ब्रेन ट्यूमर के 10 सामान्य लक्षण

क्या आपको लगातार सिरदर्द, मितली, धुंधला दिखाई देना और शारीरिक संतुलन में परेशानी हो रही है? इन लक्षणों को नजर अंदाज ना करें, यह ब्रेन ट्यूमर जैसी बड़ी समस्या हो सकती है. ब्रेन ट्यूमर में दिमाग में कोई बहुत सी कोशिकाएं या कोई एक कोशिका असामान्य रूप से बढ़ती है. सामान्यतः दो तरह के ब्रेन ट्यूमर होते हैं कैंसर वाला (घातक) या बिना कैंसर वाला (सामान्य) ट्यूमर.

दोनों ही मामलों में दिमाग की कोशिकाएं क्षतिग्रस्त होती हैं, जो कि कई बार घातक सिद्ध होता है. इसके साथ सबसे बड़ी परेशानी है कि इसके कोई विशेष कारण नहीं हैं, केवल कुछ शोधकर्ताओं ने इसके कुछ रिस्क फैक्टर्स का पता लगाया है.

ब्रेन ट्यूमर किसी भी उम्र में हो सकता है, लेकिन बढ़ते उम्र के साथ इसका जोखिम भी बढ़ जाता है. कई मामलों में तो यह आनुवांशिक कारण हो सकता है और कई बार किसी केमिकल के ज्यादा इस्तेमाल या रेडिएशन से हो सकता है. बहुत से लोगों को पता ही नहीं चलता है कि उन्हें ब्रेन ट्यूमर है क्यों कि उनमें कोई लक्षण दिखाई ही नहीं देते हैं.

जब ये ट्यूमर बड़ा हो जाता है और स्वास्थ्य पूरी तरह बिगड़ जाता है तब लोग चैक-अप करवाते हैं और तब इसका पता चलता है. हम आपको इसके 10 लक्षणों से अवगत करा रहे हैं, जिनको जानने की आवश्यकता है.

1. सिरदर्द

यह ब्रेन ट्यूमर का सबसे बड़ा लक्षण है. यह दर्द मुख्यतः सुबह होता है और बाद में यह लगातार होने लगता है, यह दर्द तेज होता है. यदि ऐसा लक्षण दिखाई दे तो जांच कराएं.

2. उबाक या उल्टी का मन होना

सिरदर्द की तरह यह भी सुबह होता है, खास तौर पर जब व्यक्ति एक जगह से दूसरी जगह जाता है तब यह ज्यादा होता है.

3. कम दिखना

जब किसी को आक्सिपिटल के आस पास ट्यूमर होता है तो चीजें कम दिखाई देती हैं. उन्हें धुंधला दिखाई देने लगता है और रंगों व चीजों को पहचानने में परेशानी होती है.

4. संवेदना कम महसूस होना

जब किसी व्यक्ति के दिमाग के पराइअटल लोब पे ट्यूमर होता है तो उसे अपनी बाजुओं और पैरों पर संवेदना कम महसूस होती है, क्यों कि ट्यूमर से कोशिकाएं प्रभावित होती हैं.

5. शरीर का संतुलन बनाने में परेशानी

जब किसी को ट्यूमर होता है तो उसके शरीर का संतुलन नहीं बन पाता है, क्यों कि यदि सेरिबैलम में ट्यूमर है तो वह मूवमेंट को प्रभावित करता है.

6. बोलने में परेशानी

यदि किसी को टैंपोरल लोब में ट्यूमर होता है तो बोलने में परेशानी होती है, सही तरह बोला नहीं जाता है.

7. रोजाना के कामों में गड़बड़ी करना

पराइअटल लोब में ट्यूमर होने पर संवेदना प्रभावित होती है, इससे व्यक्ति को दैनिक क्रियाओं में परेशानी होती है.

8. व्यक्तिगत और व्यवहारिक बदलाव

जिन्हें फ्रन्टल लोब में ट्यूमर होता है वे अपने व्यवहार पर नियंत्रण नहीं रख पाते हैं. इन्हें नई चीजें सीखने में परेशानी होती है.

9. दौरे पड़ना

ब्रेन ट्यूमर में दौरे पड़ना एक आम समस्या है. जब भी दौरा पड़ता है तो व्यक्ति बेहोश हो जाता है.

10. सुनने में समस्या

जिन लोगों को दिमाग के टैंपोरल लोब में ट्यूमर होता है उन्हें सुनने में परेशानी होती है, कभी कभी सुनना पूरी तरह प्रभावित हो जाता है.

