति पैसे खर्च करें जो सालों साल एक जेनरेशन से दूसरी जेनरेशन को हस्तांतरित की जा सकें. इस बार की लेक्मे फैशन वीक 2023 जो फैशन डिजाइनिंग काउंसलिंग ऑफ़ इंडिया के पार्टनरशिप के साथ शुरू की गयी, जिसमे पहले दिन इको फैशन पर आधारित शो में आईएनआईऍफ़डी जेन नेक्स्ट के विजेता ‘कोयटोय’ ने ब्राइट कलर्स और ब्राइट मोटिफ्स से सबके मन को मोहा, राज त्रिवेदी की कलेक्शन "Scintilla" ने मेटेलिक पोशाक को रैंप पर जगह दी. हीरू के कलेक्शन की स्मार्ट लेयरिंग फ्री फ्लो फैशन पर अधिक ध्यान दिया, जिसमें स्टोन वाशिंग, चुन्नटे, प्लीट्स और स्मोकिंग पर अधिक काम किया गया. जैकेट, पलाज़ो पेंट, स्कर्ट, फ्रॉक्स आदि सभी मेलेनियल पोशाक जो यूथ हर अवसर पर पहन सकते है, उसको प्राथमिकता दी गई.

सस्टेनेबल साडी की बात करें, तो इसमें डिज़ाइनर अनाविला मिश्रा की पोशाक ‘डाबू’ की खूबसूरती देखने लायक थी. 10 साल के उनके इस अनुभव में उन्होंने साड़ी पहनने को एक नया रूप दिया है, जो मॉडर्न, लाइट एंड ऑथेंटिक रही. इसमें डिज़ाइनर ने ब्लाक प्रिंटिंग, वेजिटेबल डाई आदि का प्रयोग किया है, जो बहुत ही स्टाइलिंग और अलग दिखे. उनके कॉटन साडीज, जो धोती पैटर्न, जुड़े के साथ सबके आकर्षक का केंद्र बनी, ये स्टाइल अनाविला मिश्रा ने बंगाल के शान्तिनिकेतन से प्रेरित हो कर क्रिएट किया है, वह कहती है कि आजकल की लडकिया साड़ी ड्रेपिंग नहीं जानती, उन्हें ये कठिन लगता है. मैंने बंगाल के फुलिया से प्रेरित मसलिन फेब्रिक को साड़ी में प्रयोग किया है, जो बहुत सॉफ्ट और आरामदायक है और इसे सालों से बंगाल में महिलाएं बिना ब्लाउज के पहना करती थी, जिसे आज की लड़कियों ने कभी देखा और जाना नहीं, ये कपडे बहुत ही सॉफ्ट और सालों साल पहने जा सकते है. इसमें उन्होंने ब्लाक प्रिंट के लिए मड यानि कीचड़ का प्रयोग किया है, जिसमे कपडे पर पहले कीचड़ को स्प्रे कर बाद में रंगों का स्प्रे किया जाता है, जो पर्यावरण के हिसाब से भी हानिकारक नहीं होता और कूल फील देता है.

दिल्ली की डिज़ाइनर डूडल एज ने भी रिसायकलड वेस्ट मटेरियल से बने पोशाक रैम्प पर उतारें, जिसमे 90 के दशक के सुंदर फ्लोरल प्रिंट्स, सॉलिड कलर्स, डेनिम प्रस्तुत किये. दूसरी सबसे अच्छी रुचिका सचदेवा की ब्रांड बोडीस रही, जिसके कैजुअल आउटफिट काफी सुंदर रहे, जिसमे प्लेटेड शर्ट्स, फ्लेयर्ड ट्राउजर्स, असमान टॉप, जो किसी भी दिन और रात को पहनने के लिए परफेक्ट पोशाक है, उसे दिखाया गया.

