कोरोना वायरस का संक्रमण एक ऐसी त्रासदी है, जैसी आक्रामक त्रासदी दुनिया ने पिछले पांच सौ सालों में पहले कभी नहीं देखी. ऐसा नहीं है कि कोरोना वायरस के संक्रमण के पहले दुनिया में महामारियां नहीं आयीं, लेकिन अब के पहले दुनिया में जितनी भी महामारियां आयी हैं, उनका कुछ निश्चित क्षेत्रों में ही असर हुआ है. मसलन ज्यादातर महामारियां बड़े पैमाने पर आम लोगों की जानभर लेती रहती हैं. लेकिन कोरोना महामारी ऐसी है जो न सिर्फ बड़े पैमाने पर लोगों को मार रही है बल्कि अब तक के तमाज जीवन जीने के ढंग पर सवालिया निशान लगा रही है और हमारी तमाम उपलब्धियों को अर्थहीन कर रही है या फिर उन्हें पूरी तरह से बदलने के लिए इशारा कर रही है. कहने का मतलब यह कि जब कोरोना महामारी दुनिया से जायेगी, तब तक दुनिया पूरी तरह से बदल चुकी होगी और फिर लौटकर वैसी नहीं होगी, जैसी कोरोना संक्रमण के पहले थी.
इन पंक्तियों के लिखे जाने तक कोरोना के संक्रमण से पूरी दुनिया में 1 लाख 5 हजार लोगों की मौत हो चुकी थी साथ ही करीब 16 लाख 50 हजार लोग पीड़ित थे, जिसका मतलब है कि अगर आज की तारीख में भी यह त्रासदी कहीं ठहर जाये तो भी इसके जाने के बाद इससे मरने वालों की गिनती 2 लाख के ऊपर पहुंचेगी. बहरहाल जहां तक महामारियों में लोगों के मरने की संख्या का सवाल है तो निश्चित रूप से पहले इससे भी कहीं ज्यादा लोग मरते रहे हैं, लेकिन जहां तक विभिन्न क्षेत्रों में इसके भयानक असर का सवाल है तो अब के पहले किसी भी महामारी का ऐसा असर किसी क्षेत्र में नहीं हुआ, जैसा असर फिलहाल कोरोना का दिख रहा है.
बाॅलीवुड के फिल्मोद्योग को ही लें, अब के पहले की तमाम त्रासदियों ने कभी बाॅलीवुड को इस कदर नहीं झकझोरा जैसा कोरोना ने झकझोर दिया है. कोरोना के कहर ने बाॅलीवुड को पांच तरीके से झकझोरा है. सबसे पहले तो इसने उन बहुप्रतीक्षित फिल्मों का दिल तोड़ा है, जिन्होंने साल 2020 की पहली तिमाही में कमायी का इतिहास रचने का मंसूबा बना रखा था. जनवरी 2020 से मार्च 2020 के दूसरे सप्ताह तक जो बहुप्रतीक्षित फिल्में रिलीज हुई, उनमें एक बागी-3 को छोड़ दें, जिसने 109 करोड़ रुपये का बिजनेस किया तो तमाम दूसरी फिल्मों को अपनी लागत निकालना भी संभव नहीं हुआ. ‘लव आजकल’ जैसी फिल्म जिसके बारे में कहा जा रहा था कि 500 करोड़ रुपये का बिजनेस करेगी, वह 50 करोड़ रुपये का भी नहीं कर पायी. इरफान खान की बीमारी से लौटने के बाद उनके प्रशंसकों द्वारा बेसब्री से इंतजार की जा रही फिल्म ‘अंग्रेजी मीडियम’ भी अपनी लागत नहीं निकाल पायी, जबकि इसे भी 200 करोड़ रुपये तक बिजनेस करने वाली फिल्म माना जा रहा था.
