REVIEW: गुदगुदाती है वेब सीरीज मेट्रो पार्क 2

रेटिंगः ढाई स्टार

 निर्देशकः अबी वर्गीज और अजयन वेणुगोपालन

लेखनः अजय वेणुगोपालन

कलाकारः रणवीर शोरी, पूर्बी जोशी, पितोबाश, ओमी वैद्य, वेगा तमोटिया,  सरिता जोशी, मिलिंद सोमन और गोपाल दत्त

अवधिः 12 एपीसोड, हर एपसोड बीस से बाइस मिनट की अवधि का, कुल समय लगभग चार घंटे

ओटीटी प्लेटफार्मः ईरोज नाउ पर 29 जनवरी से

अमरीका के न्यू जर्सी में बसे एक गुजराती भारतीय परिवार से जुड़े हास्यप्रद घटनाक्रमों और हास्यमय परिस्थितियों से लोगों को हॅंसा चुकी वेब सीरीज‘‘मेट्रो पार्क’’का दूसरा सीजन ‘‘मेट्रो पार्क 2 ’’लेकर आ रहे हैं अबी वर्गीज और अजयन वेणुगोपालन.

कहानीः

यह कहानी अमेरिका के न्यू जर्सी में बसे एक देसी भारतीय गुजराती परिवार की विलक्षणताओं और विचित्रताओं के इर्द गिर्द घूमती है. जो अमरीका जैसे देश में आधुनिक परिवेश में रहते हुए भारतीयता से जुडे हुए हैं. इस परिवार के मुखिया कल्पेश(रणवीर शोरी) हैं, उनके परिवार में उनकी पत्नी पायल(पूर्वी जोशी ), बेटा पंकज(आरव जोशी) व बेटी मुन्नी है. कल्पेश की स्थानीय नगर पालिका व पुलिस विभाग में अच्छी पहचान है. पायल की बहन किंजल(वेगा तमोटिया)भी न्यू जर्सी में ही रहती है. किंजल के दक्षिण भारतीय पति कानन(ओमी वैद्य) हैं, जो एक कारपोरेट कंपनी में कार्यरत हैं. कल्पेश का एक ‘पे एंड रन’नामक रिटेल दुकान है,  जिसमें बिट्टू (पितोबाश)काम करता है. पायल का अपना ब्यूटी पार्लर है, जहां पर शीला(माया जोशी) भी काम करती हैं. पहले एपीसोड की शुरूआत होती है किंजल की नवजात बेटी के नामकरण समारोह से. पायल व किंजल को तकलीफ है कि ऐसे मौके पर उनकी मॉं (सरिता जोशी) वहां मौजूद नहीं है, वैसे कल्पेश ने पायल की मां को भारत से अमरीका बुलाने के लिए वीजा के लिए आवेदन दिया है. मगर रात में जब कल्पेश और पायल अपने घर पहुंचते हैं, तो पता चलता है कि वीजा का आवेदन खारिज हो गया है. पता चलता है कि फार्म भरने में कल्पेश ने कुछ गलती कर दी थी. इसके चलते कल्पेश व पायल में मीठी नोंकझोक होती है.

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तीसरे एपीसोड में रिटेल शॉप में बढ़ती चोरी के चलते कल्पेश, लाल भाई(गोपाल दत्त) को सिक्यूरिटी के रूप में दरवाजे पर तैनात कर देते हैं. पायल व किंजल की मां (सरिता जोशी)अमरीका नही आ पाती,  मगर किंजल के पति घर में रोबोट लेकर आ जाते हैं. परिणामतः पायल और किंजल की माँ (सरिता जोशी) हर जगह एक रोबोट के रूप में मौजूद हैं, जहाँ कोई भी स्क्रीन पर या उसके माध्यम से उसे देख और सुन सकता है. फिर पायल का खुद को यूट्यूब सनसनी दिखाने का जुनून सवार होता है, जिसके चलते कई तरह की समस्याएं पैदा होती हैं. इसी तरह हर एपीसोड में कुछ परिस्थिति जन्य घटनाक्रम के साथ पारिवारिक नोकझोक भी चलती रहती है. दो एपीसोड में पायल के पूर्व सहपाठी और दॉतों के डाक्टर अर्पित(मिलिंद सोमण) की वजह से कुछ नए घटनाक्रम समने आते हैं. और कल्पेश के अंदर एक भारतीय पुरूष जागृत होता है.