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अब ब्रेन ट्यूमर लाइलाज नहीं

22 वर्षीय निधि को कुछ समय से सिर दर्द, दाएं हाथ, पैर में कमजोरी, बोलने में परेशानी आदि कई चीजे हो रही थी. फॅमिली डॉक्टर ने पहले इसे एसिडिटी बताया, फिर विटामिन्स की कमी आदि न जाने कितने दिनों से यही चल रहा था, लेकिन कुछ ठीक नहीं हो रहा था, केवल दर्द की दवा लेने से सिर दर्द कम होता था, ऐसे करीब 4 से 5 महीने बीत गए, पर निधि को आराम न था. एक दिन निधि की सहेली की माँ निधि से मिलने आई और उन्होंने निधि को किसी अस्पताल में ले जाकर किसी न्यूरोसर्जन से बात करने की सलाह दी. निधि को अस्पताल ले जाने पर उसकी खून की जांच के साथ-साथ (MRIScan)भी की गयी, जिसमें मस्तिष्क के बाएं भाग में ट्यूमर पाया गया. मस्तिष्क के नाजुक भागों को बचाने के लिए, निधि को तुरंत Awake Brain Surgery के द्वारा ऑपरेट किया गया, जिसमें रोगी की होश और अलर्ट रखते हुए ही सर्जरी की जाती है. इसके बाद बायोप्सी से कैंसर ग्लायोमा ग्रेड 4 ( Glioma WHO – IV ) के जाँच की पुष्टि होने पर मरीज का कीमोथेरेपी और रेडिएशन थेरेपी से इलाज किया गया. अब निधिपूरी इलाज के बाद बेहतर चल सकती है, अपने दाएं हाथ का प्रयोग कर सकती है और उसके बोलने में भी सुधार आया है. ऑपरेशन के 12 महीने पश्चात किया हुआ एमआरआई स्कैन, कैंसर को कंट्रोल में दिखाता है, जो अच्छी बात है. निधि का जीवन फिर से सामान्य हो गया.ये सही है कि समय पर ब्रेन ट्यूमर का पता लगने पर इलाज़ भी संभव है.

समझे ब्रेन ट्यूमर को

असल में मस्तिष्क, शरीर का अभिन्न अंग है, जिसका काम पूरे शरीर की क्रियाओं को संचालन करना होता है. ब्रेन, कई प्रकार की कोशिकाओं से बना होता है. शरीर के अन्य भागों की तरह, यह भी कई प्रकार के ट्यूमर से ग्रसित हो सकता है. ब्रेन ट्यूमर से स्वस्थ मस्तिष्क पर दबाव बढ़ने के कारण उसको  हानि पहुंच सकती है. इसलिए प्राथमिक लक्षण उत्पन्न होने पर, तुरंत न्यूरो विशेषज्ञ से सलाह लेनी चाहिए.

कोकिलाबेन धीरूभाई अंबानी हॉस्पिटल के न्यूरोसर्जन डॉ. अक्षत कयाल कहते है कि ब्रेन के सभी ट्यूमर कैंसर युक्त नहीं होते, लगभग 50 प्रतिशत ट्यूमर कैंसर रहित होते है, जिनका समय पर इलाज मरीज को पूर्ण रूप से स्वस्थ कर सकता है. कैंसर युक्त ब्रेन ट्यूमर ( Glioma स्टेज 3 एवं 4 ) का इलाज अत्यावश्यक है. इनके शीघ्र इलाज से मरीज को दीर्घायु प्रदान कर सकते है और उस मरीज की कार्य क्षमता एवं जीवन की गुणवत्ता को भी अधिक बढ़ा सकते है.

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ब्रेन ट्यूमर के लक्षण

स्कल के अंदर सीमित जगह होने के कारण, कोई भी ट्यूमर, मौजूदा जगह में अपने लिए अतिरिक्त स्थान बनाने की कोशिश करता है, जिससे मस्तिष्क पर दबाव पड़ता है और इसके लक्षण प्रकट होने लगते है. अधिकतर मरीजों में सिर दर्द, उल्टी, नजर का धुंधलापन, दोहरा दिखाई देना ( डिप्लोपिया ) एवं मिर्गी के दौरे, प्रमुख लक्षण होते है. अन्य असामान्य लक्षण जैसे चेहरे का तिरछापन, शरीर के दाएं या बाएं भाग में कमजोरी, बोलने, सुनने और निगलने में परेशानी आदि है.

