हिंदी सिनेमा जगत में ‘बैडमैन’ के नाम से चर्चित एक्टर गुलशन ग्रोवर किसी परिचय के मोहताज नहीं. उन्होंने बॉलीवुड के अलावा हॉलीवुड में भी अच्छा नाम कमाया है. इतना ही नहीं उन्होंने इरानियन, मलयेशियन और कनेडियन फिल्मों में भी काम किया है.
बचपन से अभिनय का शौक रखने वाले गुलशन ग्रोवर ने पढाई ख़त्म करने के बाद कैरियर की शुरुआत थिएटर और स्टेज शो से किया. इसके बाद वे मुंबई आकर एक्टिंग क्लासेस ज्वाइन किये और अभिनय की तरफ मुड़े. उन्होंने हमेशा विलेन की भूमिका निभाई और अच्छा नाम कमाया. उनका फ़िल्मी सफ़र जितना सफल था उतना उनका पारिवारिक जीवन नहीं. काम के दौरान उन्होंने शादी की और एक बेटे संजय ग्रोवर के पिता बने. उनका रिश्ता पत्नी के साथ अधिक दिनों तक नहीं चल पाया और तलाक हो गया. उन्होंने सिंगल फादर बन अपने बेटे की परवरिश की है. 400 से अधिक हिंदी फिल्मों में काम कर गुलशन ग्रोवर इन दिनों लॉकडाउन में अपने दोस्तों के साथ बातें कर समय बिता रहे है. उन्होंने गृहशोभा मैगजीन के लिए खास बात की आइये जानते है, कैसा रहा उनका फ़िल्मी सफ़र,
सवाल-लॉक डाउन में आप क्या कर समय बिता रहे है?
लॉक डाउन के इस समय को बहुत पॉजिटिवली इस्तेमाल करने की कोशिश कर रहा हूं. बहुत सारी किताबें जो नहीं पढ़ी, बहुत सारी फिल्में जो नहीं देखी, बहुत सारे काम जो समय की कमी की वजह से नहीं कर पाए जैसे व्यायाम करना, परिवार के लोगों के साथ समय बिताना, ज्ञानी लोगों के साथ बातचीत करना, किसी विषय पर चर्चा करना आदि है. इसमें महेश भट्ट, अक्षय कुमार, मनीषा कोईराला, मेरा क्लास मेट जस्टिस अर्जुन सीकरी, गौतम सिंहानिया, नवाज सिंहानिया, अनिल कपूर, सुनील शेट्टी, जैकी श्रॉफ आदि सभी से उनके सम्बंधित विषयों पर बातचीत कर इस लॉक डाउन के प्रभाव और उसके बाद की स्थिति को जानने की कोशिश करता हूं.
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सवाल-लॉक डाउन के बाद इंडस्ट्री कैसे रन करेगी इस बारें में आपकी सोच क्या है?
लॉक डाउन कोरोना संक्रमण के समस्या का समाधान नहीं, रोग फैले नहीं इसपर लगाम लगाने की एक कोशिश है, नहीं तो पूरे विश्व का इंफ्रास्ट्रक्चर फेल हो जायेगा और त्राहि-त्राहि मच जाएगी. इसके बाद इंडस्ट्री में काम शुरू होना संभव नहीं होगा, मुझे इस बात का डर है, क्योंकि दो अलग विचारधारायें इस विषय पर चल रही है, जिसमें अर्थव्यवस्था संकट सबसे बड़ी होगी. लॉक डाउन हटने के बाद बिमारी बढ़ने के चांसेस अधिक होगी, ऐसे में लोगों को समझना पड़ेगा कि लॉक डाउन में ढील के बाद वे घर से बाहर न निकले, क्योंकि इससे वे परिवार और खुद को खतरे में डाल सकते है. फिल्म इंडस्ट्री काफी समय तक शुरू नहीं हो पायेगी, क्योंकि हमारा कोई भी काम 100-150 लोगों के बिना नहीं हो सकता. शूटिंग नहीं हो पायेगी, क्योंकि ड्रेस मैन, हेयर ड्रेसर, मेकअप मैन आदि सब कलाकारों के काफी नजदीक होते है, ऐसे में काम पर आने वाले लोग स्वस्थ है कि नहीं ये जांचना बहुत मुश्किल होगा. डर-डर के शुरू होगा, पर पहले की तरह काम होने में देर होगी. मैंने सुना है कि कुछ कलाकार अभी से वैक्सीन लगाये बगैर काम पर नहीं आने की बात सोच रहे है, जिसमें सलमान खान, ऋतिक रोशन आदि है. ये अच्छी बात है, क्योंकि खुद की और दूसरों की सेहत का ख्याल रखने की आज सबको जरुरत है. समस्या सभी को होने वाली है. चरित्र एक्टर से लेकर, लाइट मैन, स्पॉट बॉय सभी के काम बंद हो चुके है. एक निर्माता को भी समस्या है, जिसने पैसे लेकर फिल्म बनायीं और उसे रिलीज नहीं कर पा रहा है. इसका उत्तर किसी के पास नहीं है. हम सब भी इसमें शामिल है, जिन्हें जमा की हुई राशि से पैसे निकालकर खर्च करने पड़ रहे है.
सवाल-आपकी 40 साल की जर्नी से आप कितने संतुष्ट है, कोई रिग्रेट रह गया है क्या?