लेखन व निर्देशनः

‘मेट्रो पार्क’सीजन वन की आपेक्षा सीजन दो ज्यादा बेहतर बना है. यह दुनिया के विभिन्न हिस्सों में बसे भारतीय समाजों का प्रतिबिंब है. पारिवारिक ड्रामा के साथ हास्य के ऐसे क्षण पिरोए गए हैं, जो कि दर्शकों का मनोरंजन करते हैं. सीजन एक के मुकाबले सीजन दो में निर्देशन बेहतर है. फिर भी ‘मेट्रो पार्क सीजन 2’एक साधारण वेब सीरीज ही है. भारतीय राजनीति व बौलीवुड को लेकर गढ़े गए जोक्स बहुत ही सतही हैं. शुरूआत में रोबोट(सरिता जोशी) के चलते पैदा हुए हास्य क्षण गुदगुदाते हैं, मगर फिर वह दोहराव नजर आने लगते हैं. यह लेखक व निदेशक दोनों की कमजोरी है.

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अभिनयः

पटेल परिवार के रूप में रणवीर शोरी और पूर्वी जोशी के बीच की केमिस्ट्री कमाल की है. तो वहीं रणवीर शोरी और पितोबाश के बीच की ट्यूनिंग भी इस वेब सीरीज को दर्शनीय बनाती है. ‘थ्री इडिएट्स’के बाद इसमें ओमी वैद्य ने कमाल का अभिनय किया है. उनकी कॉमिक टाइमिंग कमाल की है. वेगा तमोटिया ने ठीक ठाक अभिनय किया है. मगर ओमी वैद्य के साथ वेगा तमोटिया की जोड़ी जमती नही है. वेगा तमोटिया इस वेब सीरीज की कमजोर कड़ी हैं. पितोबाश का अभिनय फनी है और वह लोगों को हंसाते हैं. सरिता जोशी व मिलिंद सोमण की छोटी मौजूदगी हास्य के क्षण पैदा करने में कामयाब रही है.

कैसे पटरी पर लौटेगा बेहाल बौलीवुड

सिनेमा जगत पर भी कोरोना का कहर बुरी तरह बरपा है, चाहे बौलीवुड हो या क्षेत्रीय सिनेमा, सभी को कोरोना की मार झेलनी पड़ रही है. इंडस्ट्री के सभी डिपार्टमैंट और प्रोडक्शन के काम जैसे कास्टिंग, लोकेशन ढूंढ़ना, टेक स्काउटिंग, कौस्टयूम फिटिंग, वार्डरोब, हेयर ऐंड मेकअप आर्ट, साउंड व कैमरा, कैटरिंग, एडिटिंग, साउंड और वौयस ओवर जैसे सभी काम ठप पड़ गए हैं और ये काम करने वालों के पास कोई काम नहीं है और न ही कमाई का जरीया है.

एक्सपर्ट्स के अनुसार सिनेमाघरों के बंद होने, शूटिंग रुकने, प्रमोशनल इवेंट्स के न होने और इंटरव्यू रुकने के चलते टीवी और फिल्म इंडस्ट्री को आने वाले समय में भारी नुकसान झेलना पड़ेगा.

यह नुकसान कितना बड़ा होगा, इस के सही आंकड़ें अभी मौजूद नहीं हैं, लेकिन अनुमान है कि इंडस्ट्री को 100 से 300 करोड़ रुपए तक का नुकसान हो सकता है.

