मुरादाबाद के एक युवक ने अपनी बहन को इतना मारा कि उस की मौत हो गई. फरीना नाम की यह लड़की अपने दादाजी और पापा के साथ रहती थी. फरीना का भाई असलम नौकरी के सिलसिले में दिल्ली में रहता था. ईद के मौके पर असलम गांव आ गया था. एक दिन असलम ने अपनी बहन को किसी से फोन पर देर तक बात करते सुना. जब असलम ने जानने की कोशिश की तो फरीना ने बताने से इनकार कर दिया. यह बात असलम के दिमाग में घूमने लगी.
एक दिन असलम ने फिर फरीना को फोन पर बात करते देखा. उस दिन असलम ने उस के हाथ से फोन छीन लिया और लड़के की आवाज सुन ली. इस पर असलम और फरीना की तीखी बहस हुई. लेकिन कुछ दिनों बाद फरीना का फोन पर बात करने का सिलसिला रुकता न देख असलम ने फरीना की डंडे से पिटाई कर दी और उस का फोन छीन कर उसे एक कमरे में बंद कर दिया. अगले दिन जब असलम के पिता ने कमरे का दरवाजा खोला तब फरीना को अचेत हालत में पाया. अस्पताल ले जाने पर डाक्टर ने फरीना को मृत घोषित कर दिया.
ऐसी ही एक कहानी है नूर की, जो अपने शौक, अपने सपनों को जीना चाहती थी, लेकिन उस के भाई के आगे उस के सारे सपने मानो दफन हो गए.
शाम को 6 बज गए थे और नूर अभी तक घर नहीं आई थी. अम्मी गुस्से में बारबार बड़बड़ा रही थीं, ‘‘अंधेरा होने वाला है… कमबख्त यह लड़की अभी तक नहीं लौटी.’’
‘‘अरे, तुम क्यों चिंता कर रही हो. आ जाएगी नूर. अभी तो 6 बज कर 10 मिनट ही हुए हैं,’’ नूर के अब्बू अम्मी को सम झाने की कोशिश कर ही रहे थे कि नूर आ गई.
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उसे देखते ही अम्मी शुरू हो गईं, ‘‘बहुत दिनों से देख रही हूं, तुम्हारा घर लौटने का समय बदलता जा रहा है. तुम्हारे भाईजान को पता चला न, तो तुम्हारी खैर नहीं.’’
नूर ने अम्मी को सम झाते हुए कहा, ‘‘अम्मी, आज कालेज की आखिरी क्लास
4:30 बजे खत्म हुई थी और बस में भी बहुत भीड़ थी. मैं चढ़ ही नहीं पाई. इसलिए थोड़ी देर हो गई. आप भाईजान से कुछ मत कहना. अब ऐसा नहीं होगा.’’
नूर की अम्मी थोड़ी सख्तमिजाज थीं और नूर के अब्बू उतने ही शांत, जबकि नूर का भाई साहिल हमेशा नूर पर अपनी धौंस दिखाता रहता था. अगर नूर ज्यादा देर किसी लड़की से ही फोन पर बात कर ले तो वह उसे सुनाने में कमी नहीं रखता था. हर समय रोकटोक. कभीकभी नूर को लगता था कि वह इंसान नहीं कठपुतली है जिसे अपने हिसाब से जिंदगी जीने का कोई हक नहीं.
साहिल अम्मी का लाड़ला था और घर में अब्बू से ज्यादा साहिल की चलती थी. साहिल ने अगर कुछ बोल दिया तो वह उसे करवा कर ही मानता था. अगर अब्बू न होते तो नूर 12वीं के बाद ही घर में बैठ जाती. अब्बू बारबार नूर को सम झाते, ‘‘देखो नूर, तुम्हारी अम्मी और भाई दोनों चाहते हैं कि तुम्हारा निकाह जल्द से जल्द हो जाए. लेकिन मैं चाहता हूं कि तुम पढ़ो, ग्रेजुएशन पूरा होते ही किसी अच्छे लड़के से तुम्हारा निकाह करवा दूंगा.’’
यों तो सब अपनी बात नूर के सामने रख कर चले जाते लेकिन नूर की ख्वाहिश, उस के सपनों के बारे में कोई नहीं पूछता.
2 दिनों से नूर समय पर घर आ रही थी, इसलिए अम्मी का मिजाज थोड़ा ठंडा था. लेकिन, आज पता नहीं साहिल को क्या हुआ था. गुस्से में चिल्लाता हुआ घर में दाखिल हुआ और सीधा नूर के कमरे में जा कर चिल्लाने लगा.
‘‘अरे क्या हो गया? क्यों चिल्ला रहे हो इस पर?’’ अम्मी ने परेशान होते हुए साहिल से पूछा.
‘‘इसी से पूछो न. मैं बता रहा हूं यह हाथ से निकलती जा रही है.’’
‘‘लेकिन इस ने किया क्या है?’’
