अर्ली डिटेक्शन है ब्रैस्ट कैंसर का इलाज, जानें कैसे

नार्थ बंगाल की कूचबिहार में रहने वाली 40 साल की सुनीता को कभी पता नहीं चला कि उसे ब्रैस्ट कैंसर है, क्योंकि उन्हें किसी प्रकार की कोई असुविधा नहीं थी,लेकिन अचानक उनके बाई ब्रैस्ट में एक फोड़ी हुई. डॉक्टर ने भी फोड़ी समझ कर दवा दी, लेकिन वह ठीक नहीं हुई. कुछ दिनों बाद डॉक्टर ने कैंसर सेंटर जाने की सलाह दी, क्योंकि वह अब कमजोरी भी महसूस करने लगी थी. डॉक्टर ने ब्लड टेस्ट किया, तो पता चला कि उसकी हीमोग्लोबिन कम है. डॉक्टर ने उन्हें एडवांस टेस्ट किया और फिर पता चला कि उसे ब्रैस्ट कैंसर है. एक साल की इलाज के बाद उनकी मृत्यु हो गई, क्योंकि डॉक्टर के अनुसार उनके कैंसर की थर्ड स्टेज थी.पहले पता चलने पर शायद उन्हें बचाया जा सकता था, लेकिन सुनीता और उनके परिवार को कैसे भी पता नहीं चल पाया, कि उन्हें कैंसर है.

जागरूकता की कमी

यही वजह है कि हर साल पूरी दुनिया में अक्टूबर माह के दौरान विश्व ब्रैस्ट कैंसर जागरूकता माह मनाया जाता है. इस दौरान ब्रैस्ट कैंसर को लेकर जागरूकता पर काम किया जाता है, ताकि इस बीमारी का समय रहते पता चलने के साथ साथ उपचार के जरिए इससे छुटकारा भी मिल सके, दुनिया के विकसित और विकासशील दोनों ही देशों की महिलाओं में ब्रैस्ट कैंसर सबसे अधिक है.

गलत लाइफस्टाइल

दिल्ली के इन्द्रप्रस्थ अपोलो हॉस्पिटल के सर्जिकल ओंकोलोजिस्ट डॉ रमेश सरीन कहती है कि ब्रैस्ट कैंसर को लेकर अगर निम्न और मध्यम आय वर्गीय देशों की बात करें, तो यहां बीते कुछ सालों से लगातार इसके मामले बढ़ते जा रहे है, क्योंकि अब लाइफस्टाइलऔर शहरीकरण में वृद्धि के साथ साथ लोग सुस्त जीवन शैली अपना रहे हैं. हालांकि साल 2020 में आई कोरोना महामारी की वजह से ब्रैस्ट कैंसर की स्क्रीनिंग काफी पिछड़ी है, साथ ही अस्पताल तक पहुंचने में भी मरीजों को देर हुई.

अर्ली डिटेक्शन

डॉ, सरीन का आगे कहना है कि समय पर पहचान होने से ब्रैस्ट कैंसर की रोकथाम हो सकती है.साथ ही इसके ठीक होने की संभावना भी होती है. देर से इस बीमारी का पता चलने पर मरीज और उसका परिवार न सिर्फ पीड़ा का सामना करता है, बल्कि इससे उपचार पर भी प्रभाव पड़ता है. अब तो ब्रैस्ट कैंसर के उपचार को लेकर गाइडलाइन में भी बदलाव हो चुका है. इस कैंसर की बढ़ोतरी रोकने के लिए दवाओं के अलावा कीमोथेरेपी दी जाती है या फिर ऑपरेशन के जरिए इसे रोका जा सकता है.

जांच में न करे देर

डॉक्टर रमेशकहती है कि कोरोना महामारी या फिर किसी अन्य बीमारी और भ्रांतियों के डर से मरीज को जांच से दूरी नहीं बनानी चाहिए. लक्षणों पर ध्यान देने या फिर स्क्रीनिंग की मदद से  खुद को बचाया जा सकता है. अगर किसी भी तरह का संदेह रहता है, तो तत्काल एक्सपर्ट डॉक्टर से मिलकर चर्चा करनी चाहिए. ब्रैस्ट कैंसर के उपचार को लेकर किसी भी तरह का इंतजार करना जोखिम भरा हो सकता है.डॉक्टर्सआज सभी कोब्रैस्ट कैंसर के लक्षणों को नजरअंदाज न करने की सलाह दे रहे है, जो निम्न है,

लक्षणों पर रखें नजर

महिलाओं में ब्रैस्ट कैंसर के लक्षण एक जैसा होना जरूरी नहीं. ये अलग अलग भी हो सकते हैं. हालांकि अधिकांश मामलों में ब्रैस्ट या फिर निप्पल (ब्रैस्ट का अगला भाग) के रंग रूप में बदलाव होता है, ब्रैस्ट कैंसर के पांच सबसे आम चेतावनी के संकेत निम्न है,

  • ब्रैस्ट में गांठ, सूजन, या फिर उसके आकार में परिवर्तन,
  • ब्रैस्ट की त्वचा में डिंपल होना या मोटा होना,
  • निप्पल पर लाल चकत्ते या उसका धस जाना,
  • दूध के अलावा निप्पल से अन्य तरह का कोई तरल पदार्थ रिसाव होना, आदि है.

