लड़कों में क्या खोजती हैं लड़कियां

लड़कों की कौन सी अदाएं लड़कियों को अपना दीवाना बना सकती हैं, जान कर हैरान रह जाएंगे आप…

1. बौडी लैंग्वेज

कोई भी लड़की इस बात पर जरूर ध्यान देती है कि आप खड़े कैसे होते हैं, आप का उठनाबैठना कैसा है, दूसरों से बातचीत करते वक्त आप के बोलने की टोन कैसी होती है, आप की चाल कैसी है, आप सीधा, कंधों को उठा कर, कौन्फिडैंटली चलते हैं या नहीं, दूसरों के प्रति आप का व्यवहार कैसा है वगैरह. इसलिए किसी लड़की से मिलने जाना हो तो अपनी बौडी लैंग्वेज पर जरूर ध्यान दें. लड़कियों को वे लड़के भी बिलकुल पसंद नहीं आते जिन के शरीर से दुर्गंध आती हो.

2. लंबे पैर

‘यूनिवर्सिटी औफ कैंब्रिज’ में हुई एक स्टडी में यह निष्कर्ष निकाला गया है कि महिलाओं और लड़कियों को पुरुषों के लंबे पैर आकर्षित करते हैं. इस औनलाइन सर्वे में पाया गया कि अमेरिका की 800 महिलाओं ने ऐसी मेल फिगर्स को तरजीह दी जिन के पैर औसत से थोड़े ज्यादा लंबे थे.

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3. सफाई और व्यवस्थित जीवनशैली

लड़कियों की नजरों में आने के लिए पर्सनल हाइजीन का खास खयाल रखना जरूरी है. लड़कियों की नजर सब से पहले लड़कों के बालों और दाढ़ी की ओर जाती है. उन्हें लड़कों के उलझे, बेतरतीब और गंदे बाल बिलकुल पसंद नहीं होते. अगर वे रोजाना सेव नहीं करते, कोई हेयरस्टाइल मैंटेन नहीं रखते तो भी लड़कियों की नजरों में उन का आकर्षण घट जाता है. यही नहीं पहली बार किसी लड़की से मिलने जा रहे हैं तो अपने नाखूनों पर भी नजर डालना न भूलें. लड़कियों को गंदे नाखून बिलकुल पसंद नहीं आते. वे यह भी जरूर देखती हैं कि आप ने जो कपड़े पहने हैं वे साफ हैं या नहीं, कपड़े प्रैस किए हैं या नहीं.

4. रियल पर्सनैलिटी

कुछ लड़कों की आदत होती है कि बातबेबात लड़कियों के आगे अपनी शेखी बघारने लगते हैं. अपना नौलेज, इनकम या लुक से संबंधित बातें बढ़ाचढ़ा कर बोलते हैं ताकि लड़कियां इंप्रैस हों. मगर होता इस का उलटा है. बनावटी लड़के कभी लड़कियों को पसंद नहीं आते. उन्हें हर समय रियल रहने वाले लड़के ही पसंद आते हैं.

5. सपाट पेट फिट शरीर

सांइटिफिक जनरल सैक्सियोलौजी में प्रकाशित एक अध्ययन की रिपोर्ट में यह बात सामने आई है कि लड़कियां लड़कों के बाइसैप्स से पहले उन के पेट पर नजर डालती हैं. अगर पेट निकला हुआ नहीं है, आप फिट और स्मार्ट हैं तो लड़कियां आप के साथ जुड़ना चाहेंगी. वजह साफ है जो इंसान अपने शरीर की तंदुरुस्ती का खयाल नहीं रख सकता वह रिश्तों को कितना संभाल पाएगा. बढ़ा पेट कहीं न कहीं आप के आलसी स्वभाव, ढीले रवैए और अधिक खाने की आदत का परिचायक होता है. इसलिए किसी खास को पाना चाहते हैं तो सब से पहले अपने पेट पर काम करना शुरू करें.

6. पीछे पड़ने वाला न हो

लड़कियों को हर वक्त पीछे पड़े रहने वाले लड़कों के बजाय थोड़े रिजर्व और हलके ऐटिट्यूट वाले लड़के पसंद आते हैं. जो लड़के बारबार अप्रोच करने और ध्यान आकर्षित करने का प्रयास करते रहते हैं उन्हें ज्यादातर लड़कियां हलके में लेने लगती हैं. ऐसे में जरूरी है कि आप धैर्य रखना सीखें वरना बनती बात बिगड़ सकती है. किसी भी बात को ले कर अपनी पार्टनर के साथ जबरदस्ती न करें, उसे तनाव में न आने दें.

