बोन हैल्थ की लापरवाही करना पड़ सकता है भारी

पूरी ऊर्जा के साथ अपना काम करने और सही माने में जिंदगी जीने के लिए हड्डियों का स्वस्थ रहना बहुत जरूरी है. हड्डियों में होने वाली समस्या के कारण आप के जीवन की गुणवत्ता प्रभावित हो सकती है. आप अपने परिवार और घर के काम को ठीक से मैनेज नहीं कर सकेंगी. वैसे तो उम्र के साथ हड्डियों का घनत्व कम होने लगता है जिस से वे कमजोर हो जाती हैं. लेकिन इस स्थिति से निबटने के लिए पहले से ही तैयार रहना और बोन हैल्थ के बारे में जानकारी रखना बहुत आवश्यक है.

दरअसल, हड्डियां हमारे शरीर में कई भूमिकाएं निभाती हैं. ये हमें एक निश्चित संरचना प्रदान करती हैं, अंगों की सुरक्षा करती हैं और मांसपेशियों को सही रखने के साथ कैल्सियम का भंडार करती हैं. जिन लोगों की हड्डियां मजबूत रहती हैं वे स्वस्थ और सक्रिय जीवन जीते हैं. शरीर में पुरानी हड्डियां टूटती हैं और नई हड्डियां बनती रहती हैं.

इस की वजह से हमारा बोन मास या वेट बढ़ता है. 30 की उम्र तक व्यक्ति की पुरानी हड्डियां धीरेधीरे टूटती हैं और नई हड्डियां जल्दी बनती है. इस उम्र के बाद नई हड्डियों के बनने की प्रक्रिया धीमी होती जाती है, जिस की वजह से हड्डियां कमजोर होती रहती हैं. खास तौर पर महिलाओं में औस्टियोपोरोसिस जैसी गंभीर बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है. पर अगर एक सही जीवनशैली, खानपान और ऐक्सरसाइज की जाए तो इस से आप की हड्डियां हमेशा मजबूत बनी रह सकती हैं.

बोन हैल्थ का खास खयाल

आइए जानते हैं कि महिलाओं को अपने हड्डियों के स्वास्थ्य के बारे में अतिरिक्त सावधानी बरतने की आवश्यकता क्यों है:

पुरुषों के मुकाबले महिलाओं की हड्डियां कमजोर और छोटी होती हैं. उन में छोटे शरीर के कारण फ्रैक्चर का जोखिम ज्यादा रहता है. पश्चिम की महिलाओं की तुलना में भारतीय महिलाओं में हड्डियां की ताकत कम होती है. जिन महिलाओं की हड्डियां छोटी और पतली होती हैं उन में औस्टियोपोरोसिस से संबंधित फ्रैक्चर का खतरा भी अधिक होता है. जाहिर है अपनी शारीरिक संरचना की वजह से भी भारतीय महिलाओं को अपनी हड्डियों का खास खयाल रखना चाहिए.

महिलाओं में मेनोपौज उन की हड्डियों को जल्दी और तेजी से कमजोर कर सकता है: महिलाओं में ऐस्ट्रोजन हारमोन के कारण मासिकधर्म होता है. यह हारमोन हड्डियों के विकास और मजबूती के लिए बहुत जरूरी है. सामान्यतया 45-50 की उम्र तक मेनोपौज की शुरुआत हो जाती है. जब इस हारमोन का स्तर कम हो जाता है तो महिलाओं को मेनोपौज हो जाता है और इस उम्र के बाद महिलाओं में हड्डियों की ताकत तेजी से घटती है. यही वजह है कि मेनोपौज के समय उन्हें अपनी हड्डियों का खास खयाल रखना चाहिए.

महिलाओं की कमजोर डाइट: पुरुषों की तुलना में भारतीय महिलाओं को कैल्सियम युक्त खाद्यपदार्थों जैसे दूध और दही का नियमित रूप से सेवन करने की आदत कम होती है. इस के अतिरिक्त पुरुषों की तुलना में महिलाएं मांस, मछली और अंडे का सेवन करने से भी अधिक परहेज करती हैं. जबकि ये ऐसे खाद्यपदार्थ हैं जो मजबूत हड्डियों के लिए पोषक तत्त्व प्रदान करते हैं. इन की कमी से महिला को बोन से संबंधित प्रौब्लम्स होने की संभावना ज्यादा रहती है.

