दोस्ती करें और ब्रेकअप फीवर से बचें

अकसर ब्रेकअप के बाद प्रेमीप्रेमिका एकदूसरे को भूलने के लिए हर फंडा अपनाते हैं. एकदूसरे को सोशल साइट्स पर ब्लौक करते हैं. वैसी जगहों पर जाना छोड़ देते हैं जहां उन के पार्टनर आते हैं. कुछ तो कौमन फ्रैंड्स से भी दूरी बना लेते हैं ताकि उन्हें ब्रेकअप का कारण न बताना पड़े.

पर कभी ब्रेकअप के बाद अपने ऐक्स से दोस्ती करने के बारे में नहीं सोचते, जबकि ब्रेकअप के बाद अपने ऐक्स से दोस्ती रखना  न केवल फायदेमंद होता है, बल्कि यह आप को मानसिक रूप से भी सबल बनाता है, जिस से आप खुश रहते हैं और डिप्रैशन से बाहर निकलते हैं.

क्यों पसंद नहीं करते दोस्ती करना

आमतौर पर ब्रेकअप के बाद दोस्ती रखना इसलिए पसंद नहीं किया जाता, क्योंकि इस से साथी और उस की यादों से निकलने में काफी तकलीफ होती है, पर ब्रेकअप के बाद आपस में दोस्ती का रिश्ता रख कर आप एकदूसरे की मदद कर सकते हैं. इस में कोई बुराई नहीं है बल्कि इस से यह स्पष्ट होता है कि आप के दिल में एकदूसरे के प्रति कोई गलत धारणा नहीं है.

बौलीवुड अदाकारा दीपिका पादुकोण ने अपने ऐक्स बौयफ्रैंड रणवीर कपूर से ब्रेकअप के बाद भी बहुत ही प्यारा और दोस्ताना रिश्ता रखा है. दीपिका की कई बातें ब्रेकअप के बाद मूवऔन करना और अपने ऐक्स के साथ दोस्ताना रिश्ता रखना सिखाती हैं. पर्सनल बातों को किनारे रखते हुए प्रोफैशनली दीपिका ने रणवीर कपूर के साथ फिल्म साइन की और दर्शकों ने इस फिल्म को काफी सराहा. इस बात से पता चलता है कि हमें प्यार और काम में कैसे बैलेंस बना कर रखना चाहिए. अगर आप और आप का ऐक्स एक ही जगह पढ़ते या काम करते हैं तो अपने काम को कभी भी रिश्ते की खातिर इग्नोर न करें और न ही ब्रेकअप को खुद पर हावी होने दें.

बौलीवुड कपल्स जिन्होंने ब्रेकअप के बाद भी निभाई दोस्ती

रणवीर दीपिका

रणवीर और दीपिका की दोस्ती को बौलीवुड सलाम करता है. ब्रेकअप के बाद दोस्ती के रिश्ते को मैंटेन रखना कोई इन से सीखे.

अनुष्का रणबीर

रणबीर सिंह और अनुष्का शर्मा ने अपनी पहली फिल्म ‘बैंड बाजा बरात’ के बाद एकदूसरे को डेट करना शुरू कर दिया था. लेकिन इन का यह रिश्ता बहुत समय तक चल नहीं पाया और ब्रेकअप हो गया. ब्रेकअप के बाद ये कुछ समय के लिए एकदूसरे से दूर थे, लेकिन फिर दोनों ने दोस्ती कर ली.

शिल्पा अक्षय

90 के दशक में इन की हिट जोड़ी थी, लेकिन कुछ समय बाद ये अलग हो गए और अक्षय ने टिंवकल से शादी कर ली और शिल्पा ने राज कुंदरा में प्यार ढूंढ़ लिया, लेकिन आज भी दोनों अच्छे दोस्त की तरह मिलते हैं.

ऋषि डिंपल

रणवीर ने दीपिका से ब्रेकअप के बाद दोस्ती काफी अच्छे से बरकरार रखी. आखिरकार इतने अच्छे से मैनेज करना उन्होंने अपने पापा से सीखा है. ऋषि कपूर ने भी एक जमाने में डिंपल कापडि़या के साथ दोस्ती मैंटेन की थी.

क्या न करें

सोशल प्लेटफौर्म न छोड़ें

अकसर ऐसा होता है कि ब्रेकअप के बाद हम सोशल प्लेटफौर्म छोड़ देते हैं, अकाउंट डिऐक्टिवेट कर देते हैं या फिर पार्टनर को ब्लौक कर देते हैं. ऐसे में सोशल साइट्स पर बने रहें, लेकिन वहां अपने इमोशंस को ज्यादा पोस्ट न करें.

इंसल्ट करने की गलती न करें

ब्रेकअप की वजह से हम इतने तनाव में आ जाते हैं कि हम क्या करते हैं, हमें खुद भी पता नहीं होता, इसलिए इंसल्ट करने की गलती न करें. अगर आप ऐसा करती हैं तो नुकसान आप का ही है.

इमोशनल ब्लैकमेल न करें

युवतियां ब्रेकअप के बाद काफी इमोशनल ब्लैकमेल करती हैं, बारबार फोन पर रोती हैं. इस तरह की हरकत न करें. ऐसा करने से पार्टनर को लगने लगता है कि अगर वह आप के टच में रहेगा तो उसे हमेशा आप का यह ड्रामा झेलना पड़ेगा.

ब्रेकअप के बाद न दिखाएं पजैसिवनैस

कुछ युवतियां जब तक रिलेशन में होती हैं तब तक वे रिलेशन को तवज्जो नहीं देतीं, लेकिन जैसे ही ब्रेकअप होता है वे पजैसिव बनने लगती हैं, अजीबअजीब हरकतें करने लगती हैं और दोस्ती बरकरार रखने का मौका खो देती हैं.

शहर व जौब न छोड़ें

ब्रेकअप के बाद अकेलापन लगता है, किसी काम में मन नहीं लगता. ऐसे में कुछ तो जौब छोड़ देते हैं या फिर शहर बदल लेते हैं ताकि सबकुछ भूल जाएं. लेकिन ऐसा करना समस्या का हल नहीं है. ऐसा कर के आप खुद का भविष्य खराब करते हैं.

अवौइड करने की भूल न करें

ब्रेकअप के बाद आप पार्टनर को अवौइड न करें. ऐसा न करें कि जहां आप का पार्टनर जा रहा हो, आप वहां सिर्फ इसलिए जाने से मना कर दें कि वहां आप का ऐक्स बौयफ्रैंड भी आ रहा है. अवौइड कर के आप लोगों को बातें बनाने का मौका देती हैं.

क्या करें

मिलें तो नौर्मल बिहेव करें

ब्रेकअप के बाद जब पार्टनर से मिलें तो नौर्मल बिहेव करें, ऐसा न हो कि आप उसे हर बात पर पुरानी बातें याद दिलाते रहें, कहते रहें कि पहले सबकुछ कितना अच्छा था, हम कितनी मस्ती करते थे और आज देखो, हमारे पास बात करने के लिए भी कुछ नहीं है. ऐसा भी न करें कि ब्रेकअप के बाद मिलें तो ओवर ऐक्साइटेड बिहेव करें, यह दिखाने के लिए कि आप पहले से ज्यादा खुश हैं, बल्कि ऐसे रहें जैसे आप अपने बाकी फैं्रड्स के साथ रहती हैं.

चिल यार का फंडा अपनाएं

ब्रेकअप के बाद खुद को स्ट्रौंग रखने के लिए चिल यार का फंडा अपनाएं. आप सोच रही होंगी कि चिल यार का फंडा क्या है? चिल यार का फंडा है जैसे अपना मेकओवर करवाएं, फ्रैंड्स के साथ पार्टी करें, वे सारी चीजें करें जो आप रिलेशनशिप की वजह से नहीं कर पाती थीं.

