बौयफ्रैंड कब बनें जीवनसाथी

मध्यवर्गीय परिवार की सुनिधि ने जब कालेज में उच्चवर्ग परिवारों की लड़कियों की चमकदमक देखी तो उसे बहुत आश्चर्य हुआ. सभी लड़कियां अपनेअपने बौयफ्रैंड के साथ घूमती, मौजमस्ती करती थीं. बौयफ्रैंड उन लड़कियों को उन के जन्मदिन पर गिफ्ट देते थे, फाइवस्टार होटलों में पार्टी देते थे. उच्चवर्ग परिवारों की लड़कियों की मौजमस्ती देख कर सुनिधि ने भी एक धनी परिवार के खूबसूरत लड़के सौरभ से दोस्ती कर ली. सुनिधि को सौरभ का स्वभाव बहुत अच्छा लगा और वह उसे अपना जीवनसाथी बनाने की कल्पना में खोईखोई रहने लगी. लेकिन जल्द ही उस की कल्पना किसी स्वप्न की तरह टूट गई. सौरभ के परिवार वालों ने किसी धनी परिवार की लड़की से उस का रिश्ता पक्का कर दिया. सौरभ भी अपने परिवार वालों के सामने अधिक विरोध नहीं कर सका. उस के चले जाने से सुनिधि को बहुत आघात लगा और वह डिप्रैशन का शिकार हो गई.

अंधकारमय भविष्य

सुनिधि की तरह अनेक लड़कियां कालेज में किसी से दोस्ती कर के कल्पनाओं में इतनी खो जाती हैं कि फिर उन्हें उस बौयफ्रैंड के अलावा कुछ भी नहीं दिखाई देता. उस बौयफ्रैंड को अपना जीवनसाथी बनाने के चक्कर में वे शारीरिक संबंध तक बना लेती हैं. ऐसी परिस्थिति में जब किसी लड़की का उस लड़के से किसी कारण विवाह नहीं होता, तो आजीवन उस लड़की के मस्तिष्क में उस लड़के की यादें फिल्म की तरह घूमती रहती हैं और उस लड़की के भविष्य को अंधेरे की ओर ले जाती हैं. किसी लड़की के स्वप्नों का महल ध्वस्त होने पर मातापिता उस का विवाह कहीं और कर देते हैं. लेकिन लड़की इतनी संवेदनशील होती है कि विवाह के बाद भी बौयफ्रैंड को भूल नहीं पाती और उस की यादों में खोई रह कर अपने नए परिवार में एडजेस्ट नहीं होती.पति जब तक उस लड़की की वास्तविकता से परिचित नहीं हो पाता, तब तक गृहस्थी की गाड़ी किसी तरह घिसटती है और जब पति को किसी तरह उस के बौयफ्रैंड की कहानी पता चल जाती है, तो दांपत्य में विस्फोट हो जाता है. कोई भी ति अपनी पत्नी की प्रेम कहानी को बरदाश्त नहीं कर पाता और एकदूसरे से अलग रहते हुए एक दिन सचमुच अलगाव हो जाता है. अलगाव के बाद पति का दूसरा विवाह हो जाता है, लेकिन लड़की पर मुसीबतों का पहाड़ टूट पड़ता है. तलाकशुदा नवयुवती कटी पतंग बन कर रह जाती है. कटी पतंग को सभी लूट लेना चाहते हैं, लेकिन स्थाई आश्रय कोई नहीं देता.

सतर्कता जरूरी

चौराहे पर भटकने वाली लड़की की परिस्थिति से बचने के लिए कालेज में बौयफ्रैंड के साथ दोस्ती करते समय कुछ बातों के लिए सतर्क रहना जरूरी होता है. बौयफ्रैंड के साथ डेटिंग पर जाने पर उस के व्यवहार से बहुत कुछ उस के संबंध में ज्ञात किया जा सकता है. किसी भी बौयफ्रैंड के साथ दोस्ती कर के लड़की को तुरंत उसे जीवनसाथी बनाने का निर्णय नहीं कर लेना चाहिए. जब कोई लड़की बौयफ्रैंड को जीवनसाथी बनाने का निश्चय कर लेती है, तो फिर उसे बौयफ्रैंड में कोई भी कमी दिखाई नहीं देती. ऐसे में कोई उस लड़की को बौयफ्रैंड के संबंध में सतर्क भी करता है, तो वह लड़की उस पर विश्वास नहीं करती. मातापिता भी जब बौयफ्रैंड से दूर रहने के लिए कहते हैं, तो लड़की उन का भी प्रबल विरोध करती है और अपने को उस बौयफ्रैंड की बांहों में समर्पित कर देती है. ऐसी स्थिति में जब बौयफ्रैंड उसे छोड़ कर किसी दूसरी लड़की को अपना जीवनसाथी बना लेता है तो उस लड़की को दिन में तारे दिखाई देने लगते हैं और अपनी गलती पर पछतावा होने लगता है. लेकिन तब तक परिस्थितियां इतनी परिवर्तित हो चुकी होती हैं कि लड़की के लिए केवल पछतावा ही शेष रह जाता है.

