मैं ब्रेन ट्यूमर सर्जरी और इलाज से जुड़े सवालों के बारे में जानना चाहती हूं?

सवाल

मेरी माताजी की उम्र 61 वर्ष है. उन्हें 1 महीना पहले फर्स्ट स्टेज का ब्रेन ट्यूमर डायग्नोसिस हुआ था. डाक्टर ने सर्जरी द्वारा ट्यूमर निकालने का सुझाव दिया था, लेकिन कोविड-19 के कारण हम सर्जरी नहीं करा पा रहे हैं. उन के लिए खतरा बढ़ तो नहीं जाएगा?

जवाब-

मस्तिष्क हमारे शरीर का एक बहुत ही आवश्यक और संवेदनशील भाग है. जब इस में ट्यूमर विकसित हो जाता है, तो जीवन के लिए खतरा बढ़ जाता है. अगर ट्यूमर हाई ग्रेड है, तो तुरंत उपचार कराना जरूरी है. उपचार कराने में देरी मृत्यु का कारण बन सकती है.

अगर ट्यूमर का विकास बहुत धीमा है तो आप उपचार कराने के लिए थोड़ा समय ले सकते हैं. कोविड-19 के डर से आप सर्जरी कराने में ज्यादा देर न करें, क्योंकि कुछ ट्यूमर इतने घातक होते हैं कि कई लोग ब्रेन ट्यूमर के डायग्नोसिस के 9-12 महीने में मर जाते हैं. समय पर डायग्नोसिस करा लिया जाए तो ठीक होने की संभावना काफी बढ़ जाती है.

सवाल

मेरे पति को ब्रेन ट्यूमर है. मैं जानना चाहती हूं कि इस के लिए कौन सा उपचार सब से बेहतर है?

जवाब-

ब्रेन ट्यूमर का उपचार उस के प्रकार, आकार और स्थिति पर निर्भर करता है. इस के साथ ही आप के संपूर्ण स्वास्थ्य और आप की प्राथमिकता का भी ध्यान रखा जाता है. अगर ट्यूमर ऐसे स्थान पर स्थित है, जहां औपरेशन के द्वारा पहुंचना संभव है तो सर्जरी का विकल्प चुना जाता है.

लेकिन जब ट्यूमर मस्तिष्क के संवेदनशील भाग के पास स्थित होता है, तो सर्जरी जोखिम भरी हो सकती है. इस स्थिति में सर्जरी के द्वारा जितना ट्यूमर निकाल दिया जाएगा उतना सुरक्षित होता है.

अगर ट्यूमर के एक भाग को भी निकाल दिया जाए तो भी लक्षणों को कम करने में सहायता मिलती है. इस के अलावा ब्रेन ट्यूमर के उपचार के लिए आवश्यकतानुसार, कीमोथेरैपी, रैडिएशन थेरैपी, टारगेट थेरैपी और रेडियोथेरैपी का इस्तेमाल भी किया जाता है.

सवाल

मैं 22 वर्षीय एक कालेज स्टूडैंट हूं. मुझे ब्रेन ट्यूमर है. मैं जानना चाहती हूं कि क्या रेडियो सर्जरी से ब्रेन ट्यूमर का उपचार संभव है?

जवाब-

रेडियो सर्जरी, ब्रेन ट्यूमर का एक अत्याधुनिक उपचार है. यह एक ही सीटिंग में हो जाता है और अधिकतर मामलों में मरीज उसी दिन घर जा सकता है. यह पारंपरिक रूप में सर्जरी नहीं है. इस में कैंसर ग्रस्त कोशिकाओं को मारने के लिए रैडिएशन की कई बीम्स का इस्तेमाल किया जाता है, जो एक बिंदु (ट्यूमर) पर फोकस होती हैं.

इस में विभिन्न प्रकार की तकनीकों का इस्तेमाल किया जाता है जैसे गामा नाइफ या लीनियर ऐक्सेलेटर. इसे रैडिएशन थेरैपी से बहुत बेहतर माना जाता है. इस की सफलता दर 80-90% है और साइड इफैक्ट्स भी बहुत कम होते हैं.

सवाल

मैं ने पिछले साल ब्रेन ट्यूमर के उपचार के लिए कीमोथेरैपी कराई थी. मैं जानना चाहती हूं कि क्या कैंसर रोगियों के लिए कोविड-19 के संक्रमण का खतरा अधिक है?

जवाब-

जो लोग पहले से ही शरीर के किसी भी भाग के कैंसर से जूझ रहे हैं उन में कोविड-19 के संक्रमण का खतरा स्वस्थ लोगों की तुलना में कई गुना अधिक हो जाता है, क्योंकि कैंसर के कारण शरीर अतिसंवेदनशील और प्रतिरक्षा तंत्र अत्यधिक कमजोर हो जाता है. ऐसे में शरीर वायरस के आक्रमण का मुकाबला नहीं कर पाता है.