मेरे लिए था शब्द का प्रयोग मैं नहीं कर सकता, क्योंकि अभी भी मैं जबरदस्त काम कर रहा हूं. इस समय मैं 4 बड़ी फिल्म में खलनायक की भूमिका कर रहा हूं. फिल्म सूर्यवंशी, सड़क 2, मुंबई सागा, इंडियन 2 इन सबमें मैं काम कर रहा हूं. मैं पहले की तरह उत्साहित, खुश और व्यस्त हूं. ये दुःख की घड़ी जल्दी निकल जाए, इसकी कामना करता हूं, कोई रिग्रेट नहीं है.
सवाल-आपकी इमेज बैडमैन की है, जिसकी वजह से रियल लाइफ में भी लोग आपसे डरते है, क्या किसी भी देश या शहर में आपने इसे फेस किया?
(हँसते हुए) कैरियर के शुरुआत में हर घड़ी लगातार मैंने इसे फेस किया है, क्योंकि तब इलेक्ट्रॉनिक मीडिया नहीं थी.फिल्म देखने के बाद लोग फ़िल्मी मैगजीन से ही कलाकारों के बारें में पढ़ते थे. जब से इलेक्ट्रॉनिक मीडिया लोगों के घर तक पहुंचा और उन्होंने हमारे दिनचर्या को देखा, हमारे पार्टी में जाने और सबसे मिलने की तस्वीरें देखी तो लोग हमारी असल जिंदगी से परिचित हुए. हमारे व्यक्तित्व के बारें में उनकी धारणा बदली है, लेकिन वह भी बहुत अधिक नहीं बदला है. ब्रांड का डर हमेशा बना ही रहता है. मुझे याद आता है कि मैं अमेरिका और कनाडा में शाहरुख़ खान के साथ एक शो करने गया था. कनाडा में लड़कियां हिंदी फिल्म इंडस्ट्री की कलाकारों से बहुत प्रेरित होती है. शाहरुख़ खान के कमरे में लड़कियां अकेले लगातार जाती आती रही और सामने की तरफ मेरा कमरा था, जैसे ही उन्हें पता चला कि गुलशन ग्रोवर का कमरा है तो लड़कियां ऑटोग्राफ या पिक्चर लेने के लिए अपने भाई, कजिन, पेरेंट्स, होटल की सिक्यूरिटी, बॉयफ्रेंड आदि के साथ आती थी, जबकि शाहरुख़ खान के साथ अकेले खूब गपशप करती थी. इसके अलावा शुरू-शुरू में जब मैं डिनर होस्ट करता था तो कई हीरोइनों की सहेलियां उन्हें अपने माँ को साथ ले जाने की सलाह देती थी. कुछ एक्ट्रेसेस के रिश्तेदार भी मेरे यहाँ पार्टी में आने से मना करते थे.
सवाल-आपका व्यक्तित्व उम्दा होने के बावजूद क्या आपने कभी हीरो बनने की कोशिश नहीं की?
मुझे पहले ही समझ में आ गया था कि हीरो की सेल्फ लाइफ थोड़ी छोटी होती है. खलनायक की भूमिका में उम्र की कोई समस्या नहीं है. किस तरह के आप दिख रहे है, उसकी समस्या नहीं है. केवल काम अच्छा होना चाहिए. जब आप पर्दे पर आये तो उस भूमिका में जंच जाए. लम्बी सेल्फ लाइफ होने के साथ साथ भूमिका भी चुनौतीपूर्ण होती है. अधिक काम करना पड़ता है और मज़ा भी आता है.
सवाल-पहले की फिल्मों में ‘लार्जर देन लाइफ’ वाली कहानी होती थी, जिसमें हीरो, हेरोइन और विलेन हुआ करता था, अब ये कम हो चुका इसकी वजह क्या मानते है?
जो समाज में हो रहा होता है कहानी वैसी ही लिखी जाती है, समाज में उस तरह के स्मगलर, डॉन, सोने के स्मगलर के दौर चले गए. अब खलनायक कोई व्यवसायी, नेता, या भला आदमी हो गया है. जिसे बाद में कहानी में पता चलता है. खलनायक का शारीरिक रूप बदल गया है, अब खलनायक कभी ऊँची नीची जाति, कभी अमीर गरीब, दो लड़की से प्यार, किससे शादी करें या न करें आदि कई विषयों पर केन्द्रित हो गया है. कहानी में समस्या ही खलनायिकी है. अभी फिर से खलनायिकी का दौर शुरू हो चुका है.
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सवाल-क्या मेसेज देना चाहते है?
इस कठिन घड़ी में जब पूरे देश में लॉक डाउन है और इस समय डॉक्टर, नर्सेज, पुलिस और सफाईकर्मी कर्मी दिनरात मेहनत कर हमारी सुरक्षा में लगे है. वे अपने जिंदगी की परवाह किये बिना काम कर रहे है. जब वे अपने घर जाते है तो डरते है कि उनकी वजह से उनके परिवार संक्रमित न हो जाय. फिर भी वे काम कर रहे है. मेरे दिल में उनके लिए बहुत सम्मान है. मैं गृहशोभा के माध्यम से ये कहना चाहता हूं कि ऐसे सभी लोग जो एस्सेंसियल सर्विस में है. सरकार उनके वेतन डबल कर देने के बारें में सोचें, जैसा कनाडा के प्राइम मिनिस्टर ने अपने देश के लिए किया है.