इस दिन एक्ट्रेस रकुल प्रीत सिंह डिज़ाइनर श्रुति संचेती के लिए शो स्टॉपर रही, जबकि अभिनेता विजय वर्मा दिव्यम मेहता के लिए और अभिनेत्री, मॉडल आर माँ नेहा धूपिया आईएनआईऍफ़डी लांचपैड के लिए रैम्प पर वाक् किया और नए डिजाईनरों को सस्टेनेबल फैशन के साथ आगे बढ़ने के लिए प्रेरित किया. इसके अलावा इस दिन कोंकना सेन शर्मा, सोनाली बेंद्रे और मंदिरा बेदी भी सस्टेनेबल फैशन को सपोर्ट करने के लिए इंडियन ऑउटफिट में दिखाई पड़ी.

Holi 2023: सिड-कियारा से लेकर रणबीर-आलिया तक, शादी के बाद पहली होली मनाएंगे ये 5 कपल

देशभर में होली 8 मार्च को धूमधाम से मनाई जाने वाली है, जिसकी तैयारियां भी शुरू हो चुकी हैं. होली का यह त्यौहार फिल्म इंडस्ट्री में भी काफी धमाकेदार तरह से मनाया जाता है. खास बात यह है कि इस साल मनोरंजन की दुनिया में कई सेलेब्स शादी के बाद पहली बार अपने पार्टनर के साथ होली मनाते हुए दिखाई देंगे. आज हम आपको ऐसे ही सेलिब्रिटी इसके बारे में बताने वाले हैं, जिनकी यह पहली होली होने वाली है.

1- आलिया भट्ट और रणबीर कपूर

आलिया और रणबीर कपूर ने 14 अप्रैल 2022 को शादी की थी. आलिया की शादी का इंतजार फैंस से लेकर उनके बॉलीवुड के फ्रेंड्स तक को था. यह जोड़ी एक दूसरे को पिछले 5 सालों से डेट कर रही थी, जिसके बाद एक प्राइवेट सेरेमनी में दोनों ने शादी कर ली और यह कपल इस साल अपनी पहली होली मनाने के लिए बिल्कुल तैयार हैं. हालांकि, दिलचस्प बात यह है कि ये कपल पहली होली अपनी बेटी राहा कपूर के साथ सेलिब्रेट करेगा.

 

 

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2- आथिया शेट्टी और केएल राहुल

सुनील शेट्टी की बेटी और अभिनेत्री आथिया शेट्टी ने जनवरी महीने में मशहूर क्रिकेटर केएल राहुल से शादी की है. आथिया की शादी काफी प्राइवेट थी, जिसकी कई तस्वीरें सोशल मीडिया पर वायरल हो चुकी हैं. आथिया और केएल राहुल एक दूसरे को सालों से डेट कर रहे थे. ये कपल भी अब एक साथ होली सेलिब्रेट करने के लिए बेहद उत्साहित हैं और फैंस भी उनकी तस्वीरों का इंतजार कर रहे हैं.

 

 

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3- कियारा आडवाणी और सिद्धार्थ मल्होत्रा

कियारा और सिद्धार्थ मल्होत्रा ने हाल ही में राजस्थान के जैसलमेर में रॉयल वेडिंग की, जिसके बाद दिल्ली से लेकर मुंबई में उनका ग्रैंड रिसेप्शन भी हुआ है. यह कपल भी एक-दूसरे से फिल्म के सेट पर मिला था और वहीं से प्यार का सिलसिला शुरू हो गया. इस जोड़े को होली सेलिब्रेट करना काफी पसंद है. पहले भी दोनों की साथ में कई तस्वीरें वायरल हो चुकी है और शादी के बाद पहली बार ये कपल आपको एक साथ होली मनाते हुए दिखाई देगा.

 

 

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4- ऋचा चड्ढा और अली फज़ल

बॉलीवुड की बिंदास गर्ल ऋचा चड्ढा ने अपने लॉन्ग टाइम बॉयफ्रेंड अली फज़ल से पिछले साल शादी की थी. ऋचा ने अपनी शादी का ग्रैंड रिसेप्शन मुंबई लखनऊ और दिल्ली में भी आयोजित किया था. हालांकि, अभिनेत्री का दावा है कि उन्होंने अली से ढाई साल पहले ही कोर्ट मैरिज कर ली थी. लेकिन, वो इस बात का खुलासा नहीं करना चाहती थी. वहीं, ये कपल भी अपनी शादी के अलाउंसमेंट के बाद पहली बार होली एक साथ मनाएगा.