ब्रेन ट्यूमर की जाँच

न्यूरोलॉजिस्ट डॉ. अक्षत कयाल आगे कहते है कि मरीज के लक्षणों के आधार पर ब्रेन ट्यूमर की डायग्नोसिस की जातीहै. डायग्नोसिस की पुष्टि करने के लिए एमआरआई स्कैन ( MRI Scan ) की आवश्यकता होती है, जिसकी सलाह न्यूरो सर्जन,मरीज की जांच करने के बाद ही दे सकता है. जिन मरीजों में कोई लक्षण नहीं होते, उनमें ब्रेन ट्यूमर की डायग्नोसिससंदेह के आधार पर एमआरआई स्कैन कर पता करते है.

ब्रेन ट्यूमर का इलाज

  • किसी भी ब्रेन ट्यूमर के इलाज में ऑपरेशन की भूमिका प्रमुख रहती है.अधिकतरन्यूरो सर्जन, ऑपरेशन के द्वारा, सुरक्षित तरीके से ट्यूमर का अधिकतम भाग निकालते है.
  • छोटे कैंसर मुक्त ट्यूमर्स को समय-समय पर एम आर आई स्कैन ( MRI Scan ) द्वारा निगरानी में रखा जा सकता है और इसे फोकस रेडिएशन से नष्ट भी किया जा सकता है.
  • बड़े टयूमर, सर्जरी के द्वारा सुरक्षित रूप से पूरी तरह निकाले जा सकते है. ब्रेन के ट्यूमर, जिनमें कैंसर होने की संभावना होती है, उन्हें भी सर्जरी द्वारा सुरक्षित रूप से अधिक से अधिक निकाल दिया जाता है. इसके बादबायोप्सी की रिपोर्ट के आधार पर बची हुई ट्यूमर का कीमोथेरेपी या रेडिएशन थेरेपी द्वारा इलाज किया जाता है. इससे मरीज की लॉन्ग लाइफ और अच्छी कार्य क्षमता मिल सकती है.

इसके अलावा देश के सभी बड़े शहरों में  ब्रेन ट्यूमर के ऑपरेशन की सुविधा, सरकारी एवं गैर सरकारी अस्पतालों में उपलब्ध है. देश के महानगरों में,  ब्रेन ट्यूमर के इलाज के लिए विश्व स्तरीय टेक्नोलॉजी उपलब्ध है. इन शहरों के सभी बड़े अस्पतालों में , ब्रेन ट्यूमर की सर्जरी न्यूरो नेविगेशन, इंट्राऑपरेटिव एम आर आई, न्यूरो एंडोस्कोपी, इंट्राऑपरेटिव न्यूरोमोनिटरिंग, फंक्शनल एम आर आई, आदि के साथ की जाती है. अगर ब्रेन के नाजुक भाग से ट्यूमर की निकटता पाई जाती है, तब सर्जरी मरीज के होश में रहते हुए ही की जाती है. उपरोक्त सभी विधियां, मरीज के ट्यूमर को सुरक्षित रूप से निकालने में मददगार साबित होती है. ब्रेन ट्यूमर की सर्जरी का प्राथमिक उद्देश्य, मरीज को उत्तम कार्य क्षमता के साथ लम्बी आयु प्रदान करना होता है.

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महानगरों के प्राइवेट अस्पतालों में, ब्रेन ट्यूमर के इलाज का खर्च डेढ़ लाख से तीन लाख तक हो सकता है. सरकारी अस्पतालों में यह सर्जरी न्यूनतम खर्च में हो जाती है. प्राइवेट अस्पतालों में भी गरीबी रेखा के नीचे एवं वंचित वर्ग के लिए चैरिटेबल ट्रस्ट द्वारा मदद की सुविधाएं होती है.

आज ब्रेन ट्यूमर का इलाज भारत में आधुनिक तकनीक से सफलतापूर्वक करवाना संभव है.इस तरह की सर्जरी आज पूर्ण रूप से सुरक्षित है.लक्षणों की जल्दी पहचान और जल्द इलाज ही इस रोग के सर्वोत्तम निदान के लिए आवश्यक है.

मैं ब्रेन ट्यूमर सर्जरी और इलाज से जुड़े सवालों के बारे में जानना चाहती हूं?

सवाल

मेरी माताजी की उम्र 61 वर्ष है. उन्हें 1 महीना पहले फर्स्ट स्टेज का ब्रेन ट्यूमर डायग्नोसिस हुआ था. डाक्टर ने सर्जरी द्वारा ट्यूमर निकालने का सुझाव दिया था, लेकिन कोविड-19 के कारण हम सर्जरी नहीं करा पा रहे हैं. उन के लिए खतरा बढ़ तो नहीं जाएगा?

