अयान मुखर्जी निर्देशित और रणबीर कपूर, आलिया भट्ट व अमिताभ बच्चन के अभिनय से सजी फिल्म ‘‘बम्हास्त्रः भाग एक -शिवा’’ नौ सितंबर को प्रदर्शित हुई और फिल्म को ज्यादातर आलोचकांे की तरफ से नगेटिब प्रतिक्रियाएं मिली. तथा बाक्स आफिस पर भी अच्छे हालात नही रहे. जिसके चलते पीवीआर और आईनॉक्स के निवेशकों को 800 करोड़ से अधिक का नुकसान हो गया. ज्ञातब्य है कि भारत में पीवीआर और आयनॉक्स मल्टीप्लैक्स सिनेमाघर की सबसे बड़ी चेन है. और मीडिया रिपोर्ट के अनुसार इस चेन को शुक्रवार, नौ जून को बाजार पूंजीकरण में कुल मिलाकर 800 करोड़ से अधिक का नुकसान हुआ है.
अयान मुखर्जी ने भारतीय पौराणिक कथाओं में वर्णित अजेय विनाशरूपी अस्त्र के रूप में वर्णित ब्रह्मास्त्र के नाम पर 410 करोड़ की लागत से बनी फिल्म ‘‘ब्रम्हास्त्रः भाग एक’’ का विनाश यह अस्त्र रोक न पाया. यह हालत तब हुई है, जब निर्माता और पीआर टीम दावे कर रही थी कि फिल्म को 23 करोड़ की अग्रिम बुकिंग मिल चुुकी है. सर्वाधिक आश्चर्य की बात यह रही कि हर फिल्म को चार तक की रेटिंग देने वाले फिल्म समीक्षक और विश्लेषक तरण आदर्श ने भी इस फिल्म को दो स्टार की रेटिंग देते हुए इसे सर्वाधिक निराशा वाली फिल्म बता दी.
इतना ही नही दर्शकों की प्रतिक्रियाएं भी फिल्म के बाक्स आफिस को निरायाा की ही तरफ ले जाती हैं. एक दर्शक ने फिल्म देखने के बाद कहा-‘‘यह फिल्म तो अति घटिया तरीके से लिखी गयी सीरियल ‘क्राइम पेट्रोल’ के संवाद और एकता कपूर की साजिशों का मिश्रध है. ’’
‘‘ब्र्रह्मास्त्रः भाग एक शिवा’’ का बाक्स आफिस पर उस वक्त सफाया हुआ है, जब बौलीवुड अपने अस्तित्व को बचाए रखने की लड़ाई लड़ रहा है. पिछले कुछ माह से बौलीवुड फिल्में लगातार असफल हो रही हैं और अब ‘ब्रह्मास्त्र’ सबसे बड़ी असफल फिल्म साबित होने जा रही है. अफसोस की बात यह है कि हर किसी को उम्मीद थी कि इस फिल्म से हिंदी फिल्म उद्योग का पुनरुत्थान होगा, पर इस उम्मीद पर पानी फिरता नजर आ रहा है.
410 करोड़ के बजट में बनी फिल्म ‘‘ब्रह्मास्त्र’’ के साथ रणबीर कपूर, आलिया भट्ट, अमिताभ बच्चन, टॉलीवुड स्टार नागार्जुन, डिंपल कापड़िया, मौनी रौय व शाहरुख खान का नाम जुड़ा हुआ है. तो वहीं इसका निर्माण दिग्गज निर्माता करण जौहर ने किया है. हर किसी को उम्मीद थी कि यह फिल्म हिंदी फिल्म उद्योग का पुनरूत्थान करेगी, मगर यह तो विनायाक बनकर सामने आयी. जी हॉ!अयान मुखर्जी का दिग्भ्रमित करने वाली कहानी, पटकथा व निर्देशन ने फिल्म को डुबाते हुए पूरे फिल्म उद्योग को संकट के मुहाने पर पहुंचा दिया. फिल्म में कई स्तर पर काफी कमियां हैं, मगर इस फिल्म को डुबाने में पीआर टीम ने कम खेल नही खेला.
आज की तारीख में जरुरत इस बात की है कि हर फिल्मकार व कलाकार अपने अंदर स्वयं झांककर देखे कि वह कहां गलती कर रहे हैं. जिस मार्केटिंग टीम, रचनात्मक टीम व पीआर टीम पर भरोसा कर वह निर्णय ले रहे हैं, उनकी वह टीम कितनी सक्षम व सही है. पीआरओ का काम होता है कि वह अपने ग्राहक (फिल्म व कलाकार)के पक्ष में सकारात्मक माहौल पैदा करते हुए फिल्म व कलाकार का एक ब्रांड बनाए. क्या पीआर टीम यह सब कर पा रही हैं?
वैसे ‘बौयकॉट’ मुहीम के चलते फिल्म विश्लेषकों और बाजार के विश्लेषको ने पहले ही मान लिया था कि यह फिल्म अपनी लागत वसूल नही पाएगी. एलारा कैपिटल ने दो सप्ताह पहले एक मीडिया नोट में कहा था – ‘‘फिल्म का लिए लाइफटाइम बॉक्स ऑफिस कलेक्शन 130 से 200 करोड़ के बीच रहने का अनुमान है. ’’मगर किसी ने नहीं सोचा था कि फिल्म की इस कदर दुर्गति होगी.
‘‘ब्रह्मास्त्र’’ की असफलता से आम निवेशक अपने नुकसान को देखकर गुस्से में हैं. पीवीआर के सामने सबसे बड़ा सवाल यह है कि वह अपने निवेशकों की नाराजगी को कैसे दूर करें.