‘‘अम्मी, यह लड़कों के साथ दोस्ती रखती है. मेरा दोस्त शराफत है न, उस के छोटे भाई ने इस के साथ फेसबुक पर फोटो लगा रखी है. यह कालेज पढ़ने जाती है या फोटो खिंचवाने जाती है?’’
यह सुनते ही अम्मी ने नूर को बहुत बुराभला सुनाया. ऊपर से साहिल ने उस का फोन भी ले लिया और बंद कर के अम्मी को दे दिया.
नूर मन ही मन सोच रही थी कि एक फोटो ही तो खिंचवाई थी, वह भी अकेले नहीं सब के साथ. भाईजान तो खुद ही रोज लड़कियों के साथ फोटो लगाते हैं, घूमते हैं. फिर खुद को क्यों नहीं देखते?
अगले दिन नूर कालेज गई लेकिन उस ने किसी भी लड़के से बात नहीं की. कालेज से घर के लिए भी समय पर निकल गई थी, लेकिन घर फिर देर से पहुंची.
जब वह शाम 6:45 पर घर पहुंची तो सब घर पर ही थे. जैसे ही नूर आई, साहिल उस से सवाल पर सवाल करने लगा. ‘‘क्लास कब खत्म हुई थी तेरी?’’, ‘‘कालेज से कब निकली थी तू?’’, ‘‘इतनी देर कैसे हुई?’’ ‘‘कहां गई थी?’’
नूर सहम गई थी. डरतेडरते उस ने कहा, ‘‘भाईजान, वो… वो… मैं कालेज से निकली तो समय पर थी लेकिन आधे रास्ते आ कर याद आया मैं अपनी प्रोजैक्ट फाइल क्लास में ही भूल गई हूं. उसे लेने मु झे वापस जाना पड़ा. इसलिए देरी हुई.’’
आज नूर ने फिर से झूठ बोला. दरअसल, नूर को गाने का बहुत शौक था. नूर की आवाज सच में बहुत अच्छी थी और गाती भी बहुत अच्छा थी. यह बात उस के घर में सब को पता थी. लेकिन, उस का भाई उस की डोर हमेशा खींच लेता था.
कालेज के बाद नूर एक म्यूजिक अकादमी में जाया करती थी. वहां वह छोटे बच्चों को संगीत सिखाती थी. घर में यह बात किसी को पता नहीं थी. हर बार झूठ का सहारा ले कर नूर खुद को बचा लेती थी, लेकिन एक दिन नूर का झूठ झूठ ही रह गया. रोजरोज देरी से घर आने की बात साहिल के दिमाग में घूम रही थी. एक दिन साहिल उस के कालेज ही चला गया. जैसे ही नूर कालेज से निकली वह उस का पीछा करने लगा. जब उस ने देखा वह म्यूजिक अकादमी में जा रही है तो उसे बहुत गुस्सा आया.
नूर आज फिर देरी से पहुंची. आज साहिल ने बहुत आराम से नूर से बात की. ‘‘क्या हुआ नूर, तुम आज फिर देर से आईं? आज भी कुछ भूल गई थीं क्या?’’
‘‘नहीं… नहीं भाईजान,’’ नूर आगे कुछ बोलती कि साहिल ने उस के करीब आ कर कहा, ‘‘गाना गा कर तुम्हारा गला बहुत थक गया होगा न?’’
नूर यह सुनते ही कांप गई. अम्मी शाम की चाय बना रही थीं और अब्बू बाहर बाजार गए हुए थे. साहिल नूर को हमेशा घर में ही देखना चाहता था. उस ने चूल्हे से गरम कोयला निकाल कर नूर की जबान पर रख दिया.
नूर के सारे शौक, सारे सपने उस कोयले के साथ ही जल गए. वह बुरी तरह घायल हो चुकी थी. सपने धराशायी हो चुके थे और पंख उड़ने से पहले ही कट चुके थे. नूर अंदर तक बुरी तरह टूट चुकी थी.
कह सकते हैं कि अभी भी ऐसे कई घरपरिवार हैं जहां बहनें अपने भाइयों की धौंस सहती रहती हैं.
आखिर क्यों भाई अपनी बहनों पर इतनी धौंस दिखाते हैं. इस की वजह क्या है? इतना मातापिता नहीं करते जितना कि एक भाई अपनी बहन पर रोकटोक करता है. हरियाणा, उत्तर प्रदेश में अधिकतर ऐसे केस देखने को मिलते हैं. जहां भाई अपनी बहन को मौत के घाट तक उतार देता है. लेकिन, यह बात सिर्फ उत्तर प्रदेश, हरियाणा की ही नहीं बल्कि पूरे देश की है. अगर परदा हटाया जाए तो हर राज्य और हर घर में यह धौंसपंती देखने को मिलेगी.
क्यों करता है भाई ऐसा
समय बदल रहा है लेकिन समाज नहीं. आज लड़कियां आगे बढ़ रही हैं, पढ़लिख रही हैं, लेकिन इन सब के साथ उन पर तीखी नजर रखी जाती है. यह नजर क्यों है? अकसर हम देखते हैं बहनें अगर घर थोड़ी देरी से आएं तो भाइयों के सवाल पर सवाल शुरू हो जाते हैं.