 

 

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5- हंसिका मोटवानी और सोहेल कथूरिया

‘शाका लाका बूम बूम’ में संजना का किरदार निभाने वाली अभिनेत्री हंसिका मोटवानी ने भी अपने बिजनेसमैन बॉयफ्रेंड सोहेल कथूरिया से 4 दिसंबर को जयपुर में शादी की थी. हंसिका की शादी एक बेहद ग्रैंड वेडिंग थी, जिसपर एक वेब सीरीज़ भी जल्द अमेज़न प्राइम पर स्ट्रीम होने वाली है। इसमें आपको कपल की रॉयल वेडिंग की कुछ झलकियां दिखाई देंगी . हालांकि, ये कपल भी मार्च में पहली बार साथ में होली सेलिब्रेट करने के लिए बिलकुल तैयार है.

 

 

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होली के बारें में अभिनेत्री श्रद्धा कपूर क्या कहती है, पढ़े इंटरव्यू

मुझे हिंदी फिल्मे देखना सबसे अधिक पसंद है. मेरी फेवोरिट फिल्म ‘दिलवाले दुल्हनिया ले जायेंगे’ जैसी फॅमिली टाइप फिल्मे मुझे अधिक पसंद है. मनोरंजन फिल्म की मुख्य पार्ट होनी चाहिए और मैं भी उन्ही फिल्मों को अधिकतर देखती हूँ, जिसमे मनोरंजन अधिक हो. फिल्मे देखने हॉल में जाना और पॉपकॉर्न और परिवार के साथ उसे एन्जॉय करना ही मुझे पसंद है, कहती है, मुंबई की जुहू इलाके में रहने वाली अभिनेत्री श्रद्धा कपूर, जो शिवांगी कोल्हापुरे और शक्ति कपूर की बेटी है.बचपन से ही फ़िल्मी माहौल में पैदा हुई श्रद्धा कपूर को बचपन से अभिनय का शौक था.

सीखा उतार-चढ़ाव से

उसे पहला ब्रेक फिल्म ‘तीन पत्ती’ से मिला. फिल्म चली नहीं, पर श्रद्धा को तारीफे मिली, इसके बाद ‘लव का दि एंड’ आई, जो सफल नहीं थी.ऐसे में ‘आशिकी 2’ उसके जीवन की टर्निंग पॉइंट बनी और रातों रात उसकी जिंदगी बदल गयी.श्रद्धा शांत स्वभाव की है और सोच समझकर फिल्में चुनती है. फिल्म न चलने पर उसे खुद पर ही गुस्सा आता है. वह हर नए चरित्र को करना पसंद करती है. उन्होंने अपनी 12 साल की जर्नी में बहुत कुछ सीखा है. वह कहती है कि मैने अपने काम को सबसे अधिक प्यार करना सीखा. उतार-चढ़ाव कैरियर में आते है, लेकिन काम से प्यार होने पर उसपर अधिक फोकस होना संभव नहीं. मैं अच्छी फिल्मे और चुनौतीपूर्ण फिल्मों में काम करने की इच्छा रखती हूँ.

 

 

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उम्र के साथ बढती है अनुभव

अपनी कामयाबी का श्रेय वह अपने पेरेंट्स को देती है और मानती है कि माता-पिता ने हमेशा उन्हें हर वक्त सहारा दिया है. आज भी श्रद्धा अपने पेरेंट्स के साथ रहती है और अकेले रहना पसंद नहीं करती. हमेशा वह उनके साथ ही रहना चाहती है. श्रद्धा को बागीचा, पौधे. पेट्स बहुत प्रिय है. मसाला चाय उनके जीवन का प्रिय है, जिसे उनके घर पर देसी तरीके से बनाने पर पीती है और अपने जीवन में कभी छोड़ नहीं सकती. जिसे वह एक खास कप में पीती है. श्रद्धा उस कप को सालों से सम्हाल कर रखा है और चाय पीने के बाद खुद धोती है. उम्र श्रद्धा के लिए बहुत खास नहीं होती, एक नंबर होती है, जिसमे व्यक्ति खुद को एक अनुभवी मानने लगता है. वह कहती है कि हर व्यक्ति की एक बायोलॉजिकल और मेंटल ऐज होती है. मुझे कुछ लोग अजीबाई (नानी- दादी) कहते है, जबकि मेरी माँ हमेशा मुझसे पूछती है कि मैं बड़ी कब होउंगी. इस तरह कोई मुझे मेच्योर तो कोई मुझे एकदम बच्ची मानते है. असल में मैं पेरेंट्स को बहुत अधिक ज्ञान देती हूँ.