7. सम्मान की चाह

हर लड़की चाहती है कि उस का प्रेमी या होने वाला जीवनसाथी उस की परवाह करे, उसे इज्जत दे, उस के घर वालों के साथ प्यार से पेश आए. वह जब भी आप की आंखों में देखे तो उसे उन में अपने लिए इज्जत महसूस हो. ऐसे में उसे एहसास होता है कि आप उसे दिल से प्यार करते हैं और यही आप को उस की नजरों में खास बनाता है.

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8. मैच्योरिटी

लड़कियां सदैव समझदार और मैच्योर व्यवहार वाले लड़कों को ही चुनती हैं. छिछोरी या बचकानी हरकतों वालों से दूर भागती हैं. इसलिए जरूरी है कि आप अपने व्यवहार पर नियंत्रण रखें. बहुत ज्यादा बोलने वाले लड़के भी लड़कियों को पसंद नहीं आते. हर समय जल्दी में रहने वाले और बिना सोचेसमझे फैसले लेने वाले लड़के लड़कियों को पसंद नहीं आते. छोटीछोटी बात पर अपना आपा खो देने वाले लड़कों से भी लड़कियां दूरी बढ़ाती हैं, क्योंकि ऐसे लड़कों के साथ कभी रिश्ता लंबा नहीं खिंच पाता. लड़कियां उन लड़कों को पसंद करती हैं, जिन पर वे आंख मूंद कर भरोसा कर सकें.

9. सैंस औफ ह्यूमर

लड़कियों को वे लड़के ज्यादा पसंद आते हैं, जिन  का सैंस औफ ह्यूमर अच्छा होता है. अगर आप बोर किस्म के इंसान हैं तो लड़कियां आप से दूर भागेंगी. इसलिए अपने स्वभाव को ऐसा बनाने का प्रयास करें कि आप गंभीर माहौल को भी हलकाफुलका कर पाने में समर्थ हों.

10. दोस्ताना व्यवहार

अकड़ू, घमंडी लड़के कभी लड़कियों की फैवरिट लिस्ट में नहीं होते. वे वैसे लड़कों को ही पसंद करती हैं जो उन से फ्रैंडली बिहेवियर करते हैं और जिन के साथ वे कंफर्टेबल फील करती हैं. संकोची या बहुत कम बात करने वाले लड़कों से भी वे दूर भागती हैं. सकारात्मक सोच और अच्छे सैंस औफ ह्यूमर वाले लड़के लड़कियों की पहली पसंद होते हैं. तनावभरे माहौल को भी खुशनुमा बना देने की आदत रखने वाले लड़के लड़कियां को बहुत पसंद आते हैं.

11. बात करने का सलीका

आप के बात करने का तरीका कहीं न कहीं आप के व्यक्तित्व की पहचान होती है. आप दूसरों से कितने सलीके और कायदे से बात करते हैं उस आधार पर लड़कियां आप को परखती हैं. बातबात पर गालियां देने, लड़नेझगड़ने वाले लड़कों से लड़कियां दूर भागती हैं.

12. प्यार जाहिर करने की अदा

यदि आप किसी लड़की को प्यार करते हैं और उस की तरफ से भी स्वीकृति है तो आप को उसे स्पैशल फील कराने का प्रयासकरना होगा. अपनी रिलेशनशिप को मजबूत बनाने और उस लड़की के दिल में बने रहने के लिए अपने प्यार का एहसास कराते रहें. मगर इस का मतलब यह नहीं कि आप पूरी दुनिया में इस बात का ढिंढोरा पीटें. लड़कियां आप का समय चाहती हैं. आप साथ हों तो पूरी दुनिया से उन्हें कोई वास्ता नहीं होता. लड़की को दीवानों की तरह प्यार करें, फिर देखें कैसे वह सिर्फ आप की बन कर रहती हैं.

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बेटों से आगे निकलती बेटियां

एक समय था जब बेटियां घर के कामों में अपनी मां का हाथ बंटाने तक सीमित होती थीं. घर का चूल्हाचौका, मेहमानों की खातिरदारी बस यही उन की नियति थी. शिक्षा पूरी होने से पहले ही उन्हें विवाह के बंधन में बांध दिया जाता था. पर बदलते जमाने के साथ बेटियों पर न सिर्फ मातापिता, बल्कि समाज की भी सोच बदली है. आज के बदलते जमाने की दौड़ में बेटियां हर क्षेत्र में बेटों से आगे निकल रही हैं.

