Health से जुड़ी इन समस्याओं का इलाज बताएं?

सवाल-

मैं 32 साल की विवाहित स्त्री हूं. मुझे कुछ सालों से डायबिटीज है. दवा लेने से ब्लडशुगर कंट्रोल में रहता है. लेकिन मुझे बारबार वैजाइना में कैंडिडियासिस हो जाता है. दही जैसी सफेद पपड़ी जम जाती है. वैजाइना में खुजली होती है. इतना ही नहीं, सैक्स में भी परेशानी होती है. बताएं क्या करूं?

जवाब-

डायबिटीज में वैजाइना में कैंडिडा का इन्फैक्शन भी हो सकता है. पर इन्फैक्शन अगर बारबार हो तो समझ लें कि ब्लडशुगर कंट्रोल में नहीं है. अपने डायबिटोलौजिस्ट से मिलें. शुगर की जांच कराएं और फिर डाक्टर की सलाह से डायबिटीजरोधी दवा में परिवर्तन लाएं.

साथ ही कैंडिडियासिस से छुटकारा पाने के लिए किसी स्त्रीरोग विशेषज्ञा से मिलें. उन की सलाह के अनुसार वैजाइनल कैंडिडारोधक क्रीम या पेसरी (जैसे माइकोस्टेटिन, निस्टेटिन) का प्रयोग करें. ध्यान रखें कि कोर्स पूरा होने तक दवा लें. दवा लेना बीच में न छोड़ें. और हां, यह इलाज आप के पति को भी लेना होगा वरना इन्फैक्शन दोबारा हो सकता है.

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सवाल-

मैं 24 साल की युवती हूं. इंद्रप्रस्थ यूनिवर्सिटी से कंप्यूटर ऐप्लिकेशंस में मास्टर्स कर रही हूं. इधर कई दिनों से अपनी आंखों को ले कर परेशान हूं. आंखें ड्राई रहने लगी हैं. कभीकभी नजर धुंधली पड़ जाती है. मेरे एक सहपाठी का कहना है कि उसे भी यह समस्या हुई थी. जब वह आई स्पैशलिस्ट के पास गया तो उन्होंने ‘ड्राई आई सिंड्रोम’ डायग्नोज करते हुए उसे कुछ आई ड्रौप्स डालने के लिए कहा था, जिस से कुछ ही दिनों में आराम आ गया था. कृपया बताएं कि मैं क्या करूं?

जवाब-

अच्छा होगा कि आप कम से कम 1 बार अपनी आंखें किसी आई स्पैशलिस्ट को दिखा लें. बहुत मुमकिन है कि आप के सहपाठी का अनुमान ठीक हो. ऐसे लोग जिन्हें रोजाना घंटों कंप्यूटर पर काम करना होता है, उन्हें ‘ड्राई आई सिंड्रोम’ होने का रिस्क बना रहता है.

सच यह है कि आंखों का नम रहना उन की तंदुरुस्ती के लिए जरूरी है. इसीलिए प्रकृति ने हमें अश्रुग्रंथियां दी हैं. जबजब हम पलकें झपकते हैं, इन ग्रंथियों से आंसू की बूंदें रिस कर आंखों की सतह को नम कर देती हैं. हमारे जानेअनजाने हमारी अश्रुग्रंथियों से आए आंसू हमारी आंखों पर बहुत महीन फिल्म बिछाए रखते हैं और इसी नमी से आंखें शुष्क होने से बची रहती हैं. लेकिन हम जैसेजैसे प्रकृति से दूर होते जा रहे हैं, वैसेवैसे आंखों के इस सुरक्षाकवच में सेंध लगती जा रही है. बड़े शहरों में प्रदूषण बढ़ने, कंप्यूटर पर घंटों काम करने, आसपास बीड़ीसिगरेट का धुआं छाए रहने, चौबीसों घंटे शुष्क एयरकंडिशंड हवा में रहने से आंखों पर बिछी रहने वाली नमी की हलकी परत सूख जाती है. महानगरों में इसी से ‘ड्राई आई सिंड्रोम’ के भुक्तभोगियों की संख्या बढ़ रही है.