अभी उनकी फिल्म ‘तू झूठी मैं मक्कार’ रिलीज पर है, जिसे लेकर श्रद्धा बहुत उत्साहित है, क्योंकि इसमें पहली बार उनके साथ अभिनेता रणवीर कपूर है. इसमें श्रद्धा ने किसिंग सीन्स से लेकर बिकिनी सीन्स भरपूर दिए है. साथ ही इसमें उनकी भूमिका फ्रंटफुट लेने वाली आज की लड़की की है, जिसे किसी बात का डर नहीं और बिंदास है. ये चरित्र उनके लिए खास और अलग है. श्रद्धा ने अपनी जर्नी के बारें में बात की जो बहुत रोचक रही.

 

 

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झूठ बोलना है मुश्किल

श्रद्धा ने कई बार झूठ का सहारा लिया है, वह हंसती हुई कहती है कि मैंने एक बार अपनी फ्रेंड से पेपर लेकर एग्जाम दिया और बहुत अच्छे मार्क्स थे, क्योंकि मुझे प्रश्न मालूम थे. टीचर को मेरे इतने अच्छे नंबर देखकर शक हुआ मुझे बुलाया और मैंने सारी बातें उन्हें बता दी. मेरी चोरी पकड़ी जाने पर मुझे बहुत शर्मिंदगी महसूस हुई और मैंने मेहनत कर अच्छे मार्क्स आगे लाइ. मैं बहुत बुरी झूठी हूँ, झूठ बोलने पर पसीना आता है. सबको पता चल जाता है कि मैं झूठ बोल रही हूँ. पेरेंट्स के आगे तो मैं कभी झूठ नहीं बोल पाती हकलाने लग जाती हूँ.

हुआ अनुभव हार्ट ब्रेक का

जिंदगी में मक्कार बॉयफ्रेंड मिलने के बारें में पूछे जाने पर श्रद्धा कहती है कि हर किसी को एक मक्कार बॉयफ्रेंड लाइफटाइम में अवश्य मिलता है, हार्ट ब्रेक का अनुभव हर किसी को हुआ होगा, ऐसे में फ्रेंड से मिलना, परिवार से बातचीत करना, काम पर लग जाना आदि करना पड़ता है, सबसे अधिक खुद की शोल्डर होती है, जिसमे खुद को ही समझाना पड़ता है, फिर इससे निकलना आसान होता है.

विरासत में मिली संगीत

श्रद्धा कपूर एक गायिका भी है, यह उन्हें परिवार से विरासत में मिला है. वह कहती है कि एक्टिंग मेरा पैशन है, लेकिन जब मुझे पता चला कि मैं गाना भी गा सकती हूँ, तो बहुत ख़ुशी हुई. मेरी माँ गाती है और लता मंगेशकर मेरी मासी है. म्यूजिक मेरे परिवार में है. बचपन से मैंने माँ और मासी को गाते हुए भी देखा है. मैं आज भी किसी अवसर पर गाना पसंद करती हूँ और आगे मैं संगीत पर भी कुछ करने की इच्छा रखती हूँ.

