लड़के भी सीखें खाना बनाना

16 वर्षीय अभिषेक को अपनी मैडिकल की कोचिंग की वजह से कानपुर से दिल्ली आना पड़ा. दिल्ली आ कर सब से पहले तो उस ने बजट में रहने की एक जगह ढूंढ़ी. उस के बाद उस के सामने समस्या थी खाने की, क्योंकि जिस पीजी में वह रहता था उस ने खाना न उपलब्ध कराने के लिए कहा. पीजी वालों का कहना था कि अगर आप खुद खाना बना सकते हों तो ठीक है वरना बाहर से मैनेज करें. बाहर से पता करने पर पता चला कि खाने का खर्च जहां उस का बजट बिगाड़ देगा वहीं रोजरोज बाहर का खाना खाने से उस की सेहत को खतरा था.

आज अभिषेक को लग रहा था कि काश, उस ने भी अपनी बहन की तरह खाना बनाना सीख लिया होता तो आज यह नौबत न आती. दरअसल, भारतीय समाज में किचन का काम मुख्य रूप से लड़कियों की जिम्मेदारी समझा जाता है.

लड़कों से किचन का काम करवाना या खाना बनवाना बिलो स्टैंडर्ड समझा जाता है. यही कारण है कि लड़के खाना बनाना नहीं सीख पाते और खाने के लिए घर की महिलाओं पर निर्भर रहते हैं.

बदलते समय में लड़कियों की दुनिया महज घर की चारदीवारी तक सीमित नहीं है. वे घर से बाहर बड़ीबड़ी कंपनियां चला रही हैं. ऐसे में लड़कों के लिए भी कुकिंग सीखना बहुत जरूरी हो जाता है. लड़कों को कुकिंग आने के अनेक फायदे हैं, जिन्हें लड़के जान लें तो वे कुकिंग सीखने से पीछे नहीं हटेंगे.

लड़कियां होंगी इंप्रैस

आज की कामकाजी, आत्मनिर्भर लड़कियां ऐसे लड़कों की तलाश में रहती हैं जो खुद तो खाना बना ही सकें साथ ही गर्लफ्रैंड को भी अपनी बनाई डिशेज खिला कर इंप्रैस कर सकें.

15 वर्षीय वंशिका कहती है, ‘‘जब लड़कियां लड़कों के बराबर उच्च शिक्षा, नौकरी, घर से बाहर सभी कार्य कर रही हैं जो लड़के करते हैं तो फिर लड़के घर के काम यानी कुकिंग क्यों न सीखें?

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‘‘बाहर से आ कर लड़का क्यों आराम से बैठ कर और्डर करे और क्यों लड़की ही किचन में खाना बनाए. जब जमाना बराबरी का है तो लड़कों को भी कुकिंग सीखनी चाहिए. मेरे लिए परफैक्ट बौयफ्रैंड का पैरामीटर है कि लड़के को भी कुकिंग आनी चाहिए.’’

हैल्थ के लिए फायदेमंद

अभिषेक जैसे अनेक लड़के हैं जो उच्चशिक्षा या कोचिंग के लिए घरपरिवार से दूर दूसरे शहरों में रहते हैं. उन के लिए रोजरोज बाहर का खाना खाना न केवल महंगा पड़ता है बल्कि सेहत के लिए भी नुकसानदायक है. ऐसे में अगर लड़कों ने कुकिंग सीखी होगी तो वे खुद खाना बना कर खा सकते हैं जो हर लिहाज से सस्ता व सेहतमंद होगा.

फ्यूचर के लिए फायदेमंद

आजकल लड़कालड़की दोनों वर्किंग होते हैं. ऐसे में अगर लड़के को कुकिंग आती होगी, तो दोनों घरबाहर की जिम्मेदारियों को बराबरी से बांट सकेंगे वरना आएदिन खाना बनाने को ले कर दोनों के बीच तूतूमैंमैं होती रहेगी.

वैसे भी अगर विवाह के बाद लड़केलड़की दोनों को खाना बनाना आता होगा तो खाने में वैरायटी आएगी. दोनों मिल कर कुकिंग में नएनए ऐक्सपैरिमैंट कर सकेंगे और लड़के को खाने के लिए अपनी पत्नी पर निर्भर नहीं रहना पड़ेगा बल्कि जरूरत पर पत्नी को भी खाना बना कर खिला सकेगा.

