मेरी माहवारी बंद हुए 10 साल हो गए हैं, मुझे पिछले कुछ दिनों से सफेद पानी आ रहा है, यह कैंसर का लक्षण तो नहीं है?

सवाल

मेरी उम्र 60 साल है. मेरी माहवारी बंद हुए 10 साल हो गए हैं. मुझे पिछले कुछ दिनों से सफेद पानी आ रहा है. यह कैंसर का लक्षण तो नहीं है?

जवाब

मेनोपौज यानी माहवारी बंद होने के बाद सफेद पानी आ सकता है. योनी से सफेद पानी निकलना हमेशा कैंसर नहीं होता. यह सामान्य संक्रमण भी हो सकता है. लेकिन अगर बहुत समय से सफेद पानी आ रहा है और बीचबीच में ब्लीडिंग भी हो रही हो तो यह कैंसर का कारण हो सकता है. आप तुरंत किसी स्त्रीरोग विशेषज्ञा को दिखाएं. अल्ट्रासाउंड कराने के बाद ही पता चलेगा कि बच्चेदानी में कोई गांठ तो नहीं है.

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सवाल 

मेरी उम्र 45 साल है. पिछले कुछ समय से मेरे निप्पल से व्हीटिश फ्ल्यूड डिस्चार्ज हो रहा है. क्या करूं?

जवाब

निप्पल से व्हीटिश फ्ल्यूड डिस्चार्ज होना सामान्य नहीं है. यह स्तन कैंसर का संकेत हो सकता है. स्तन कैंसर से संबंधित जांच कराने में देरी न करें. अल्ट्रासाउंड और बाकी जांचें कराने पर ही पता चलेगा कि इस का कारण स्तन कैंसर है या नहीं.

सवाल

मेरी नानी और भाभी दोनों की लंग्स कैंसर के चलते मृत्यु हो चुकी है. मैं जानना चाहती हूं कि महिलाएं तो धूम्रपान नहीं करतींफिर भी उन्हें फेफड़ों का कैंसर क्यों हो जाता है?

जवाब

यह सही है कि जिन्हें फेफड़ों का कैंसर होता हैउन में से 90% लोग तो धूम्रपान करते हैं. मगर केवल धूम्रपान ही इस का एकमात्र कारण नहीं है. चूल्हे पर खाना बनानावायु प्रदूषणसीमेंट उद्योग में काम करनाज्यादा धूलमिट्टी वाले स्थान पर रहना भी फेफड़ों के कैंसर का कारण बन सकता है.

सवाल

मुझे डाक्टर ने रैडिएशन थेरैपी कराने के लिए कहा है. लेकिन मुझे डर लग रहा है?

जवाब

रैडिएशन थेरैपी कैंसर के उपचार की एक बहुत ही सुरक्षित प्रक्रिया है. रैडिएशन हाई ऐनर्जी रेज होती हैं. इन में कोई करंट नहीं होता है. आप डरें नहीं क्योंकि इस में जलन या गरमी नहीं लगती है. सीटी स्कैन की तरह 5 मिनट के लिए मशीन में जाते हैंफिर बाहर आ जाते हैं.

ब्रैस्ट कैंसर और ब्रैस्ट फीडिंग से जुड़ी प्रौब्लम का इलाज बताएं?

सवाल-

स्तन कैंसर के क्या कारण हैं?

जवाब-

स्तन कैंसर एक घातक ट्यूमर है, जिस की शुरुआत स्तन कोशिकाओं में होती है. दुनिया भर में महिलाओं को होने वाले कैंसर में यह सब से आम है. महिलाओं को होने वाले सभी कैंसरों में स्तन कैंसर का हिस्सा 25 से 32% है. महिलाओं में बाहरी कारणों से होने वाले कैंसर में यह 22.9% है. स्तन कैंसर के मुख्य कारणों में महिला होना, आयु, स्तन कैंसर का पारिवारिक इतिहास, मोटापा, व्यायाम न करना, शराब पीना, रैडिएशन के संपर्क में रहना आदि हैं. बहुत सारी महिलाएं अपने बच्चे को शुरू के समय में स्तनपान नहीं कराती हैं. ऐसा कर के वे न सिर्फ खुद को, बल्कि अपने बच्चे के स्वास्थ्य को भी जोखिम में डालती हैं. अध्ययन से पता चला है कि अपने बच्चों को स्तनपान न कराने वाली महिलाएं स्तन कैंसर के लिहाज से ज्यादा जोखिम में रहती हैं. स्तन कैंसर होने का जोखिम महिलाओं की उम्र के साथ बढ़ता जाता है. उम्र बढ़ना और किसी करीबी रक्त संबंधी के कैंसर वाले जीन से जेनेटिकली प्रभावित होना भी स्तन कैंसर के संभावित कारणों में है. सच तो यह भी है कि एक स्तन में कैंसर वाली महिलाओं के दूसरे स्तन में भी कैंसर होने की आशंका बढ़ जाती है.

सवाल-

स्तनपान कराने से स्तन कैंसर की आशंका कम कैसे होती है?