कुछ छोटेछोटे उपायों से हम इस मुश्किल को नियंत्रण में ला सकते हैं, जैसे कंप्यूटर पर काम करते हुए पलकों को बारबार झपकाने की आदत बना लें. कंप्यूटर मौनिटर पर एकटक आंखें गड़ा कर न रखें. बीचबीच में आंखों को आराम दें. बाल धोने के बाद उन्हें अगर हेयरड्रायर से सुखाएं तो आंखों को ड्रायर की हवा से बचाएं. स्कूटर या मोटरसाइकिल पर बैठी हों तो गौगल्स लगा लें. अगर डाक्टर सलाह दें तो नियम से दिन में आर्टिफिशियल टियर ड्रौप्स और रात में सोने से पहले नेत्र ओएंटमैंट डाल कर आंखों की नमी बनाई रखी जा सकती है.

सवाल-

मेरी पीठ के बिलकुल निचले छोर से बारबार पस का रिसाव होता है. ऐसा लगता है जैसे कोई जख्म बन गया है. पट्टी कराकरा कर थक गया हूं, पर यह रिसाव बंद नहीं हो रहा. डाक्टर के अनुसार मुझे पाइलोनाइडल साइनस हो गया है. उन की राय है कि मुझे इस का औपरेशन कराना पड़ेगा. मैं ने सुना है कि औपरेशन के बाद यह साइनस दोबारा हो जाता है. समझ में नहीं आ रहा कि क्या करूं? पाइलोनाइडल साइनस होता क्या है इस से कैसे छुटकारा पाऊं?

जवाब-

जैसे चूहा जमीन को खोद कर अंदर ही अंदर लंबी पतली सुरंग बना लेता है. वैसे ही रीढ़ के बिलकुल निचले हिस्से में कभीकभी बाल के पोर से शुरू हो कर पतली सुरंग जैसी बन जाती है, जिसे पाइलोनाइडल साइनस कहते हैं. यह आम विकार किसी भी उम्र में पनप सकता है. यह उठतेबैठते, चलतेफिरते, खड़े होते वक्त कूल्हों के बीच सक्शन पैदा होने से होता है. सक्शन के कारण बाल सतही खाल और उस के नीचे के ऊतकों को बेधते हुए नीचे तक महीन दरार पैदा कर देते हैं. इस क्षेत्र में चूंकि पसीना इकट्ठा होता रहता है, साफसफाई पर ध्यान नहीं रहता, इसी से दरार में संक्रमण पैदा हो जाता है और मवाद बनने लगता है. पाइलोनाइडल साइनस का इलाज औपरेशन ही है. यह सर्जरी आप किसी भी अनुभवी सर्जन से करा सकते हैं.

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सवाल-

मैं 23 साल की युवती हूं. मेरी समस्या विचित्र सी है. जैसे ही मैं घर से बाहर सूर्य की रोशनी में निकलती हूं चेहरे और बदन पर लाल रंग के चकत्ते उभर आते हैं और खुजली शुरू हो जाती है. कृपया बताएं कि मुझे यह परेशानी किस कारण से हो रही है. इस से छुटकारा पाने के लिए क्या करना चाहिए?

जवाब-

सूर्य के प्रकाश में अल्ट्रावायलेट किरणें पाई जाती हैं. कुछ लोगों की त्वचा इन किरणों के प्रति जरूरत से ज्यादा संवेदनशील होती है. धूप में निकलते ही चेहरे और बदन पर लाल चकत्ते उभरना और खुजली होना इस बात का द्योतक है कि आप भी सोलर अर्टिकेरिया की ऐलर्जिक समस्या से प्रभावित हैं.

इस परेशानी से बचने के लिए धूप में कम से कम निकलें. अगर निकलना ही हो तो चेहरे जिस्म के अन्य अनढके अंगों पर सनस्क्रीन लोशन लगा लें. यह लोशन कम से कम 15 एस.पी.एफ. वाला हो. इस के अलावा समस्या से उबरने के लिए स्किन स्पैशलिस्ट की सलाह से ऐलर्जीरोधी दवा और स्टेराइड क्रीम लगाने से भी आराम मिलेगा.

– डा. यतीश अग्रवाल

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अगर आपकी भी ऐसी ही कोई समस्या है तो हमें इस ईमेल आईडी पर भेजें- submit.rachna@delhipress.biz   सब्जेक्ट में लिखे…  गृहशोभा-व्यक्तिगत समस्याएं/ Personal Problem

ब्लडप्रैशर पर रखें नजर

ब्लडप्रैशर या हाइपरटैंशन की समस्या आज आम समस्या बन गई है, जो जीवन शैली से जुड़ी हुई है, लेकिन कहते हैं न कि भले ही समस्या कितनी ही बड़ी हो लेकिन समय पर जानकारी से ही बचाव संभव होता है. ऐसे में जब पूरी दुनिया पर कोविड-19 का खतरा है, तब आप अपने लाइफस्टाइल में बदलाव ला कर हृदय रोग और हाई ब्लडप्रैशर के खतरे को काफी हद तक कंट्रोल कर सकते हैं. इस संबंध में जानते हैं डा. के के अग्रवाल से:

हाइपरटैंशन क्या है

खून की धमनियों में जब रक्त का बल ज्यादा होता है तब हमारी धमनियों पर ज्यादा दबाव पड़ता है, जिसे हम ब्लडप्रैशर की स्थिति कहते हैं. ये 2 तरह के होते हैं एक सिटोलिक ब्लडप्रैशर और दूसरा डायास्टोलिक ब्लडप्रैशर. 2017 की नई गाइडलाइंस के अनुसार अगर ब्लडप्रैशर 120/80 से कम हो तो उसे उचित ब्लडप्रैशर की श्रेणी में माना जाता है. इस की रीडिंग मिलीमीटर औफ मरकरी में नापी जाती है.

130/80 एमएम एचजी से ऊपर हाई ब्लडप्रैशर होता है. अगर ब्लडप्रैशर 180 से पार है, तब तुरंत इलाज की जरूरत होती है. वरना स्थिति गंभीर हो सकती है.

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बता दें कि हाइपरटैंशन के लिए निम्न कारण जिम्मेदार हैं:

– उम्र सब से बड़ा कारक माना

जाता है, क्योंकि उम्र बढ़ने के कारण रक्त धमनियां की इलास्टिसिटी में कमी आने के साथसाथ होर्मोन्स में उतार चढ़ाव आने से ब्लडप्रैशर के बढ़ने का खतरा बना रहता है.

– अस्वस्थ जीवन शैली की वजह से भी हाइपरटैंशन की समस्या होती है. क्योंकि जब हमारी

शारीरिक गतिविधि कम होने से हमारा वजन बढ़ता है, तब हाइपरटैंशन की समस्या होती है, क्योंकि दिल को औक्सीजन की आपूर्ति करने के लिए ज्यादा खून पंप करना पड़ता है, जिस से रक्त पर दबाव पड़ता है.

– अनुवांशिक कारणों से भी हाइपरटैंशन की समस्या होती है.

हाइपरटेंशन की स्थिति को नियंत्रण करने के लिए निम्न चीजों को अपनी दिनचर्या में जरूर शामिल करें:

स्वस्थ व ताजा भोजन खाएं

आहार स्वस्थ जीवन का आधार होता है. यदि आप का आहार ठीक नहीं है तो कुछ समय बाद आप को रोग घेर लेंगे. अपने भोजन में जितना हो सके हरी सब्जियां, दाल, फल और अनाज का इस्तेमाल करें. इस के अलावा फैट बढ़ाने वाले पदार्थों से दूर रहें.

समयसमय पर ब्लडप्रैशर की जांच

आप समयसमय पर ब्लडप्रैशर की जांच करते रहें. इस से आप को अपने ब्लडप्रैशर के लेवल का पता चलता रहेगा और आप के मन में चिंता नहीं रहेगी.

नींद पूरी लें

नींद का पूरा होना बहुत जरूरी है. यदि दिमाग को आराम नहीं मिलेगा तो वह टैंशन, चिंता, तनाव से भरा रहेगा और इस से डिप्रैशन तक हो सकता है.

खुद को हाइड्रेट रखें

ब्लडप्रैशर चाहे हाई हो या लो या फिर उचित हमेशा एक बात याद रखिए कि आप पानी प्रचुर मात्रा में पीएं. यदि आप के शरीर में पानी की मात्रा ठीक रहेगी तो आप को ब्लडप्रैशर संबंधित समस्या कम होगी.

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सरका रेंज

माइक्रोलाइफ के द्वारा निर्मित इस रेंज की मार्केटिंग एरिस लाइफसाइंसेज द्वारा की जाती है. इसके बीपी मौनिटर्स को 11 क्लिनिकल कंडीशंस में परखा गया है ताकि इस के सही परिणाम मिल सकें. बीपी मौनिटर्स 5 साल की वारंटी के साथ आते हैं. इसके 98 एफएक्स थर्मोमीटर भी उपलब्ध हैं जो कि एफडीए द्वारा प्रमाणित हैं.

ध्यान रखें यदि आप का बीपी मौनिटर प्रमाणित नहीं है तो वह सही माप नहीं दे सकता, जो कि आप की सेहत के लिए काफी हानिकारक हो सकता है.

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