अपनी तरफ से दें फ्रैंडशिप प्रपोजल

भले ही सामने वाला आप से फ्रैंडशिप रखने में रुचि न दिखाए, लेकिन आप फिर भी खुद से फ्रैंडशिप का प्रपोजल दें. आप के व्यवहार को देख कर सामने वाला भी आप से दोस्ती बरकरार रखेगा.

एक सीमा तय करें

ब्रेकअप के बाद की दोस्ती में एक दायरा तय करें, क्योंकि पहले की बात कुछ और थी. अब चीजें बदल चुकी हैं. अब आप दोनों दोस्त हैं. ऐसा न हो कि आप के बीच का रिश्ता तो खत्म हो गया है लेकिन इस के बाद भी आप के बीच कभी शारीरिक संबंध बन जाएं. इसलिए एक दायरा तय करें. अगर आप ने तय किया है कि दोस्ती का रिश्ता बरकरार रखेंगे तो इस रिश्ते की गरिमा को बना कर रखें.

लिव इन रिलेशन: क्या करें जब हो जाए ब्रेकअप

राखी कुछ दिनों से बेहद परेशान दिख रही थी. दफ्तर के काम में भी उस का मन नहीं लग रहा था. वह एक जिम्मेदार पद पर कार्यरत थी. ऐसे में बौस का उस पर झल्लाना लाजिम था. यह सब उस की सहकर्मी नीलिमा से न देखा गया और एक दिन लंच टाइम में उस ने राखी के मन को कुरेदा तो वह फफक उठी, ‘‘नीलिमा, मैं और मिहिर 1 साल से लिव इन रिलेशनशिप में रह रहे थे. मैं ने तो अपने मातापिता को भी मना लिया था शादी के लिए, लेकिन अब वह कह रहा है कि वह इस रिश्ते से ऊब चुका है. उसे स्पेस चाहिए. कुछ हफ्तों से हम एक छत के नीचे रह कर भी अजनबियों की तरह रह रहे हैं. 3 दिन से वह मुझे मिला भी नहीं है. न कौल, न मैसेज. कुछ भी रिप्लाई नहीं कर रहा,’’ और फिर वह फूटफूट कर रोने लगी.

नीलिमा ने राखी को जी भर कर रोने दिया. फिर दफ्तर के बाद उसे अपने घर ले गई. नीलिमा अपने मम्मीपापा और भैयाभाभी के साथ रहती थी. राखी को एक परिवार का भावनात्मक सहारा मिला और अपनी एक सहेली का हौसला, जिस से उस का मनोबल मजबूत हुआ और वह आगे की जिंदगी हंसतेहंसते बिता पाई. राखी जैसी न जाने कितनी लड़कियों को सहजीवन या लिव इन रिलेशनशिप ने अपने मकड़जाल में फंसाया हुआ है, जिस से निकलतेनिकलते वे टूट कर पूरी तरह बिखर जाती हैं और हाथ लगती है सिर्फ हताशा और मानसिक अवसाद. कुछ वर्षों पहले जब सुप्रीम कोर्ट ने लिव इन रिलेशनशिप को कानूनी मान्यता दी थी तब युवावर्ग खुशी से झूम उठा था मानो खुले आसमान के साथसाथ अब उन्हें सुनहरे पंख भी मिल गए हों. मगर अब इस रिश्ते की स्वच्छंदता बहुतों को घायल कर रही है, जिन में महिलाएं, लड़कियां ज्यादा हैं.

नैंसी के साथ तो बहुत ही बुरा हुआ. 6 महीने तक प्रकाश के साथ सहजीवन में रहने के बाद अचानक एक हादसे में प्रकाश की मौत हो गई. किसी तरह वह इस सदमे से खुद को उबारती है तो पता चलता है कि वह मां बनने वाली है और अब गर्भपात की समयसीमा भी निकल चुकी है. ऐसे में वह जीवन से हताश हो कर आत्महत्या जैसा गलत कदम उठा लेती है और पीछे छोड़ जाती है अपना रोताबिलखता परिवार और उन के अनमोल सपने जो कभी उन्होंने नैंसी के लिए देखे थे.

महानगरों में ऐसे कई उदाहरण मिल जाएंगे. अब सवाल यह उठता है कि यदि विवाह संस्था बंधन और लिव इन आजादी है, तो फिर इस आजादी में इतनी तकलीफ क्यों सहन करनी पड़ रही है लड़कियों को? इस का जवाब है समाज की दोयमदर्जे की मानसिकता. भारतीय महिलाओं के लिए संबंधों को तोड़ पाना अभी भी आसान नहीं है. सामाजिक ही नहीं भावनात्मक स्तर पर भी. पुरुष तो ऐसे रिश्तों से अलग हो कर शादी भी कर लेता है और समाज स्वीकार भी लेता है, परंतु वही समाज महिला के चरित्र पर उंगली उठाता है.

ऐसी स्थिति में क्यों न हम कुछ बातों का खयाल रखते हुए एक सुकून भरी जिंदगी जीएं. लिव इन रिश्ते के टूटने पर पलायनवादी होने से अच्छा है कि हम इसे अपना अनुभव समझते हुए सबक लें. यह सच है कि महिलाओं के लिए साथी के साथ को भूलना और जीवन के आगामी संघर्षों से मुकाबला करना आसान नहीं होता. लेकिन जिंदगी रुकने का नहीं, निरंतर चलने का नाम है. बस जरूरत है तो इस रिश्ते से जुड़े कुछ पहलुओं पर गौर करने की ताकि लिव इन रिलेशनशिप से टूट कर न बिखरें. खुद को रखें व्यस्त: यदि आप नौकरी करती हैं, तो आप के लिए खुद को व्यस्त रखना थोड़ा आसान होगा. अपने औफिशियल टारगेट को पूरा करने पर ध्यान केंद्रित करें. हर वक्त यह न सोचती रहें कि अपने पार्टनर को कैसे मनाया जाए क्योंकि आप के पार्टनर ने मानसिक तैयारी के साथ ही आप को छोड़ा है, इसलिए वह तो आने से रहा.

नौकरी न करने वाली लड़कियों को भी चाहिए कि वे ज्यादा से ज्यादा समय परिवार के साथ बिताएं और साथ ही अपने अंदर के किसी हुनर को पहचानते हुए उसे निकालने का प्रयास करें. वे सारे कार्य करें जो कभी आप समय की कमी के कारण नहीं कर पाती थीं. कभीकभी अपनी भावनाओं को डायरी के पन्नों में भी ढालने का प्रयास करें. मन की तकलीफ कुछ कम हो जाएगी.

कुछ तो लोग कहेंगे:

जब आप ने लिव इन रिलेशनशिप में रहने का फैसला किया होगा तब अवश्य ही लोगों की बातों को नजरअंदाज किया होगा. लोग क्या कहेंगे, इस वाक्य को कई बार सिरे से खारिज किया होगा. तो बस अभी वही करते रहिए. शांति से उन की नकारात्मक बातों को अनसुना कीजिए. कभी भी अपनी तरफ से सफाई देने या अपना पक्ष रखने की कोशिश न कीजिए, क्योंकि आप ने कोई अपराध नहीं किया है.

