बॉलीवुड अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत का अचानक आत्महत्या कर लेना हर सिनेमा प्रेमी के लिए एक चौकाने वाली घटना रही. हिंदी सिनेमा जगत के सारे लोग भी इस पर विश्वास नहीं कर पा रहे है. आखिर क्यों एक सफल कलाकार ने आत्महत्या किया है ? क्यों वे अपनी ग्लैमरस जिंदगी को अच्छी तरह जी नहीं पाए? क्या समस्याएं थी? क्यों वे ऐसी कदम उठाने से पहले अपने परिवार और माता-पिता को याद नहीं कर पाए आदि न जाने कितने ही सवाल हर कलाकार के सुसाइड के बाद उनको चाहने वालों के जेहन में आती है, जिसके बारें में जानना और समझना जरुरी है.
ये सही है कि आज एक सफल कलाकार का बनना बॉलीवुड में आसान नहीं होता, यहाँ प्रतिभा से अधिक भाई-भतीजावाद और बड़े-बड़े निर्माताओं की लॉबी पूरी तरह से हावी रहती है, ऐसे में इंडस्ट्री के बाहर से आकर अपनी पहचान बनाने के लिए मेहनत और धीरज की बहुत जरुरत होती है. खासकर मुंबई जैसे शहर में जहाँ ये आर्टिस्ट्स बहुत अधिक संघर्ष करते हुए आगे बढ़ते है, ऐसे में एक सफल कलाकार का ऐसा कदम सबको चकित करता है, जबकि उन्हें आर्थिक तंगी भी नहीं थी.
दरअसल सफल कलाकारों को इस चकाचौंध की जिंदगी जिसमें प्यार, पैसा और शोहरत सब शामिल होता है, जिसके लिए ये अपना शहर और घर छोड़कर कुछ हासिल करने के जज्बे से मुंबई चले आते है और काफी मेहनत के बाद उन्हें सफलता मिलती है और वे ग्लैमरस जिंदगी जीने लगते है, लेकिन धीरे-धीरे जब इंडस्ट्री की हकीकत से परिचित होने लगते है, तो सब कुछ आईने की तरह साफ़ हो जाता है. जिसका सामना कलाकार कई बार करने में असमर्थ होते है और डिप्रेशन का शिकार हो जाते है, जो आगे चलकर आत्महत्या का रूप ले लेती है. इसमें सुशांत सिंह राजपूत के अलावा जिया खान, प्रत्युषा बैनर्जी, दिव्या भारती, गुरुदत्त, परवीन बॉबी, मनमोहन देसाई आदि कई नाम है, जिन्होंने आत्महत्या की.
इस बारें में निमये हेल्थ केयर के मनोचिकित्सक डॉ. पारुल टांक कहती है कि सुइसाइड करने की वजह को समझना मुश्किल होता है, क्योंकि ये केवल सेलिब्रिटी ही नहीं कोई भी कर सकता है, यहाँ ये सेलिब्रिटी है, इसलिए हम जान पाते है. इसे करने के कई कारण हो सकते है.
- जिन्हें उदासीनता की बीमारी हो,
- ड्रग और अधिक एल्कोहल लेने वाले लोग,
- कुछ बड़ी बीमारी से पीड़ित लोग जैसे स्किजोफ्रिनिया, बाइपोलर आदि,
- डिप्रेशन की वजह से पहले कभी सुसाइड का अटेम्प्ट किया हो,
- फॅमिली हिस्ट्री आत्महत्या की हो,ये सभी आत्महत्या की प्रवृत्ति को बढ़ावा देते है.
सेलिब्रिटी या नॉन सेलिब्रिटी पैसे से इसका कोई सम्बन्ध अधिक नहीं होता. गरीब और अमीर दोनों ही करते है. ये पैसे से भी अधिक ख़ुशी से सम्बंधित होता है. सूत्रों की माने तो सुशांत सिंह राजपूत का भी मानसिक बीमारी का इलाज चल रहा था, पर उन्होंने ऐसा क्यों किया? कौन से कारण थे? ये अभी पता नहीं चल पाया है. ये सही है कि सेलिब्रिटी में मानसिक और सामाजिक दबाव अधिक होता है. ये सहजता से किसी बात को किसी से कहने में असमर्थ होते है.
