करीना कपूर खान
अभिनेत्री
‘‘लोगों को यह कहना अच्छा नहीं लगता कि उन के पति घर रह कर खाना बनाते हैं.’’
फिल्मी माहौल और परिवार में जन्मीं अभिनेत्री करीना कपूर खान ने फिल्म ‘रिफ्यूजी’ से अभिनय के क्षेत्र में कदम रखा. फिल्म ‘चमेली’ और ‘जब वी मेट’ उन की बहुचर्चित फिल्में रहीं, जिन्हें वे टर्निंग पौइंट मानती हैं. करीना को हमेशा नई कहानियां आकर्षित करती हैं.
मां बनने के बाद फिल्मों में काम करने पर उन्हें कुछ अलग महसूस नहीं होता, क्योंकि कई बार वे सैट पर बेटे तैमूर को भी ले जाती हैं. वैसे भी तैमूर को सैलिब्रिटी चाइल्ड का तमगा जन्म के तुरंत बाद ही हासिल हो गया था. करीना के लिए तैमूर को पैपराजी से दूर रख उसे उस का बचपन ऐंजौय करने की आजादी देना किसी चुनौती से कम नहीं होता, फिर भी वे इस बात का पूरा ध्यान रखती हैं.
कौमेडी और ड्रामा वाली फिल्म ‘गुड न्यूज’ में करीना अपने किरदार को ले कर बहुत खुश हैं. पेश हैं, उन से हुए कुछ सवाल-जवाब:
आप के लिए गुड न्यूज क्या है?
मेरे लिए छोटीछोटी बातें भी गुड न्यूज हो जाती हैं. कई बार कोई फूड भी मेरे लिए गुड न्यूज हो जाती है. तैमूर के साथ बिताया गया पूरा समय मेरे लिए अच्छा समय होता है और मैं उसे खूब ऐंजौय करती हूं. मेरे भाई की इंगेजमैंट भी मेरे लिए खुशी की बात है, क्योंकि मैं सारे परिवार वालों से मिल सकूंगी. मैं कभी तैमूर को नहीं डांटती. यह काम सैफ ही करते हैं, क्योंकि वे 3 बच्चों के पिता हैं.
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आप को किस तरह की भूमिकाएं पसंद हैं और कठिन क्या है?
मु झे नई भूमिकाएं अच्छी लगती हैं. लोगों को रुलाने से अधिक कठिन उन्हें हंसाना है. मैं ने कई कौमेडी फिल्में की हैं, जो मु झे पसंद हैं और दर्शकों ने भी पसंद कीं. लेकिन मेरा चरित्र इन में कौमेडी नहीं है. सिचुएशन कौमेडी है. मेरे हिसाब से हर चरित्र को करना मुश्किल होता है. हर चरित्र के लिए मेहनत करनी पड़ती है.
फिल्मों को चुनते समय किस बात का ध्यान रखती हैं?
मैं ने शुरू से ही अलगअलग कहानियों में काम करना पसंद किया है. शादी के बाद भी मैं ने हमेशा अलग विषय ही चुना है, फिर चाहे ‘वीरे दी वैडिंग’ हो या ‘की ऐंड का’ फिल्म में मैं ने बताया है कि पति घर पर रह कर काम करता है और मैं बाहर काम करती हूं. बहुत सारे लोगों को यह कहना अच्छा नहीं लगता है कि उन के पति घर रह कर खाना बनाते हैं. मगर ऐसी सिचुएशन समाज में है और मैं ने ऐसे ही अलग कहानियों को कमर्शियल ऐंगल से कहने की कोशिश की है.
क्या कभी किसी फिल्म को चुनते समय सैफ से सलाह लेती हैं?
मैं इस पर अधिक चर्चा नहीं करती. सैफ केवल मेरे घर पहुंचने का समय ही पूछते हैं. हम दोनों को ही काम करना है और सैफ भी यही चाहते हैं कि मैं काम करूं और इस के लिए हम दोनों बच्चे के साथ तालमेल बैठा लेते हैं.