महिलाओं में बोन हैल्थ के संदर्भ में जानकारी की कमी: अध्ययनों से पता चलता है कि भारतीय महिलाओं में हड्डियों के स्वास्थ्य के बारे में जागरूकता की कमी है. यह कमी उन्हें इस संदर्भ में आवश्यक कदम उठाने से रोकती है. वे अपने बच्चों और परिवार के दूसरे सदस्यों की सेहत का तो पूरा खयाल रखती हैं, मगर अपनी सेहत के प्रति लापरवाह हो जाती हैं. इस से उन की हड्डियां कम उम्र में ही कमजोर होने लगती हैं.

हड्डियों को ऐसे रखें मजबूत

एक उम्र के बाद हड्डियों का कमजोर होना स्वाभाविक बात है, लेकिन अगर आप के लाइफस्टाइल में कुछ गलत आदतें शामिल हैं तो उम्र से पहले ही आप की हड्डियां कमजोर हो सकती हैं. हड्डियां कमजोर होने पर कई तरह की दूसरी दिक्कतों का सामना भी करना पड़ता है. इसलिए इन बातों का खयाल जरूर रखें:

कैफीन और कार्बोनेटेड पेयपदार्थों से दूरी जरूरी: चाय, कौफी या फिर कार्बोनेटेड पेयपदार्थ जैसे कि सौफ्ट ड्रिंक, शैंपेन आदि हड्डियों से कैल्सियम खींच सकते हैं. हार्वर्ड में हुई एक रिसर्च के मुताबिक 16 से 20 साल की महिलाओं को सौफ्ट ड्रिंक के अधिक सेवन के कारण हड्डियों को क्षति पहुंचने की बात सामने आई थी. इन में फास्फेट ज्यादा होता है जो कैल्सियम को कम करने लगता है.

जरूरत से ज्यादा प्रोटीन लेना: जरूरत से ज्यादा प्रोटीन लेना भी अच्छा नहीं होता. अधिक मात्रा में प्रोटीन लेने से शरीर में ऐसिडिटी हो सकती है, जिस की वजह से पेशाब के जरीए शरीर से कैल्सियम बाहर निकल सकता है. अधिकतर लोगों को दिनभर में 0.12 कि.ग्राम प्रोटीन की जरूरत होती है. इस से ज्यादा मात्रा में प्रोटीन लेना हड्डियों के लिए नुकसानदायक साबित हो सकता है.

ऐसिडिटी की दवाएं बढ़ा सकती हैं मुश्किलें: कई लोग शरीर में गैस महसूस होने या ज्यादा तीखा भोजन करने के बाद सावधानीवश ऐसिडिटी की दवाओं का सेवन करते हैं. कैल्सियम, मैग्नीशियम और जिंक जैसे खनिजपदार्थों के अवशोषण के लिए पेट में ऐसिड होना जरूरी होता है. अगर आप ऐसिड बनने से रोकने की कोई दवा ले रहे हैं तो इस से आप में औस्टियोपोरोसिस का खतरा बढ़ जाता है. अगर आप कौर्टिकोस्टेरौइड दवाओं का सेवन लंबे समय से कर रहे हैं तो इस से भी औस्टियोपोरोसिस का खतरा बढ़ जाता है.

कौफी से दूर रहें: 1 कप कौफी पीने से पेशाब के जरीए 150 मि.ग्रा कैल्सियम शरीर से बाहर निकल जाता है. कौफी में और भी कई हानिकारक रसायन होते हैं जो शरीर से विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालने में रुकावट पैदा कर सकते हैं. अगर आप कौफी पीना ही चाहते हैं तो प्रत्येक कप के बदले 150 मि.ग्रा से ज्यादा कैल्सियम लेने की आदत भी डाल लें.

सप्लिमैंट्स लें: अगर आप के शरीर में कैल्सियम और विटामिन डी की कमी है तो इस से आप की हड्डियां कमजोर होने लगती हैं. ऐसे में कैल्सियम से भरपूर खाद्यसामग्री का सेवन करना बेहद जरूरी है. विटामिन डी कैल्सियम के अवशोषण और उसे हड्डियों तक पहुंचाने में मदद करता है. जब आप धूप लेते हैं तो स्किन के जरीए शरीर में विटामिन डी का निर्माण होता है. धूप नहीं ले सकते हैं तो इस की जगह विटामिन डी के सप्लिमैंट भी ले सकते हैं. इसी तरह चूंकि आप का दैनिक आहार आप की कैल्शियम की जरूरतों को पूरा नहीं कर सकता है, इसलिए कैल्सियम सप्लिमैंट और विटामिन डी सप्लिमैंट लेने का विकल्प चुनें.