जो लोग कैंसर का उपचार करा रहे हैं, विशेषकर कीमोथेरैपी, उन के लिए संक्रमण की आशंका अधिक हो जाती है, क्योंकि कीमोथेरैपी में इस्तेमाल होने वाला ड्रग्स प्रतिरक्षा तंत्र को नकारात्मक रूप से प्रभावित करता है. इसलिए बहुत जरूरी है कि जो लोग कैंसर से जूझ रहे हैं या उस का उपचार करा रहे हैं, वे कोविड-19 से बचने के लिए सरकार द्वारा जारी किए गए दिशानिर्देशों का कड़ाई से पालन करें.

सवाल

मेरे पति को ब्रेन ट्यूमर था, लेकिन उपचार कराने के बाद भी उन्हें दैनिक गतिविधियां करने और बोलने में समस्या हो रही है. क्या करूं?

जवाब-

उपचार कराने के बाद भी अगर दैनिक गतिविधियां करने और बोलने में समस्या हो रही हो तो फिजिकल थेरैपी, स्पीच थेरैपी और औक्युपेशनल थेरैपी की सहायता ली जा सकती है.

अगर ब्रेन ट्यूमर मस्तिष्क के उस भाग में भी विकसित हुआ था, जहां से बोलने, सोचने और देखने की क्षमता नियंत्रित होती है तो कई बार उपचार के पश्चात मरीज की आवश्यकता के आधार पर डाक्टर स्पीच थेरैपी के सैशन लेने का सुझाव दे सकता है. इस के लिए स्पीच पैथोलौजिस्ट का सहारा लिया जा सकता है. मांसपेशियों की शक्ति को पुन: प्राप्त करने के लिए फिजिकल थेरैपी के सैशन दिए जाते हैं. औक्युपेशन थेरैपी, सामान्य दैनिक गतिविधियों को फिर से प्राप्त करने में सहायता करती है.

सवाल

मैं 58 वर्षीय एक घरेलू महिला हूं. 1 साल पहले मुझे ब्रेन ट्यूमर हो गया था. तुरंत उपचार कराने से अब मैं ठीक हो गई हूं. लेकिन मुझे हमेशा डर लगा रहता है कि कहीं ट्यूमर दोबारा विकसित न हो जाए?

जवाब-

अनावश्यक तनाव न पालें औटर अपनी सोच सकारात्मक रखें. अपना ध्यान रखें और डाक्टर द्वारा सुझाई दवाएं उचित समय पर लें और तब तक लेना बंद न करें जब तक डाक्टर न कहे. अगर आप जरूरी सावधानियां बरतेंगी तो दोबारा ब्रेन ट्यूमर होने का खतरा बहुत कम हो जाएगा.

इस के अलावा जीवनशैली में परिवर्तन लाना जैसे नियमित रूप से ऐक्सरसाइज करना, पोषक और संतुलित भोजन का सेवना करना

और पर्याप्त मात्रा में पानी का सेवन, शरीर को अधिक शक्तिशाली और ट्यूमर के विकास के लिए अधिक रिजिस्टैंस बनाता है.

  -डा. मनीष वैश्य

निदेशक, न्यूरो सर्जरी विभाग, मैक्स सुपर स्पैश्यलिटी हौस्पिटल, वैशाली, गाजियाबाद. 

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सही समय पर निदान के साथ संभव है ब्रेन ट्यूमर का सफल इलाज

न्यूरोसर्जरी के क्षेत्र में प्रगति के साथ आज ब्रेन ट्यूमर के इलाज में विभिन्न प्रकार की मिनिमली इनवेसिव प्रक्रियाएं शामिल हो चुकी हैं. एंडोस्कोपिक सर्जरी भी इसी प्रकार की सर्जरी है जो मुश्किल से मुश्किल ब्रेन ट्यूमर के इलाज में कारगर साबित हुई है.

इस प्रक्रिया में एक पतली ट्यूब का इस्तेमाल किया जाता है जिसके छोर पर एक कैमरा लगा होता है. यह कैमरा ट्यूमर को ढूंढ़कर इलाज करने में मदद करता है. अच्छी बात यह है कि इस प्रक्रिया में मस्तिष्क के स्वस्थ भाग को नुकसान पहुंचाए ही ट्यूमर को बाहर कर दिया जाता है. कई मुश्किल मामलों में बेहतर परिणामों के लिए इसे रोबोटिक साइबरनाइफ रेडिएशन थेरेपी के साथ इस्तेमाल किया जाता है. इस प्रकार ट्यूमर के अतिरिक्त छोटे टुकड़ों को भी बाहर किया जा सकता है.