 

 

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चैलेंजेस है कई

श्रद्धा कहती है कि मेरी जर्नी में चुनौतियां बहुत है और ये अच्छा होता है. ये हर किसी के जीवन का हिस्सा होती है,पर इसे कैसे आप लेते है,यह आप पर निर्भर करता है. इससे बहुत कुछ सीखने को भी मिलता है. आज मैने समझ लिया है कि असफलता से घबराना नहीं है. मेरे शुरू की दो फिल्में फ्लॉप रही,लेकिन ‘आशिक़ी 2’ की सफलता की वजह से मैं लोगो की पसंदीदा बनी. असफल फिल्मों की दौर से निकलने में मुझे कुछ समय लगा था. हर फिल्म हमेशा सफल हो ये संभव नहीं होता,लेकिन फिल्म के बनने की प्रोसेस को मैंने हमेशा से एन्जॉय किया है.मेहनत पूरी करती हूँ, दर्शकों को फिल्म पसंद नहीं आती,तो ख़राब लगता है. श्रद्धा कपूर मानती है कि उनके परिवार ने उन्हें जो कुछ दिया है, उसकी भरपाई संभव नहीं , लेकिन वह जितना हो सके उन्हें खुश रखने की कोशिश करती है. इंडस्ट्री ने बहुत कुछ दिया है. मेरे सपने सच इस इंडस्ट्री की वजह से हुआ है. इसके अलावा मेरे पूरे परिवार ने मुझे हमेशा किसी भी परिस्थिति में मेरा साथ दिया है.

मजेदार त्यौहार है होली

होली के बारें में श्रद्धा का कहना है कि होली एक मजेदार त्यौहार है और अभी मैं अधिक रंग नहीं खेलती, पर बचपन की यादें बहुत मजेदार है. ललित मोदी का बंगला मेरे बिल्डिंग के नीचे थी, मैं ऊपर से रंग वाले वाटर बैलून अपने फ्रेंड के साथ मिलकर उनके स्विमिंग पूल और घर पर फेंकती थी. पूल लाल कर देती थी. वहां पार्टी होती थी, मुझे वहां जाने की इच्छा होती थी. इस अवसर पर पूरनपोली बनाई जाती है, जो मुझे पसंद है. इस त्यौहार पर शरीर और चेहरे से रंग निकालना एक मुश्किल बात होती है.

 

 

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महिलाओं के लिए मेसेज

वह कहती है कि बनावटी चीजो पर अधिक ध्यान न दे, इससे आपका आत्मविश्वास कम होता है. खूबसूरती के अलावा जो आपकी खूबी है, उसे हमेशा निखारे,अपने आप को कभी कमतर न समझे.सुंदर दिखने के अलावा बहुत सारे दूसरे फैक्टर्स है, जो आपको सुंदर बना सकते है. रंग,कद-काठी ये सब सुन्दरता की परिभाषा नहीं हो सकती.

चोरी-छिपे प्राइवेट फोटोज क्लिक करने पर भड़कीं आलिया भट्ट

बॉलीवुड एक्ट्रेस आलिया भट्ट (Alia Bhatt) इन दिनों सोशल मीडिया पर काफी चर्चा में बनी हुई हैं. अभी हाल ही में आलिया भट्ट से जुड़ी एक पोस्ट सोशल मीडिया पर जमकर वायरल हो रही है. इस पोस्ट में आलिया भट्ट काफी भड़की हुई नजर आ रही हैं. अभी हाल ही में आलिया भट्ट की कुछ तस्वीरें चोरी-छिपे एक मीडिया पोर्टल के दो लोगों ने क्लिक कर ली, जिसे जानने के बाद आलिया भट्ट भड़क गईं. आलिया भट्ट ने इसको लेकर मुंबई पुलिस से मदद की गुहार भी लगाई है. इस खबर के सामने आने के बाद बॉलीवुड स्टार्स आलिया के साथ खड़े नजर आए. पहले अर्जुन कपूर ने आलिया के पक्ष में बात लिखी, फिर धीरे-धीर और भी बॉलीवुड स्टार्स इस मुद्दे पर अपनी राय रखते हुए नजर आए.