तनाव: स्ट्रैस से कौर्टिसोल हारमोन का स्तर बढ़ता है. अगर लंबे समय तक इस का स्तर बढ़ा हुआ रहे तो हड्डियों को नुकसान पहुंच सकता है. इस की वजह से ब्लड शुगर लैवल भी बढ़ सकता है और पेशाब के जरीए शरीर से कैल्सियम बाहर निकल सकता है. तनाव से दूर रहने के लिए ध्यान करें और पर्याप्त नींद लें.

व्यायाम: शारीरिक निष्क्रियता बढ़ने के कारण हड्डियों की सेहत प्रभावित हो सकता है जिस के कारण गठिया जैसी बीमारियों का भी खतरा बढ़ जाता है. महिलाओं को पोस्टमेनोपौजल अवस्था के बाद खासकर शरीर को स्वस्थ रखने के लिए नियमित योगव्यायाम करते रहना आवश्यक है.

ऐक्सरसाइज के दौरान जब मांसपेशियां हड्डियों के विपरीत खिंचती हैं तो इस से हड्डियों में उत्तेजना पैदा होती है. पैदल चलने, साइक्लिंग, सीढि़यां चढ़ने और वेट लिफ्टिंग से हड्डियों के घनत्व में इजाफा होता है. दिनभर में 15 से 30 मिनट की ऐक्सरसाइज भी जरूरी होती है.

हड्डियों के लिए सुपर फूड

अगर आप अपना जीवन पूरी तरह स्वस्थ रह कर बिताना चाहती हैं तो आप को अपनी हड्डियों का खयाल रखना ही पड़ेगा. इस के लिए आप कुछ खाद्यसामग्री को अपनी डाइट में शामिल कर सकती हैं.

रोजाना 2 भीगे अखरोट से होंगी हड्डियां मजबूत: अखरोट को कच्चा खाने के बजाय अगर भिगो कर खाया जाए तो इस के फायदे कई गुणा बढ़ जाते हैं. इस के लिए रात में 2 अखरोट भिगो कर रख दें और सुबह खाली पेट खा लें. अखरोट में कई ऐसे घटक और प्रौपर्टीज पाई जाती हैं जो आप की हड्डियों और दांतों को मजबूत बनाती हैं. अखरोट में अल्फालिनोलेनिक ऐसिड पाया जाता है जो हड्डियों को मजबूत करने में मदद करता है.

प्रूंस फल का सेवन लाभकारी: हाल ही में हुए एक अध्ययन में वैज्ञानिकों ने एक ऐसे फाइबर युक्त फल के बारे में बताया है जिस का सेवन करना हड्डियों की क्षति को रोकने में मददगार हो सकता है. एडवांस्ड इन न्यूट्रिशन जर्नल में प्रकाशित अध्ययन के अनुसार डेयरी उत्पादों के साथ प्रूंस का सेवन करना भी लाभदायक माना जाता है. हड्डियों के घनत्व को बनाए रखने और उन्हें कमजोर होने से बचाने के लिए प्रूंस का सेवन लाभदायक हो सकता है.

आंकड़े बताते हैं कि पोस्टमेनोपौजल में महिलाओं में हड्डियों के कमजोर होने की समस्या अधिक होती है. 1 वर्ष तक दिन में लगभग 10 प्रूंस का सेवन करने वाली महिलाओं में इस से लाभ देखा गया. यह फल हड्डियों के घनत्व को कम होने से बचाने में काफी मददगार हो सकता है.

सोयाबीन: सोयाबीन के अंदर कैल्सियम पोटैशियम और प्रौटीन जैसे पोषक तत्त्व पाए जातेहैं. ये आप की हड्डियों को मजबूत बनाए रखते हैं. आप सोयाबीन या सोया प्रोडक्ट्स कई रूपों में यूज कर सकती हैं.

दही: दही आप की हड्डियों के लिए बेहद फायदेमंद है. इस के अंदर पाए जाने वाले पोषक तत्व जैसे प्रौटीन, कैल्सियम, फास्फोरस, पोटैशियम और विटामिन डी आप की हड्डियों को मजबूत बनाने का काम करता और औस्टियोपोरोसिस से भी बचा कर रखते हैं.