जब भी ऐसे हालत बनते हो, तो प्रोफेशनल मनोरोग चिकित्सक की मदद लेन ही सही होता है. दवा और काउंसलिंग से इसे कम किया जा सकता है. ये कोई स्टिग्मा नहीं है. प्रोफेशनल के पास जाने से शर्म महसूस नहीं करना चाहिए. इसके अलावा अपने परिवार और दोस्तों का सहारा लेना जरुरी होता है, जो आपको समझ पाएं. हर इंसान के पास एक या दो लोग होने चाहिए जो डिप्रेशन से आपको निकाल सके. इसके अलावा सही डाइट और व्यायाम भी डिप्रेशन से व्यक्ति को राहत दिलाती है, क्योंकि व्यायाम हैप्पी हार्मोन को इम्प्रूव करती है. आत्महत्या किसी भी चीज का समाधान नहीं होता, क्योंकि इससे माता-पिता, परिवार जन और आसपास के सभी आहत होते है. डिप्रेशन एक या दो दिन में नहीं आता, ये दो हफ्ते से महीने तक चलता है, इसके लक्षण निम्न है…
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- उदासीनता,
- किसी बात में मन न लगना,
- नकारात्मक भाव का आना,
- आत्मविशवास और आत्मसम्मान का कम हो जाना,
- नींद न आना,
- भूख नहीं आना,
- किसी चीज में मन नहीं लगना, बहुत रोना आदि अगर होने लगे, तो मनोरोग चिकित्सक की सलाह अवश्य लें.
सूत्रों की माने तो सुशांत सिंह राजपूत भी किसी बड़ी प्रोडक्शन लॉबी के शिकार हुए थे और कुछ ही दिनों में उनके हाथ से कई बड़ी फिल्में जा चुकी थी, जिसका उन्हें मलाल था और इसे न सह पाने की स्थिति में उन्होंने आत्महत्या को अंजाम दिया. जिसकी छानबीन जारी है. ये सही है कि बॉलीवुड लॉबी माफिया के बारें में पहले कंगना रनौत ने भी खुलकर अपनी बात रखी थी और उसने डटकर सामना किया था, जो सुशांत सिंह राजपूत नहीं कर पाए और जिंदगी को ख़त्म कर दिया.
जीवन में आये इस उतार-चढ़ाव से गुजरना और डटकर सामना करना किसी भी कलाकार के लिए आसान नहीं होता, क्योंकि सफलता का स्वाद कलाकारों की मुरादों की लिस्ट को पूरा करती रहती है और जब ये उनके हाथ से निकलती जाती है तो अपने आपको सम्भाल पाना बहुत मुश्किल होता है, ऐसे ही कुछ कलाकारों ने अपने अनुभव शेयर किये,जब वे किसी न किसी वजह से तनाव के शिकार हुए और अपने आपको सम्हाला. आइये जानते है क्या कहते है सितारे,
अमिताभ बच्चन
लाइफ कभी भी आसान नहीं होती, मेरे पिता कहा करते थे कि जीवन हमेशा संघर्षमय होता है. जब तक आप जीवित रहते है, ये संघर्ष चलता रहता है, सभी को उससे गुजरना पड़ता है. जब साल 1969 में ‘साथ हिन्दुस्तानी’ फिल्म केवल 5 मिनट में मिली थी,तो बहुत ख़ुशी हुई. इसके बाद फिल्म ‘आनंद’ साल 1971 में आई,जो सफल रही. इसके बाद कई सालों का गैप मेरे कैरियर में आया, लोग मुझे भूलने लगे थे कि मैं एक परफ़ॉर्मर हूं. कई बार अकेलापन मेरी जिंदगी में आया, पर परिवार और दोस्तों ने सहारा दिया और मैं आगे बढ़ा.