 

 

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बॉलीवुड स्टार्स ने दिया आलिया का साथ

आलिया भट्ट की प्राइवेसी में खलल पड़ने के बाद बॉलीवुड के कई स्टार्स उनके साथ नजर आए. अर्जुन कपूर ने इसको लेकर अपने इंस्टाग्राम हैंडल से एक पोस्ट शेयर की. अर्जुन कपूर ने इसको ‘एकदम शर्मनाक’ बताया. तो वही अनुष्का शर्मा ने अपने साथ हुई फोटो लेने की घटना को जोड़कर एक पोस्ट लिखा और आलिया भट्ट का समर्थन किया। करण जौहर ने भी इसको लेकर पोस्ट लिखा. करण जौहर ने प्राइवेसी को लेकर काफी कुछ लिखा। बॉलीवुड एक्ट्रेस जाह्नवी कपूर ने भी इस घटना की जमकर निंदा की है.

 

 

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पहले अनुष्का शर्मा की बेटी की तस्वीरें हुई थी वायरल

विराट कोहली और अनुष्का शर्मा की बेटी वामिका कोहली की कुछ तस्वीरें ऐसे ही लीक हो गई थी. जिसके बाद इन दोनों ने इसको लेकर पोस्ट लिखा था. इसके अलावा विराट कोहली के होटल के रूम का वीडियो वायरल हुई थी, जिसको लेकर अनुष्का शर्मा काफी भड़क गई थी. आलिया भट्ट के साथ हुई इस घटना को लेकर आपकी क्या राय है, कमेंट कर के हमें जरूर बताएं.

आलिया ने निकाली मुंबई पुलिस से मदद

आलिया ने इसी पोस्ट में आगे लिखा, ‘मैंने ऊपर की ओर देखा तो बगल वाली बिल्डिंग की छत पर 2 लोग कैमरे के साथ नजर आए. कौन सी दुनिया में इस तरह की हरकतों को सही माना जाता है और क्या उन्हें इसकी इजाजत है? ये किसी की प्राइवेट पर सीधा हमला करना है. एक लाइन है, जो आपको कभी पार नहीं करनी चाहिए, लेकिन आज आपने सारी हदें ही पार कर दी हैं.’

Mirzapur के एक्टर शाहनवाज का हार्ट अटैक से निधन, शो में बने थे ‘गुड्डू भैया’ के ससुर

बॉलीवुड फिल्मों और टीवी सीरियल्स में काम कर चुके एक्टर शाहनवाज प्रधान अब इस दुनिया में नहीं रहे. महज 56 साल की उम्र में हार्ट अटैक से उनकी जान चली गई. उन्होंने ‘मिर्जापुर’ वेब सीरीज में ‘गुड्डू भैया’ (अली फजल) के ससुर का दमदार किरदार निभाया था. बताया जा रहा है कि वो किसी फंक्शन में थे और वहीं पर उनके सीने में तेज दर्द उठा और वो बेहोश होकर गिर पड़े. उन्हें आनन-फानन में हॉस्पिटल लाया गया, लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी थी.

 

शाहनवाज को स्ट्रेचर पर हॉस्पिटल लाया गया था

जिस समय Shahnawaz Pradhan को स्ट्रेचर पर हॉस्पिटल लेकर जाया गया, उसी समय वहां पर टीवी एक्ट्रेस सुरभि तिवारी भी मौजूद थीं. वो अपने भाई के इलाज के लिए वहां पर थीं. उन्होंने नवभारत टाइम्स से बताया, ‘मेरा भाई कल शिवरात्रि के लिए कुछ सामान खरीदने गया था. उसका फोन आया कि उसका एक्सीडेंट हो गया है, इसलिए जल्दी आओ. मैं और मम्मी तुरंत हॉस्पिटल (कोकिलाबेन धीरुभाई अंबानी) पहुंचे. वहां पर मेरे भाई के शोल्डर का एक्सरे होना था. उसमें टाइम लग रहा था। इतने में मैंने देखा कि स्ट्रेचर पर शाहनवाज प्रधान जी को लाया गया. उसमें से मेरे एक या दो ही जानकार लोग थे. उन्हें तुरंत अंदर लेकर गए. मेरे भाई और शाहनवाज जी का बेड एकदम अपोजिट था. बीच में थोड़ा-सा ही पार्टिशन था, इसलिए मैं सारी बात सुन पा रही थी.’

