Mother’s Day Special: देश की 70 % मांओं के लिए आज भी मुश्किल है ब्रेस्ट फीडिंग

क्या मांओं के लिए स्तनपान जितना स्वाभाविक काम लगता है उतना है? क्या उन्हें इस काम में मुश्किलें आती हैं? स्तनपान को लेकर उन्हें जरूरी सहयोग मिलता है? स्तनपान को लेकर उनकी एक्सपेक्टेशन क्या है? ऐसे कई सवाल हैं जिनके जवाब खोजने के लिए लेकर मौमस्प्रेसो ने मेडेला के साथ एक औनलाइन सर्वे किया है. इस सर्वे का विषय है ‘ स्तनपान को लेकर भारतीय माओं के सामने चुनौतियां’. यह सर्वे 25-45 साल की 510 शहरी और कस्बाई माओं पर किया गया.

सर्वे का उद्देश्य यह जानना था कि स्तनपान के दौरान कामकाज की जगहों, घर या सार्वजनिक स्थलों पर माएं किन किन चुनौतियों का सामना करती हैं.    उन्हें मेडिकल, व्यवहारिक और सहयोग के स्तर पर कैसा माहौल मिलता है. माओं के लिए स्तनपान की प्रक्रिया को सुलभ बनाने के लिए एक बहस शुरू करना.

स्तनपान को लेकर हुए इस सर्वे में जो तथ्य सामने आए उसमें ज्यादातर मौम्स का उत्साहवर्धन करने वाले नहीं थे. आइये जानते हैं सर्वे में सामने आई प्रमुख चुनौतियां:

  • 70 % से भी ज्यादा माएं स्तनपान के दौरान मुश्किल हालातों का सामना करती हैं.
  • 34.7 % माओं को स्तनपान के शुरुआती दिनों में ड्राइनेस के कारण स्तनों में कट या क्रैक का सामना करना पड़ता है.
  • करीब31.8 % माएं लंबे समय तक स्तनपान कराने,  कई बच्चों को बार-बार स्तनपान कराने और आधी रात में बच्चों के जागने पर बहुत ज्यादा थक जाती हैं.
  • 26.61 % माएं स्तनपान के दौरान बच्चों द्वारा काटने को लेकर परेशान होती हैं.
  • 22.7 % माओं को दूध न आने से जुड़ी दिक्कतें झेलनी पड़ती हैं.
  • 17.81 % माओं को सार्वजनिक जगहों जैसे बाजार,मौल्स और मेट्रो स्टेशनों आदि में स्तनपान को लेकर जरूरी इंतेजाम न होने के चलते मुश्किल पेश होती है.
  • 17.42 % माएं मां बनने के बाद पैदा हुए तनाव यानी पोस्टपार्टम का शिकार हो जाती हैं.
  • 38% माओं को मां बनने के शुरुआती दिनों में स्तनपान कराते समय दिक्कतों का सामना करना पड़ता है. खासतौर पर अस्पतालों में माओं को स्तनपान कराने का अनुभव सबसे कड़वा लगता है.
  • करीब 64% स्तनपान के दिनों में अपने परिवार का सहयोग हासिल कर पाती हैं.
  • महज 37% माएं यह स्वीकार करती हैं कि स्तनपान को लेकर उनके पति सहयोगात्मक रवैया अपनाते हुए उनके साथ मजबूती से खड़े रहते हैं. जाहिर है यह प्रतिशत बेहद कम है.
  • सिर्फ 2.4 % माओं को अपने कामकाज की जगहों, यानी औफिस/वर्कप्लेस में सहयोगात्मक माहौल मिलता है. यह बड़ा निराशाजनक आंकड़ा है.
  • परिवार, पति के सहयोग के बावजूद सिर्फ30 % माएं ही पारिवारिक जरूरतों और औफिस के बीच तालमेल बिठा पाती हैं.

हालांकि यह राहत भरी बात है कि स्तनपान के दौरान इतनी चुनैतियों के बावजूद 78% माओं ने अपने बच्चों को पिछले साल स्तनपान कराया. जब हमने उनसे स्तनपान कराने के पीछे के कारणों को लेकर सवाल पूछे तो कई दिलचस्प और खुशनुमा जवाब मिले. इन जवाबों में टौप 4 जवाब थे:  करीब 98.6 % माएं अपने बच्चों को उनकी बेहतर सेहत के लिए स्तनपान कराना पसंद करती हैं.  जबकि 73.4% माएं बच्चों के साथ घनिष्ट लगाव के चलते स्तनपान कराती हैं.  वहीं 57.5% मौम्स पाने स्वास्थ्य लाभ के लिए बच्चों को स्तनपान कराती हैं.  और आखिर में 39.7% मौम्स गर्भावस्था के बाद अपने बढ़े हुए वजन को कम करने के लिए स्तनपान कराती हैं.

हालात बदलने की जरूरत है
स्तनपान करना हर बच्चे का और कराना हर मां का पहला हक है. लेकिन आज भी हमारे देश की ज्यादातर माओं को यह काम कराना मुश्किल भरा लगता है तो  गलती समाज, परिवार की है. हम उन्हें इस से जुड़ी आधारभूत सुविधाओं को न तो घर पर मुहैया करा पाते हैं और न ही दफ्तर या सार्वजनिक जगहों पर. स्तनपान शुरुआती दिनों में मां और बच्चे के लिए लाभप्रद होता लेकिन समस्या यह है कि शुरुआती सप्ताहों में ही माओं को इसे लेकर दिक्कतें झेलनी पड़ती हैं.

बच्चे के जन्म के बाद मौम्स को अपनी लाइफ में कई बड़े बदलाओं को एडजस्ट करना पड़ता है. ऐसे में उनको जरूरत होती है अपने आसपास के लोगों के हरसंभव सपोर्ट की. चाहे वो परिवार के सदस्य हों, बौस हो या सहकर्मी.

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