ये लक्षण ब्रैस्ट कैंसर के अलावा अन्य स्थितियों के कारण भी हो सकते हैं. ब्रैस्ट टिश्यू स्वाभाविक रूप से ढेले की तरह होते हैं, ऐसे में इनकी बनावट को लेकर कोई बदलाव एक संकेत हो सकता है. एक गांठ या फिर कुछ द्रव्य जो अन्य ब्रैस्ट ऊतक से अलग महसूस कराता है, तो वह ब्रैस्ट कैंसर का लक्षण हो सकता है. यह जानने के लिए निश्चित रूप से एकमात्र तरीका जल्द से जल्द निदान और तत्काल चिकित्सक द्वारा मूल्यांकन कराना है.

ब्रैस्ट कैंसर के जोखिम भरे कारण

ब्रैस्ट कैंसर की आशंका कोबढाने वाले ऐसे कई रिस्क फैक्टर है, जिसके बारें में जान लेना जरुरी है. कुछ निम्न है,

परिवार में किसी को ब्रैस्ट कैंसर का होना

अगर परिवार में किसी को मसलन माँ, दादी, बहन आदि को ब्रैस्ट कैंसर हुआ है, तो आगे आने वाले परिवारजन को भी ब्रैस्ट कैंसर का खतरा रहता है,

आयु

जैसे-जैसे आपकी उम्र बढ़ती है ब्रैस्ट कैंसर होने का खतरा भी बढ़ता है. अधिकांश मामले आमतौर पर 50 वर्ष से अधिक उम्र की महिलाओं में पाया गया है,

शराब पीना

अधिक मात्रा में शराब पीने से भी इसका खतरा बढ़ जाता है,

घने ब्रैस्ट ऊतक होना

डेंस ब्रैस्ट टिश्यू न केवल मैमोग्राम को कठिन बनाते हैं, बल्कि यह एक जोखिम कारक भी माना जाता है,

प्रारंभिक मासिक धर्म या देर से रजोनिवृत्ति

यदि आपकी पहली माहवारी 12 वर्ष की आयु से पहले और 55 वर्ष की आयु के बाद रजोनिवृत्ति हुई है, तो यह माना जा सकता है कि ब्रैस्ट कैंसर का खतरा बढ़ता है. ऐसी ‌स्थिति में चिकित्सीय परामर्श लेनी चाहिए,

अधिक उम्र में बच्चे को जन्म देना 

जिन महिलाओं का 35 वर्ष की आयु के बाद तक पहला बच्चा नहीं होता है, वे महिलाएं जो कभी गर्भवती नहीं हुईं या फिर कभी भी पूर्ण अवधि तक गर्भधारण नहीं किया हो, तो उनमें ब्रैस्ट कैंसर होने की आशंका अधिक होती है,

हार्मोन थेरेपी

जो महिलाएं मेनोपॉज के लक्षणों को कम करने के लिए पोस्टमेनोपॉज़ल एस्ट्रोजन और प्रोजेस्टेरोन जैसी दवाओं का सेवन कर रही हैं या फिर कर चुकी हैं. उनमें ब्रैस्ट कैंसर होने का खतरा अधिक होता है,

तनाव या स्ट्रेस लेना

शरीर में कैंसरकारक कोशिकाएं और जीन्स सुसुप्तावस्था में पड़े रहते हैं. कई बार कोई कैंसर कोशिका विभाजित होना शुरू होती है, तो हमारी प्रतिरक्षा प्रणाली/इम्युनिटी उसे नष्ट कर देती है. स्ट्रेस और डिप्रेशन से इम्युनिटी कम होती है और हर तरह की बीमारियां सिर उठाने लगती हैं.

पिछला ब्रैस्ट कैंसर

यदि एक ब्रैस्ट में ब्रैस्ट कैंसर की शिकायत हुई है तो दूसरे ब्रैस्ट में भी इसके होने का खतरा बढ़ जाता है, इसलिए वार्षिक जांच आपके लिए बहुत जरूरी है.