 

कुछ महीने पहले ही हुई थी बाई पास सर्जरी

सुरभि तिवारी ने आगे कहा, ‘डॉक्टर बोल रहे थे कि उनका (शाहनवाज प्रधान) पल्स नहीं मिल रहा है. उनका हार्ट बिल्कुल काम नहीं कर रहा है. फिर उनको अंदर लेकर गए बोला कि हम उनको रिवाइव करने की कोशिश कर रहे हैं. हम देखते हैं कि क्या कर सकते हैं. डॉक्टर ने पूछा कि आप लोग कहां थे? किसी ने बताया कि वो किसी फंक्शन में थे, जहां पर उनको कोलैप्स हुआ. बाद में मैंने पूछा कि कैसे हो गया ये? तो बताया कि उनको हार्ट अटैक आया था. थोड़े महीने पहले उनका बाई पास सर्जरी हुआ था.’ बता दें कि सुरभि तिवारी ने शाहनवाज प्रधान के साथ 2-3 टीवी शोज में साथ काम किया था. उन्होंने बताया कि वो बहुत अच्छे इंसान थे. वो मैसेज करते रहते थे. बताया जा रहा है कि उनके पार्थिव शरीर का अंतिम संस्कार आज (18 फरवरी) होगा.

 

सेलेब्स ने कहा- भाई आखिरी सलाम

शाहनवाज के निधन की खबर सुनकर फिल्म जगत में शोक की लहर है. फेमस एक्टर राजेश तैलंग, जोकि खुद ‘मिर्जापुर’ में अहम किरदार निभा चुके हैं, उन्होंने सोशल मीडिया पर दुख जताते हुए लिखा, ‘शाहनवाज भाई आखिरी सलाम!!! क्या गजब के जहीन इंसान और कितने बेहतर अदाकार थे आप. मिर्जापुर के दौरान कितना सुंदर वक्त गुजरा आपके साथ, यकीन नहीं हो रहा.’

Valentine’s 2023: सिड-कियारा के अलावा ये कपल सेलिब्रेट करेंगे अपना पहला वैलेंटाइन डे

‘वैलेंटाइन डे’ जिसे हम प्यार का दिन ​कहा जाता है. प्यार करने वाले इस दिन का इंतजार पूरे साल करते हैं. अपने प्यार का इजहार करने के लिए ‘वैलेंटाइन डे’ बेहतर दूसरा कोई दिन हो ही नहीं सकता है. आज के दिन सभी प्यार करने वाले अपने पार्टनर के साथ मिलकर इस खूबसूरत डे को और खूबसूरत बनाने के लिए कोई कसर नहीं छोड़ते हैं. ऐसे में आईए जानते हैं बॉलीवुड के उन कपल्स के बारे में जो शादी के बाद पहली बार ‘वैलेंटाइन डे’ मना रहे हैं.

कियारा आडवाणी – सिद्धार्थ मल्होत्रा

बॉलीवुड एक्ट्रेस कियारा आडवाणी और सिद्धार्थ मल्होत्रा हाल ही में शादी के बंधन में बंधे हैं. दोनों ने 7 फरवरी, 2023 को सात फेरे लिए हैं. अभी भी उनकी शादी की कई तस्वीरें और वीडियो सोशल मीडिया पर जमकर वायरल हो रहे हैं. कियारा और सिद्धार्थ शादी के बाद अपना पहला ‘वैलेंटाइन डे’ मना रहे हैं.

 

 

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रणबीर कपूर – आलिया भट्ट

बॉलीवुड के क्यूट कपल रणबीर कपूर और आलिया भट्ट के लिए इस साल ‘वैलेंटाइन डे’ काफी स्पेशल है. शादी के बाद दोनों अपना पहला ‘वैलेंटाइन डे’ अपनी बेटी के साथ सेलिब्रेट करेंगे.

 

 

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अथिया शेट्टी – केएल राहुल

बॉलीवुड एक्टर सुनील शेट्टी की बेटी एक्ट्रेस अथिया शेट्टी ने 23 जनवरी, 2023 को भारतीय क्रिकेटर केएल राहुल संग शादी की है. वहीं, शादी के बाद ये न्यूली वेड कपल भी अपना पहला ‘वैलेंटाइन डे’ बड़े ही रोमांटिक अंदाज से सेलिब्रेट करेगा.