हीनभावना न पनपने दें:

आप केवल दोस्ती के एक रिश्ते से अलग हुए हैं. अत: स्वयं को तलाकशुदा न समझें. आप ने कोई अपराध नहीं किया है. यौन शुचिता के तराजू पर भी खुद को न तौलें. शारीरिक संबंध बनाना एक प्राकृतिक क्रिया है. इसे लेकर अपने मन में हीनभावना न पालें. साथी के साथ बिताए सुखद पलों को ही जीवन में स्थान दें. साथी के प्रति मन में नफरत का भाव न रखें. आमनेसामने होने पर भी दोस्ताना व्यवहार करें और किसी भी प्रकार का ताना या उलाहना न दें. कानून है आप के साथ: यदि आप लंबे समय से लिव इन रिलेशनशिप में रह रहे हैं और आप का बच्चा भी है तो ऐसे में यदि आप का साथी आप को आप की मरजी के खिलाफ छोड़ना चाहता है तो आप कानून का सहारा ले सकती हैं. सुप्रीम कोर्ट ने 2010 में यह फैसला सुनाया है कि लिव इन के कारण पैदा हुए बच्चे नाजायज नहीं कहे जाएंगे. आप सीआरपीसी की धारा 125 के तहत बच्चे के गुजाराभत्ते के लिए अर्जी दाखिल कर सकती हैं, क्योंकि अधिक समय तक लिव इन रिश्ते में रहने के कारण आप को कानूनन पत्नी का दर्जा मिलता है.

साथी के द्वारा मारपीट या जबरदस्ती करने पर भी आप न्यायालय से घरेलू हिंसा कानून के तहत इंसाफ एवं गुजाराभत्ते की मांग कर सकती हैं या हिंदू अडौप्शन ऐंड मैंटनैंस एक्ट की धारा 18 के तहत भी अर्जी दाखिल कर सकती हैं. न छिपाएं होने वाले जीवनसाथी से: टूटे रिश्ते के गम से बाहर निकलने के लिए शादी एक बेहतर विकल्प है, पर इतना याद रखें कि शादी

से पहले आप अपने भावी जीवनसाथी को अपने लिव इन रिलेशनशिप के बारे में अवश्य बताएं, साथ ही उन्हें यह आश्वस्त करें कि आप अपने पुराने रिश्ते को नए रिश्ते पर कभी हावी नहीं होने देंगी.

पुरुष भी दें ध्यान:

यह सही है कि सहजीवन से अलग होने का परिणाम सब से ज्यादा लड़कियों को ही भुगतना पड़ता है, परंतु कुछ समय संवेदनशील पुरुष भी प्रभावित होते हैं, इस बात को नकारा नहीं जा सकता. जयंत की पार्टनर ने उसे छोड़ने के बाद उस के खिलाफ शादी का झांसा दे कर बलात्कार करने का इलजाम लगा दिया था. काफी मुश्किलें झेलने के बाद वह इस से छुटकारा पा सका.

ऐसे पुरुषों के लिए ही दिल्ली हाईकोर्ट ने ऐसे मामलों में पुलिस को बलात्कार के बजाय विश्वास भंग (क्रिमिनल ब्रीच औफ ट्रस्ट)का मुकदमा दर्ज कर जांच करने का आदेश दिया है, ताकि पुरुषों को भी न्याय मिल सके.

Breakup: सुखद प्यार का दुखद अंत

बौलीवुड अभिनेत्री सुष्मिता सेन अपनी पर्सनल लाइफ को ले कर सुर्खियों में रहती हैं. ऐक्ट्रैस ने अपने बौयफ्रैंड रोहमन शौल के साथ ब्रेकअप कर लिया. सुष्मिता ने अपने ब्रेकअप के बाद पहला पोस्ट शेयर कर लिखा शांति सब से खूबसूरत है. मैं आप सभी से प्यार करती हूं. इस के साथ उन्होंने स्माइली इमोजी शेयर करते हुए लिखा कि रिश्ता तो काफी पहले खत्म हो चुका था, लेकिन हम दोस्त बने रहे.

रिपोर्ट्स के अनुसार, कपल के बीच सबकुछ सही नहीं चल रहा था इसलिए दोनों का ब्रेकअप हो गया.

सुष्मिता और रोहमन करीब 3 सालों से रिलेशनशिप में थे. रोहमन ने यहां तक कहा था कि वे सुष्मिता और उन की बेटियों को अपना परिवार मानते हैं. फिर ऐसा क्या हुआ कि दोनों अगल हो गए? जो भी हो पर सुष्मिता सेन के ब्रेकअप की खबर से उन के फैंस टूट गए.

मगर सवाल यह उठता है कि आखिर क्यों गहरे प्यार और विश्वास के बाद कपल एकदूसरे से अलग हो जाते हैं? ब्रेकअप की नौबत क्यों आ जाती है उन के बीच? कुछ का तर्क होता है हम एकदूसरे के लिए बने ही नहीं थे तो कुछ का यह कि हम से उसे सम झने में गलती हो गई.

प्यार जितना सुखद होता है, ब्रेकअप उतना ही दुखद. 2 प्यार करने वाले रिश्ते में इतने जुड़ चुके होते हैं कि उनका अलग होना मुश्किल हो जाता है. कई बार प्यार को शादी की मंजिल तक ले जाना हो तो धर्म, जैंडर और उम्र आड़े आ जाती है, जिन की वजह से 2 प्यार करने वाले बीच रास्ते में ही अलग हो जाते हैं. लेकिन वक्त के साथ बदलाव हुए हैं. लोग अब इन सब चीजों को नहीं मानते. लेकिन कई बार कुछ ऐसा होता है कि प्यार शादी तक नहीं पहुंच पाता और ब्रेकअप हो जाता है. रिलेशनशिप मुश्किल से कुछ साल ही टिक पाती है और फिर दोनों की राहें जुदा हो जाती हैं.

ऐसे रिश्तों पर ऐक्सपर्ट्स का कहना है कि 70% अविवाहित कपल का ब्रेकअप पहले ही साल में हो जाता है. यह भी पाया गया कि रिलेशनशिप के 5 साल बीत जाने के बाद ब्रेकअप की संभावना केवल 20% तक ही रह जाती है.

एक रिपोर्ट के मुताबिक, अधिकतर लोगों का ब्रेकअप शुक्रवार के दिन होता है. एक इंग्लिश वैबसाइट द्बद्यद्यद्बष्द्बह्ल द्गठ्ठष्शह्वठ्ठह्लद्गह्म्ह्य ने लोगों पर यह रिसर्च की जिस में पाया गया कि शुक्रवार को पार्टनर्स एकदूसरे से सब से ज्यादा  झगड़ते हैं. साथ ही इस दिन रिश्ते टूटने का खतरा सब से ज्यादा होता है. रिपोर्ट के अनुसार, शुक्रवार के दिन 75% लोगों का ब्रेकअप होता है. लेकिन सवाल यह है कि पहले 1-2 साल में ऐसा क्या होता है कि 2 प्यार करने वाले अलग हो जाते हैं?

पार्टनर का सच सामने आना

रिलेशनशिप ऐक्सपर्ट नील स्ट्रास कहते हैं कि किसी भी रिलेशनशिप का पहला साल चुनौतियों से भरा होता है. शुरूशुरू में सब खयालों में खोए होते हैं यानी वास्तविकता से दूर होते हैं. अपने पार्टनर में आप वही देखते हैं जो आप देखना चाहते हैं. लेकिन कुछ महीने बाद आप वास्तविकता के करीब आने लगते हैं तो तसवीर साफ होने लगती है. सामने वाले व्यक्ति की आदतें, व्यवहार, तौरतरीका, बात करने का ढंग वगैरह सब दिखने लगता है और तब आप का उस से मोहभंग होने लगता है क्योंकि तब आप को वह सब दिखने लगता है जो असल में उस व्यक्ति में है. फिर उस के बाद शुरू हो जाता है टकराव. अगर उसे पार कर लिया तो रिश्ता आगे बढ़ जाता है वरना बीच रास्ते में ही दम तोड़ देता है.

