मेरी मां और मौसी का ब्रैस्ट कैंसर हो चुका है, क्या ये मुझे भी हो सकता है?

सवाल-

मैं 42 साल की महिला हूं और मल्टीनैशनल कंपनी में उच्च पद पर काम करती हूं. मेरी मां और मौसी का ब्रैस्ट कैंसर होने का इतिहास रह चुका है. दोनों के ही केस में समय से सर्जरी हो जाने से रोग नियंत्रण में आ गया था और दोनों आज स्वस्थ हैं, पर मुझे इस बात का डर लगा रहता है कि कहीं मुझे भी यह रोग तो नहीं हो जाएगा. क्या मेरा ऐसा सोचना सही है? अपने बचाव के लिए मुझे क्याक्या उपाय करने चाहिए?

जवाब-

आप का डर बेबुनियाद नहीं है. यह सच है कि ब्रैस्ट कैंसर के उपजने में आनुवंशिकी कारण महत्त्वपूर्ण साबित हो सकता है. अगर मां, मौसी, नानी या बहन को ब्रैस्ट कैंसर हुआ है,तो कैंसर होने का जोखिम 2-3 गुना बढ़ जाता है. अगर उन्हें यह कैंसर रजोनिवृत्त होने से पहले हुआ हो तो यह खतरा थोड़ा और बढ़ जाता है.

मगर न तो इस का यह माने है कि आप को यह रोग होगा ही और न ही यह कि आप खुल कर न जी सकें तथा हर समय इस फिक्र में डूबी रहें कि कैंसर अब हुआ तब हुआ. हां, उस के प्रति सावधान रहने में कोई हरज नहीं. सच तो यह है कि हर महिला को ही अपनी सुरक्षा के लिए इस के प्रति सजग रहने की जरूरत होती है.

ब्रैस्ट कैंसर की शुरुआत स्तन में गांठ बनने से होती है. यही उस का पहला लक्षण होता है. खास बात यह कि इस गांठ में दर्द नहीं होता और इस का पता अचानक लगता है. यदि जिस समय ब्रैस्ट में गांठ बननी लगे और शुरू में ही उस का पता लग जाए तो ठीक से इलाज करा लिया जाए तो कोई कारण नहीं कि रोग उस पर जीत न हासिल कर सके.

सुरक्षा इसी में है कि नियम से, हर महीने मासिकधर्म के तुरंत बाद अपनी ब्रैस्ट की विधिवत जांच करने की आदत बना लें. यदि कभी ब्रैस्ट में कोई असामान्यता महसूस हो तो तुरंत ब्रैस्ट सर्जन से मिल जांच करा लें ताकि मन में किसी प्रकार का संशय न रहे.

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यह जांच आप घर पर खुद भी कर सकती हैं. जांच करते समय स्तन का कोई हिस्सा छूटे नहीं, इस दृष्टि से यह जांच विधिपूर्वक एक क्रम से करने की जरूरत होती है. चाहें तो आप यह क्रम किसी ब्रैस्ट सर्जन, फैमिली डाक्टर या नर्स से सीख भी सकती हैं. जांच की विधि इस प्रकार है:

– शीशे के सामने या तो बैठ जाएं या खड़ी हो जाएं. बांहें नीचे शरीर के साथ सटा लें. गौर से देखें कि स्तनों के रूप और आकार में कोई असामान्यता तो नहीं दिख रही. उन की त्वचा समतल तो है, उस में कोई खिंचावट या शिकन तो नहीं, ब्रैस्ट निपल यानी स्तनाग्र में किसी प्रकार की कोई विकृति तो नहीं हुई, वे भीतर की ओर धंसे तो नहीं.

– अपनी बांहें सीधी ऊपर ले जाएं और उन्हें उसी मुद्रा में रखें. दोबारा स्तनों का विधिवत निरीक्षण करें. यह देखें कि किसी स्तन में किसी प्रकार

की कोई असामान्यता तो नहीं दिख रही.

– अब बिस्तर पर लेट जाएं. एक तकिया या तौलिया ले लें. उसे अपने बाएं कंधे के नीचे रख लें और अपने बाएं हाथ को अपने सिर के नीचे रख लें. अपने दाएं हाथ की उंगलियों को सीधा और समतल रखते हुए धीरेधीरे हलके दबाव के साथ पूरे बाएं स्तन की जांच करें.

यह सैल्फ ब्रैस्ट जांच बिलकुल आसान और विश्वसनीय जांच है. इस से अधिकांश मामलों में गांठ शुरू में ही पकड़ में आ जाती है और रोग का समय पर इलाज हो जाता है. यही बचाव का सब से सुगम उपाय है.

दूसरा, आप अपने खानपान पर भी ध्यान दें. घी, मक्खन, मांस, चरबी वाली चीजें सीमित मात्रा में लें. मोटापे से दूर रहें. वैज्ञानिक परीक्षणों के अनुसार मोटापा स्तन कैंसर के रिस्क को बढ़ाता है.

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सेहत के लिए खरोट काफी फायदेमंद होता है. इसमें कई स्वास्थवर्धक गुण होते हैं. पर क्या आपको पता है कि महिलाओं में तेजी से पाए जा रहे ब्रेस्ट कैंसर में भी अखरोट काफी लाभकारी होता है. हाल ही में सामने आई एक स्टडी में ये बात स्पष्ट हुई कि अखरोट का सेवन कर के ब्रेस्ट कैंसर के खतरे को कम किया जा सकता है.

क्या कहती है स्टडी

न्यूट्रिशन रिसर्च जर्नल में प्रकाशित इस स्टडी में दावा किया गया है कि दो हफ्तों तक रोजाना 56 ग्राम अखरोट का सेवन करने से ब्रेस्ट कैंसर से पीड़ित महिलाओं की जींस में बदलाव आते हैं. शोध में शामिल एक जानकार की माने तो अखरोट का सेवन करने से ब्रेस्ट कैंसर की ग्रोथ को रोका जाना संभव है.

शोधार्थियों के अनुसार अखरोट के सेवन से पैथोलॉजिकल रूप से पुष्टि की गई स्तन कैंसर से पीड़ित महिलाओं की जीन में बदलाव होता है, जिससे ब्रेस्ट कैंसर की ग्रोथ और इसके खतरे को कम किया जा सकता है.

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