ड्राई फ्रूट्स: नट्स या सूखे मेवे आप की हड्डियों को तो मजबूत करते ही हैं, साथ ही ये आप के हृदय और मस्तिष्क का भी खयाल रखते हैं. इसलिए रोजाना बादाम अंजीर, काजू, अखरोट, किशमिश जैसे ड्राई फ्रूट अपने भोजन में शामिल करें.

हरी सब्जियां: हरी पत्तेदार सब्जियों में कई पोषक तत्त्व समेत ऐंटीऔक्सीडैंट गुण भी पाए जाते हैं जो आप की हड्डियों के लिए फायदेमंद हैं, हरी सब्जियों में आप ब्रोकली, पालक, पार्सले आदि का सेवन कर सकते हैं.

ग्रीन टी: ग्रीन टी का सेवन वैसे तो ओवरऔल हैल्थ के लिए फायदेमंद होता है, मगर बोन हैल्थ के लिए यह खासतौर पर लाभकारी है. यह न केवल आप को आर्थ्राइटिस से बचाकर रखती है बल्कि कमजोर हड्डियों को मजबूत भी बनाती है.

हलदी: हलदी का सेवन आप की हड्डियों के लिए लाभदायक होता है. दरअसल हल्दी में एक ऐंटीइनफ्लैमेटरी गुण होता है जिसे करक्यूमिन कहा जाता है. यह आप की हड्डियों को सेहतमंद रखेगा. आप सब्जी या दूध में मिला कर इस का सेवन कर सकते हैं.

कैसे बढ़ती उम्र हड्डियों की सेहत पर डालती है असर

उम्र और हड्डियों का अनोखा खट्टा-मीठा रिश्ता होता है. जब हम छोटे होते हैं तो हमारी हड्डियां सबसे बेहतर आकार में होती हैं. लेकिन जैसे-जैसे हमारी उम्र बढ़ती है, हड्डियों का स्वास्थ्य प्रभावित होने लगता है. इसलिये, हम सबको अपने जीवन के हर पड़ाव में हड्डियों के स्वास्थ्य के महत्व के बारे में सजग होना चाहिये. डॉ आर एस वशिष्ट के मुताबिक जब हमारी उम्र कम होती है हम हड्डियों की मजबूती को उतना महत्व नहीं देते हैं, लेकिन बढ़ती उम्र के साथ इसे प्राथमिकता देनी चाहिये. खासकर महिलाओं को, क्योंकि 30 साल की उम्र के बाद इनमें हड्डियों से जुड़ी समस्याओं के बढ़ने की आशंका अधिक होती है.

फैक्ट: जन्म के समय और नवजातों, शिशुआ की हड्डियां नरम तथा लचीली होती हैं

बच्चों की हड्डियां नरम और लचीले मटेरियल से बनी होती हैं, जिन्हें कार्टिलेज कहते हैं. यह बच्चे को बढ़ने और वयस्क कद तक पहुँचने में मदद करती हैं. जैसा कि हम जानते हैं कि इसके बाद इस कार्टिलेज में कैल्शियम जमा होने लगता है और मजबूत हड्डियों के रूप में यह सख्त होने लगता है.

फैक्ट : बचपन (1-9 वर्ष): यह बेहद महत्वपूर्ण समय होता है क्योंकि स्‍केलेटन विकसित होता है और उसका घनत्व बढ़ता है

बचपन में हमारी हड्डियां आकार और घनत्व में बढ़ती हैं, क्योंकि हड्डियों में कैल्शियम और अन्य खनिज जमा हो रहे होते हैं. जिन छोटे बच्चों को कैल्शियम और विटामिन डी3 नहीं मिल रहा है, उनमें हड्डियों में कमजोरी, पैर मुड़े हुए और अन्य समस्याएं हो सकती हैं.

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फैक्ट 3: किशोरावस्था (10-20 वर्ष): यह बढ़ने का समय होता है. इस समय हड्डियां विकसित हो रही होती हैं, जीवन के आखिरी समय तक के लिये

हड्डियों के विकास के लिये किशोरावस्था एक महत्वपूर्ण समय है. लड़कियों की ऊंचाई 11-12 साल के बीच बढ़ती है और लड़कों को 13-14 साल में इसका अनुभव होता है. किशोरावस्था के दौरान हड्डियों की ताकत का लगभग 90% हासिल कर लिया जाता है, इससे भविष्य में हड्डियों की सेहत तय होती है.