मानसिक आघात

बौयफ्रैंड के विश्वासघात का शिकार बनने पर किसी भी लड़की को अपने भविष्य को अंधकार में नहीं डुबोना चाहिए, बल्कि नए उत्साह और उमंग से जीवनयापन का प्रयत्न करना चाहिए. यदि लड़की उच्च शिक्षित है तो किसी औफिस में काम कर के, अपने लिए आजीविका तलाश कर के वह पूरी क्षमता से आगे बढ़ सकती है. लड़की को बौयफ्रैंड की यादों से बाहर निकल कर आत्मनिर्भर हो कर आगे बढ़ना चाहिए. बौयफ्रैंड से संबंधविच्छेद होने पर अकसर लड़की बुरी तरह निराश हो कर अपने को सब से अलग कर लेती है. फिर एक समय ऐसा आता है कि सब से अलग होने वाली लड़की से सब दूर होते जाते हैं और एक दिन सब से अलग हो कर वह लड़की डिप्रैशन की शिकार हो जाती है. डिप्रैशन की परिस्थिति मानसिक रूप से लड़की को इतना क्षुब्ध कर देती है कि वह आत्महत्या जैसा कदम उठा लेती है.

ऐसी नौबत न आए

किसी लड़की के जीवन में इतनी दुखद परिस्थिति न आने पाए इस के लिए उस परिस्थिति की नींव प्रारंभ होने से पहले ही यानी किसी को बौयफ्रैंड बनाने से पहले ही यह सोच लेना चाहिए कि उस से दोस्ती केवल दोस्ती तक ही सीमित रखनी है और बौयफ्रैंड के साथ घूमतेफिरते, होटलरेस्तरां व पिकनिक पर जाते हुए बौयफ्रैंड की हरकतों के प्रति विशेष रूप से सतर्क रहना है. जैसे, सिनेमाहाल में फिल्म देखते हुए अंधेरे का अनुचित लाभ उठाते हुए बौयफ्रैंड अशिष्ट हरकत तो नहीं कर रहा. कार में गर्लफ्रैंड को घुमाते हुए बौयफ्रैंड दरवाजे का शीशा खोलने के बहाने लड़कियों को स्पर्श करने की कोशिश करते हैं. एक बार ऐसी कोशिश में सफल होने पर और लड़की के कोई विरोध नहीं करने पर वे बारबार ऐसी अशिष्ट हरकतें करते हैं. लिफ्ट में आतेजाते भी बौयफ्रैंड की ऐसी हरकतें कभीकभी लड़कियों को इतना कामोत्तेजित कर देती हैं कि वे स्वयं उन के आलिंगन में बंध जाती हैं. बस, यहीं से लड़कियां बौयफ्रैंड को जीवनसाथी बना लेने के स्वप्नों में खोते हुए शारीरिक समर्पण कर बैठती हैं और बौयफ्रैंड के विश्वासघात करने या दूसरे किसी कारण से संबंधविच्छेद हो जाने पर लड़की के पास उस के स्वप्नों में खोए रहने के अलावा कुछ शेष नहीं रहता.

बौडी लैंग्वेज

बौयफ्रैंड के व्यवहार और बौडी लैंग्वेज से ही पता चल जाता है कि भविष्य में बौयफ्रैंड उस का जीवनसाथी बन पाने में सफल होगा कि नहीं. बौयफ्रैंड का व्यवहार ही उस के स्वभाव को प्रदर्शित कर देता है. कालेज में लड़कियों के आसपास भंवरों की तरह मंडराने वाले लड़कों से पहले ही सतर्क हो जाना चाहिए. ऐसे बौयफ्रैंड की यादों को मन की गहराइयों तक नहीं उतारना चाहिए और अवसर देख कर ऐसे बौयफ्रैंड से स्वयं अलग हो जाना चाहिए. बौयफ्रैंड के साथ डेटिंग या होटलरेस्तरां में जाते हुए उस से कुछ अंतराल बनाए रखना चाहिए. एकदूसरे के बीच का अंतराल एक बार समाप्त हो जाए तो फिर उस लड़की के पास कुछ शेष नहीं रह पाता और ऐसी परिस्थिति में बौयफ्रैंड उस लड़की को दूध में गिरी मक्खी की तरह निकाल फेंकता है. एक बौयफ्रैंड से अलग हुई लड़की को दूसरा बौयफ्रैंड तो मिल जाता है. लेकिन वह भी केवल मौजमस्ती के लिए फ्रैंडशिप करता हैं.

कैरियर अहम है

बौयफ्रैंड से दोस्ती करते हुए किसी लड़की को कालेज में आने और उच्च शिक्षा प्राप्त करने के उद्देश्य को नहीं भूलना चाहिए. उसे उच्च शिक्षा प्राप्त कर के अपना कैरियर बनाने की बात पहले सोचनी चाहिए. कैरियर बन जाने पर कितने ही नवयुवक उसे अपना जीवनसाथी बनाने के लिए तैयार हो जाएंगे. यदि किसी लड़की ने बौयफ्रैंड के चक्कर में अपना कैरियर दांव पर लगा दिया तो फिर भविष्य में प्रायश्चित्त करने के अलावा उस के पास कुछ शेष नहीं रह जाता.

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