बनेंगे इंडिपैंडैंट

होस्टल में जहां लड़केलड़कियां इकट्ठे रहते हैं वहां अगर लड़कों को खाना बनाना न आता हो और लड़कियां कहीं चली जाएं या बीमार हो जाएं तो कुकिंग न आने वाले लड़कों के लिए मुसीबत हो जाएगी, लेकिन अगर लड़कों को खाना बनाना आता होगा तो वे लड़कियों पर निर्भर नहीं रहेंगे.

लड़कियों को मिलेगा स्पैशल ट्रीटमैंट

लड़कियों को कितना अच्छा लगेगा जब रूटीन से हट कर लड़की आराम से बैठेगी और लड़का उस के लिए स्पैशल डिश बना कर उसे खुश करेगा.

इसी तरह विवाह के बाद भी अगर लड़के को खाना बनाना आता होगा तो दोनों मिल कर किचन में साथसाथ कुकिंग कर सकेंगे और साथसाथ समय बिताते हुए दोनों के बीच प्यार बढ़ेगा.

लड़के कुकिंग सीखने की शुरुआत कैसे करें

कुकरी ऐक्सपर्ट नीरा कुमार का कहना है कि लड़कों के लिए भी कुकिंग सीखना उतना ही जरूरी है जितना लड़कियों के लिए. उन का तो यहां तक कहना है कि पाक शिक्षा को स्कूली पाठ्यक्रम का हिस्सा बनाया जाना चाहिए ताकि लड़के खाना बनाना सीख सकें. वैसे भी जब लड़कियां पढ़लिख कर खाना बनाती हैं तो लड़के भी पढ़नेलिखने के बाद खाना बनाना क्यों न सीखें?

लड़के खाना बनाना सीखने की शुरुआत कैसे करें इस बारे में नीरा कुमार का कहना है कि शुरुआत में वे इंस्टैंट फूड बनाना सीखें. फिर धीरेधीरे पुलाव, पोहा, सैंडविच, पास्ता जैसी डिशेज बनाना सीखें. वे चाहें तो कुकिंग वीडियोज की भी मदद ले सकते हैं.

स्मार्टफोन की लें मदद

स्मार्टफोन का यूज सिर्फ मेल, मैसेज या वीडियोज शेयर करने के लिए न करें. आप स्मार्ट फोन में कुकिंग से रिलेटिड ऐप्स भी डाउनलोड कर सकते हैं और गुड फूड ऐप्स जैसी ऐप्लिकेशंस की सहायता से कुकिंग में आने वाली मुश्किलों का हल तलाश सकते हैं.

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लखनऊ के रहने वाले अपूर्व का कहना है कि कुकिंग एक आर्ट है और इसे हर लड़के को सीखना चाहिए. मैं 12वीं के बाद होस्टल और पीजी में रहा हूं, जहां हमेशा खाने की समस्या आती रहती थी, लेकिन कुकिंग मेरा पैशन है और मैं बचपन से कुकिंग में इंट्रैस्ट लेता था इसलिए मुझे अकेले रहने के दौरान कोई दिक्कत नहीं आई.

मुझे कई तरह का खाना बनाना आता है. मेरा मानना है कुकिंग रिलेशनशिप व बैचलर लाइफ के अलावा शादी के बाद भी काम आती है. इसलिए लड़कों को भी बचपन से ही खाना बनाना सीखना चाहिए.

कैरियर का बेहतरीन औप्शन

आज देश के जानेमाने शैफ संजीव कपूर, विकास भल्ला, रणवीर बरार, कुणाल कपूर आदि सभी पुरुष हैं और इन्होंने महिलाओं के एकाधिकार वाले क्षेत्र में अपनी पैठ बनाई है. इसलिए अगर आप का कुकिंग में पैशन है तो आप उसे अपना प्रौफैशन भी बना सकते हैं. वैसे भी सामाजिक स्तर पर जब लड़केलड़कियों का अंतर खत्म हो रहा है तो फिर लड़कों को भी लड़कियों के क्षेत्र में यानी कुकिंग में महारत हासिल कर के अपने टैलेंट को साबित करना चाहिए और यह तभी संभव हो सकता है जब बचपन से ही वे कुकिंग की ट्रेनिंग लें.

