जानें फैशन के बारें में क्या कहती है कॉस्टयूम डिज़ाइनर नीता लुल्ला

प्रसिद्ध कॉस्टयूम डिज़ाइनर, फैशन स्टाइलिस्ट नीता लुल्ला से कोई अपरिचित नहीं. उन्होंने फैशन इंडस्ट्री में अपनी एक अलग पहचान बनायीं है. उन्होंने 300 से अधिक हिंदी फिल्मों में कॉस्टयूम दिए है. नीता लुल्ला साल 1985 से वेडिंग ड्रेसेस डिजाईन करना शुरू किया, लेकिन उनकी पहचान वर्ष 2002 में फिल्म ‘देवदास’ में अभिनेत्री ऐश्वर्या राय और माधुरी दीक्षित के पहनने पर मिला, जो उस समय की ट्रेंड सेटर फिल्म रही. इसके बाद नीता को पीछे मुड़कर देखना नहीं पड़ा. वह पूरे विश्व में मशहूर हो गई. वह देश की पहली ऐसी डिज़ाइनर है, जिन्हें 4 बार नेशनल अवार्ड खूबसूरत कारीगरी के लिए मिला है. नीता ने महाराष्ट्र की प्राचीन कारीगरी पैठनी को लेकर कई प्रयोग किये है, जिसमें कई रंगों के धागे के साथ सिल्वर और गोल्ड थ्रेड का प्रयोग कर एक नई खूबसूरत सिल्क का निर्माण करना, जो स्टाइलिश होने के साथ-साथ पारंपरिक भी लगे. नीता अभी फैशन के क्षेत्र में आने वाले छात्रों को कैरियर के बारें में शिक्षित करती है. पहली बार आयोजित वर्चुअल फैशन शो ‘हुनर ऑनलाइन’ के लॉन्च में नीता लुल्ला ने खास गृहशोभा के लिए बात की, पेश है कुछ अंश.

सवाल-इस फैशन शो से जुड़ने की खास वजह क्या है?

ये डिजिटल फैशन शो को करने वाली निष्ठा योगेश है और ये एक अच्छा प्रयास है. इसका उद्देश्य घर बैठी काम करने की इच्छुक महिलाओं के लिए, अपने परिवार को कुछ आर्थिक मदद करने से है, क्योंकि उनके पास शौक रहते हुए भी बाहर नहीं जा पाती. समय की कमी होती है और उन्हें घर परिवार की पूरी जिम्मेदारी लेनी पड़ती है. इससे वे मन मारकर घर बैठ जाती है. इस प्लेटफॉर्म से वे घर से ही फैशन के काम सीखना, डिज़ाइनर बनना और खुद कोई व्यवसाय शुरू कर सकती है. यही बात मुझे पसंद आई और मैं भी इन महिलाओं को सहानुभूति और सहारा देना चाहती हूं.

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सवाल-इससे फैशन इंडस्ट्री को कितना लाभ हो सकेगा?

हमारी कंट्री बहुत ही यंग है, यहाँ रहने वाले लोग घर सम्हालते हुए भी स्टाइलिश और अच्छा दिखना चाहते है. ये टीवी और डिजिटल मीडिया की वजह से ही संभव हुआ है. अधिकतर महिलाएं चैनल और डिजिटल मीडिया को फोलो करती है. उनकी आशा और इच्छायें, जो किसी  अभिनेत्री या मॉडल की तरह दिखने की होती है, वह पूरी हो जाती है, लेकिन कामकाजी महिला, हाउसवाइफ, कॉलेज गर्ल आदि सभी को अगर फैशन में इंटरेस्ट है, तो इस तरह के प्लेटफॉर्म से उन्हें फायदा होता है, क्योंकि छोटे शहरों और कस्बों में फैशन को सीखने की दिशा में कोई व्यवस्था नहीं होती. इसके अलावा छोटे स्तर पर ड्रेस बनाने वाली महिलाओं को अगर किसी प्रोफेशनल का हेल्प मिले, तो वे मार्केटिंग की बारीकियां सीखकर आगे बढ़ सकती है. धीरे-धीरे सीढ़ी चढ़कर ही महिला कामयाब हो सकती है. छोटे कस्बों और शहरों में अधिकतर  महिला अपने पति या घर के सदस्यों के साथ किसी सामान को खरीदने जाती है. वे खुद कुछ कर लें, इसका साहस जुटा नहीं पाती, ऐसे में उनके अंदर हुनर होते हुए भी उसका प्रयोग वे नहीं कर पाती.

सवाल-फैशन इंडस्ट्री में आपने तीन दशक से अधिक समय बिताई है, पहले और आज के फैशन में कितना अंतर देखती है?

