जानिए किस कारण ब्रेस्ट साइज में फर्क आता है

महिलाओं के लिए उनकी बॉडी शेप बहुत अधिक मायने रखती है. ऐसे में उनके ब्रेस्ट उनकी खूबसूरती को और बढ़ा देते हैं. कई महिलाएं होती हैं जिनकी ब्रेस्ट आकर्षक और सुडौल होते हैं उनका फिगर अच्छा माना जाता है. ऐसे में सभी महिलाएं अपने फिगर को मेंटेन करने के लिए ब्रेस्ट साइज का ध्यान रखती है

हर महिला के ब्रेस्ट का आकार, बनावट, रंग या विशेषताएं दूसरी महिलाओं से अलग होता है. दूसरी महिलाओं से आपका ब्रेस्ट साइज का कम या बड़ा होना नॉर्मल हो सकता है लेकिन अगर आपकी दोनों ब्रैस्ट एक दूसरे से अलग हैं तो क्या यह नॉर्मल है.

क्या एक ब्रेस्ट दूसरी ब्रेस्ट से बड़ा हो सकता है.

डॉक्टर रोहन खंडेलवाल ,ब्रेस्ट कैंसर स्पेशलिस्ट, सीके बिरला हॉस्पिटल गुरुग्राम के मुताबिक  एक ब्रेस्ट का आकार दूसरे से अलग हो सकता है और यह सामान्य बात है. अगर यह नॉर्मल है तो कब यह चिंता का विषय बन सकता है और ऐसा होने के क्या कारण हो सकते हैं, इसके बारे में जानना जरूरी है जो इस प्रकार हैं

  1. अनुवांशिकी-  एक ब्रेस्ट का दूसरे से अलग होने का कारण आपके जीन के कारण भी हो सकता है. अगर आपकी मां या दादी के ब्रेस्ट में भी यही समस्या है तो आप भी इस समस्या का सामना कर सकते हैं.

2. वजन के कारण- यह वजन के कारण भी हो सकता है. जब आपका वजन बढ़ता है या घटता है तो आपके पूरे शरीर में फैट का जमा होना या घटना शरीर में समान रूप से नहीं होता. ऐसे ही ब्रेस्ट के साथ भी हो सकता है.

3. अगर आप प्रेग्नेंट है तो आपके ब्रेस्ट में असमानता हो सकती है. ऐसा इसलिए होता है क्योंकि आपका शरीर ब्रेस्टफीडिंग के लिए तैयार हो रहा होता है.

4. मेडिकल कंडीशन- ब्रेस्ट के सामान होने के लिए मेडिकल कंडीशन भी हो सकती है. रीड की वक्रता या आपकी ब्रेस्ट में विकृति शामिल होने के कारण भी ऐसा हो सकता है लेकिन यह कारण काफी कम देखने को मिलता है.

5. ब्रेस्ट साइज और ब्रेस्ट कैंसर- अगर आपको ब्रेस्ट साइंस में बदलाव देखने को मिलता है तो ब्रेस्ट कैंसर भी हो सकता है लेकिन ब्रेस्ट साइज और ब्रेस्ट कैंसर के बीच का संबंध गलत भी माना गया है इसलिए इसे और गहराई तक जानने के लिए इस पर शोध की आवश्यकता है.

कब रखें सावधानी

ब्रेस्ट का असमान होना आम बात हो सकती है लेकिन आप लापरवाही ना बरतें अगर आप अपनी ब्रेस्ट में अचानक बदलाव देखते हैं तो अवश्य ध्यान दें. यह कई बार चिंता का कारण हो सकता है. अगर आपके ब्रेस्ट के आकार में परिवर्तन अन्य लक्षणों के साथ आता है जैसे कि त्वचा का पीछे होना, मोटा होना या ब्रेस्ट के रंग में बदलाव होना. अगर ऐसे कुछ लक्षण दिखाई देते हैं तो डॉक्टर से जरूर परामर्श करें क्योंकि यह लक्षण ट्यूमर से जुड़े हो सकते हैं.

प्रैग्नेंसी के दौरान ब्रेस्ट में बदलाव, पढ़ें खबर

प्रैग्नेंसी के दौरान महिलाओं में शारीरिक तौर पर काफी ज्यादा बदलाव आते हैं. ये बदलाव शरीर में हार्मोनल उतार चढ़ाव के कारण होते हैं. ज्यादातर महिलाओं में ये बदलाव प्रैग्नेंसी के पहले सप्ताह से ही दिखने लगते हैं. महिलाओं में ये बदलाव तब तक होते हैं, जब तक बच्चे का जन्म नहीं हो जाता. प्रैग्नेंसी के दौरान महिलाओं के शरीर में हार्मोन स्तनपान कराने वाले ब्रेस्ट को तैयार करते हैं. जिनकी वजह से महिलाओं के ब्रेस्ट के आकार में भी बदलाव आ जाता है.