ब्रेक का सीजन

एक स्टडी में पाया गया है कि वैलेंटाइन डे के आसपास ही सब से ज्यादा ब्रेकअप होते हैं क्योंकि इस दिन प्रेमी एकदूसरे से सब से ज्यादा उम्मीद रखते हैं कि वे उस के लिए क्या खास करने वाले हैं, क्या गिफ्ट मिलेगा और जब उम्मीद टूट जाती है, तब बात ब्रेकअप तक पहुंच जाती है. वहीं कुछ लोग ऐसे भी हैं जो अपने ब्रेकअप को प्लान करते हैं खास वैलेंटाइन डे के लिए. जो लोग प्यार में खुद को ठगा हुआ महसूस करते हैं, बदला लेने की नियत से वैलेंटाइन पर ही ब्रेकअप करते हैं.

प्यार अंधा होता है

वैज्ञानिक इस बात की पुष्टि कर चुके हैं कि प्यार सच में अंधा होता है. उन्होंने पाया कि प्रेमी की भावनाएं मस्तिष्क के उन हिस्सों को दबाती हैं जिन में गंभीर विचार नियंत्रित किए जाते हैं. इसलिए जब हम खुद को किसी व्यक्ति के करीब महसूस करते हैं तो हमारा मस्तिष्क तय करता है कि उस व्यक्ति के चरित्र या व्यक्तित्व का गहराई से आकलन करना उतना आवश्यक नहीं है. लेकिन एक समय आता है जब व्यक्ति आकलन करता है.

ब्रेकअप का कारण

लाइफ कोच केली रौजर्स ने अपनी रिसर्च में पाया कि महिलाएं अपने रिश्तों में जो देती हैं उस के बदले भावनात्मक लाभ पाना चाहती हैं. एक रिलेशनशिप में 6 महीने कमिटेड रहने के बाद महिलाएं यह सम झती हैं कि उन्होंने इस रिश्ते में अपना प्यार, एटैंशन, पैसा और समय दिया है तो उस के बदले में उन्हें कुछ मिलना ही चाहिए. ज्यादा ऐक्सपैक्टेशन भी कभीकभी ब्रेकअप की वजह बन जाती है.

जब बीच में पैसा आ जाए

आप का पार्टनर पैसे के मामले में कितने दिलदार है या कंजूस है यह बात आप को कुछ समय बाद पता चलती है. उस के साथ 2-4 बार डेट्स पर जाने और बर्थडे बिताने के बाद ही आप जान पाते हैं कि पैसे के मामले में आप का पार्टनर कितना दिलदार है. अगर वह आप की उम्मीदों पर खरा नहीं उतरता तो ब्रेकअप की नौबत आ जाती है. कुछ साल किसी भी रिलेशनशिप में रहने के बाद आर्थिक असंगति बीच में आ जाती है. रिश्ते में पैसा बीच में आया तो फिर भरोसा और सुरक्षा जैसे सवाल उठने लगते हैं. छोटेछोटे खर्चे की तो कोई बात नहीं है, लेकिन जब बड़े खर्चे हों या आप साथ में ट्रिप पर जा रहे हों तो प्यार से ज्यादा पैसा मैटर करने लगता है.

कमिटमैंट न मिले तो

ऐक्सपर्ट्स का कहना है कि ज्यादातर लोग 1 साल की रिलेशनशिप के बाद अपने रिश्ते के बारे में सब को बता देते हैं. 1 साल के बाद कुछ लोगों को पक्का कमिटमैंट चाहिए होता है. लेकिन पार्टनर रिलेशनशिप के बारे में किसी को बताना नहीं चाहता या शादी के लिए बात नहीं करता तो कमिटमैंट चाहने वाला पार्टनर रिश्ता खत्म कर लेता है. ज्यादातर लड़कियां इस तरह का कमिटमैंट लड़कों से चाहती हैं क्योंकि वे अपने रिश्ते को सिक्योर करना चाहती हैं. मगर लड़के कोई न कोई कारण बता कर ऐसा करने से अकसर भागते हैं.

जब रिश्ते की उम्र पता हो

कुछ लोगों को पता होता है कि उन का रिश्ता बहुत आगे तक नहीं जाने वाला. उन्हें अपने रिश्ते को कितने समय के लिए रखना है या नहीं रखना है यह बात वे जानते हैं. तभी तो ब्रेकअप होने का उन्हें कोई मलाल नहीं होता है. प्यार वे सिर्फ टाइम पास या दोस्तों को दिखाने के लिए रखते हैं. बहुतों को देखा होगा, किसी नए शहर में पढ़ने या नौकरी करने गए तब तक के लिए पार्टनर ढूंढ़ लिया और फिर ब्रेकअप कर लिया.

कम उम्र का प्यार

किसी अफेयर की शुरुआत बहुत ही अच्छी होती है. उस वक्त इंसान दिमाग से नहीं, बल्कि दिल से सोचता है. लेकिन एक दिन जब उसे सम झ आ जाता है कि इस प्यारव्यार के चक्कर में पड़ कर वह सिर्फ अपना समय बरबाद कर रहा है क्योंकि अभी उसे अपना भविष्य संवारना है, कैरियर बनाना है, तो वह ब्रेकअप कर लेता है. यह ज्यादातर कम उम्र लोगों में होता है जहां उन के बड़े उन्हें सम झाते हैं कि यह समय अपना भविष्य बनाने का है न कि प्यारव्यार के चक्कर में पड़ने का.

जब इंसान बदलने लगता है

रिलेशनशिप की शुरुआत में आप वही करते हैं जो आप का पार्टनर करता है. सिर्फ उसे यह दिखाने के लिए कि आप उस में दिलचस्पी ले रहे हैं. जैसे वीकैंड पर घूमने जाना, फिल्में देखना, डिनर पर जाना, पार्टी करना. लेकिन कुछ समय बाद जब आप को पता चलता है कि आप के पार्टनर को वीडियो गेम खेलना पसंद है या टीवी पर चिपके रहना, तो फिर रिलेशनशिप आगे बढ़ने के बजाय पीछे खिसकने लगती है और फिर इस का अंत ब्रेकअप होता है.

परिवार भी बन सकता है ब्रेकअप का कारण

इस बात में कोई दोराय नहीं है कि जब 2 लोग लंबे समय तक एक रिलेशन में रहते हैं तो एकदूसरे की फैमिली से भी उनका रिश्ता बन जाता है. वे न केवल एकदूसरे के सुखदुख में बराबर के भागीदार होते हैं, बल्कि एकदूसरे के परिवार के साथ भी जुड़ाव महसूस करने लगते हैं, जोकि बहुत हद तक रिलेशन को आगे बढ़ाने का काम करता है. लेकिन कभीकभी जब एक पार्टनर का परिवार दूसरे को पसंद नहीं करता, उस की वजह से घर में कलह होने लगती है तब भी रिश्ता टूट जाता है.

ज्यादातर रिलेशनशिप उस समय टूटने के कगार पर आ जाते हैं जब लड़का या लड़की के परिवार वालों के विचार आपस में नहीं मिल पाते. ऐसी सिचुएशन में कपल्स को ऐसा लगने लगता है कि उन की वजह से घर में लड़ाई झगड़े हो रहे हैं और फिर वे अपने रिलेशनशिप से पीछे हटने लगते हैं, यह जानते हुए भी कि वे एकदूसरे के बिना खुश नहीं रह पाएंगे.

हालांकि ऐसी स्थिति में उन्हें स्टैंड लेने की जरूरत है, साथ ही परिवार को सम झाने की कि वे एकदूसरे से प्यार करते हैं साथ ही साथ परिवार के बीच मधुर संबंध बनाने की कोशिश भी करनी चाहिए.

