विश्वभर में कोरोना वायरस का संक्रमण तेजी से फैलती एक महामारी का रूप ले चुका है. सरकारों, अस्पतालों और लोगों का पूरा फोकस कोविड-19 पर ही है. यह बिल्कुल सही है कि इस संक्रमण को रोकने के लिए कड़े कदम उठाए जाएं. लेकिन ऐसा भी नहीं होना चाहिए कि आपको कोई और स्वास्थ्य समस्या हो तो आप उसकी अनदेखी करें. कईं बीमारियां इतनी गंभीर होती हैं कि समय रहते उनका उपचार न कराया जाए तो घातक हो सकता है. इन्हीं में से एक है, ब्रेन ट्यूमर. तो जानिए क्यों इतना गंभीर होता है, ब्रेन ट्यूमर? इसके उपचार के कौन-कौनसे विकल्प उपलब्ध हैं? और समय रहते उपचार न कराने से स्थिति कितनी गंभीर हो सकती है?
ब्रेन ट्यूमर
कभी-कभी सिरदर्द हो तो कोई बात नहीं, लेकिन अगर आपको लगातार कईं दिनों से सिरदर्द हो रहा हो, रात में तेज सिरदर्द होने से नींद खुल रही हो, चक्कर आ रहे हों, सिरदर्द के साथ जी मचलाने और उल्टी होने की समस्या हो रही हो तो समझिए की आपके मस्तिष्क में प्रेशर बढ़ रहा है. मस्तिष्क में प्रेशर बढ़ने का कारण ब्रेन ट्यूमर हो सकता है. अगर आप पिछले कुछ दिनों से इस तरह की स्थिति का सामना कर रहे हैं तो सतर्क हो जाएं और तुरंत डायग्नोसिस कराएं.
इन संकेतों को गंभीरता से लें
ब्रेन ट्यूमर के कारण शरीर जो संकेत देता है, वो उसके आकार, स्थिति और उसके विकास की दर के अनुसार अलग-अलग हो सकते हैं. इन संकेतों में सम्मिलित हो सकते हैं:
दृष्टि संबंधी परिवर्तन.
बार-बार सिरदर्द होना.
बिना किसी कारण के जी मचलाना और उल्टी आना.
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बोलने और सुनने में दिक्कत होना.
शारीरिक और मानसिक संतुलन गड़बड़ा जाना.
दौरे पड़ना.
डायग्नोसिस
ब्रेन ट्यूमर का संदेह होने पर डॉक्टर कुछ जरूरी जांचों और प्रक्रियाओं का सुझाव दे सकता है, जिनमें सम्मिलित हैं:
न्युरोलॉजिकल एक्जाम
इमेजिंग टेस्ट्स
कम्प्युटराइज़ टोमोग्रॉफी (सीटी) और पोज़ीट्रॉन इमिशन टोमोग्रॉफी (पीईटी)
बायोप्सी
कोविड-19 के प्रकोप में भी समय रहते उपचार है जरूरी
मस्तिष्क हमारे शरीर का एक बहुत ही आवश्यक और संवेदनशील भाग है, जब इसमें ट्यूमर विकसित हो जाता है तो जीवन के लिए खतरा बढ़ जाता है. अगर ट्यूमर हाई ग्रेड है तो तुरंत उपचार की आवश्यकता पड़ेगी, उपचार कराने में देरी मृत्यु का कारण बन सकती है. अगर ट्यूमर का विकास बहुत धीमा है तो आप उपचार कराने के लिए थोड़ा समय ले सकते हैं. लेकिन डायग्नोसिस पर ही पता चलेगा की उसका आकार कितना बड़ा है और वो किस चरण पर है. इसलिए डायग्नोसिस कराने में बिल्कुल देरी न करें. कुछ ट्यूमर इतने घातक होते हैं कि कईं लोग ब्रेन ट्यूमर के डायग्नोसिस के 9-12 महीने में मर जाते हैं. लेकिन, समय पर डायग्नोसिस और उपचार करा लिया जाए तो ठीक होने की संभावना काफी बढ़ जाती है.
उपचार के विकल्प
ब्रेन ट्यूमर का उपचार ट्यूमर के प्रकार, आकार और स्थिति पर निर्भर करता है, इसके साथ ही आपके संपूर्ण स्वास्थ्य और आपकी प्राथमिकता का भी ध्यान रखा जाता है. लेकिन डायग्नोसिस होने के तुरंत बाद उपचार कराना जरूरी है, ताकि जटिलताओं से बचा जा सके.