काम के साथ बच्चे की देखभाल कैसे करती हैं?
वह अधिकतर शूट में मेरे साथ रहता है. बच्चे के साथ काम करना कठिन है, पर मैं अपने समय पर हमेशा स्ट्रिक्ट रहती हूं. मैं ने जो समय दिया है उसी में काम पूरा करने की कोशिश करती हूं, क्योंकि इस के बाद मेरा समय बच्चे के लिए होता है. 8 घंटे से अधिक मैं शूट भी नहीं करती.
बारबार तैमूर का फोटो लेना या सोशल मीडिया पर ट्रोल करना आप को कितना पसंद है?
मु झे यह पसंद नहीं, पर इस से हम दूर भी नहीं रह सकते, क्योंकि जमाना डिजिटल का है. फेस करना पड़ता है, पर हम उसे सही दिशा में ले जाना चाहते हैं.
शिल्पा शेट्टी कुंद्रा
अभिनेत्री व्यवसायी
‘‘मां बनना एक सुनहरा एहसास है जिसे एक मां ही समझ सकती है.’’
फिटनैस दिवा के नाम से जानी जाने वाली अभिनेत्री शिल्पा शेट्टी कुंद्रा किसी परिचय की मुहताज नहीं हैं. अभिनेत्री के अलावा वे व्यवसायी, निर्माता, मौडल, ब्रिटिश रिऐलिटी टीवी शो ‘बिग ब्रदर 5’ की विजेता और एक सफल मां भी हैं. हिंदी फिल्मों के अलावा उन्होंने तमिल, तेलुगु और कन्नड़ भाषाओं में भी फिल्में की हैं. वे कई पुरस्कारों से भी नवाजी जा चुकी हैं. उन्होंने अपने जीवन को बहुत ही संजीदगी से जीया है. इसीलिए जब भी मिलती हैं खुश दिखती हैं. उन्हें फिट और स्वस्थ रहना पसंद है. शिल्पा अपनी जर्नी और मदरहुड को ले कर बहुत खुश हैं और इस पर खुल कर बातचीत की:
बच्चे के साथ टाइम मैनेजमैंट कैसे करती हैं?
अगर आप मन बना लें तो कुछ भी करना नामुमकिन नहीं. मेरी मां वर्किंग रहीं. वे काम के साथसाथ खाना पकाना, होमवर्क करवाना, सुलाना आदि सब काम करती थीं. अगर बिना किसी हैल्प के वे इतना सबकुछ कर सकती हैं तो हम क्यों नहीं? वे हम दोनों बहनों की प्रेरणास्रोत हैं.
मां होना आप के लिए क्या माने रखता है और खाली समय मिलने पर क्या करती हैं?
जब आप मां बनती हैं तो बहुत सारी चीजें खुदबखुद सीख जाती हैं. यह एक सुनहरा एहसास है, जिसे एक मां ही सम झ सकती है. आप की प्राइओरिटी बच्चे के साथ बनती है और हर वक्त आप को लगता है कि अधिक से अधिक समय उस के साथ बिताएं. इसलिए मैं ने काम के साथसाथ बच्चे का भी पूरा ध्यान रखा है. इस में मेरे पति ने भी मेरा बहुत साथ दिया.
हालांकि मेरे पास समय की कमी है, लेकिन रविवार मेरा फ्री टाइम होता है, जिसे मैं अपने परिवार के साथ बिताती हूं. उस दिन हम दोनों पतिपत्नी वियान के साथ रहते हैं. वह हम दोनों को काम पर जाते देख खुश होता है, बाय करता है. इस के अलावा मु झे कुकिंग पसंद है. समय मिलने पर हलवा, चिकनकरी, पुलाव, कौंटिनैंटल फूड आदि बनाती हूं.
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जीवन की सब से बैस्ट मोमैंट्स क्या हैं?