जवाब-

वर्ल्ड कैंसर रिसर्च फंड इंटरनैशनल ने अपने अध्ययन में कहा है कि जो महिलाएं कम से कम 1 साल स्तनपान कराती हैं, ऐसा नहीं है कि उन्हें स्तन कैंसर होने की संभावना 5% कम होती है. स्तनपान कराने की किसी महिला की अवधि जितनी ज्यादा होगी उस का हारमोन स्तर उतना ज्यादा होगा. इस की आवश्यकता दूध बनाने के लिए होती है. इस से सैल का विकास प्रभावित होता है और स्तन को उन बदलावों से सुरक्षा मिलती है जो ऐसा नहीं होने पर संबंधित महिला को स्तन कैंसर के जोखिम में डाल देते. स्तनपान कराने के दौरान महिला की डिंबग्रंथि काम नहीं करती है. इस से भी स्तन या डिंबग्रंथि के कैंसर से बचाव होता है.

सवाल-

स्तनपान न कराने से कैसे स्तन कैंसर की आशंका बढ़ती है?

जवाब-

कई अध्ययनों से पता चला है कि स्तनपान कराने से स्तन कैंसर का जोखिम कम हो जाता है. खासकर स्तनपान अगर डेढ़दो साल चले. यानी स्तनपान से महिला को कैंसर से सुरक्षा मिलती है. एक अध्ययन के नतीजे से तो यह पता चला है कि महिला के जितने ज्यादा बच्चे हों और वह उन्हें जितनी लंबी अवधि तक स्तनपान कराती हो, उसे स्तन कैंसर होने का जोखिम उतना ही कम रहता है. अध्ययनों से यह स्पष्ट हो चुका है कि शिशु जन्म के बाद जिन माताओं ने अपने शिशु को स्तनपान कराया, वे स्तनपान नहीं कराने वाली महिलाओं से स्तन कैंसर के मामले में ज्यादा सुरक्षित रहीं.

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सवाल-

मां और बच्चे को स्तनपान कराने के क्या लाभ हैं?

जवाब-

स्तनपान कराने के लाभ बहुत हैं. प्रसव के बाद का पहला दूध बच्चे का पहला टीका कहा जाता है. मां का दूध बच्चे में ऐंटीबौडीज और रोगाणुओं से लड़ने वाली कोशिकाओं के स्थानांतरण के लिए पैसेज का भी काम करता है. यह हर तरह के संक्रमण और ऐलर्जी से सुरक्षा देता है. मां को स्तनपान के जरीए गर्भावस्था के दौरान बढ़ा अपना वजन कम करने में भी सहायता मिलती है. इस के अलावा इस प्रक्रिया के दौरान औक्सीटोसिन हारमोन निकलता है, जो गर्भावस्था से पहले का स्वास्थ्य और स्थितियां हासिल करने में मदद करता है.

सवाल-

1 दिन में कितनी बार या कितने समय तक बच्चे को स्तनपान कराना चाहिए?

जवाब-

नवजात को 3 घंटे के अंतराल पर स्तनपान कराया जा सकता है. वैसे जब तक वह बड़ा हो रहा हो और मां को दिक्कत नहीं हो, तो बच्चे को दूध पिलाने का समय निश्चित करने की जरूरत नहीं है. हालांकि ऐसा भी देखा गया है कि कुछ सप्ताह बाद बच्चे खुद ही स्तनपान का अपना समय तय कर लेते हैं. रात में स्तनपान कराना महत्त्वपूर्ण है, क्योंकि रात में दूध बनाने वाले हारमोन ज्यादा बनते हैं और इस से ज्यादा दूध बनता है.

सवाल-

क्या भारतीय महिलाओं के बीच स्तनपान को बढ़ावा देने की आवश्यकता है?

जवाब-

स्तनपान बच्चे के जन्म की तरह ही स्वाभाविक या प्राकृतिक है. इस के जानेमाने लाभ के बावजूद बहुत कम महिलाएं ज्यादा समय तक स्तनपान कराती हैं. कामकाजी महिलाएं अकसर स्तनपान की जगह दूसरे विकल्प आजमाती हैं ताकि अपना कामकाज और मां होने की जिम्मेदारी दोनों संभाल सकें. स्तनपान कम कराने के कारणों में खास कारण एक यह है कि मां के दूध के प्रचारित विकल्पों की भरमार है, जबकि विशेषज्ञों ने बारबार कहा है कि मां के दूध का कोई विकल्प नहीं है. मौजूदा स्थितियों के मद्देनजर इस बात की आवश्यकता है कि स्तनपान की संस्कृति को बढ़ावा दिया जाए और इस के लिए कामकाजी महिलाओं को भी ऐसी सुविधाएं दी जानी चाहिए, जिन से वे अपनी इस जिम्मेदारी का निर्वाह अपनी कामकाजी जिम्मेदारियों के साथ सहजता से कर सकें.

– डा. सच्ची बावेजा बी.एल. कपूर सुपर स्पैश्यलिटी हौस्पिटल, दिल्ली

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