सीबीएसई बोर्ड, यूपी बोर्ड, आईसीएसई बोर्ड इन सभी में लड़कियों का रिजल्ट लड़कों से बेहतर रहता है. समाज की रूढि़वाद सोच को पछाड़ कर आज बेटियां अपनी उड़ान भी भर रही हैं और साथ ही अपना फर्ज भी पूरी निष्ठा के साथ निभा रही हैं.

ऐसा नहीं है कि बेटे अपना कर्तव्य निभाने से चूक रहे हैं पर जिस तरह घर की औरतें, बेटियां घरपरिवार को संभालने के साथसाथ बाहर समाज में भी अपनी एक पहचान बना रही हैं बेटे ऐसा नहीं करते. वे सिर्फ बाहर के कार्यों तक ही सीमित रह जाते हैं.

सोच बदलने की जरूरत

जब एक लड़की घर के कामों के साथसाथ बाहरी कामों को भी पूरा कर सकती है तो घर के लड़के क्यों नहीं? घर के काम के प्रति बेटों की रुचि कम देखने को मिलती है. यदि घर की महिला रसोई का काम करती है तो घर का पुरुष घर के पंखे साफ क्यों नहीं कर सकता? जरूरी नहीं घर के काम का मतलब रसोई संभालना है. घर में रसोई के अलावा भी बहुत से ऐसे काम होते हैं, जो पुरुषों द्वारा आसानी से किए जा सकते हैं जैसे प्लंबर को बुलाना या इलैक्ट्रिशियन को.

महिलाएं सप्ताह के सातों दिन घरबाहर संभालती हैं. ऐसे में क्या घर के पुरुष इन कामों के लिए अपना वक्त नहीं निकाल सकते?

असल में हमारे समाज में पहले से ही बंटवारा कर दिया जाता है. यह पहले से ही तय होता है कि कौन सा काम लड़का करेगा और कौन सा लड़की. इसी वजह से लड़कों की सोच, उन की विचारधारा यह मान लेती है कि यह काम सिर्फ महिलाओं का है. मगर अब यह सोच हर घर की नहीं है, क्योंकि हमारे समाज में बदलाव आ रहा है और बदलते समाज में कुछ घरपरिवार ऐसे भी हैं जहां हर काम बराबर का होता है.

इस संबंध में दिल्ली यूनिवर्सिटी की प्रोफैसर संगीता कुमारी का कहना है, ‘‘व्यक्ति को लिंग भेद करने से पहले एक इंसान होने का फर्ज निभाना चाहिए. अगर हम अभी भी इस आजाद देश में ऐसी रूढि़वादी सोच को बढ़ावा देंगे तो हमारी मानसिकता, हमारी सोच हमेशा संकुचित ही रहेगी.’’

ताकि न हों भेदभाव

देश आजाद हो चुका है, वक्त बदल चुका है, पर कुछ चीजों का आजाद होना अभी भी बाकी है. दिल्ली निवासी बिजनैस वूमन प्रीति कहती हैं, ‘‘मेरे 2 बेटे हैं और वे मुझे कभी बेटी न होने की कमी महसूस नहीं होने देते. घर के कामों में मेरी मदद करते, मेरा पूरा ध्यान रखते अपने बिजी शैड्यूल की वजह से मैं ही उन्हें ज्यादा वक्त नहीं दे पाती.’’

किसी भी इंसान को बाहरी रूप से बदलना बहुत आसान है, लेकिन मानसिक रूप से बदलना बेहद कठिन. आज भी ऐसे घर हैं जहां बेटियां नहीं हैं और लोग तरसते हैं कि काश उन्हें एक बेटी होती. वहीं आज ऐसे भी घर हैं जहां बेटियां नहीं हैं और वे इस बात का जश्न मनाते हैं. ये वे लोग हैं जो हमारे समाज को रूढि़वादी सोच का गुलाम बनाने पर तुले हुए हैं.

सामाजिक कार्यकर्ताओं का मानना है कि हम बचपन से ही अपने बच्चों को रूल ऐंड रैग्युलेशन का पाठ पढ़ाने लगते हैं. कुछ ऐसे रूल्स जो हमारे बेटों को मर्द बनाते हैं. अगर बेटा रोए तो उसे सिखाया जाता है रोना लड़कों का नहीं लड़कियों का काम है. इन्हीं बातों यानी ऐसी शिक्षा देने की वजह से ही लड़के ऐसा व्यवहार करने लगते हैं और घर के कामों में रुचि नहीं लेते, क्योंकि उन्हें पता होता है जो काम हमारे लिए है ही नहीं उसे क्यों करें. अगर हम इस तरह के पाठ पढ़ाना बंद कर दें तो हमारे समाज में यह भेदभाव समाप्त हो जाए.

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