ब्रेकअप से उबरने के 5 टिप्स

जब अंशु को पता चला कि उस की भानजी आरवी का 5 साल पुराना रिश्ता टूट गया है तो उस के होश उड़ गए. कितनी प्यारी थी आरवी और कबीर की जोड़ी. दोनों एकसाथ मुंबई के इंजीनियरिंग कालेज में पढ़ रहे थे. दोनों ही परिवारों ने इस रिश्ते को स्वीकार कर लिया था, बस एक सामाजिक स्वीकृति मिलनी बाकी थी. अंशु बहुत दुखी मन से अपनी दीदी के घर गई तो देखा आरवी तो एकदम नौर्मल थी और खिलखिला रही थी.

अंशु को लगा कि आजकल के बच्चों का प्यार भी कोई प्यार है. जब चाहो रिलेशनशिप में आ जाओ और जब मरजी ब्रेकअप कर लो. ये आजकल के रिश्ते भी कोई रिश्ते हैं? बस सारे रिश्ते दैहिक स्तर पर ही आधारित हैं.

अंशु को अपना समय याद आ गया जब उस का रिश्ता प्रवेश के साथ टूट गया था. पूरे 2 वर्ष तक वह अपनी खोल से बाहर नहीं निकल पाई थी. कितनी मुश्किल से उस ने अपने नए रिश्ते को स्वीकार किया था. कभीकभी अंशु को लगता कि वह आज तक भी अपने पति को स्वीकार नहीं कर पाई है. प्रवेश के साथ उस टूटे रिश्ते की टीस अभी भी बाकी है.

रात को आरवी अंशु के गले लग कर बोली, ‘‘मौसी, बहुत अच्छा हुआ आप आईं. मेरा पूरा परिवार मेरे साथ खड़ा है, इसीलिए तो मैं यह फैसला कर पाई हूं.’’

मगर अंशु को लग रहा था कि आरवी को दरअसल कबीर से कभी प्यार ही नहीं था. पर आरवी के अनुसार घुटघुट कर जीने के बजाय अगर आप की बन नहीं रही है तो क्यों न ब्रेकअप कर के आगे बढ़ा जाए.

आजकल की युवा पीढ़ी पहले से अधिक जागरूक और व्यावहारिक है. एक व्यक्ति के पीछे पूरी जिंदगी खराब करने के बजाय वह ब्रेकअप कर के आगे की राह आसान बना लेती है.

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दूसरी ओर मानसी का जब ऋषि से 2 साल पुराना रिश्ता टूट गया तो वह अवसाद में चली गई. अपने साथसाथ उस ने अपने पूरे परिवार की जिंदगी भी मुश्किल कर दी थी. कोई भी रिश्ता जबरदस्ती का नहीं होता है. अगर आप का साथी आप के साथ वास्ता नहीं रखना चाहता है, तो गिड़गिड़ाने के बजाय अगर आप सम्मानपूर्वक आगे बढ़ें तो न केवल आप के साथी के लिए बल्कि आप के लिए भी अच्छा होगा.

हालांकि ब्रेकअप पर बहुत दलीलें दी जा सकती हैं, फिर भी घुट कर जीने से ब्रेकअप कहीं अधिक बेहतर है.

ब्रेकअप चाहे शादी से पहले हो या शादी के बाद हमेशा मर्यादित होना चाहिए. अगर इन छोटेछोटे व्यावहारिक सु झावों को हम निजी जीवन में अपनाएं तो बहुत जल्दी एक संपूर्ण जीवन की ओर बढ़  सकते हैं:

1. शहीदाना भाव ले कर मत घूमें:

ब्रेकअप होने का मतलब यह नहीं है कि आप 24 घंटे मुंह बिसूर कर घूमते रहें. यह जीवन का अंत नहीं है. जिंदगी आप को फिर से खुशियां बटोरने का मौका दे रही है. आप की पहचान खुद से है. बहुत बार हम रिश्तों में ही अपना वजूद ढूंढ़ने लगते हैं. इसलिए हम किसी भी कीमत पर ब्रेकअप नहीं करना चाहते हैं. 1-2 दिन मूड का खराब होना लाजिम है पर उस खराब रिश्ते की यादों को च्यूइंगम की तरह मत खींचें.

2. दिल के दरवाजे खुले रखें:

एक हादसे का मतलब यह नहीं है कि आप जिंदगी को जीना छोड़ दें. दिल के दरवाजे हमेशा खुलें रखें. हर रात के बाद सुबह अवश्य होती है. एक अनुभव बुरा हो सकता है पर इस का मतलब यह नहीं है कि आप रोशनी की किरण से मुंह फेर लें.

3. काम में मन लगाएं:

काम हर मर्ज की दवा होती है. अत: खुद को काम में डूबा लें, आधे से ज्यादा दर्द तो यों ही गायब हो जाएगा और जितना अधिक काम में दिल लगेगा उतना ही अधिक आप की प्रतिभा में निखार होगा और तरक्की के रास्ते खुलेंगे.

4. न छोड़ें आशा का साथ :

बहुत बार देखने में आता है कि लोग ब्रेकअप के बाद निराशा गर्त में चले जाते हैं. एक घुटन भरे रिश्ते में सारी उम्र निराशा में बिताने से अच्छा है कि बे्रकअप कर के नई शुरुआत करें. आशा का दामन पकड़े रखें और ब्रेकअप के बाद नई शुरुआत करें.

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5. जिंदगी खूबसूरत है:

जिंदगी खूबसूरत है और एक ब्रेकअप के कारण इस की खूबसूरती को नजरअंदाज न करें. अपने ब्रेकअप से कुछ सीखें और दोबारा उन्हीं गलतियों को न दोहराएं. ब्रेकअप के बाद ही आप को लोगों को सम झने की बेहतर परख आती है.

अगर सरल भाषा में कहें तो ब्रेकअप का मतलब पूर्णविराम नहीं, बल्कि रिश्तों की नई शुरुआत होता है.

ब्रेकअप- पूर्णविराम या रिश्तों की नई शुरुआत?

जब अंशु को पता चला कि उस की भांजी आरवी का 5 साल पुराना रिश्ता टूट गया है तो उस के होश उड़ गए. कितनी प्यारी थी आरवी और कबीर की जोड़ी. दोनों एकसाथ ही मुंबई के इंजीनियरिंग कालेज में पढ़ रहे थे. दोनों ही परिवार ने इस रिश्ते को स्वीकार कर लिया था, बस एक सामाजिक स्वीकृति मिलनी बाकी थी.

अंशु बहुत ही दुखी मन से अपनी दीदी के घर गई तो देखा, आरवी तो एकदम नौर्मल है और खिलखिला रही थी. उसे लगा कि वह इतनी दूर से दौड़ी चली आ रही है और आरवी को देख कर लगता ही नहीं कि वह परेशान है.

अंशु को लगा कि आजकल के बच्चों का प्यार भी कोई प्यार है. जब चाहो रिलेशनशिप में आ जाओ और जब मरजी ब्रेकअप कर लो. ये आजकल के रिश्ते भी कोई रिश्ते हैं? बस सारे रिश्ते दैहिक स्तर पर ही आधारित हैं.

अंशु को अपना समय याद आ गया, जब उस का रिश्ता प्रवेश के साथ टूट गया था. पूरे 2 वर्ष तक वह अपने खोल से बाहर नहीं निकल पाई थी. कितनी मुश्किल से उस ने अपने नए रिश्ते को स्वीकार किया था.

कभीकभी तो अंशु को लगता है कि वह आज भी अपने पति को स्वीकार नहीं कर पाई है. प्रवेश के साथ उस टूटे रिश्ते की खिरच अभी भी बाकी है.