बंद पड़े हैं सिनेमाघर

तकरीबन 9,500 सिनेमाघरों को बंद कर दिया गया है और आने वाले कुछ हफ्तों तक इन के खुलने की कोई संभावना नहीं है. हर साल हिंदी फिल्म इंडस्ट्री में 1,200 फिल्में बनती हैं. इन फिल्मों की कमाई मल्टीप्लैक्स से आती है, जो लौकडाउन के दौरान बंद हैं.

मार्च माह में सब से पहले रिलाइंस ऐंटरटेनमैंट ने रोहित शेट्टी की फिल्म ‘सूर्यवंशी’ की तारीख आगे बढ़ाई थी, जिस के बाद फिल्म ‘संदीप और पिंकी फरार’,  ‘हाथी मेरे साथी’ समेत 83 फिल्मों की रिलीज की तारीख टाल दी गई.

फिल्म ‘बागी’ 3 मार्च को रिलीज जरूर हुई, लेकिन उस की टिकटों की बिक्री नहीं हुई थी. इस का एक कारण भारत में बढ़ रहा कोरोना का खतरा था.

इसी तरह इरफान खान और राधिका मदान की फिल्म ‘अंग्रेजी मीडियम’ को बौक्स औफिस से निकाल ओटीटी प्लेटफार्म डिज्नी हौटस्टार पर रिलीज किया गया. क्षेत्रीय फिल्मों को भी रिलीज से रोक दिया गया था.

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ओटीटी प्लेटफार्म्स बैस्ट औप्शन नहीं 

रिलीज डेट आगे बढ़ जाने और सिनेमाघरों के बंद होने के चलते फिल्म, टीवी व वैब सीरीज की शूटिंग को रोक दिया गया, जिस पर लौकडाउन के बाद पूरी तरह विराम लग गया. ओटीटी प्लेटफार्म्स जैसे अमेजन प्राइम, नैटफ्लिक्स पर कुछ फिल्में रिलीज जरूर हो रही हैं, लेकिन यह हर फिल्म के लिए संभव नहीं है कि वह ओटीटी तक पहुंच पाए और न ही ओटीटी प्लेटफार्म्स हर बड़ी फिल्म को खरीद सकते हैं.

चर्चित तेलुगु फिल्म प्रोड्यूसर एसकेएन का कहना है कि लगभग 1,000 सीटों वाले सिनेमाघरों को महीने के 10 लाख रुपए का घाटा हो रहा है.

एसकेएन इस बात को ले कर चिंतित हैं कि ओटीटी प्लेटफार्म्स लंबी रेस का घोड़ा साबित होंगे या नहीं. वे कहते हैं, ‘‘मुझे नहीं लगता कि ओटीटी प्लेटफार्म्स उन फिल्मों को खरीदना चाहेंगे, जो सिनेमाघर में रिलीज नहीं हुई हैं, क्योंकि हमें नहीं पता कि कौन सी फिल्म सिनेमाघर में हिट साबित होगी और कौन सी नहीं. और यह साफ  है कि ओटीटी उन्हीं फिल्मों को खरीदना चाहते हैं, जो पहले से ही हिट हों.’’

इस समय ऐंटरटेनमैंट इंडस्ट्री में केवल ओटीटी प्लेटफार्म ही एसे हैं, जो फायदे में हैं. बहुचर्चित शोज और फिल्मों को लोग लौकडाउन के चलते बिंज वौच कर रहे हैं, जिन के जरीए इन प्लेटफार्म की व्युअरशिप बढ़ी है.

साल 2019 में इस इंडस्ट्री ने 17,300 करोड़ रुपए की कमाई की थी. इस से अंदाजा लगाया जा सकता है कि साल 2020 में इन प्लेटफार्म्स की कमाई के कितने रिकौर्ड टूटेंगे.

यह जगजाहिर है कि सिनेमाघरों में बौलीवुड फिल्मों की रिलीज व उन की मान्यता कितनी महत्वपूर्ण है, जोकि ओटीटी प्लेटफार्म्स पर होना मुश्किल है, दूसरी तरफ , ओटीटी प्लेटफार्म्स 5 करोड़ की फिल्म तो खरीद सकते हैं लेकिन वे 100 करोड़ की फिल्म खरीदने में असमर्थ होंगे. इसलिए बौलीवुड फिल्मों को सिनेमाघरों में रिलीज करना आवश्यक है.