सर्जरी
अगर ब्रेन ट्यूमर ऐसे स्थान पर स्थित है, जहां ऑपरेशन के द्वारा पहुंचना संभव है, तो सर्जरी का विकल्प चुना जाता है. जब ट्यूमर मस्तिष्क के संवेदनशील भाग के पास स्थित होता है तो सर्जरी जोखिम भरी हो सकती है. इस स्थिति में, सर्जरी के द्वारा उतना ट्यूमर निकाल दिया जाएगा जितना सुरक्षित होता है. अगर ब्रेन ट्यूमर के एक भाग को भी निकाल दिया जाए तो भी लक्षणों को कम करने में सहायता मिलती है.
कीमोथेरेपी
कीमोथेरैपी में शक्तिशाली रसायनों का उपयोग किया जाता है जो प्रोटीन या डीएनए को क्षतिग्रस्त करके कोशिका विभाजन में हस्तक्षेप करते हैं, जिससे कैंसरग्रस्त कोशिकाएं मर जाती हैं.
रेडिएशन थेरेपी
रेडिएशन थेरेपी में ट्यूमर की कोशिकाओं को नष्ट करने के लिए हाई-एनर्जी बीम जैसे एक्स-रे या प्रोटॉन्स का इस्तेमाल किया जाता है.
टारगेट थेरैपी
कीमोथेरैपी के दुष्प्रभावों को देखते हुए टारगेट थेरैपी का विकास किया गया है. इसमें सामान्य कोशिकाओं को नुकसान पहुंचाए बिना कैंसरग्रस्त कोशिकाओं को नष्ट किया जाता है. इसके साइड इफेक्ट भी कम होते हैं. पिछले दशक में टारगेट थेरैपी के बहुत अच्छे परिणाम आएं हैं.
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रेडियो सर्जरी
यह पारंपरिक रूप में सर्जरी नहीं है. इसमें कैंसरग्रस्त कोशिकाओं को मारने के लिए रेडिएशन की कईं बीम्स का इस्तेमाल किया जाता है, जो एक बिंदु (ट्यूमर) पर फोकस होती हैं.इसमें विभिन्न प्रकार की तकनीकों का इस्तेमाल किया जाता है जैसे गामा नाइफ या लीनियर एक्सेलेटर.रेडियो सर्जरी, ब्रेन ट्यूमर का एक अत्याधुनिक उपचार है, यह एक ही सीटिंग में हो जाता है और अधिकतर मामलों में, मरीज उसी दिन घर जा सकता है.
अधिक होता है संक्रमण का खतरा
जिन लोगों को कैंसर है, उनके लिए कोविड-19 के संक्रमण का खतरा बढ़ जाता है, क्योंकि कैंसर के कारण शरीर अतिसंवेदनशील और इम्यून तंत्र अत्यधिक कमजोर हो जाता है. ऐसे में शरीर वायरस के आक्रमण का मुकाबला नहीं कर पाता है. पुणे स्थित नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी के अनुसार, जो लोग पहले से ही शरीर के किसी भी भाग के कैंसर से जूझ रहे हैं, उनमें संक्रमण होने का खतरा स्वस्थ्य लोगों की तुलना में कईं गुना अधिक हो जाता है.
अमेरिकन कैंसर सोसायटी के अनुसार जो लोग कैंसर का उपचार करा रहे हैं, विशेषकर कीमोथेरेपी उनके लिए संक्रमण की आशंका अधिक हो जाती है, क्योंकि कीमोथेरेपी में इस्तेमाल होने वाली ड्रग्स इम्यून तंत्र को नकारात्मक रूप से प्रभावित करती हैं.
इसलिए बहुत जरूरी है कि जो लोग कैंसर से जूझ रहे हैं, या इसका उपचार करा रहे हैं, वो कोविड-19 से बचने के लिए सरकार द्वारा जारी किए गए दिशा-निर्देशों का कड़ाई से पालन करें.
डॉ. मनीष वैश्य,निदेशक, न्युरो सर्जरी विभाग, मैक्स सुपर स्पेशियलिटी हॉस्पिटल, वैशाली, गाजियाबाद से बातचीत पर आधारित