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रात को आरवी अंशु के गले लग कर बोली, ‘‘मौसी बहुत अच्छा हुआ, आप आ गई हो.‘‘

‘‘मेरा पूरा परिवार मेरे साथ खड़ा है, इसलिए तो मैं ये फैसला कर पाई हूं.‘‘

परंतु, अंशु को लग रहा था कि आरवी को दरअसल कबीर से कभी प्यार ही नहीं था. पर आरवी के अनुसार, घुटघुट कर जीने के बजाय अगर आप की बन नहीं रही है तो क्यों ना ब्रेकअप कर के आगे बढ़ा जाए.

आजकल की युवा पीढ़ी पहले से अधिक जागरूक और व्यावहारिक है. एक व्यक्ति के पीछे पूरी जिंदगी खराब करने के बजाय वह ब्रेकअप कर के आगे की राह आसान बना लेते हैं.

दूसरी ओर मानसी का जब ऋषि से 2 साल पुराना रिश्ता टूट गया, तो वह अवसाद में चली गई. अपने साथसाथ उस ने पूरे परिवार की जिंदगी भी मुश्किल कर दी थी. कोई भी रिश्ता जबरदस्ती का नहीं होता है. अगर आप का साथी आप के साथ वास्ता नहीं रखना चाहता है तो गिड़गिड़ाने के बजाय अगर आप सम्मानपूर्वक आगे बढ़ें, तो ना केवल आप के साथी के लिए, बल्कि आप के लिए भी अच्छा होगा.

हालांकि ब्रेकअप पर बहुत दलीलें हो सकती हैं, परंतु फिर भी एकसाथ घुटघुट कर जीने से कहीं अधिक बेहतर ब्रेकअप है. ब्रेकअप चाहे शादी से पहले हो या शादी के बाद, हमेशा मर्यादित होना चाहिए. ये कुछ छोटेछोटे व्यावहारिक सुझाव हैं, अगर हम इन्हें निजी जीवन में अपनाएं तो बहुत जल्दी ही एक संपूर्ण जीवन की ओर बढ़ सकते हैं-

– शहीदाना भाव ले कर मत घूमें – ब्रेकअप होने का मतलब यह नहीं है कि आप 24 घंटे मुंह बिसूर कर घूमते रहें. ये जीवन का अंत नहीं है. जिंदगी आप को फिर से खुशियां बटोरने का मौका दे रही है. आप की पहचान खुद से है. बहुत बार हम रिश्तों में ही अपना वजूद ढूंढ़ने लगते हैं. इसलिए हम किसी भी कीमत पर ब्रेकअप नहीं करना चाहते हैं. एक या दो दिन मूड का खराब होना लाजिमी है, पर उस खराब रिश्ते की यादों को च्युइंगम की तरह मत खींचें.

– दिल के दरवाजे खुले रखें – एक हादसे का मतलब ऐसा नहीं है कि आप जिंदगी को जीना ही छोड़ दें. दिल के दरवाजे को हमेशा खुला रखें. हर रात के बाद सुबह अवश्य होती है. एक अनुभव बुरा हो सकता है, पर इस का मतलब यह नहीं कि आप रोशनी की किरण से मुंह फेर लें.

– काम में दिल लगा लें – काम हर मर्ज की दवा होती है. अपनेआप को काम में डुबा लें, आधे से ज्यादा दर्द तो यों ही गायब हो जाएगा और जितना अधिक काम में दिल लगेगा, उतना ही अधिक आप की प्रतिभा में निखार होगा और तरक्की के रास्ते खुल जाएंगे.

– ना छोड़ें आशा का साथ – बहुत बार देखने में आता है कि लोग ब्रेकअप के बाद निराशा की गर्त में चले जाते हैं. एक घुटन भरे रिश्ते में सारी उम्र निराशा में बिताने से अच्छा है कि ब्रेकअप कर के आप नई शुरुआत करें. आशा का दामन पकड़ कर रखें और ब्रेकअप के पश्चात नई शुरुआत करें.

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– जिंदगी खूबसूरत है – ब्रेकअप के कारण इस की खूबसूरती को नजरंदाज मत करें. जिंदगी वाकई खूबसूरत है. अपने ब्रेकअप से कुछ नया सीखें और दोबारा उन्हीं गलतियों को मत दोहराएं. ब्रेकअप के बाद ही आप को लोगों को समझने की बेहतर परख भी आती है.

अगर सरल भाषा में कहें, तो ब्रेकअप का मतलब पूर्णविराम नहीं बल्कि नई शुरुआत होता है.

जब किसी पुरूष का टूटता है दिल

जिंदादिल और दूसरों को हमेशा खुश रखने वाला समीर आजकल तनाव में रह रहा है. वह न तो किसी से ज्यादा बात करता है और न ही कहीं आताजाता है. औफिस से आते ही वह खुद को अपने कमरे में बंद कर लेता है. दरअसल, कुछ दिनों पहले उस का अपनी गर्लफ्रैंड से ब्रेकअप हो गया और जिस कारण वह तनाव में रहने लगा.

समीर का कहना है कि जब उस की गर्लफ्रैंड से उस का ब्रेकअप हुआ तो लगा मानो उस की पूरी दुनिया ही उजड़ गई. वह ब्रेकअप के दर्द से बाहर नहीं आ पा रहा है.

आज के संदर्भ में यह कहना गलत नहीं होगा कि व्यस्त जिंदगी के बीच रिश्ते भी बहुत तेजी से बदल रहे हैं. आज जितनी जल्दी लोगों को प्यार हो जाता है, उतनी ही जल्दी रिश्ते टूट भी जाते हैं.

लव अफेयर में जब ब्रेकअप होता है, तो इस का महिलाओं के जीवन में भी बहुत बुरा असर होता है. वे डिप्रैशन और असुरक्षा की भावना का शिकार हो जाती हैं. उन में उदासी घर कर जाती है. ब्रेकअप के कारण कई बार वे आत्महत्या तक कर लेती हैं, क्योंकि पुरुषों की तुलना में महिलाएं अधिक भावुक और संवेदनशील होती हैं.

वहीं आमतौर पर यह माना जाता है कि पुरुषों पर ब्रेकअप का कुछ खास असर नहीं पड़ता. लेकिन ऐसा नहीं है. कई बार पुरुष भी ब्रेकअप से प्रभावित होते हैं. फर्क सिर्फ इतना है कि ब्रेकअप होने पर महिलाएं अपना दर्द व्यक्त कर पाती हैं, जिस से उन के दिल का बोझ कुछ कम हो जाता है, जबकि पुरुष अंदर ही अंदर घुटते रहते हैं और ब्रेकअप के दर्द को अकेले ही झेलते हैं.

कई बार पुरुष ब्रेकअप से इस कदर टूट जाते हैं कि लोगों से मिलनाजुलना और यहां तक कि खानापीना तक छोड़ देते हैं. लेकिन लोग यह बात कम ही समझ पाते हैं.

ब्रेकअप का पुरुषों पर असर

जब किसी पुरूष का ब्रेकअप होता है, तो वे किस कदर इस से प्रभावित होते हैं, आइए जानते हैं :

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खुद को दोषी मानने लगना :

ब्रेकअप होने के बाद ज्यादातर पुरुष खुद को ही दोषी मानने लगते हैं. भले ही लोगों के सामने वे कुछ भी कह लें, पर मन ही मन ब्रेकअप के लिए खुद को ही जिम्मेदार मानने लगते हैं. ब्रेकअप के बाद पुरूष गहरे तनाव में आ जाते हैं. अधिक तनाव में रहने के कारण सोचनेसमझने की क्षमता पर नकारात्मक असर पड़ने लगता है.  जो पुरुष अधिक संवेदनशील होते हैं, वे अपने पार्टनर की गलतियों को जानते हुए भी, उस की गलती न मान कर खुद को ही दोषी ठहरा देते हैं. ब्रेकअप के बाद ऐसे संवेदनशील लोग भीतर से टूट जाते हैं.