करें खुद से जांच

डॉक्टर सरीन नेब्रैस्ट की खुद से जांच करने का तरीका बताया है, ताकि हर महीने यह जांच खुद महिलाएं कर सकें,इसे याद रखने का सबसे अच्छा तरीका है कि आप या तो अपने जन्मदिन की तारीख याद रखें या फिर मासिक धर्म के आखिरी दिन की तारीख को याद रखना है. अगर आपको इस दौरान कोई बदलाव मिलता है, तो आप तुरंत डॉक्टर के पास जाएँ. स्व-परीक्षा से भीअलग वार्षिक ब्रैस्ट परीक्षा होनी चाहिए.50 साल की उम्र के बाद सालाना मैमोग्राफी की जांच बहुत जरूरी है. इससे ब्रैस्ट कैंसर का जल्दी इलाजकिया जा सकता है और इसे फैलने से रोका जा सकता है.

घर पर खुद से जांच करने के नियम इस प्रकार है,

स्टेप 1:लेटना

  • सबसे पहले आप अपने दाहिने कंधे के नीचे एक तकिया रखें और उसके सहारे अपनी पीठ के बल लेट जाएं,
  • अपने दाहिने ब्रैस्ट की जांच के लिए अपने बाएं हाथ की तीन मध्यमा उंगलियों की युक्तियों यानी टिप्स का उपयोग करें,
  • त्वचा से अपनी अंगुलियों को हटाए बिना हल्के, मध्यम और थोड़ा दृढ़ दबाव का उपयोग करके गोलाकार गति में दबाएं
  • अब ऊपर और नीचे करते हुए गति का पालन करें
  • अपने कॉलर की हड्डियों के बीच और अपने स्तनों के नीचे और छाती की हड्डी की मध्य रेखा से अपनी बांह एवं उसके नीचे तक बदलावों को महसूस करें
  • अब इसे अपने दाहिने हाथ से अपने बाएं ब्रैस्ट पर दोहराएं
  • यह प्रक्रिया आप साबुन के हाथों से नहाते समय भी कर सकती हैं.

स्टेप 2: आईने के सामने

इन स्टेप्स के जरिए आप अपने ब्रैस्ट की जांच कर सकती हैं. हालांकि इस दौरान आपको अपना पूरा ध्यान लगाना होगा, ताकि सामान्य से किसी भी बदलाव के बारे में पता चल सके,

  • आईने के सामने खड़ी हो जाएँ,
  • पूरा कपडा उतार लें,
  • दोनों हाथों को पीछे ले जाकर हिप्स पर रखे, ब्रैस्ट में किसी प्रकार के बदलाव को नोटिस करें,
  • हाथों को अपने सिर के ऊपर रखकर ब्रैस्ट और बगल में किसी प्रकार के बदलाव को भी गौर करें,जरुरी नहीं कि ये कैंसर ही हो, लेकिन सावधान रहने की जरुरत है,
  • हाथोंसे कूल्हों को दबाएं और अपनी छाती की मांसपेशियों को कस लें
  • इस दौरान किसी ब्रैस्ट का छोटा लगना, रंग में फर्क दिखना आदि होने पर तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें.

जानें क्या है ब्रैस्ट कैंसर और इसका इलाज

ब्रैस्ट कैंसर तब होता है जब  कोशिका बढ़ती है और दो संतति कोशिकाओं का निर्माण करने के लिए विभाजित होकर स्तन में शुरू होता है. भारत में महिलाओं के बीच यह  एक प्रमुख कैंसर है, यह सर्वाइकल कैंसर के बाद दूसरे स्थान पर आता  है, लेकिन आश्वस्त रूप से, यदि शुरू के ही  स्टेज  (स्टेज I-II) में पता चलता है तो यह सभी प्रकार के कैंसर में से सबसे अधिक इलाज योग्य भी है. मेनोपॉज़  के बाद की महिलाएं (55 वर्ष से अधिक आयु) अधिक कमजोर होती हैं. हालांकि, कम उम्र की महिलाओं में भी इसका प्रचलन बढ़ रहा है. हर 2 साल में प्रिवेंटिव जांच अनिवार्य है, खासकर अगर तत्काल परिवार की महिला रिश्तेदार (दादी, मां, चाची या बहन) को कभी  कैंसर हुआ हो.लाइफलाइन लेबोरेटरी की एमडी (पैथ) एचओडी हेमेटोलॉजी, साइटोपैथोलॉजी और क्लिनिकल (पैथ) डॉक्‍टर मीनू बेरी के मुताबिक हालांकि यह रेयर है किन्तु  पुरुषों को भी स्तन कैंसर हो सकता है – डक्टल कार्सिनोमा और लोब्युलर कार्सिनोमा सबसे संभावित प्रकार हैं. महिला पुरुष दोनों में लक्षण कमोबेश समान होते हैं.