लड़की में क्या-क्या ढूंढ़ते हैं लड़के 

विश्वास पिछले 3 वर्षों से अपनी बेटी सोनिया की शादी के लिए लड़का देख रहे हैं. दर्जनों लड़के इन वर्षों के दौरान सोनिया को देखने आए और अच्छीभली लड़की को रिजैक्ट कर के चले गए. चार्टर्ड अकाउंटैंट का कोर्स खत्म करने के बाद जब सोनिया की शादी की बात चलनी शुरू हुई थी, तो सोनिया कैसे शरमाईलजाई, मगर खुश दिखती थी. उस की सारी सहेलियों की शादी हो चुकी थी. मगर उस की जिद थी कि सीए की पढ़ाई पूरी कर के ही शादी करेगी. पढ़ाई पूरी होते ही उस के मातापिता ने उस के लिए लड़का ढूंढ़ना शुरू कर दिया था. तमाम लड़के देखे, कितने परिवार उस के घर भी आए और कई बार पब्लिक प्लेसेज पर भी सोनिया की दिखाई हुई. मगर बात बनी नहीं.

लड़के वाले कोई न कोई नुक्स निकाल कर रिश्ता करने से मना कर देते थे. इन बीते 3 सालों में बारबार रिजैक्ट होने के चलते सोनिया हताश हो गई है, मुर झा सी गई है, अवसादग्रस्त होने लगी है. अब तो कोई उस को देखने आता है तो बड़े अनमने ढंग से तैयार हो कर सामने जाती है. उस का व्यवहार भी रूखा होता जा रहा है. उस के मातापिता बेटी की इस हालत से काफी चिंतित हैं. ‘पता नहीं इस की शादी होगी या नहीं, पता नहीं लड़की में कोई दोष न निकाल दे, पता नहीं किसी ने जलन में कोई टोनाटोटका करवा दिया हो,’ इन आशंकाओं से घिरे अब वे पंडितोंबाबाओं के चक्कर लगाने लगे हैं. इस चक्कर में जहां उन की जमापूंजी उड़ रही है, वहीं सोनिया का व्यवहार इन सब बातों से और ज्यादा नैगेटिव होता जा रहा है. वह सोचती है कि उस ने थ्रूआउट फर्स्ट डिविजन में अपनी पढ़ाई पूरी की, दिखने में भी ठीकठाक है, कल को अच्छी नौकरी भी करेगी, फिर भी कोई उस से शादी के लिए हां क्यों नहीं बोल रहा है?

पहले जहां लड़के को ले कर सोनिया की अपनी कुछ चौइसेस थीं कि लड़के में यह होना चाहिए, वह होना चाहिए, वहीं अब बारबार ठुकराए जाने व अपने मातापिता की गहरी होती चिंताओं को देख कर वह सोचती है कि कोई भी, कैसा भी लड़का हो, चलेगा. बस, कोई हां तो कर दे.

दरअसल, सोनिया एक सीधीसरल लड़की है. वह दिखावे में कतई विश्वास नहीं करती है. वह सोचती है जैसी वह है, बस वैसी ही कोई उस को पसंद कर ले. इसलिए जब भी लड़के वाले आते हैं तो वह शालीन मगर साधारण तरीके से तैयार हो कर उन के सामने प्रस्तुत होती है. सोनिया सम झ नहीं रही है कि यह डिजिटल युग है. हर आदमी रंगीन परदे की चमक और ग्लैमर को अपने स्मार्टफोन में समेटे घूम रहा है. दिनरात उन तसवीरों से अपनी आंखें सेंकता है, सपने बुनता है. उस ग्लैमर में वह इतना रचबस गया है कि वास्तविक, सरल और साधारण चीजें उस को फूहड़ व पिछड़ी नजर आती हैं. आजकल लड़के ही नहीं, वरन उन के मांबाप भी होने वाली बहू में कुछ एक्सट्राऔर्डिनरी खूबियां तलाशते हैं, भले वे आर्टिफिशयल क्यों न हों.