जवाब-

मस्तिष्क हमारे शरीर का एक बहुत ही आवश्यक और संवेदनशील भाग है. जब इस में ट्यूमर विकसित हो जाता है, तो जीवन के लिए खतरा बढ़ जाता है. अगर ट्यूमर हाई ग्रेड है, तो तुरंत उपचार कराना जरूरी है. उपचार कराने में देरी मृत्यु का कारण बन सकती है.

अगर ट्यूमर का विकास बहुत धीमा है तो आप उपचार कराने के लिए थोड़ा समय ले सकते हैं. कोविड-19 के डर से आप सर्जरी कराने में ज्यादा देर न करें, क्योंकि कुछ ट्यूमर इतने घातक होते हैं कि कई लोग ब्रेन ट्यूमर के डायग्नोसिस के 9-12 महीने में मर जाते हैं. समय पर डायग्नोसिस करा लिया जाए तो ठीक होने की संभावना काफी बढ़ जाती है.

सवाल

मेरे पति को ब्रेन ट्यूमर है. मैं जानना चाहती हूं कि इस के लिए कौन सा उपचार सब से बेहतर है?

जवाब-

ब्रेन ट्यूमर का उपचार उस के प्रकार, आकार और स्थिति पर निर्भर करता है. इस के साथ ही आप के संपूर्ण स्वास्थ्य और आप की प्राथमिकता का भी ध्यान रखा जाता है. अगर ट्यूमर ऐसे स्थान पर स्थित है, जहां औपरेशन के द्वारा पहुंचना संभव है तो सर्जरी का विकल्प चुना जाता है.

लेकिन जब ट्यूमर मस्तिष्क के संवेदनशील भाग के पास स्थित होता है, तो सर्जरी जोखिम भरी हो सकती है. इस स्थिति में सर्जरी के द्वारा जितना ट्यूमर निकाल दिया जाएगा उतना सुरक्षित होता है.

अगर ट्यूमर के एक भाग को भी निकाल दिया जाए तो भी लक्षणों को कम करने में सहायता मिलती है. इस के अलावा ब्रेन ट्यूमर के उपचार के लिए आवश्यकतानुसार, कीमोथेरैपी, रैडिएशन थेरैपी, टारगेट थेरैपी और रेडियोथेरैपी का इस्तेमाल भी किया जाता है.

सवाल

मैं 22 वर्षीय एक कालेज स्टूडैंट हूं. मुझे ब्रेन ट्यूमर है. मैं जानना चाहती हूं कि क्या रेडियो सर्जरी से ब्रेन ट्यूमर का उपचार संभव है?

जवाब-

रेडियो सर्जरी, ब्रेन ट्यूमर का एक अत्याधुनिक उपचार है. यह एक ही सीटिंग में हो जाता है और अधिकतर मामलों में मरीज उसी दिन घर जा सकता है. यह पारंपरिक रूप में सर्जरी नहीं है. इस में कैंसर ग्रस्त कोशिकाओं को मारने के लिए रैडिएशन की कई बीम्स का इस्तेमाल किया जाता है, जो एक बिंदु (ट्यूमर) पर फोकस होती हैं.

इस में विभिन्न प्रकार की तकनीकों का इस्तेमाल किया जाता है जैसे गामा नाइफ या लीनियर ऐक्सेलेटर. इसे रैडिएशन थेरैपी से बहुत बेहतर माना जाता है. इस की सफलता दर 80-90% है और साइड इफैक्ट्स भी बहुत कम होते हैं.

सवाल

मैं ने पिछले साल ब्रेन ट्यूमर के उपचार के लिए कीमोथेरैपी कराई थी. मैं जानना चाहती हूं कि क्या कैंसर रोगियों के लिए कोविड-19 के संक्रमण का खतरा अधिक है?

जवाब-

जो लोग पहले से ही शरीर के किसी भी भाग के कैंसर से जूझ रहे हैं उन में कोविड-19 के संक्रमण का खतरा स्वस्थ लोगों की तुलना में कई गुना अधिक हो जाता है, क्योंकि कैंसर के कारण शरीर अतिसंवेदनशील और प्रतिरक्षा तंत्र अत्यधिक कमजोर हो जाता है. ऐसे में शरीर वायरस के आक्रमण का मुकाबला नहीं कर पाता है.

जो लोग कैंसर का उपचार करा रहे हैं, विशेषकर कीमोथेरैपी, उन के लिए संक्रमण की आशंका अधिक हो जाती है, क्योंकि कीमोथेरैपी में इस्तेमाल होने वाला ड्रग्स प्रतिरक्षा तंत्र को नकारात्मक रूप से प्रभावित करता है. इसलिए बहुत जरूरी है कि जो लोग कैंसर से जूझ रहे हैं या उस का उपचार करा रहे हैं, वे कोविड-19 से बचने के लिए सरकार द्वारा जारी किए गए दिशानिर्देशों का कड़ाई से पालन करें.