अकेलापन :

ब्रेकअप के बाद पुरूष अकेलापन महसूस करने लगते हैं और अपना दुख जाहिर नहीं कर पाते, जबकि महिलाएं अपने दिल का हाल दूसरों से शेयर कर लेती हैं. इस से उन का दर्द कम हो जाता है, पर पुरुषों के साथ ऐसा नहीं होता.

तनाव के शिकार हो जाते हैं :

ब्रेकअप के बाद तनाव और डिप्रैशन का शिकार सिर्फ महिलाएं ही नहीं होतीं, बल्कि पुरुष भी होते हैं. भले ही ब्रेकअप के तुरंत बाद कोई पुरूष खुद आजादी महसूस करता हो, पर धीरेधीरे वह अकेलापन और तनाव महसूस करना लगता है. वह शराबसिगरेट जैसी गलत लत का भी शिकार हो जाता है.

बारबार गलतियां दोहराते हैं :

पुरुष ब्रेकअप के बाद खुद को दोषी जरूर मानते हैं, लेकिन वे खुद में बिलकुल भी सुधार नहीं करते. जहां ब्रेकअप के बाद महिलाएं तुरंत किसी नए रिलेशनशिप में नहीं पड़ना चाहतीं, वहीं पुरुष ब्रेकअप के गम को भुलाने के लिए किसी दूसरे पार्टनर की तलाश में लग जाते हैं, जबकि कई बार यह तलाश सही साबित नहीं होती. अगर उन्हें कोई पार्टनर मिल भी जाता है तो ब्रेकअप के बाद  जल्दी उस पर भरोसा नहीं कर पाते और टाइमपास करने लगते हैं.

एक्स की याद में बेचैन हो जाना :

आमतौर यह देखा गया है कि ब्रेकअप के बाद भी ज्यादातर पुरुषों को यही उम्मीद रहती है कि उन की प्रेमिका फिर लौट कर उन के पास वापस आ जाएगी और इस के लिए वे प्रयास भी करते हैं. मौका मिलने पर वे अपनी ऐक्स से माफी भी मांग लेते हैं.

काम से लेते हैं ब्रैक :

कई पुरुष ब्रेकअप के बाद इतने दुख में डूब जाते हैं कि उन्हें कुछ करने का मन नहीं होता, यहां तक की औफिस में भी उन का मन नहीं लगता और वे काम से छुट्टी ले लेते हैं. लेकिन इस से भी उन्हें चैन नहीं मिलता, क्योंकि खाली बैठेबैठे फिर वही ब्रेकअप की बातें उन्हें परेशान करने लगती है और उन का दर्द घटने के बजाय और बढ़ने लगता है. वहीं महिलाएं मानसिक परेशानियों के बावजूद भी अपने काम बेहतर ढंग से करती रहती हैं.

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ब्रेकअप के दर्द से कैसे उबरें पुरुष

किसी भी रिश्ते को भुलाना आसान नहीं होता, उस से हमारी भावनाएं जुड़ी होती हैं. खासकर जब रिश्ता प्यार का हो. जब हम किसी अपने से अलग होते हैं, तो उस दर्द को बरदाश्त कर पाना आसान नहीं होता. हम उस रिश्ते से निकलना चाहते हैं, पर हमारी भावनाएं हम पर हावी रहती हैं और यही डिप्रैशन का कारण बनती है, क्योंकि हम उसे भुलाने की कोशिश करते हैं, पर बारबार उसी की याद आती है.

ऐसे में अकसर हम वे गलतियां कर जाते हैं जो हमें नहीं करनी चाहिए. जैसे बारबार हम अपने ऐक्स को फोन लगाते हैं, उसे मैसेज करने लगते हैं. कभी खुद को कमरे में बंद कर लेते हैं, तो कभी नशे में डूब जाते हैं, क्योंकि ब्रेकअप का वक्त बहुत बुरा होता है.

हम किसी से भावनात्मक रूप से इतने जुङ जाते हैं कि हमें उस की आदत लग जाती है और जब वह किसी कारणवश अचानक से साथ छोड़ जाए, तो यह हम से बरदाश्त  नहीं होता. लेकिन भलाई इसी में है कि इस सचाई को स्वीकार कर  जीवन में आगे बढ़ा जाए.

अकेले न रहें :

ब्रेकअप के बाद अकसर लोग अकेले रहना पसंद करते हैं. यह सही नहीं है. दोस्तों से मिलें, परिवार को समय दें, उन के साथ थोड़ा वक्त बिताएं. घूमने जाएं. इस से आप के मन को सुकून मिलेगा और आप खुश भी रहेंगे.

कैरियर पर ध्यान दें :

ब्रेकअप का असर कभी भी अपने कैरियर पर न पड़ने दें. अकसर लोग ब्रेकअप के बाद अपने काम में मन नहीं लगाते और पर्सनल के साथ प्रोफैशनल लाइफ भी खराब कर लेते हैं. यह गलती कतई न करें, क्योंकि जिसे आप के जीवन से जाना था वह चला गया. फायदा इसी में है कि उसे भूल जाएं और अपने काम पर फोकस करें.

खुद को दोष देना बंद करें :

आप का ब्रेकअप हुआ है, इस का यह मतलब नहीं कि सारी गलती आप की ही थी. हर इंसान का अपनाअपना स्वभाव होता है. हो सकता है कि आप दोनों का स्वभाव एकदूसरे से मेल नहीं खाता हो, इसलिए आप दोनों का ब्रेकअप हो गया. ‘यह तो एक दिन होना ही था’, ऐसा सोचिए और खुश हो जाइए कि जो कल होना था, आज हो गया. अपनी गलतियों से सीख लें और सैल्फ गिल्ट में न जाएं.

सकारात्मक सोचें :

यह सोचें कि जो हुआ अच्छा हुआ और जो होगा वह भी अच्छा ही होगा. इसलिए हमेशा सकारात्मक सोच रखें.

समाजिक बनें :

खुद को अच्छा महसूस कराने के लिए वह करें जिस से आप को खुशी मिलती हो. आप अपनी पसंद की कोई हौबी चुनें और उस में व्यस्त रहें.

नशे को दोस्त न बनाएं :

अकसर लोग ब्रेकअप के बाद, उसे भुलाने के लिए नशे आदि का सहारा लेने लगते हैं, जोकि गलत है. ब्रेकअप हुआ है, कोई जिंदगी खत्म नहीं हो गई. रास्ते और भी हैं, बस चलने की ताकत रखिए. इसलिए नशे से खुद को दूर रखिए.

कमियों को सुधारें :

आप का ब्रेकअप क्यों हुआ? यह सोचें और सबक लें, ताकि आगे यह गलती न होने पाए.

मनोचिकित्सक की सलाह लें :

अपनी फिलिंग्स हर किसी से शेयर न करें, क्योंकि जितनी मुंह उतनी बातें होंगी. जानें कौन आप की बातें किस तरह से लें. इस के बजाय आप किसी अच्छे मनोचिकित्सक से परामर्श ले सकते हैं. वे आप को सही सलाह देंगे.

आप बीमार नहीं हैं :

यह एक ऐसी परिस्थिति है जो धीरेधीरे वक्त के साथ ठीक हो जाएगी. इस दौरान अगर नींद नहीं आती है तो किसी अच्छे लेखक की किताब पढ़िए, पत्रिकाएं पढ़िए, संगीत सुनिए.

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ब्रेकअप को करें सैलिब्रेट :

जिस तरह हर छोटीबड़ी खुशियों को सैलिब्रेट करना जरूरी है, वैसे ही अपने ब्रेकअप को भी सैलिब्रेट करें. इस दौरान खुद को ट्रीट दें. आप को निश्चित ही अच्छा महसूस होगा.