दरअसल, सोनिया के रिजैक्शन की बड़ी वजह है उस की हाइट और साधारण तरीके से एक चोटी में गुंथे उस के बाल. सोनिया 5 फुट 2 इंच लंबी है. आमतौर पर भारत में लड़कियां इसी लंबाई की ही होती हैं. मगर ज्यादातर लड़कियां हाईहील में खुद को और लंबा शो करती हैं और लड़के उन की इस हाइट पर फिदा हो जाते हैं. वहीं, सोनिया ने आज तक हाईहील ट्राई ही नहीं की. वह साड़ी के नीचे भी फ्लैट चप्पल या सैंडल ही पहनती है. अपने घने, लंबे और चमकीले बालों को वह हमेशा एक चोटी में गूंथ कर रखती है. जबकि, फैशन है खुलेलहराते बालों का. यही कुछ छोटेमोटे कारण हैं कि लड़के वाले सोनिया को रिजैक्ट कर के चले जाते हैं.

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कोई लड़का जब शादी के लिए लड़की देखने को निकलता है तो आमतौर पर वह 4-5 चीजें अपनी होने वाली बीवी में देखना चाहता है. पहली नजर में वह कुछ बातें नोटिस करता है और अगर आप उन बातों में मात खा जाएं तो आप को रिजैक्ट होने में देर नहीं लगेगी. क्या कभी आप ने सोचा है कि पहली मुलाकात में पुरुष आप के बारे में क्या सोचते हैं? वे आप को किस रूप में देखते हैं?

किसी ने कहा है, ‘ह्यूमन बींग्स आर विजुअल बींग्स’ यानी जिन लोगों से हम मिलते हैं, उन के शारीरिक हावभाव पर हमारा ध्यान सब से पहले जाता है और यह बहुत स्वाभाविक है कि जब हमें वह व्यक्ति शारीरिक रूप से आकर्षित करता है, तभी बात आगे बढ़ती है, अन्यथा वहीं खत्म हो जाती है. आप की पढ़ाईलिखाई, गुण, आदतें, विचार, पैसा, बैंक बैलेंस ये सब तो बहुत बाद की बातें हैं.

लड़के जब पहली बार किसी लड़की से मिलते हैं तो उन की कुछ शारीरिक बातों की तरफ ही सब से ज्यादा आकर्षित होते हैं. जी हां, यह बात सुनने में जरूर अटपटी लग सकती है, लेकिन सच है. लड़के कुछ बेहद छोटीछोटी बातों को नोटिस करते हैं और इन्हीं बातों पर उन की हां या न टिकी होती है. आप की शानदार उपस्थिति के अलावा, आप की सम झदारी, बौडी लैंग्वेज, मुसकान, आंखें, लंबाई यहां तक कि पुरुष आप के बालों को भी नोटिस करते हैं. पहली बार लड़की देखने जा रहे लड़के मन ही मन इन्हीं चीजों को सोचते हैं. हालांकि, वे कभी बताते नहीं हैं. हम आप को बताते हैं वो बातें, जो लड़की देखने जा रहा लड़का जरूर नोटिस करता है. अगर आप भी इन बातों का खयाल रखें तो मजाल है कि कोई आप को रिजैक्ट कर दे.

आप की लंबाई

अधिकांश लड़के उन लड़कियों से दूर भागते हैं जो उन से बहुत ज्यादा लंबी या छोटी होती हैं. पहली मीटिंग में लड़के ज्यादातर लड़कियों की हाइट पर ध्यान देते हैं. लड़के उन्हीं लड़कियों की तरफ सब से ज्यादा आकर्षित होते हैं, जिन की लंबाई उन के समान हो या लड़की कम से कम उन की गरदन तक तो जरूर हो. इसलिए शादी के लिए लड़के वाले आ रहे हों तो लड़के की हाइट पहले से पता कर लें और उसी के मुताबिक हाईहील सैंडल का चुनाव कर के खुद को तैयार करें. अगर लड़के की हाइट कम है तो हाईहील हरगिज न पहनें क्योंकि लड़के कभी भी यह नहीं चाहते कि लड़की की लंबाई उन से ज्यादा निकली हुई हो. हालांकि, इस का मतलब यह बिलकुल नहीं है कि लंबी लड़कियों की तरफ लड़के आकर्षित नहीं होते या छोटी हाइट वाली लड़कियां उन्हें नहीं भातीं, लेकिन यह पूरी तरह सभी की पसंदनापसंद पर निर्भर करता है.