सवाल

मेरे पति को ब्रेन ट्यूमर था, लेकिन उपचार कराने के बाद भी उन्हें दैनिक गतिविधियां करने और बोलने में समस्या हो रही है. क्या करूं?

जवाब-

उपचार कराने के बाद भी अगर दैनिक गतिविधियां करने और बोलने में समस्या हो रही हो तो फिजिकल थेरैपी, स्पीच थेरैपी और औक्युपेशनल थेरैपी की सहायता ली जा सकती है.

अगर ब्रेन ट्यूमर मस्तिष्क के उस भाग में भी विकसित हुआ था, जहां से बोलने, सोचने और देखने की क्षमता नियंत्रित होती है तो कई बार उपचार के पश्चात मरीज की आवश्यकता के आधार पर डाक्टर स्पीच थेरैपी के सैशन लेने का सुझाव दे सकता है. इस के लिए स्पीच पैथोलौजिस्ट का सहारा लिया जा सकता है. मांसपेशियों की शक्ति को पुन: प्राप्त करने के लिए फिजिकल थेरैपी के सैशन दिए जाते हैं. औक्युपेशन थेरैपी, सामान्य दैनिक गतिविधियों को फिर से प्राप्त करने में सहायता करती है.

सवाल

मैं 58 वर्षीय एक घरेलू महिला हूं. 1 साल पहले मुझे ब्रेन ट्यूमर हो गया था. तुरंत उपचार कराने से अब मैं ठीक हो गई हूं. लेकिन मुझे हमेशा डर लगा रहता है कि कहीं ट्यूमर दोबारा विकसित न हो जाए?

जवाब-

अनावश्यक तनाव न पालें औटर अपनी सोच सकारात्मक रखें. अपना ध्यान रखें और डाक्टर द्वारा सुझाई दवाएं उचित समय पर लें और तब तक लेना बंद न करें जब तक डाक्टर न कहे. अगर आप जरूरी सावधानियां बरतेंगी तो दोबारा ब्रेन ट्यूमर होने का खतरा बहुत कम हो जाएगा.

इस के अलावा जीवनशैली में परिवर्तन लाना जैसे नियमित रूप से ऐक्सरसाइज करना, पोषक और संतुलित भोजन का सेवना करना

और पर्याप्त मात्रा में पानी का सेवन, शरीर को अधिक शक्तिशाली और ट्यूमर के विकास के लिए अधिक रिजिस्टैंस बनाता है.

  -डा. मनीष वैश्य

निदेशक, न्यूरो सर्जरी विभाग, मैक्स सुपर स्पैश्यलिटी हौस्पिटल, वैशाली, गाजियाबाद. 

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सही समय पर निदान के साथ संभव है ब्रेन ट्यूमर का सफल इलाज

न्यूरोसर्जरी के क्षेत्र में प्रगति के साथ आज ब्रेन ट्यूमर के इलाज में विभिन्न प्रकार की मिनिमली इनवेसिव प्रक्रियाएं शामिल हो चुकी हैं. एंडोस्कोपिक सर्जरी भी इसी प्रकार की सर्जरी है जो मुश्किल से मुश्किल ब्रेन ट्यूमर के इलाज में कारगर साबित हुई है.

इस प्रक्रिया में एक पतली ट्यूब का इस्तेमाल किया जाता है जिसके छोर पर एक कैमरा लगा होता है. यह कैमरा ट्यूमर को ढूंढ़कर इलाज करने में मदद करता है. अच्छी बात यह है कि इस प्रक्रिया में मस्तिष्क के स्वस्थ भाग को नुकसान पहुंचाए ही ट्यूमर को बाहर कर दिया जाता है. कई मुश्किल मामलों में बेहतर परिणामों के लिए इसे रोबोटिक साइबरनाइफ रेडिएशन थेरेपी के साथ इस्तेमाल किया जाता है. इस प्रकार ट्यूमर के अतिरिक्त छोटे टुकड़ों को भी बाहर किया जा सकता है.