आज चीजे बहुत ही अलग तरीके से देखी जाती है. अभी फैशन को सभी स्वीकार करते है. मुझे याद आता है, जब मैंने फैशन के क्षेत्र में काम करना चाही, तो मेरे पेरेंट्स ने मुझसे कहा था कि फैशन के क्षेत्र में जाकर तुम क्या करोगी? घर बैठे अगर खुद के कपडे सिलना चाहती हो, तो टेलरिंग की ट्रेनिंग ले लो. फैशन डिज़ाइनर बनने की क्या जरुरत है, लेकिन मेरे पिता ने मुझे बहुत सहयोग दिया और कहा कि अगर तुम्हे फैशन के क्षेत्र में ही जाना है तो इसे सीख लो. इसके अलावा मेरे सास-ससुर ने भी बहुत सहारा दिया है, लेकिन उस समय से लेकर आजतक बहुत बदलाव फैशन इंडस्ट्री में आया है.

आज महिलाये खुद निर्णय लेती है कि उन्हें फैशन डिजाईनिंग सीखना है और महिला उद्यमी भी बनना है. इसके अलावा पहले डिजाईन लेकर दर्जी के पास उसे कपडे पर बनाने के लिए जाना पड़ता था, क्योंकि डिजाइनिंग को सही फीचर करना फैशन के क्षेत्र में बहुत आवश्यक होता है. अब मॉल और ब्रांड्स के आ जाने से फैशन इंडस्ट्री को बहुत लाभ हुआ है. काम भी आज बहुत निष्ठा के साथ जरुरत के अनुसार किया जाता है. ये एक बड़ी और नई बदलाव फैशन के क्षेत्र में आई है, जो पहले नहीं थी. साथ ही दुनिया अब छोटी हो गयी है, क्योंकि आज किसी भी मीडियम पर पैरिस के शो में दिखाई जाने वाली डिजाईन 5 मिनट के अंदर आपको दिखाई पड़ती है. पहले 6 महीने बाद इसे देखने को मिलता था. खुद फैशन कैसे करना है, इसकी जानकारी छोटे बच्चे से लेकर बड़ों में आ चुकी है. अभी खादी को भी फैशनेबल बना दिया गया है. मुझे उम्मीद है कि आगे चलकर भी कई बदलाव हमें देखने को मिलेगा.

सवाल-फैशन इंडस्ट्री में महिलाओं से अधिक पुरुष दिखते है, इसकी वजह क्या है?

हुनर किसी जेंडर के अधीन नहीं होता, अगर किसी पुरुष में फैशन की समझ अच्छी है, क्रिएटिविटी अच्छी है, तो वह भी एक अच्छा डिज़ाइनर बन सकता है. फैशन में क्रिएटिविटी के अलावा व्यक्ति की शारीरिक संरचना, कंटूर लाइन, कम्फर्ट आदि को देखना पड़ता है.

सवाल-कोविड के दौरान फैशन इंडस्ट्री पर बहुत बड़ी मार पड़ी है, आपने ऐसे समय में अपनी टीम को कैसे सम्हाला?

यहाँ मेरे साथ जितने भी लोग थे, उनके साथ रहकर हर महीने उनकी जरूरतों को पूरा करने की कोशिश की है. काफी सारे मास्क बनाकर केवल हमारे टीम के सदस्य को ही नहीं, उनके पूरे परिवार और आसपास के लोगों में बांटा है. लॉकडाउन खुलने के बाद मैंने कारीगरों को सोशल डिस्टेंसिंग, सेनीटाईजेशन और मास्क देकर उन्हें काम करने के तरीके बतायी. चीज भले ही न बिके, मैंने उन्हें काम करवाकर पूरा वेतन दिया.

सवाल-आपने कई सामाजिक काम किये है, ऐसे में महिला सशक्तिकरण की दिशा में आपने क्या करने को सोचा है?

मुझे जब भी किसी महिला के लिए आवाज उठाने की जरुरत महसूस होती है, मैं करती हूं. लेकिन जितना मैं करना चाहती हूं, उतना मैं कर नहीं पा रही हूं, क्योंकि बहुत सारे लोग मुंबई छोड़कर छोटे-छोटे शहरों में रहते है. इसके लिए मैं कई संस्थाओं के साथ जुडी हूं, जो महिलाओं को आगे बढ़ने में सहायता करती है और मैं उन्ही महिलाओं की जरूरतों को पूरा करती हूं. इस ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर भी 80 प्रतिशत महिलाएं ही काम करती है, जिनका साथ अब मैं देती रहूंगी.

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सवाल-बॉलीवुड की कौन सी एक्ट्रेस की फैशन सेंस सबसे अच्छी है?

पहले मैं इसे बता सकती थी, पर अब नहीं, क्योंकि आज की एक्ट्रेस के साथ स्टाइलिस्ट होती है, जो उन्हें किस अवसर पर क्या पहनना है, पूरी जानकारी देती है और इस काम में 3 से 4 लोग लगे रहते है.

सवाल-कोई मेसेज जो आप देना चाहे?

मैं महिलाओं से कहना चाहती हूं कि काम सभी करते है, लेकिन जिस काम से आपको ख़ुशी मिले, उसे करें. मनपसंद काम करने और आत्मनिर्भर बनने से ही आपको ख़ुशी मिलती है और अपने परिवार और आसपास ख़ुशी बाँट सकती है.

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