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पड़ोस में किसी ने भाई के सामने कुछ कह दिया तो घर जा कर भाई बहनों को ही सुनाता है. इस में गलती किस की है? हमारे समाज ने महिलाओं पर हुकूमत चलाने की डोर पुरुषों के हाथ में दे दी है लेकिन पुरुषों पर महिलाओं का कोई जोर नहीं चलता.
आखिर भाई ऐसा करता क्यों है? इस मुद्दे पर जब बात एक 16 साल की लड़की शिवानी से की तो उस का जवाब था, ’’मेरे भैया मु झ से 4 साल बड़े हैं. वैसे तो वे बहुत अच्छे हैं लेकिन मैं ने पिछले कुछ सालों में उन के व्यवहार में बदलाव देखा है. पहले मैं शाम को बाहर दोस्तों के साथ खेला करती थी, लेकिन एक दिन भैया ने आ कर कहा कि शाम को बाहर खेलने की जरूरत नहीं है. मैं ने उस वक्त कुछ नहीं कहा. लेकिन धीरेधीरे भैया ज्यादा ही रोकटोक करने लगे. ट्यूशन जाते वक्त बोलते हैं सिंपल बन कर जाया कर. फोन इस्तेमाल करती हूं तो अचानक आ कर हाथ से छीन लेते हैं. मु झे बिलकुल अच्छा नहीं लगता यह सब. लेकिन हद तो तब हुई जब भैया ने मु झे किसी और की वजह से घर से 3-4 दिन निकलने नहीं दिया और मेरी ट्यूशन भी बंद करवा दी.
‘‘दरअसल, मेरी ट्यूशन में एक लड़का मु झे पसंद करने लगा था. मेरी कभीकभी उस से बात हो जाती थी. एक दिन ट्यूशन के बाद वह मेरे साथ आधे रास्ते तक आया. यह बात पता नहीं कैसे भैया को मालूम हो गई. उस दिन उन्होंने मु झे बहुत बुराभला सुनाया. अब मैं जल्दी किसी से बात भी नहीं करती. एक अजीब सा डर रहता है.’’
क्या यहां भाई को अपनी बहन की ट्यूशन बंद करवानी चाहिए थी? अपनी बहन पर धौंस दिखाने से पहले, उसे सुनाने से पहले यदि वह उस को सहीगलत सम झाता, समाज के बारे में बताता, तो शायद उस के अंदर का वह डर खत्म हो जाता जो आज उसे किसी भी लड़के से बात करने में लगता है. ऐसी धौंस दिखाना ही क्यों जिस से रिश्तों में दरार आ जाए.
कई बार मातापिता को लगता है कि बेटा जो कर रहा है वह सही है. यदि वह बहन को डांट रहा है तो उस की भलाई के लिए. हां, कह सकते हैं भाई अगर डांट रहा है तो उस में भलाई भी शामिल हो सकती है लेकिन वह अगर बहन की आजादी पर रोक लगा रहा है तो क्या इसे भलाई कहेंगे?
सामाजिक मानसिकता का असर
मनोवैज्ञानिक डाक्टर अनामिका कहती हैं, ‘‘बचपन से ही सिखाया जाता है कि बेटियों को दहलीज के भीतर रहना है पर बेटों को इस पर कोई रोक नहीं होती. ऐसे में यह एक मानसिक धारणा बन जाती है लड़कों के मन में कि उन्हें तो पूर्णरूप से सभी चीजों के लिए आजादी मिल रखी है. वे कुछ भी करें, सब सही है. लेकिन घर की बेटियां वही सब करने की इच्छा रखती हैं या कर रही हैं तो बात इज्जत, प्रतिष्ठा पर आ जाती है.
‘‘हमारे समाज में बताया जाता है घर की इज्जत बेटियों के हाथ में होती है. अगर वे कुछ अपने मन का करना चाहती हैं तो उस विषय पर काफी सोचविचार किया जाता है. हालांकि, लड़कों के मामले में ऐसा बहुत कम होता है. ऐसे में बहनों का घर से देर तक बाहर रहना, किसी से ज्यादा बात करना भाइयों को सुहाता नहीं है.’’
क्या करें जब भाई की धौंस बढ़ती जाए
-अपने मातापिता के टच में रहें और अपनी परेशानी उन से सा झा करें.
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-भाई से दोस्ताना व्यवहार रखें और उस से कुछ छिपाएं नहीं.
-भाई अगर ज्यादा रोकटोक कर रहा है तो परिवार के सामने अपनी बात रखें. मातापिता को सम झाएं कि जो आप कर रहे हैं उस में कोई बुराई नहीं है.
-अगर भाई आप के साथ बाहर जाने की जिद कर रहा है तो उसे जल्दी मना नहीं करें. एकदो बार जाने के बाद वह खुद नहीं जाएगा.
-यदि आप किसी लड़के को अपना दोस्त बनाती हैं तो घरवालों को इस की जानकारी जरूर दें. इस से घरवाले ज्यादा सवाल नहीं करेंगे.