सैलिब्रिटी ‘बिग ब्रदर 5’ शो का विनर बनना और बेटे वियान का मेरी जिंदगी में आना, बिजनैस वूमन बनना आदि सब अच्छे पल हैं. इन के अलावा जब मैं कोई शो या विज्ञापन करती हूं तो वे भी मेरे लिए अच्छे पल होते हैं.
फिट रहना सब के लिए क्यों जरूरी है?
फिटनैस का अर्थ हर व्यक्ति के लिए अलग होता है. कुछ लोग फिटनैस को स्लिमनैस के साथ जोड़ते हैं, जिस का अर्थ उन के साइज से होता है. मेरे हिसाब से अगर कोई साइज 12 हो कर खुश है तो उस में कोई खराब बात नहीं, लेकिन 6 साइज ले कर वह रोज दुखी हो कर जीए तो ठीक नहीं. फिटनैस मेरे लिए वैलनैस से जुड़ी होती है और यह फिटनैस केवल शारीरिक नहीं, बल्कि मानसिक भी होती है. फिटनैस पर ध्यान देने के लिए मैं ने एक एप लौंच किया है. केवल महिलाएं ही नहीं, उन के पति जिन के पास समय और पैसे की कमी है, इस के द्वारा गोल औरिऐंटेड प्रोग्राम, न्यूट्रिशन प्लान और खानपान की सारी जानकारी उन्हें मिल सकती है. मेरा फिट रहने का मंत्र ‘स्वस्थ रहो मस्त रहो’ है.
मां के साथ बिताया कोई पल जिसे आप हमेशा मिस करती हैं?
मां मेरे साथ रहती हैं. पिता के गुजरने के बाद मैं ने महसूस किया है कि जितना समय मैं उन के साथ बिता सकूं उतना अच्छा होगा, क्योंकि कुछ चीजें ऐसी होती हैं कि जब आप को मिलती हैं, तब आप उन की वैल्यू नहीं सम झते, लेकिन बाद में पछताते हैं. मैं ऐसा नहीं करना चाहती, इसलिए आजकल मैं मम्मी औरिऐंटेड हो गई हूं. मातापिता का आप के सिर पर रखा हाथ आप को हमेशा आगे बढ़ने में मदद करता है.
आप हमेशा मुसकराती रहती हैं. इस की वजह क्या है?
हैपीनैस आप के दिमाग के स्तर को बताती है. इसीलिए मैं हमेशा खुश रहती हूं.
श्वेता तिवारी
टीवी अभिनेत्री
‘‘मेरे बच्चे बहुत स्ट्रौंग हैं तभी मैं भी स्ट्रौंग हूं.’’
टी वी और फिल्म अभिनेत्री श्वेता तिवारी 2 बच्चों की मां हैं. टीवी सीरियल ‘कसौटी जिंदगी की’ में निभाए गए प्रेरणा के किरदार से ये घरघर में पहचानी जाने लगीं. 2010 में ‘बिग बौस 4’ की विजेता बन कर एक मजबूत महिला के रूप में उभरीं. अपने पहले पति राजा चौधरी से तलाक लेने के बाद श्वेता ने अभिनव कोहली से शादी की. पिछले दिनों अपने दूसरे पति अभिनव कोहली के खिलाफ केस दर्ज कराने को ले कर वे फिर सुर्खियों में हैं.
बेटे रेयांश के जन्म के 3 साल बाद अब श्वेता एक बार फिर से सोनी ऐंटरटेनमैंट टैलीविजन के दमदार शो ‘मेरे डैड की दुलहन’ के साथ टीवी पर वापसी कर रही हैं. वे हमेशा अपने बच्चों के लिए काफी प्रोटैक्टिव, केयरिंग और स्ट्रौंग मदर साबित हुई हैं. पेश हैं, श्वेता से हुई मुलाकात के अहम अंश:
क्या बच्चे दूसरी शादी को सहजता से लेते हैं?