एक आयुष्मान खुराना की ‘शुभमंगल ज्यादा सावधान’ ही ऐसी फिल्म रही जिसने इस तिमाही में अपनी 40 करोड़ रुपये की लागत के मुकाबले 62 करोड़ रुपये का बिजनेस करके 22 करोड़ रुपये का लाभ कमाया वरना कामयाब जैसी फिल्म तो तमाम प्रचार, प्रसार के बावजूद 2 करोड़ रुपये का बिजनेस भी बहुत मुश्किल से कर पायी, जबकि इस फिल्म को मीडिया में 5 में से 4.5 स्टार की रेटिंग मिली हुई थी. फिल्म में संजय मिश्रा, दीपक डोबरियाल तथा ईशा तलवार जैसे चेहरे थे, जिसका मतलब था कि फिल्म भरपूर मनोरंजन करने वाली होगी. ‘थप्पड़’ के आने के पहले भी उसकी खूब हवा बांधी गई थी, लेकिन फिल्म 30 करोड़ रुपये का बिजनेस भी नहीं कर पायी जबकि माना जा रहा है इसे बनाने में 75 करोड़ रुपये खर्च हुए हैं.
लेकिन यह कोई अकेला क्षेत्र नहीं है जिसे कोरोना संकट ने बहुत ज्यादा प्रभावित किया है. कोरोना के कहर के चलते न सिर्फ फिल्मों की बड़े पैमाने पर शूटिंग कैंसिल हुई बल्कि हर साल गर्मियों में होने वाले फिल्म सितारों के विदेशी टूर भी करीब करीब सब कैंसिल हो गये हैं. हर साल गर्मियों में बाॅलीवुड के चर्चित सितारे यूरोप और अमरीका के टूर पर जाते हैं. जहां वे खुद तो करोड़ों रुपये कमाते ही हैं, उनके बदौलत इंडस्ट्री के सैकड़ों लोगों को अच्छाखासा रोजगार मिलता है और कमायी होती है. एक अनुमान के मुताबिक हर साल बाॅलीवुड के सितारे गर्मियों के इस विदेशी टूर से 300 से 400 करोड़ रुपये की कमायी करते है, जो इस साल घटकर शून्य हो गई है. कमायी तो हुई ही नहीं साथ ही जो इन टूर के चलते बड़ी संख्या में लोगों को हिंदुस्तान की लू के थपेड़ों से राहत मिल जाती थी, वह भी इस साल नहीं होने वाला. क्योंकि इन पंक्तियों के लिखे जाने तक एक भी टूर शिड्यूल नहीं था और न ही इसकी कोई उम्मीद है.
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कोरोना वायरस का एक और बड़ा असर तमाम आने वाली फिल्मों की रिलीज पर पड़ा है. जो फिल्में आमतौर पर फरवरी के अंत या मार्च के दूसरे तीसरे सप्ताह में रिलीज होनी थी, उन सबकी रिलीज डेट अनिश्चितकाल के लिए बढ़ गई है. ‘लालसिंह चड्ढा’, ‘बह्मास्त्र’, ‘1983’, ‘जर्सी’, ‘राधे’ और ‘तख्त’ जैसी फिल्में कब रिलीज होंगी, फिलहाल इसका ठोस अनुमान किसी के पास नहीं है और जब रिलीज भी होगी तो क्या दर्शक उन्हें देखने आयेंगे, यह भी तय नहीं है. हां, इस त्रासदी ने फिल्मी सितारों को एक मायने में राहत दी है कि उनकी छोटी से छोटी गतिविधियों पर बाज की तरह आंख रखने वाले पपराजियों का इन दिनों कहीं दूर दूर तक अता पता नहीं चलता यानी ऐसे स्वतंत्र फोटोग्राफर जो हमेशा फिल्मी सितारों की एक्सक्लूसिव तस्वीरेें उतारने के फेर में सितारों के आगे पीछे मंडराया करते थे, अब वे पता नहीं कहां छिप गये हैं. कुल मिलाकर देखा जाए तो बाॅलीवुड की कोरोना संक्रमण ने कमर तोड़ दी है. अव्वल तो बहुत मुश्किल है कि अगले कुछ सालों तक फिल्म इंडस्ट्री फिर से पुराने ढर्रे पर लौट पाये, लेकिन जब लौटेगी तो भी वह पुरानी जैसी तो कतई नहीं होगी. कोरोना ने एक ऐसे उद्योग का समूचा रूप रंग बदलने के संकेत दे दिये हैं, जिस उद्योग पर कभी किसी का बस नहीं चलता था.