इन फिल्मों की कमाई का एक बड़ा हिस्सा दिल्ली, मुंबई और चेन्नई समेत भारत के 10 महानगरों से आता है, जो फिलहाल कोरोना वायरस के हौटस्पौट हैं. इस स्थिति में बौलीवुड की बिग बजट फिल्मों का भविष्य अंधकारमय है.

कर्मचारियों की है हालत पस्त

बड़े सितारे आएदिन सोशल मीडिया के जरीए अपनी उपस्थिति दिखाते हैं. किसी को अपने एसी खराब होने की चिंता है, तो कोई बरतन धोने को प्रोडक्टिविटी के रूप में पेश कर रहा है. परंतु, फिल्मों के बैकग्राउंड में काम करने वालों के लिए यह समय बेरोजगारी और भुखमरी ले कर आया है.

फिल्मों की शूटिंग और उस से जुड़े सभी प्रोडक्शन और प्रमोशन के काम बंद होने का इतना असर बड़े बैनर्स और एक्टर्स पर नहीं पड़ा है, जितना फिल्मों से जुड़े छोटे स्तर पर उतना काम करने वाले कर्मचारियों पर हुआ है. कू्र्र मेंबर्स, दिहाड़ी पर काम करने वाले और छोटेमोटे प्रोजेक्ट्स से पैसा कमाने वाले लोगों के लिए जीवन निर्वाह करना मुश्किल हो गया है. वे दो 2 वक्त की रोटी के लिए भी मोहताज हो चुके हैं.

प्रोड्यूसर्स गिल्ड औफ  इंडिया के अनुसार, बौलीवुड का काम ठप होने से इंडस्ट्री से प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से जुड़े तकरीबन 10 लाख लोगों पर कोरोना के चलते प्रभाव पड़ रहा है. कई लोग बिना काम के रहने को मजबूर हैं. इस से बौलीवुड में दिहाड़ी पर काम करने वाले 35,000 कर्मचारी अत्यधिक प्रभावित हुए हैं.

सिने एंड टीवी आर्टिस्ट्स एसोशिएशन यानी सिनटा द्वारा बौलीवुड के ए लिस्टर सितारों से इन कर्मचारियों के लिए डोनेशन की अपील की गई, जिस के चलते रोहित शेट्टी, सलमान खान, रितिक रोशन, अमिताभ बच्चन और विद्या बालन उन सितारों में से थे, जो दिहाड़ी कर्मचारियों के लिए फंड व राशन देने के लिए सामने आए.

चिंता की बात यह है कि आखिर कब तक डोनेशन के जरीए इन कर्मचारियों का घर चलेगा. ज्ञातव्य है कि मदद हर कर्मचारी तक नहीं पहुंच रही व एसे कितने ही अभिनेता हैं, जो खुद चिंता में हैं कि उन के खर्चे कैसे पूरे होंगे, परंतु पोपुलैरिटी के चलते वे मदद मांगने में असमर्थ हैं.

नए एक्टर्स और पैपराजी भी चपेट में

मुंबई महानगरी है और देश के अलगअलग हिस्सों से युवा यहां अपने सपने पूरे करने आते हैं. किराए के घरों में रहने वाले इन युवाओं को भी अपने घरों तक लौटना पड़ा. यह सभी छोटेमोटे प्रोजेक्ट कर अपना निर्वाह कर रहे थे, पर अब कोई काम न होने पर इन्हें अपने मातापिता पर आश्रित होना पड़ रहा है.

हालत यह है कि एकसाथ मिल कर जी लोग जिस घर का किराया दे रहे थे, उन में से कई अपने घर लौट चुके हैं. इस के चलते जो रह गया है, उसे पूरा किराया खुद देना पड़ रहा है. यह स्थिति कब तक बनी रहेगी, किसी को कोई अंदाजा नहीं है.