ब्रेकअप के बाद एक्स पार्टनर एक दूसरे से बार बार पूछते हैं जो सवाल

ब्रेकअप हो जाने के बाद भी ब्रेकअप से सम्बन्धित न तो सवाल खत्म होते हैं और न ही जवाब.यह बात उन तथाकथित सेलेब्स पर भी लागू होती है,जो खुद को ब्रेकअप के बाद भी अच्छा दोस्त बताते नहीं थकते.ऐसा इसलिए होता है क्योंकि ब्रेकअप सच में पीड़ादायी होता है और यह बात हम सब जानते हैं.लेकिन एक बात जो हम या तो कम जानते हैं वो है ब्रेकअप के बाद पैदा होने वाले अनगिनत सवाल.मनोविद कहते हैं चाहे जितनी स्पष्ट वजहों और आरोपों के चलते यह ब्रेकअप हुआ हो लेकिन  बदहवास सवालों की लम्बी सूची फिर भी बन ही जाती है.हाँ यह बात है कि उसी एक्स पार्टनर के बाद ज्यादा सवाल होते हैं,जिसे उस ब्रेकअप से ज्यादा पीड़ा हुई होती है.

हार्वर्ड की एक स्टडी के मुताबिक ब्रेकअप में ज्यादा टूटते तो लड़के हैं,लेकिन वे किसी से अपनी टूटन का जिक्र नहीं करते. मन ही मन घुलते रहते हैं.जबकि लड़कियों के ब्रेकअप के बारे में कम से कम उनकी 2 सहेलियों को तो पता ही होता है.हद तो यह है कि कई बार रोजाना एक ही बस या ट्रेन से सफर करने वाली उनकी सफरी सहेली को भी यह सब पता होता है.इससे उन्हें इस गम से उबरने में आसानी होती है.दूसरी तरफ लड़कों का आलम यह होता है कि उनके रूममेट तक को उनकी यह करूण कथा नहीं मालुम होती,जिससे वह इससे अकेलेद-अकेले ही घुलते रहते हैं.

जहां तक ब्रेकअप के बाद किसी एक पार्टनर द्वारा लगायी जाने वाली बदहवास सवालों की झड़ी का सवाल है तो स्टडी कहती है कि यूँ तो ब्रेकअप के बाद दोनों ही पार्टनरों को लगता है कि उन्हें एक दूसरे से बहुत से सवालों के जवाब जानने हैं,लेकिन ऐसे सवालों को पूछने की झड़ी किसी एक पार्टनर द्वारा ही लगाई जाती है.इसका सीधा सा निष्कर्ष यह होता है कि उन दोनों उसे इससे ज्यादा पीड़ा हुई होती है.मनोविद सवालों की इस झड़ी को फिर से एक साथ होने के लिए लगाईं गयी गुहार कहते हैं.आइये जानते हैं कि ये किस तरह के सावल होते हैं.

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ये अच्छा नहीं किया तुमने ?

यह सवाल भले आरोप की शक्ल में सामने आता हो लेकिन इसका आशय यही होता है कि तुमने ऐसा क्यों किआ ? यह सवाल कोई एक एक्स पार्टनर एक हजारवीं बार भी पहली बार के जैसे आश्चर्य के साथ कर सकता है.अपने इस सवाल का साथ देने के लिए वह साथ में इन सवालों को भी जोड़ता है-

क्या तुम मेरे बिन खुश हो ? जिंदगी में क्या तुम मुझे याद रखोगे ? भले ब्रेकअप के पहले ब्वायफ्रेंड और गर्लफ्रेंड एक दूसरे को कितनी ही बार कहते हों- ‘आई मिस यू’ लेकिन ब्रेकअप के बाद यह सवाल स्थाई हो जाता है.लड़कियां तो खासतौर पर इस सवाल का जवाब जानना चाहती हैं कि उनका एक्स आखिर उन्हें कितना मिस करता है ?

तुम्हें कब लगा कि हमारी स्टोरी खत्म होनी चाहिए ?

स्टडी बताती है कि बहुत अजीब मनःस्थिति होती है हम जिस सवाल से बचना चाहते हैं,उसी को बार बार दोहराते हैं. शायद यह गुहार सुलह के लिए होती है.जो पार्टनर फिर से सुलह करना चाहता है वह विशेष तौरपर यह जानना चाहता है कि वह कौन सी स्थिति रही होगी जब उनके साथी को लगा होगा कि बस बहुत हो गया,अब यह रिश्ता आगे नहीं जा सकता.

क्या हमारा रिश्ता एक गुनाह था ?

ब्रेकअप के बाद आप चाहे जितने आत्मविश्वास वाले हों आपका आत्मविश्वास गड़बड़ा जाता है.इसलिए यह सवाल अक्सर जेहन में आता है.खासकर तब जब दोनों में से कोई एक दूसरे को इस ब्रेकअप से परेशान नहीं पाता.दरअसल स्टडी कहती है कि जो पार्टनर इस ब्रेकअप को खत्म करना चाहता है,उसे इस रिश्ते में अब भी संभावना दिखती है  इसलिए वह बारदृबार यह सवाल पूछता है.

क्या मेरे साथ रहना वाकई मुश्किल हो गया था?

अगर जिससे सवाल किया गया है वह पहली बार में ही जवाब के तौर पर हाँ कह दे तब भी यह सवाल बार बार पूछा जाएगा,पूछा जाता है. क्योंकि जो पार्टनर यह रिश्ता ब्रेक नहीं करना चाहता वह इस स्थिति को स्वीकार ही नहीं कर पा रहा होता.इसलिए वह फिर फिर दोहराता है-

क्या मेरे साथ रहना वाकई मुश्किल हो गया था ? 

असल में सवाल पूछने वाला जवाब सुनना चाहता है- नहीं ऐसा नहीं था.

क्या मुझसे अलग होकर तुम्हें अफसोस हुआ?

लड़कियां ही नहीं लड़के भी अपने एक्स से यह जानना चाहते हैं कि क्या अलग होकर उनके एक्स पार्टनर को जरा भी अफसोस है?

लड़के तो आमतौर पर सवाल करके ही संतुष्ट हो जाते हैं,भले जवाब न मिले. लेकिन लड़कियां इस सवाल का जवाब भी हर हाल में चाहती हैं ताकि वे अब भी इस एहसास से राहत महसूस कर सकें कि जानना चाहती हैं कि वाकई कभी वह किसी की जिंदगी के लिए कितनी अहम थीं.

ये तुमने क्या स्टाइल बना रखी है ?

ये सवाल नहीं बल्कि एक किस्म से अब भी एक्स साथी के पास बची अधिकार की भावना होती है.खास तौरपर यह अधिकार लडकियां ज्यादा जताती नजर आती हैं.मतलब अब भी वह सिखाना नहीं छोड़तीं.

अब तुम्हारी लाइफ स्टाइल कैसी है ?

अकसर अपने एक्स को खोने के बाद लोगों के जेहन में यह सवाल कौंधता है.वह जानना चाहते हैं कि उनका एक्स, पार्टनर क्या अब भी उन्हें याद करता है ? क्या कहीं उसकी कमी महसूस करता है ?

मेरे बाद तुमने नया क्या किया ?

एक्स पार्टनर इस सवाल के जवाब में सुनना चाहता है कुछ नहीं. दरअसल इस सवाल के पीछे यह जानने की इच्छा बनी रहती है कि कहीं सब कुछ सही तो नहीं चल रहा जिससे उसकी याद का रस्ता ही बंद हो जाए ?

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क्या मुझसे मिलने का कभी मन करता है ?

यह भी वैसा ही सवाल है जिसका हर एक्स पार्टनर हाँ में जवाब सुनना चाहता है,भले अब इस जवाब का कोई मतलब न रह गया हो.

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