मैं लो प्रोफाइल पर्सन हूं – अक्षय खन्ना

फिल्म ‘हिमालय पुत्र’ से हिंदी फिल्म में डेब्यू करने वाले अभिनेता अक्षय खन्ना, 70 और 80 के दशक के मशहूर अभिनेता विनोद खन्ना के बेटे है. इस फिल्म को उनके पिता ने ही प्रोड्यूस किया था. इसके बाद अक्षय ने कई फिल्में की और कमोवेश एक सफल कैरियर गुजारे है. उन्होंने कॉमेडी से लेकर रोमांटिक और निगेटिव हर तरीके की फिल्मों में काम किया है. वे आज भी अकेले है और अकेले ही जीवन बिताना पसंद करते है. उन्होंने आजतक जो भी काम किया उसी को सफल मानते है. वे बोलते बहुत कम है और अपनी जिंदगी को अपने तरीके से जीना पसंद करते है. उनकी फिल्म ‘सब कुशल मंगल’ रिलीज पर है और इसमें वे अपनी अलग भूमिका को लेकर बहुत खुश है पेश है कुछ अंश.

सवाल-आपके जीवन का कुशल मंगल क्या है?

मुझे आज भी काम करने का मौके का मिलना ही मेरे जीवन का कुशल मंगल है. अच्छे-अच्छे स्क्रिप्ट मुझे आज मिल रहे है.

सवाल-इस फिल्म को करने की ख़ास वजह क्या रही?

इसकी कहानी बहुत अलग है इस तरह की भूमिका मैंने पहले कभी की नहीं है. दो नए कलाकार मेरे साथ डेब्यू कर रहे है ये सब मेरे लिए ख़ास और नया है. जो मैं हर फिल्म मैं खोजता हूं वह इसमें मिल रहा था इसलिए ना कहने की कोई गुंजाईश नहीं थी.

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सवाल-आप अपनी जर्नी को कैसे देखते है, कोई मलाल अभी भी रह गया है क्या?

मुझे लगता है मैं अगर 20 साल और भी काम करूं तो भी मुझे संतुष्टि नहीं मिलेगी. ये सफ़र जो कलाकार की होती है, वह कभी खुद ब खुद समाप्त नहीं होती. इसमें उतार चढ़ाव तो आते रहते है, जो जिंदगी की एक पहलू है, जिससे गुजरना पड़ता है साथ ही जिंदगी में संघर्ष हमेशा चलता रहता है. इसे मैं अधिक सिरियसली नहीं लेता. नकारात्मक बातों पर अधिक फोकस नहीं करता, क्योंकि उससे कोई फायदा नहीं होता.

सवाल-नए कलाकारों के साथ काम करने का अनुभव कैसा रहा?

मैं इनके लिए बहुत प्रोटेक्टिव रहता हूं और चाहता हूं कि इनके साथ कुछ गलत न हो, ये फिल्म सफल हो, उनका काम सबको पसंद आये, ताकि उनकी जर्नी आगे अच्छी हो, बस यही अनुभव रहा है.

सवाल-किसी फिल्म के लिए अब कितनी तैयारी करनी पड़ती है?

आज भी तैयारी और मेहनत करनी पड़ती है, क्योंकि हर निर्देशक की कहानी अलग होती है और मुझे उसके मुताबिक काम करने की जरुरत होती है, ताकि उसकी फिल्म सफल हो. अभिनय के साथ-साथ ये एक व्यवसाय भी होता है, जिसका ध्यान मैं हमेशा रखता हूं. निर्देशक के अनुसार काम करने का डर अभी भी रहता है. सेट पर मैं ऐसे मैं कई बार नर्वस भी हो जाता हूं. मैं कभी अपने निर्देशक को निराश नहीं देखना चाहता.

सवाल-इस फिल्म में निर्देशक से लेकर कलाकार सभी नए है,ऐसे में आप उन्हें कितनी सहजता प्रदान करते है,ताकि उन्हें आपको निर्देश देने में कोई प्रेशर महसूस न हो?

क्रिएटिव फील्ड में किसी का किसी के उपर प्रेशर होने पर काम करना मुश्किल होता है. प्रेशर को घर पर छोडकर आना पड़ता है.

सवाल-आजकल फिल्मों से मनोरंजन गायब होता जा रहा है, इसकी जगह समाज की डार्क साइड या  किसी अप्रत्याशित और डरावनी घटनाएं ले रही है, इसकी वजह क्या मानते है?

फील गुड वाली पिक्चर आज भी बन रही है, लेकिन रीयलिस्टिक फिल्में पहले भी बनती थी. इसे दिखाना और समझना दर्शकों के लिए आवश्यक है. इससे बचकर हम कही नहीं जा सकते. समाज को पूरे में देखने की जरुरत है.

सवाल-आपने बीच में थोडा ब्रेक लिया और फिर काम शुरू किया इसकी वजह क्या रही?

मैंने हमेशा अच्छी फिल्मों की स्क्रिप्ट चाही है, कभी मिलता है तो कभी नहीं. जिसे मिलने में कई बार सालों लग जाते है. इससे मेरा काम कम हो जाता है. जो मुझे ऑफर मिलता है उसमें से कुछ अच्छा खोज लेता हूं.

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सवाल-आपके हमेशा लो प्रोफाइल रहने की वजह क्या है?

मैं अपनी जिंदगी लो प्रोफाइल तरीके से ही जीना चाहता हूं. मैं हाई प्रोफाइल इंसान नहीं हूं, मुझे उसी में कम्फर्ट फील होता है और ये ब्लड प्रेशर के लिए भी अच्छा होता है.

सवाल-फिटनेस का राज क्या है?

सही समय पर खाना, सोना ,उठना, व्यायाम करना आदि करता हूं. इसके लिए मैं मेहनत बहुत करता हूं.

सवाल-आप अपने पिता की किस सीख को आप अपने जीवन में उतारते है?

मेरे पिता कभी ज्ञान नहीं बाटते थे. वे जियो और जीने दो पर विश्वास करते थे. वे नॉन जजमेंटल इन्सान थे. वे कभी किसी की आलोचना नहीं करते थे. जो ठीक लगे उसे करने की  सलाह देते थे. उन्होंने अपनी जिंदगी उसी तरह से जिया है.

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