आर्टमिस हॉस्पिटल के अग्रिम इंस्टीट्यूट ऑफ न्यूरो साइंसेस में न्यूरोसर्जरी विभाग के निदेशक, डॉक्टर आदित्य गुप्ता ने बताया कि, “जब ट्यूमर बढ़ने लगता है तो वह मस्तिष्क और वहां मौजूद उत्तकों पर दबाव बनाता है. यदि समय पर इसकी जांच की जाए तो इसके खतरे को कम किया जा सकता है. मस्तिष्क में मौजूद कोशिकाएं जब खराब होने लगती हैं तो बाद में जाकर ब्रेन ट्यूमर का रूप ले लेती हैं. ये ट्यूमर कैंसर वाला या बिना कैंसर वाला हो सकता है. जब कैंसर विकसित होता है तो यह मस्तिष्क में गहरा दबाव डालता है, जिससे ब्रेन डैमेज होने के साथ मरीज की जान तक जा सकती है. लगभग 45% ब्रेन ट्यूमर बिना कैंसर वाले होते हैं, इसलिए समय पर इलाज के साथ मरीज की जान बचाई जा सकती है.”

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ब्रेन ट्यूमर, भारत में हो रहीं मौतों का दसवां सबसे बड़ा कारण है. इस घातक बीमारी के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं, जहां विभिन्न प्रकार के ट्यूमर अलग-अलग उम्र के लोगों को अपना शिकार बना रहे हैं. इंटरनेशनल एसोसिएशन ऑफ कैंसर रेजिस्ट्रीज (आईएआरसी) द्वारा निकाली गई ग्लोबोकैन 2018 की रिपोर्ट के अनुसार, भारत में, हर साल ब्रेन ट्यूमर के लगभग 28,000 नए मामले दर्ज किए जाते हैं. इस घातक कैंसर के कारण अबतक लगभग 24000 मरीजों की मौत हो चुकी है.

डॉक्टर आदित्य गुप्ता ने और अधिक जानकारी देते हुए बताया कि, “ब्रेन ट्यूमर को प्राइमरी और सेकंडरी तौर पर विभाजित किया जाता है. प्राइमरी ब्रेन ट्यूमर वह है, जो मस्तिष्क में ही विकसित होते हैं जिनमें से कई कैंसर का रूप नहीं लेते हैं. सेकेंडरी ब्रेन ट्यूमर को मेटास्टेटिक ब्रेन ट्यूमर के नाम से भी जाना जाता है. यह ट्यूमर तब होता है जब कैंसर वाली कोशिकाएं स्तन या फेफड़ों आदि जैसे अन्य अंगों से फैलकर मस्तिष्क तक पहुंच जाती हैं. अधिकतर ब्रेन कैंसर इन्हीं के कारण होता है. ग्लाइओमा (जो ग्लायल नाम की कोशिकाओं से विकसित होते हैं) और मेनिंग्योमा (जो मस्तिष्क और स्पाइनल कॉर्ड की परत से विकसित होते हैं) व्यस्कों में होने वाले सबसे आम प्रकार के ब्रेन ट्यूमर हैं.”

ब्रेन ट्यूमर के लक्षण और संकेत ट्यूमर के आकार और जगह पर निर्भर करते हैं. कुछ लक्षण सीधा ब्रेन टिशू को प्रभावित करते हैं जबकी कुछ लक्षण मस्तिष्क में दबाव डालते हैं. ब्रेन ट्यूमर का निदान फिजिकल टेस्ट के साथ शुरू किया जाता है, जहां पहले मरीज से बीमारी के पारिवारिक इतिहास के बारे में पूछा जाता है. फिजिकल टेस्ट के बाद कुछ अन्य जांचों की सलाह दी जाती है जैसे कि एमआरआई, सीटी स्कैन.

साइबरनाइफ एम6 एक नॉन-इनवेसिव प्रक्रिया है, जिसमें सर्जरी के बाद मरीज बहुत जल्दी रिकवर करता है. एम6 इलाज के दौरान 3डी इमेजिंग तकनीक ट्यूमर की सही जगह देखने में मदद करता है, जिससे इलाज आसानी से सफल हो पाता है. इस प्रक्रिया में किसी प्रकार के चीरे की आवश्यकता नहीं पड़ती है, जिससे मरीज पर कोई घाव नहीं होने के कारण वह सर्जरी के बाद जल्दी रिकवर करता है. जबकी सर्जरी की पुरानी तकनीक में मरीज को कई समस्याएं होती हैं. जबकी यह प्रक्रिया 1 से 5 सिटिंग्स में पूरी हो जाती है और हर सिटिंग में आधे घंटे का समय लगता है. इस प्रकार न तो मरीज को कोई असुविधा महसूस होती और ट्यूमर भी दूसरे अगों तक नहीं फैलता है.