शोध के मुताबिक प्रैग्नेंसी के दौरान महिलाओं के शरीर में कुछ ऐसे ऊतक बनने लगते हैं, जो समय के साथ-साथ बढ़ते चले जाते हैं. जिसमें एस्ट्रोजन ब्रेस्ट की कोशिकाओं को तेजी से बढ़ाते हैं. जिससे प्रैग्नेंसी के दौरान कोलोस्ट्रम दूध का निर्माण करता है. ये बदलाव आम होते हैं. तो आइये जानते हैं कि प्रैग्नेंसी के दौरान ब्रेस्ट के आकार में देखे जाने वाले बदलाव के बारे में.

1.ब्रेस्ट में दर्द– प्रैग्नेंसी के दौरान ब्रेस्ट के बढ़ने से महिलाओं को काफी असुविधा झेलनी पड़ सकती है. इससे दर्द भी बढ़ सकता है. ब्रेस्ट के बढ़ने के कारण उसनें आ रही कोमलता के लिए एस्ट्रोजन और प्रोजेस्टेरोन की बढ़ोतरी होती है. ये समस्या प्रैग्नेंसी के पहले महीने से तीसरे महीने तक होते हैं.

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2.बढ़े हुए स्तन प्रैग्नेंसी के दौरान महिलाओं के शरीर में हार्मोनल बदलाव के कारण उनके स्तन, निप्पलस और अंडकोष में भी बढ़ोतरी देखी जाती है. जिससे ब्रेस्ट में खिंचाव भी साफ़ तौर पर महसूस किये जा सकते हैं. जिससे स्किन में खुजली की समस्या होने लगती है. इससे निशान भी हो सकती है.

3.निप्पल में बदलाव स्वाभाविक है, जब भी ब्रेस्ट के आकार बढ़ेंगे तो निप्पलों के आकार में भी बदलाव आएंगे. शोध के मुताबिक वाहिनियों में खिंचाव से स्तन और निप्पलस सबसे ज्यादा संवेदनशील हो जाते हैं. जिससे कभी कभी असुविधा तक हो सकती है. इस वजह से निप्पलस के आसपास का क्षेत्र बदलता चला जाता है.

4.निप्पल डिस्चार्ज प्रैग्नेंसी के दौरान निप्पलस से कोलोस्ट्रम के नाम से जाना जाने वाला पिला गाढ़ा तरल रिसाव होता है. जो प्रैग्नेंसी के दूसरे से तीसरे महीने के दौरान निकलने वाला दूध होता है. कभी कभी आप इसे नोटिस भी कर सकते हैं. इसक मतलब यही होता है कि आपके स्तन की तक वाहिकाएं तेजी से बढ़ रही हैं.

5.प्रैग्नेंसी के दौरान कैसे कम करें परेशानी ब्रेस्ट में बदलाव काफी दर्दनाक हो सकता है. खासकर तब जब महिला प्रेग्नेंट हो. ऐसे में अपने दर्द और परेशानी को कुछ हद तक कम कर सकती है. वो कैसे, ये भी जान लीजिये.

  • प्रैग्नेंसी के दौरान परफेक्ट फिटिंग की ब्रा का चयन करें, ताकि ब्रेस्ट की परेशानी को कम किया जा सके. इससे आपको अच्छी मदद मिलेगी.
  • ब्रेस्ट में हो रहे दर्द से राहत पाने के लिए मालिश करें. ध्यान रहे कि मालिश गले से ब्रेस्ट तक होनी चाहिए.
  • अगर ब्रेस्ट से कोलोस्ट्रम का रिसाव हो रहा है तो पैड वाली ब्रा का चयन करें.

6.जरूरत पड़ने पर लें डॉक्टर की मदद महिलाओं में स्तन सबसे संवेदनशील अंगों में से एक होते हैं. प्रैग्नेंसी के दौरान ब्रेस्ट में बदलाव आम बात है, लेकिन कई मामलों में आप किसी विशेषज्ञ से अपनी हर परेशानी को साझा कीजिये. कभी कभी इन बदलावों में कुछ असमान्यता भी देखने को मिलती है. जो बड़े खतरे की घंटी हो सकती है.

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  • अगर ब्रेस्ट में महसूस हो कोई गांठ.
  • स्तन में सिर्फ एक जगह ही लगातार बना रहे दर्द.
  • स्तन के आस पास लाल पन रहना.
  • स्किन में बदलाव के साथ गहरे लाल चकत्ते दिखना.
  • निप्पल से कोलोस्ट्रम के अलावा कुछ अलग सा पदार्थ निकलना.
  • निप्पल का सिकुड़ना या अंदर की ओर जाना.

प्रैग्नेंसी के दौरान हार्मोन में उतार चढ़ाव बना रहता है. जिससे ब्रेस्ट के आकार में बदलाव के साथ बढ़ते हैं. इन बदलावों के दौरान कब भी परीक्षण किया जाता है तो ट्यूमर और समान्य ब्रेस्ट के बीच अंतर समझना मुश्किल होता है. प्रैग्नेंसी के दौरान ये बदलाव होते तो हैं लेकिन बच्चे के जन्म के बाद सारी परेशानियां अपने आप सही होने लगती हैं. फिर भी आप अगर चाहे तो विशेषज्ञ से सलाह ले सकते हैं.

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