आप की मुसकान

किसी ने ठीक ही कहा है कि एक खूबसूरत मुसकान किसी का भी दिल जीत सकती है. जी हां, जो लड़कियां मुसकराती हैं, उन्हें काफी आकर्षक माना जाता है. शायद यही एक कारण भी है कि ऐसी लड़कियों से लड़कों को बात करने में काफी आसानी होती है. ऐसे में अगर आप को लड़के वाले देखने आ रहे हैं तो अपनी मुसकान के साथ पर्सनैलिटी का भी ध्यान रखें. न बहुत ज्यादा मुसकराएं और न होंठ सी कर बैठें. आप के चेहरे की लज्जाशील मुसकराहट किसी का भी दिल जीत लेगी, इसलिए हलकी मुसकान जरूर ओढ़े रहें.

आप की आंखें

आप एक व्यक्ति की आंखों में देख कर उस के बारे में बहुतकुछ पता लगा सकते हैं. यही नहीं, आंखें एक चुंबक की तरह हैं जो किसी भी अजनबी को अपनी तरफ आकर्षित कर सकती हैं. ऐसे में ज्यादातर लड़के एक लड़की की आंखों में देखने का जरूर प्रयास करते हैं. वे बातचीत के दौरान आप की आंखों में देख कर यह जानने की कोशिश करते हैं कि आप उन को कैसा फील कर रही हैं. आप की आंखों में उन के लिए प्यार और विश्वास है कि नहीं. ऐसे में बाकी बौडी पार्ट्स की तरह अपनी आंखों पर भी विशेष ध्यान दें. आप की आंखें छोटीबड़ी जैसी भी हों, उन्हें मेकअप के जरिए थोड़ा और आकर्षक बनाएं. काजल, मसकारा और आई लाइनर ये तो अब रोजमर्रा के इस्तेमाल की चीजें हैं, इन से परहेज न करें. आंखों को साफ भी रखें. ऐसा न हो कि उन से बात करतेकरते आप की आईज के साइड बट्स पर जमा मैल उन को नजर आ जाए और बनती बात बिगड़ जाए.

आप की ड्रैसिंग स्टाइल

यह आप को थोड़ा अजीब लग सकता है, लेकिन ऐसा सच है कि लड़के ज्यादातर लड़कियों को उन की ड्रैसिंग स्टाइल से भी जज करते हैं. हालांकि, इस का मतलब यह बिलकुल नहीं है कि आप ने फर्स्ट मीटिंग में इंप्रैस करने के लिए एक सुपर हौट ड्रैस चुन ली या जो ड्रैस आप ने चुनी है उस का रंग आप के टैक्सचर पर बिलकुल भी सूट न करे. ऐसे में वहां बात बनने से पहले ही बिगड़ जाएगी.़

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हर लड़की को पता होता है कि उस पर सब से ज्यादा कौन सा रंग खिलता है. कौन से कलर में उस का शरीर आकर्षक दिखता है. तो जिस रंग को ले कर आप पहले से कौन्फिडैंट हैं, उसी रंग की पोशाक ट्राई करें. किसी और के कहने पर भड़काऊ रंग के कपड़े न पहनें. जिस के बारे में आप को पहले से पता है कि यह कलर आप को सूट करता है तो उस में आप का आत्मविश्वास जागेगा, जो आप की बौडी लैंग्वेज में भी पता चलेगा और आप की आंखों से भी छलकेगा.

इस बात को गांठ बांध लीजिए कि एक आत्मविश्वास से भरा हुआ व्यक्ति सब से अधिक आकर्षक लगता है. यदि आप फुल कौन्फिडैंस के साथ बातचीत करती हैं या उन की हर बात का बेबाक तरीके से जवाब देती हैं तो आप की बात बननी पक्का है, कोई कैसे आप को रिजैक्ट कर सकता है.

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