प्रैग्नेंसी के दौरान, अक्सर बच्चे उलटते-पलटते हैं. जैसे-जैसे सप्ताह आगे बढ़ते हैं, शिशु का आकार बढ़ने लगता है, जिससे उनको घूमने-फिरने की बहुत कम जगह बचती है. लेकिन इसके बावजूद, शिशु बेहद ही हैरतअंगेज जिम्मानास्टिक के करतब करते रहते हैं. 32वें से 38वें सप्ताह के बीच, ज्यादातर बच्चों का सिर नीचे की तरफ होने लगता है. प्रसव की इस आदर्श स्थिति में बच्चे का सिर आपके गर्भाशय ग्रीवा के बिलकुल करीब होता है और आमतौर पर उसका रुख आपके पीछे की ओर होता है.
डॉ. मनीषा रंजन, सीनियर कंसलटेंट, प्रसूति एवं स्त्रीरोग विशेषज्ञ, मदरहुड हॉस्पिटल, नोएडा की बता रही हैं यदि आपका बच्चा प्रसव के दिन भी ब्रीच यानी उल्टी अवस्था में है तो कैसे नार्मल डिलीवरी या सामान्य प्रसव मुश्किल या असंभव हो सकता है.
हालाँकि, हर भ्रूण का सिर गर्भ में दक्षिण की ओर नहीं हो पाता. अवधि पूरी होने के बाद, लगभग 3 से 4 प्रतिशत बच्चों का सिर उनके समय पूरा होने तक ऊपर की तरफ ही रहता है. चूँकि, आपके बच्चे का निचला हिस्सा आपकी तय तारीख के कुछ हफ्ते पहले तक नीचे की तरफ है तो इसका मतलब यह नहीं है कि प्रसव के समय भी वह उल्टा ही होगा. कुछ बच्चे अंत तक यह पता नहीं लगने देते कि क्या होगा. लेकिन यदि आपका बच्चा प्रसव के दिन भी ब्रीच यानी उल्टी अवस्था में है तो नार्मल डिलीवरी या सामान्य प्रसव मुश्किल या असंभव हो सकता है.
ब्रीच प्रेग्नेंसी के क्या कारण हैं?
ब्रीच प्रेग्नेंसी यानी गर्भ में बच्चे का उलटा होने की अवस्था तीन प्रकार की होती है : फ्रैंक, पूर्ण और फुटलिंग ब्रीच. यह गर्भाशय में बच्चे की स्थिति पर निर्भर करता है. फ्रैंक ब्रीच, सबसे आम ब्रीच स्थिति है, जिसमें आपके बच्चे का निचला हिस्सा नीचे की ओर होता है और उसके पैर ऊपर की तरफ और उसके तलवे उसके सिर के पास होते हैं. वहीं, पूर्ण ब्रीच की स्थिति में सिर ऊपर की तरफ और उसके नितंब नीचे की ओर, साथ ही उसके पैर क्रॉस की स्थिति में होते हैं. वहीं, दूसरी तरफ फुटलिंग ब्रीच में, बच्चे का एक या दोनों पैर नीचे की तरफ होते हैं (इसका मतलब है, यदि उसका प्रसव योनी मार्ग से होता है तो उसके पैर पहले बाहर आएंगे). गर्भ में बच्चा खुद ही कैसे “गलत” स्थिति में हो जाता है, उसके कई सारे कारण हैं.
कारण-
-यदि किसी महिला की कई सारी प्रेग्नेंसी रही है
-कई सारे शिशुओं के साथ प्रेग्नेंसी हो
-यदि महिला ने पहले समय पूर्व जन्म दिया हो
-यदि गर्भाशय में काफी ज्यादा या काफी कम एम्निओटिक फ्लूइड हो, यानी बच्चे को घूमने के लिये -काफी जगह हो या फिर घूमने के लिये बिलकुल ही फ्लूइड ना हो.
-यदि महिला के गर्भाशय का आकार असामान्य हो या -फिर गर्भाशय में फ्राइब्रॉयड जैसी अन्य समस्याएं हों.
-यदि महिला को प्लेसेंटा प्रीविया की परेशानी हो.
कैसे पता चले कि बच्चा उल्टा है?-
लगभग 35 या 36 हफ्ते तक शिशु को ब्रीच नहीं माना जाता है. सामान्य गर्भधारण में, एक शिशु आमतौर पर जन्म की तैयारी की स्थिति में आने के लिये सिर नीचे कर लेता है. 35 सप्ताह से पहले शिशुओं का सिर नीचे या बगल में होना सामान्य है. वैसे, उसके बाद जैसे-जैसे शिशु बड़ा होता जाता है और अपने क्षेत्र से बाहर आता है, उसके के लिये मुड़ना और सही स्थिति में आना कठिन हो जाता है.
आपका डॉक्टर आपके पेट के माध्यम से आपके शिशु की स्थिति को महसूस करके यह बता पाएगा कि आपका शिशु ब्रीच कर रहा है या नहीं यानी उलटा हो रहा है या नहीं. वे आपके प्रसव से पहले अपने ऑफिस और अस्पताल में अल्ट्रासाउंड के जरिए इस संभावना की सबसे अधिक पुष्टि कर पाएंगे कि बच्चा ब्रीच कर रहा है या नहीं.
ब्रीच प्रेग्नेंसी में क्या परेशानियाँ होती हैं?-
सामान्य तौर पर, ब्रीच प्रेग्नेंसी खतरनाक नहीं होती, जब तक कि बच्चे के जन्म का समय नहीं हो जाता. ब्रीच के साथ प्रसव होने पर इस बात का खतरा काफी ज्यादा होता है कि बच्चा बर्थ कैनाल में ना फंस जाए और गर्भनाल से बच्चे को हो रही ऑक्सीजन की आपूर्ति खत्म हो जाए.
इस तरह की स्थिति में सबसे बड़ा सवाल यह होता है कि उल्टी स्थिति के बच्चे को जन्म देने का सबसे सुरक्षित तरीका क्या है? परम्परागत रूप से, जब सिजेरियन डिलीवरी (पेट का ऑपरेशन करके प्रसव कराना) का इतना आम प्रचलन नहीं हटा था, तब डॉक्टरों और सबसे आम तौर पर दाइयों को उलटे शिशु का सुरक्षित प्रसव (ब्रीच डिलीवरी) कराना सिखाया जाता था . करान और सबसे आम दाइयाँ, सुरक्षित रूप से ब्रीच प्रसव करवाने के लिये प्रशिक्षित होते थे. तथापि, योनी मार्ग से ब्रीच डिलीवरी में ज्यादा जटिलताओं का खतरा रहता है. कई सारे डॉक्टर्स के अलग-अलग तरीके हो सकते हैं, लेकिन ज्यादातर एक्सपर्ट जितना संभव हो सके, सुरक्षित रास्ता अपनाना पसंद करते हैं, इसलिए ब्रीच प्रेग्नेंसी वाली महिलाओं में सर्जरी को प्रसव का सबसे सही तरीका माना जाता है.
संभवत: आपके डॉक्टर आपको बताएंगे कि आपका बच्चा उल्टा है या नहीं. आपको बच्चे के उल्टे जन्म लेने की चिंता के बारे में अपने डॉक्टर से बात करनी चाहिए, जिसमें सारे जोखिमों और सर्जरी को चुनने के फायदे शामिल होंगे. उनसे पूछना चाहिए कि सर्जरी से क्या होगा और कैसे उसकी तैयारी करनी है.