लक्षण

लक्षण गुप्त या स्पष्ट दोनों ही हो सकते हैं, क्योंकि अलग-अलग महिलाओं में अलग-अलग प्रकार के लक्षण हो सकते हैं . वे कैंसर के विकसित होने के लंबे समय बाद प्रकट हो सकते हैं. हालांकि, ज्यादातर मामलों में निम्नलिखित लक्षण आम हैं:

  • स्तन, बगल और कॉलर बोन पर या उसके आस-पास किसी भी गांठ और सूजन या सूजी हुई लिम्फ नोड्स की बिना देर किए डॉक्टर की जांच की जानी चाहिए. जरूरी नहीं कि हर गांठ एक कैंसर हो – लेकिन यह एक सिस्ट, फोड़ा या फाइब्रो-एडेनोमा (वसा जमा की एक चिकनी, रबड़ जैसी और सौम्य गांठ जो छूने पर चलती है) हो सकती है.
  • ‘संतरे के छिलके’ के जैसा कुछ दिखना या स्तन का धुंधला दिखना.
  • स्तन की त्वचा का मोटा होना, फड़कना, स्केलिंग, मलिनकिरण या चोट लगना.
  • दाने या जलन.
  • निप्पल से पानी या खूनी निर्वहन.
  • स्तन के आकार में परिवर्तन.
  • निप्पल को खींचा हुआ, खींचा हुआ या उल्टा निप्पल.
  • स्तन क्षेत्र में या उसके आसपास दर्द और कोमलता.
  • बाएं स्तन में गांठें अधिक सामान्य रूप से विकसित होती हैं.

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 रिस्क फैक्टर :

  • कैंसर का पारिवारिक इतिहास, और यदि किसी प्रथम श्रेणी की महिला रिश्तेदार (दादी, मां, चाची, या बहन) को ब्रैस्ट कैंसर हो गया हो.
  • मेनोपॉज़ के बाद 55 वर्ष से अधिक उम्र की महिलाओं को उच्च जोखिम होता है.
  • प्रारंभिक शुरुआत मेनार्चे (11-12 साल से पहले मेंस्ट्रुएशन की शुरुआत) देर से शुरू होने वाली मीनोपॉज (55 साल के बाद मासिक धर्म की समाप्ति).
  • स्तनपान का कोई पिछला इतिहास नहीं है.
  • धूम्रपान और शराब का सेवन.
  • अधिक वजन या मोटापा भी जोखिम को बढ़ा सकता है.

मेटास्टेटिक ब्रैस्ट कैंसर के लक्षण (कैंसर जो शरीर के अन्य भागों में फैल गया है), जिसके बारे में किसी को पता नहीं हो सकता है, इसमें सामान्य कमजोरी, सिरदर्द और बिना किसी प्रशंसनीय कारण के मतली, सांस लेने में परेशानी, पीलिया, त्वचा का पीलापन, सूजन शामिल हो सकते हैं. पेट, वजन घटाने, आदि

प्रिवेंटिव केयर

याद रखने वाला सबसे महत्वपूर्ण  फैक्ट यह है कि उपरोक्त लक्षणों और जोखिम कारकों में से एक या अधिक की उपस्थिति में प्रिवेंटिव जांच का अत्यधिक महत्व है. पारिवारिक इतिहास जैसे कुछ अपरिवर्तनीय जोखिम कारक हैं, लेकिन कुछ जोखिम कारकों को स्वस्थ जीवन शैली अपनाने से नियंत्रित किया जा सकता है.

– साबुत अनाज (मल्टीग्रेन आटा और ब्रेड, दलिया, जई, मूसली जैसे जटिल कार्बोहाइड्रेट के लिए जाएं), पालक, सरसों के पत्ते, मेथी के पत्ते, सलाद पत्ता, गोभी, ब्रोकोली, केल, और हरी पत्तेदार सब्जियां जैसे संतुलित आहार लें. फल जैसे केला, सेब, नाशपाती, पपीता, स्ट्रॉबेरी आदि. बादाम, अंजीर और अखरोट जैसे नट्स को आहार में शामिल करें.

– भरपूर शारीरिक गतिविधि आपको फिट रखेगी और मांसपेशियों और हड्डियों को ढीला होने से बचाएगी. फिट और एक्टिव रहने के लिए रोजाना 45 मिनट की ब्रिस्क वॉक करें और लाइट वेट ट्रेनिंग लें.

– धूम्रपान छोड़ें और अत्यधिक शराब के सेवन से बचें.

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