फैट 4: वयस्क अवस्था (20-30 वर्ष): हड्डियों की अच्छी सेहत का एक और मौका होता है

इस उम्र तक, शरीर अब इतनी आसानी से नई हड्डी नहीं बना रहा होता है, लेकिन तीस की उम्र के पहले तक यह हड्डी के घनत्व और ताकत के चरम तक पहुँचने का समय होता है. इन वर्षों के दौरान महिलाओं को गर्भावस्था और स्तनपान का भी अनुभव होता है. गर्भावस्था और स्तनपान के दौरान कैल्शियम की उच्च मांगों को पूरा करने के लिये एक अच्छा आहार महत्वपूर्ण है. चूँकि, आपका दैनिक आहार आपकी कैल्शियम की जरूरतों को पूरा नहीं कर पाता, इसलिये कैल्शियम सप्लीमेंट और विटामिन डी के साथ आने वाला विकल्प चुनना महत्वपूर्ण है. कई ऐसे ब्रांड भी हैं जो कैल्शियम की चबाने योग्य गोलियाँ देते हैं जिनका स्वाद अच्छा होता है और इनका आसानी से सेवन किया जा सकता है. पुरुषों की तुलना में महिलाओं में हड्डियों के कमजोर होने का खतरा अधिक होता है. इसलिये, हड्डी से जुड़ी कोई भी समस्या होने से पहले उससे निपटने के लिये हमेशा तैयार रहना बेहतर होता है.

फैक्ट 5: प्रौढ़ावस्था (30-50 वर्ष): जब उम्र हड्डी की सेहत पर धीरे-धीरे और धीमी गति से प्रभाव डालने लगती है

30 साल की उम्र से पुरुषों और महिलाओं दोनों में हड्डियों की ताकत और यहां तक कि मांसपेशियों की टोन में लगातार कमी आने लगती है. हमारे पूरे जीवनकाल में हड्डियां बदलती रहती हैं. हालांकि, 40 की उम्र के बाद, हड्डियों में बदलाव कम होता है. इसलिये, रीमॉडलिंग के बाद ना केवल मजबूत हड्डियों के लिये बल्कि हड्डियों के नुकसान को रोकने के लिये भी डाइट में कैल्शियम और विटामिन डी3 महत्वपूर्ण होता है.

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फैक्ट 6: 50 वर्ष के बाद: हड्डियां पतली होने लगती हैं और खनिज खोने लगती हैं

महिलाओं को 42-55 साल के बीच मेनोपॉज का अनुभव होता है, जो उनमें हड्डियों के नुकसान की गति को बढ़ा देता है. हड्डियां खनिजों को खोने लगती हैं और संरचना में परिवर्तन होने लगता है. फ्रैक्चर का खतरा बढ़ जाता है. ऑस्टियोपोरोसिस, एक ऐसी बीमारी है जिसमें हड्डियों के खनिज घनत्व में कमी के कारण हड्डियां आसानी से टूट सकती हैं, यह आम है. झुकने या छींकने जैसी छोटी गतिविधियाँ भी ऑस्टियोपोरोसिस वाले व्यक्ति में फ्रैक्चर का कारण बन सकती हैं.

फैक्ट 7: 70 वर्ष की उम्र के बाद हड्डी की सेहत: हड्डियां काफी कमजोर होती हैं और फ्रैक्चर आम होता है

70 साल की उम्र के बाद हड्डियों की मजबूती कम होती जाती है. बुजुर्गों में हड्डी की चोट का एक सामान्य कारण नीचे गिरना है और इसलिये गिरने से बचाव जरूरी है. व्यायाम की एक सामान्य दिनचर्या, संतुलन और लचीलेपन को बनाये रखने में मदद कर सकती है.

कुल मिलाकर, भरपूर मात्रा में कैल्शियम और विटामिन डी3 के साथ संतुलित आहार लेना, विशेष रूप से बढ़ती उम्र के साथ महत्वपूर्ण होता है. 30 की उम्र के बाद की महिलाओं को आहार के साथ पर्याप्त कैल्शियम का सप्लीमेंट लंबे समय तक एक सक्रिय जीवन जीने में मददगार होता है.

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