आएदिन टीवी एक्टर्स के एयरपोर्ट लुक्स, जिम लुक्स, वैडिंग लुक या सीक्रेट डेट लुक को कैमरे में कैद करने वाले पैपराजी भी कोरोना की मार से नहीं बचे हैं. न अब सैलिब्रिटी घर से निकल रहे हैं और न ही ये उन्हें कैप्चर कर पा रहे हैं.

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आमतौर पर एक दिन में 11,000 से 20,000 रुपए कमाने वाले इन पैपराजी के लिए कमाई के रास्ते बंद हो गए हैं. डायरैक्टर और प्रोड्यूसर रोहित शेट्टी व एक्टर रितिक रोशन ने इन के लिए डोनेशन दिया है.

ऐसे संभलेगी फिल्म इंडस्ट्री

लौकडाउन खुलने के बाद फिल्म इंडस्ट्री को पटरी पर वापस आना है. लेकिन यह इतना आसान नहीं है. फिल्म के निर्मातानिर्देशकों को प्रीप्रोडक्शन काम को बेहद सावधानी से पूरा करना होगा.

यदि स्टाफ  के एक व्यक्ति को भी कोरोना संक्रमण होता है, तो सारा काम 3 हफ्तों तक रोक दिया जाएगा. अंतर्राष्ट्रीय यातायात पर प्रतिबंध होने पर ज्यादा से ज्यादा ग्रीन स्क्रीन पर शूटिंग होगी, जिस से फिल्में अलग तरह से बनेंगी. इसी तरह से अनेक बदलाव होने वाले हैं.

प्रोडक्शन को जारी करने के लिए प्रोड्यूसर्स गिल्ड औफ  इंडिया ने बैक टु एक्शन रिपोर्ट जारी की है. इस रिपोर्ट में औन और औफ  स्टेज व प्री और पोस्ट प्रोडक्शन के सभी डिपार्टमैंट्स के लिए निर्देश दिए गए हैं, जिन की मुख्य बातें निम्नलिखित हैं:

– लौकडाउन खुलने के पहले 3 महीनों में सैट पर आने वाले हर शख्स का टैंपरेचर चैक होगा व उस के द्वारा सैनिटाइजेशन, सोशल डिस्टैसिंग, जहां तक संभव हो, वर्क फ्रौम होम का पालन किया जाएगा. साथ ही, कम कास्ट और क्रू व बाहरी लोकेशनों में शूटिंग कम करने को ध्यान में रखा जाएगा. सैट पर मैडिकल टीम का होना अनिवार्य होगा.

– सैट पर सभी को हर थोड़ी देर में हाथ धोने होंगे व ट्रिपल लेयर मास्क हर समय लगाए रखना होगा. सभी को 3 मीटर की दूरी का पालन करना होगा और हाथ मिलाने, गले लगने व किस करने से परहेज करना होगा.

– सैट पर आने वाले हर क्रू मैंबर और स्टाफ  को अपनी फिटनैस और स्वास्थ्य के सही होने की पुष्टीकरण के लिए फार्म भरना होगा और किसी भी प्रोजैक्ट को साइन करने से पहले स्वास्थ्य की सही जानकारी देनी होगी.

– शूटिंग के दिनों में हर व्यक्ति की उपस्थिति का रिकौर्ड रखा जाएगा. सभी को शूटिंग से 45 मिनट पहले सैट पर पहुंचना होगा, ताकि उन्हें कोरोना से बचाव के तरीके बताए जाएं और नई दिनचर्या उन की आदत बन जाए.

– जो लोग घर से काम कर सकते हैं, उन्हें घर से ही काम करना होगा. 60 वर्ष से ज्यादा उम्र के व्यक्ति और किसी भी तरह की बीमारी से ग्रसित व्यक्ति को घर से काम करना अनिवार्य होगा.

देखना यह है कि आखिर कब तक यह स्थिति बनी रहती है. सभी की कोशिश यही है कि काम जल्दी से जल्दी पटरी पर लौट आए और रफ्तार पकड़ ले.

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