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साइबरनाइफ रेडिएशन थेरेपी का विशेष फायदा यह है कि यह मस्तिष्क के काम को प्रभावित किए बिना ही ट्यूमर का इलाज कर देता है. लेकिन जिन मरीजों का कैंसर पूरे शरीर में फैल जाता है, उनका इलाज होल ब्रेन रिजर्व थेरेपी (डबल्यूबीआरटी) से किया जाता है. साइबरनाइफ तकनीक ऐसे मरीजों का इलाज करने में सक्षम नहीं है. मेलानोमा जैसे फैलने वाले कैंसरों का इलाज केवल साइबरनाइफ तकनीक से ही किया जा सकता है.

घातक हो सकती है ब्रेन ट्यूमर के उपचार में देरी

विश्वभर में कोरोना वायरस का संक्रमण तेजी से फैलती एक महामारी का रूप ले चुका है. सरकारों, अस्पतालों और लोगों का पूरा फोकस कोविड-19 पर ही है. यह बिल्कुल सही है कि इस संक्रमण को रोकने के लिए कड़े कदम उठाए जाएं. लेकिन ऐसा भी नहीं होना चाहिए कि आपको कोई और स्वास्थ्य समस्या हो तो आप उसकी अनदेखी करें. कईं बीमारियां इतनी गंभीर होती हैं कि समय रहते उनका उपचार न कराया जाए तो घातक हो सकता है. इन्हीं में से एक है, ब्रेन ट्यूमर. तो जानिए क्यों इतना गंभीर होता है, ब्रेन ट्यूमर? इसके उपचार के कौन-कौनसे विकल्प उपलब्ध हैं? और समय रहते उपचार न कराने से स्थिति कितनी गंभीर हो सकती है?

ब्रेन ट्यूमर

कभी-कभी सिरदर्द हो तो कोई बात नहीं, लेकिन अगर आपको लगातार कईं दिनों से सिरदर्द हो रहा हो, रात में तेज सिरदर्द होने से नींद खुल रही हो, चक्कर आ रहे हों, सिरदर्द के साथ जी मचलाने और उल्टी होने की समस्या हो रही हो तो समझिए की आपके मस्तिष्क में प्रेशर बढ़ रहा है. मस्तिष्क में प्रेशर बढ़ने का कारण ब्रेन ट्यूमर हो सकता है. अगर आप पिछले कुछ दिनों से इस तरह की स्थिति का सामना कर रहे हैं तो सतर्क हो जाएं और तुरंत डायग्नोसिस कराएं.

इन संकेतों को गंभीरता से लें

ब्रेन ट्यूमर के कारण शरीर जो संकेत देता है, वो उसके आकार, स्थिति और उसके विकास की दर के अनुसार अलग-अलग हो सकते हैं. इन संकेतों में सम्मिलित हो सकते हैं:

दृष्टि संबंधी परिवर्तन.

बार-बार सिरदर्द होना.

बिना किसी कारण के जी मचलाना और उल्टी आना.

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बोलने और सुनने में दिक्कत होना.

शारीरिक और मानसिक संतुलन गड़बड़ा जाना.

दौरे पड़ना.

डायग्नोसिस

ब्रेन ट्यूमर का संदेह होने पर डॉक्टर कुछ जरूरी जांचों और प्रक्रियाओं का सुझाव दे सकता है, जिनमें सम्मिलित हैं:

न्युरोलॉजिकल एक्जाम

इमेजिंग टेस्ट्स

कम्प्युटराइज़ टोमोग्रॉफी (सीटी) और पोज़ीट्रॉन इमिशन टोमोग्रॉफी (पीईटी)

बायोप्सी

कोविड-19 के प्रकोप में भी समय रहते उपचार है जरूरी

मस्तिष्क हमारे शरीर का एक बहुत ही आवश्यक और संवेदनशील भाग है, जब इसमें ट्यूमर विकसित हो जाता है तो जीवन के लिए खतरा बढ़ जाता है. अगर ट्यूमर हाई ग्रेड है तो तुरंत उपचार की आवश्यकता पड़ेगी, उपचार कराने में देरी मृत्यु का कारण बन सकती है. अगर ट्यूमर का विकास बहुत धीमा है तो आप उपचार कराने के लिए थोड़ा समय ले सकते हैं. लेकिन डायग्नोसिस पर ही पता चलेगा की उसका आकार कितना बड़ा है और वो किस चरण पर है. इसलिए डायग्नोसिस कराने में बिल्कुल देरी न करें. कुछ ट्यूमर इतने घातक होते हैं कि कईं लोग ब्रेन ट्यूमर के डायग्नोसिस के 9-12 महीने में मर जाते हैं.   लेकिन, समय पर डायग्नोसिस और उपचार करा लिया जाए तो ठीक होने की संभावना काफी बढ़ जाती है.