भले ही लोग कहते हों कि बच्चों पर दूसरी शादी का बुरा असर पड़ता है पर वास्तव में बच्चे मजबूत होते हैं. वे अपनी मां या पिता की दूसरी शादी न सिर्फ स्वीकार करते हैं, बल्कि उसे पौजिटिवली भी लेते हैं. वैसे भी हर किसी की जिंदगी में चुनौतियां तो हैं ही. बच्चे हों या बड़े, शादीशुदा हों या अविवाहित चुनौतियां तो आनी ही हैं.
मां बनने के बाद ब्रेक लेना कितना जरूरी है?
ब्रेक लेना बहुत जरूरी है. भले ही नई मां से कहा जाता हो कि 3 से 6 महीने बाद वापस आ जाओ, मगर यह उचित नहीं. उसे और समय मिलना जरूरी है. असली काम तो 6 महीने बाद शुरू होता है. शुरू के 5 साल मां न मिले तो बच्चे का भविष्य अच्छा नहीं होगा. बच्चों को 5 साल तक मां की बहुत जरूरत होती है. 5 सालों में बच्चों ने जितना प्यार पा लिया, जितना सम झ लिया वह उन के साथ उम्रभर रहेगा. संस्कार की जो नींव पड़नी होती है वह इन 5 सालों में ही पड़ती है. बच्चे को संस्कार एक मां ही दे सकती है नौकर या नौकरानी नहीं. सरकार को थोड़ा जिम्मेदार होना चाहिए और नई मांओं को समय देना चाहिए.
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असल जिंदगी में खुद को कब स्ट्रौंग महसूस करती हैं?
सब से ज्यादा स्ट्रौंग तब महसूस करती हूं जब मेरी बेटी कहती है कि कुछ नहीं ममा सब हो जाएगा. वास्तव में आप को कमजोर या मजबूत आप के अपने बच्चे और आप का परिवार ही बनाता है. मेरे बच्चे बहुत स्ट्रौंग हैं तभी मैं भी स्ट्रौंग हूं.
दूसरी शादी में अलग होना आसान है?
मेरा मानना यह है यदि इंसान को दिक्कत हो तो दूसरी क्या 5वीं शादी में भी उसे अलग हो जाना चाहिए. हम भला दिक्कतों के साथ क्यों जीएं और ये नंबर्स हैं ही क्यों? जब कई अफेयर्स कर सकते हैं तो फिर कई शादियां करने में दिक्कत क्यों? गलत व्यक्ति तो आप को दूसरी या तीसरी शादी में भी मिल सकता है. ऐसे में एक ही व्यक्ति के साथ बारबार समस्याओं का सामना करने से अच्छा है कोई दूसरी समस्या डिस्कवर करो. वहां भी समस्या आए तो उसे भी छोड़ आगे बढ़ो.
काम के साथ बच्चों की केयर कैसे कर पाती हैं?
बच्चों के साथ काम मैनेज करना बहुत ही मुश्किल होता है. मैं ने अपने पहले बेबी का बचपन नहीं देखा, क्योंकि तब मैं सीरियल कर रही थी. इसीलिए जब मेरा दूसरा बच्चा हुआ तो मैं ने काम से 3 साल ब्रेक ले लिया. मैं ने हाल ही में 3 साल बाद ‘मेरे डैड की दुलहन’ शो से वापसी की है. कभीकभी मैं अपने छोटे बेबी रेयांश को सैट पर ले जाती हूं ताकि उस के साथ वक्त बिता सकूं.
अपने कैरियर के दौरान कौन सा किरदार दिल के सब से करीब महसूस हुआ?
ईमानदारी से कहूं तो सभी किरदार मेरे दिल के करीब रहे हैं. लेकिन प्रेरणा का किरदार मेरे दिल के बहुत करीब है, क्योंकि मैं ने लंबे समय तक उस किरदार को जीया है. ‘परवरिश’ का स्वीटी अहलूवालिया का किरदार भी मु झे अपना सा लगता है, क्योंकि मैं अपनी बेटी से डील करते वक्त उसी की तरह पेश आती हूं- एक ही समय में सख्त भी और प्यारी भी. अब यकीनन गुनीत का किरदार मुझे प्रेरित कर रहा है.
लेखक- गरिमा पंकज