आर्टमिस हॉस्पिटल के अग्रिम इंस्टीट्यूट ऑफ न्यूरो साइंसेस में न्यूरोसर्जरी विभाग के निदेशक, डॉक्टर आदित्य गुप्ता ने बताया कि, “जब ट्यूमर बढ़ने लगता है तो वह मस्तिष्क और वहां मौजूद उत्तकों पर दबाव बनाता है. यदि समय पर इसकी जांच की जाए तो इसके खतरे को कम किया जा सकता है. मस्तिष्क में मौजूद कोशिकाएं जब खराब होने लगती हैं तो बाद में जाकर ब्रेन ट्यूमर का रूप ले लेती हैं. ये ट्यूमर कैंसर वाला या बिना कैंसर वाला हो सकता है. जब कैंसर विकसित होता है तो यह मस्तिष्क में गहरा दबाव डालता है, जिससे ब्रेन डैमेज होने के साथ मरीज की जान तक जा सकती है. लगभग 45% ब्रेन ट्यूमर बिना कैंसर वाले होते हैं, इसलिए समय पर इलाज के साथ मरीज की जान बचाई जा सकती है.”

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ब्रेन ट्यूमर, भारत में हो रहीं मौतों का दसवां सबसे बड़ा कारण है. इस घातक बीमारी के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं, जहां विभिन्न प्रकार के ट्यूमर अलग-अलग उम्र के लोगों को अपना शिकार बना रहे हैं. इंटरनेशनल एसोसिएशन ऑफ कैंसर रेजिस्ट्रीज (आईएआरसी) द्वारा निकाली गई ग्लोबोकैन 2018 की रिपोर्ट के अनुसार, भारत में, हर साल ब्रेन ट्यूमर के लगभग 28,000 नए मामले दर्ज किए जाते हैं. इस घातक कैंसर के कारण अबतक लगभग 24000 मरीजों की मौत हो चुकी है.

डॉक्टर आदित्य गुप्ता ने और अधिक जानकारी देते हुए बताया कि, “ब्रेन ट्यूमर को प्राइमरी और सेकंडरी तौर पर विभाजित किया जाता है. प्राइमरी ब्रेन ट्यूमर वह है, जो मस्तिष्क में ही विकसित होते हैं जिनमें से कई कैंसर का रूप नहीं लेते हैं. सेकेंडरी ब्रेन ट्यूमर को मेटास्टेटिक ब्रेन ट्यूमर के नाम से भी जाना जाता है. यह ट्यूमर तब होता है जब कैंसर वाली कोशिकाएं स्तन या फेफड़ों आदि जैसे अन्य अंगों से फैलकर मस्तिष्क तक पहुंच जाती हैं. अधिकतर ब्रेन कैंसर इन्हीं के कारण होता है. ग्लाइओमा (जो ग्लायल नाम की कोशिकाओं से विकसित होते हैं) और मेनिंग्योमा (जो मस्तिष्क और स्पाइनल कॉर्ड की परत से विकसित होते हैं) व्यस्कों में होने वाले सबसे आम प्रकार के ब्रेन ट्यूमर हैं.”

ब्रेन ट्यूमर के लक्षण और संकेत ट्यूमर के आकार और जगह पर निर्भर करते हैं. कुछ लक्षण सीधा ब्रेन टिशू को प्रभावित करते हैं जबकी कुछ लक्षण मस्तिष्क में दबाव डालते हैं. ब्रेन ट्यूमर का निदान फिजिकल टेस्ट के साथ शुरू किया जाता है, जहां पहले मरीज से बीमारी के पारिवारिक इतिहास के बारे में पूछा जाता है. फिजिकल टेस्ट के बाद कुछ अन्य जांचों की सलाह दी जाती है जैसे कि एमआरआई, सीटी स्कैन.

साइबरनाइफ एम6 एक नॉन-इनवेसिव प्रक्रिया है, जिसमें सर्जरी के बाद मरीज बहुत जल्दी रिकवर करता है. एम6 इलाज के दौरान 3डी इमेजिंग तकनीक ट्यूमर की सही जगह देखने में मदद करता है, जिससे इलाज आसानी से सफल हो पाता है. इस प्रक्रिया में किसी प्रकार के चीरे की आवश्यकता नहीं पड़ती है, जिससे मरीज पर कोई घाव नहीं होने के कारण वह सर्जरी के बाद जल्दी रिकवर करता है. जबकी सर्जरी की पुरानी तकनीक में मरीज को कई समस्याएं होती हैं. जबकी यह प्रक्रिया 1 से 5 सिटिंग्स में पूरी हो जाती है और हर सिटिंग में आधे घंटे का समय लगता है. इस प्रकार न तो मरीज को कोई असुविधा महसूस होती और ट्यूमर भी दूसरे अगों तक नहीं फैलता है.

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साइबरनाइफ रेडिएशन थेरेपी का विशेष फायदा यह है कि यह मस्तिष्क के काम को प्रभावित किए बिना ही ट्यूमर का इलाज कर देता है. लेकिन जिन मरीजों का कैंसर पूरे शरीर में फैल जाता है, उनका इलाज होल ब्रेन रिजर्व थेरेपी (डबल्यूबीआरटी) से किया जाता है. साइबरनाइफ तकनीक ऐसे मरीजों का इलाज करने में सक्षम नहीं है. मेलानोमा जैसे फैलने वाले कैंसरों का इलाज केवल साइबरनाइफ तकनीक से ही किया जा सकता है.

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