मिथुन चक्रवर्ती
मुझे रातोंरात सफलता नहीं मिली थी. मुझे बहुत संघर्ष करना पड़ा. मैं अपने शुरुआती पलों को याद करना भी अब नहीं चाहता, क्योंकि अब मैं अपनी जिंदगी से खुश हूं. संघर्ष के बाद जब फिल्मों का मिलना शुरू हुआ, तो मेरी माँ ने मुझसे कही थी कि हमेशा नीचे की तरफ देखकर चलो, अगर ऊपर की तरफ देखकर चलोगे, तो ठोकर खाकर गिर जाओगे. इसी मन्त्र को लेकर मैं चला हूं और एक सुपर स्टार बना, लेकिन ये भी पता था कि ये चिरस्थायी नहीं है. इसे डाईजेस्ट करना मेरे लिए आसान नहीं था, इसलिए अब मैं अपना समय अपने डॉगी और प्लांट्स के साथ बिताता हूं.
रणवीर सिंह
जब आप रैट रेस में होते है, तो अपनों के साथ समय बिताना भूल जाते है. सफलता के बाद मेरी दोस्तों की लिस्ट बहुत कम हो चुकी है, जिसे मैं अब समय देने लगा हूं. मैं काम और परिवार के बीच में सामंजस्य रखना जानता हूं. तनाव होने पर मैं एक लम्बी सांस लेकर जिम में चला जाता हूं और सारे तनाव को बाहर निकाल लेता हूं. सफलता और पैसा जिंदगी में उलझन लाती है. इसलिए जब भी शूटिंग नहीं होता, मैं फ़ोन को स्विच ऑफ कर परिवार के साथ समय बिताता हूं.
अक्षय कुमार
मेरा शुरूआती दौर बहुत संघर्षमय था, कई रिजेक्शन का सामना करना पड़ा, लेकिन मैंने धीरज धरी और आगे बढ़ा. सफलता से आज मैं बहुत खुश हूं, क्योंकि आज मेरे करोड़ो फैन फोलोवर्स है, जो मुझे अच्छा लगता है. मैं अपने फैन्स को कभी भी मायूस नहीं करना चाहता, पर कई बार फिल्में फ्लॉप हो जाती है. कंट्रोवर्सी का सामना करना पड़ता है. तनाव भी होता है, लेकिन ऐसे समय में मैं जिम में जाकर सारे तनाव को निकाल देता हूं.
सारा अली खान
सारा कहती है कि सफल कलाकार जब सामने कुछ भी नकारात्मक चीज देखता है, तो उसे मानसिक तनाव होने लगता है, ऐसे में उसके आसपास के लोग ही उसे उस तनाव से निकाल सकते है, लेकिन सफलता की सीढ़ी चढ़ते-चढ़ते कलाकार अधिकतर अपने आसपास के लोगों को भूलते जाते है, ऐसे में जब उन्हें किसी के सहारे की जरुरत होती है, तो वह अकेला होता है और कुछ भी गलत कदम वह उठा सकता है. मुझे भी इसका अनुभव है जब मुझे पहली फिल्म मिली और उसकी सफलता के लिए मैंने कितना इंतजार किया. डर भी था, पर मां ने मेरा साथ दिया था.
दीपिका पादुकोण
मानसिक दबाव में जीना बहुत मुश्किल होता है. कोई आपकी समस्या को समझ नहीं सकता. खुद को ही उससे निकलना पड़ता है, लेकिन इसमें मेरे परिवार और दोस्तों ने बहुत सहायता की. एक समय मैंने सबसे दूर और अकेले रहने को सोची थी, कई गलत ख्याल भी आये पर मैंने एक्सपर्ट का हेल्प लिया और आज मैं बहुत खुश हूं कि एक अच्छी जिंदगी बिता रही हूं.
श्रध्दा कपूर
जब मेरी शुरू की कई फिल्में फ्लॉप हुई तो बहुत बड़ा झटका लगा. कई बार ये सोचने पर मजबूर हुई कि मैं इस फील्ड के लिए ठीक नहीं, डिप्रेशन में चली गयी थी, लेकिन मेरे परिवार ने मुझे समझाया और मैं आगे बढ़ी. बहुत मुश्किल होता है, तनाव से निकलना. मुझे इसका बहुत बढ़ा अनुभव है और आज मैं इस परिस्थिति से निकलना जानती हूं. असफलता ने ही मुझे इसकी सीख दी है.