 

 

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हंसिका मोटवानी – सोहेल कथूरिया

एक्ट्रेस हंसिका मोटवानी ने 4 दिसंबर, 2022 को सोहेल ​कथूरिया संग शादी की है. सोहेल की ये दूसरी शादी है. दोनों ने जयपुर में शाही अंदाज से शादी की है. शादी के बाद हंसिका और सोहेल भी अपना पहला ‘वैलेंटाइन डे’ मना रहे हैं.

 

 

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अली फजल – ऋचा चड्ढा

बॉलीवुड एक्ट्रेस ऋचा चड्ढा और ‘मिर्जापुर’ फेम अली फजल का भी शादी के बाद ये पहला ‘वैलेंटाइन डे’ है. लंबे इंतजार के बाद दोनों ने 4 अक्टूबर, 2022 को निकाह किया था. वहीं, अब दोनों इस साल अपना पहला ‘वैलेंटाइन डे’ मनाएंगे.

 

Athiya Shetty-KL Rahul शादी के बाद साथ में नजर आए, फैन्स बोले- कौन कहेगा इनकी शादी हुई है…

बॉलीवुड एक्ट्रेस अथिया शेट्टी और भारतीय क्रिकेटर केएल राहुल ने बीती 23 जनवरी को शादी की थी. इसके बाद ये एक कपल अपने-अपने सोशल मीडिया अकाउंट से अपने प्री-वेडिंग फंक्शन की फोटोज फैंस के लिए शेयर कर रहा है. इसी बीच अथिया शेट्टी और केएल राहुल शादी के बाद पब्लिक प्लेस पर में साथ में नजर आए हैं. इन दोनों को देखते ही पैपराजी एक्टिव हो गए और दोनों को अपने कैमरे में कैद करने लगे. अथिया शेट्टी और केएल राहुल की नई तस्वीरें सोशल मीडिया पर सामने आई हैं.

 

 

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शादी के बाद डिनर पर जाते केएल राहुल- अथिया शेट्टी

केएल राहुल और आथिया शेट्टी की डिनर डेट के वीडियोज और फोटोज को कई पैपराजी ने अपनी इंस्टाग्राम अकाउंट्स पर शेयर किया है. वीडियो में देखा जा सकता है कि आथिया नीले और भूरे रंग की प्रिंटिड शर्ट और ब्लू डेनिम पहने हुए हैं. वहीं, केएल राहुल ब्लू डेनिम और सफेद रंग की सिंपल टी शर्ट पहने हुए नजर आ रहे हैं. वीडियो में आप देख सकते हैं कि अथिया फोटोग्राफर्स से पीछे हटने के लिए कह रही हैं. इसके बाद वह राहुल के साथ चेहरे पर एक बड़ी मुस्कान के साथ पोज देने के लिए रुकती हैं.

 

 

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फैंस ने किया कपल को ट्रोल

हालांकि, फैन्स आथिया शेट्टी और केएल राहुल को उनके कैजुअल कपड़ों के लिए ट्रोल कर रहे हैं. दरअसल, शादी के बाद एक साथ दोनों पहली बार नजर आए हैं, लेकिन दोनों ने ही काफी कैजुअल कपड़े पहने हुए हैं. आमतौर पर इससे पहले जब भी कोई सेलिब्रिटी कपल शादी के बाद पहली बार पैपराजी के सामने आया है तो पूरी तरह से तैयार होकर आता है. दुल्हन हाथ में चूड़ा, मांग में सिंदूर, गले में मंगलसूत्र और साड़ी या सूट-सलवार पहने हुए नजर आती है. वहीं, आथिया शेट्टी इससे बिल्कुल अलग जींस और शर्ट पहने हुए नजर आईं. इसके साथ ही ना उनकी मांग में सिंदूर था और ना ही गले में मंगलसूत्र. ऐसे में फैन्स ने उन्हें ट्रोल करना शुरू कर दिया. एक फैन ने वीडियो पर कमेंट करते हुए कहा कि कौन कहेगा इनकी शादी हुई है.

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