उपचार के विकल्प

ब्रेन ट्यूमर का उपचार ट्यूमर के प्रकार, आकार और स्थिति पर निर्भर करता है, इसके साथ ही आपके संपूर्ण स्वास्थ्य और आपकी प्राथमिकता का भी ध्यान रखा जाता है. लेकिन डायग्नोसिस होने के तुरंत बाद उपचार कराना जरूरी है, ताकि जटिलताओं से बचा जा सके.

सर्जरी

अगर ब्रेन ट्यूमर ऐसे स्थान पर स्थित है, जहां ऑपरेशन के द्वारा पहुंचना संभव है, तो सर्जरी का विकल्प चुना जाता है. जब ट्यूमर मस्तिष्क के संवेदनशील भाग के पास स्थित होता है तो सर्जरी जोखिम भरी हो सकती है. इस स्थिति में, सर्जरी के द्वारा उतना ट्यूमर निकाल दिया जाएगा जितना सुरक्षित होता है. अगर ब्रेन ट्यूमर के एक भाग को भी निकाल दिया जाए तो भी लक्षणों को कम करने में सहायता मिलती है.

कीमोथेरेपी

कीमोथेरैपी में शक्‍तिशाली रसायनों का उपयोग किया जाता है जो प्रोटीन या डीएनए को क्षतिग्रस्‍त करके कोशिका विभाजन में हस्‍तक्षेप करते हैं, जिससे कैंसरग्रस्‍त कोशिकाएं मर जाती हैं.

रेडिएशन थेरेपी

रेडिएशन थेरेपी में ट्यूमर की कोशिकाओं को नष्ट करने के लिए हाई-एनर्जी बीम जैसे एक्स-रे या प्रोटॉन्स का इस्तेमाल किया जाता है.

टारगेट थेरैपी

कीमोथेरैपी के दुष्‍प्रभावों को देखते हुए टारगेट थेरैपी का विकास किया गया है. इसमें सामान्‍य कोशिकाओं को नुकसान पहुंचाए बिना कैंसरग्रस्‍त कोशिकाओं को नष्‍ट किया जाता है. इसके साइड इफेक्‍ट भी कम होते हैं. पिछले दशक में टारगेट थेरैपी के बहुत अच्‍छे परिणाम आएं हैं.

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रेडियो सर्जरी

यह पारंपरिक रूप में सर्जरी नहीं है. इसमें कैंसरग्रस्त कोशिकाओं को मारने के लिए रेडिएशन की कईं बीम्स का इस्तेमाल किया जाता है, जो एक बिंदु (ट्यूमर) पर फोकस होती हैं.इसमें विभिन्न प्रकार की तकनीकों का इस्तेमाल किया जाता है जैसे गामा नाइफ या लीनियर एक्सेलेटर.रेडियो सर्जरी, ब्रेन ट्यूमर का एक अत्याधुनिक उपचार है, यह एक ही सीटिंग में हो जाता है और अधिकतर मामलों में, मरीज उसी दिन घर जा सकता है.

अधिक होता है संक्रमण का खतरा

जिन लोगों को कैंसर है, उनके लिए कोविड-19 के संक्रमण का खतरा बढ़ जाता है, क्योंकि कैंसर के कारण शरीर अतिसंवेदनशील और इम्यून तंत्र अत्यधिक कमजोर हो जाता है. ऐसे में शरीर वायरस के आक्रमण का मुकाबला नहीं कर पाता है. पुणे स्थित नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी के अनुसार, जो लोग पहले से ही शरीर के किसी भी भाग के कैंसर से जूझ रहे हैं, उनमें संक्रमण होने का खतरा स्वस्थ्य लोगों की तुलना में कईं गुना अधिक हो जाता है.

अमेरिकन कैंसर सोसायटी के अनुसार जो लोग कैंसर का उपचार करा रहे हैं, विशेषकर कीमोथेरेपी उनके लिए संक्रमण की आशंका अधिक हो जाती है, क्योंकि कीमोथेरेपी में इस्तेमाल होने वाली ड्रग्स इम्यून तंत्र को नकारात्मक रूप से प्रभावित करती हैं.

इसलिए बहुत जरूरी है कि जो लोग कैंसर से जूझ रहे हैं, या इसका उपचार करा रहे हैं, वो कोविड-19 से बचने के लिए सरकार द्वारा जारी किए गए दिशा-निर्देशों का कड़ाई से पालन करें.

डॉ. मनीष वैश्य,निदेशक, न्युरो सर्जरी विभाग, मैक्स सुपर स्पेशियलिटी हॉस्पिटल, वैशाली, गाजियाबाद से बातचीत पर आधारित

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