Raksha Bandhan Special: भाई बहन का रिश्ता बनाता है मायका

पता चला कि राजीव को कैंसर है. फिर देखते ही देखते 8 महीनों में उस की मृत्यु हो गई. यों अचानक अपनी गृहस्थी पर गिरे पहाड़ को अकेली शर्मिला कैसे उठा पाती? उस के दोनों भाइयों ने उसे संभालने में कोई कसर नहीं छोड़ी. यहां तक कि एक भाई के एक मित्र ने शर्मिला की नन्ही बच्ची सहित उसे अपनी जिंदगी में शामिल कर लिया.  शर्मिला की मां उस की डोलती नैया को संभालने का श्रेय उस के भाइयों को देते नहीं थकती हैं, ‘‘अगर मैं अकेली होती तो रोधो कर अपनी और शर्मिला की जिंदगी बिताने पर मजबूर होती, पर इस के भाइयों ने इस का जीवन संवार दिया.’’

सोचिए, यदि शर्मिला का कोई भाईबहन न होता सिर्फ मातापिता होते, फिर चाहे घर में सब सुखसुविधाएं होतीं, किंतु क्या वे हंसीसुखी अपना शेष जीवन व्यतीत कर पाते? नहीं. एक पीड़ा सालती रहती, एक कमी खलती रहती. केवल भौतिक सुविधाओं से ही जीवन संपूर्ण नहीं होता, उसे पूरा करते हैं रिश्ते.

सूनेसूने मायके का दर्द:

सावित्री जैन रोज की तरह शाम को पार्क में बैठी थीं कि रमा भी सैर करने आ गईं. अपने व्हाट्सऐप पर आए एक चुटकुले को सभी को सुनाते हुए वे मजाक करने लगीं, ‘‘कब जा रही हैं सब अपनेअपने मायके?’’  सभी खिलखिलाने लगीं पर सावित्री मायूसी भरे सुर में बोलीं, ‘‘काहे का मायका? जब तक मातापिता थे, तब तक मायका भी था. कोई भाई भाभी होते तो आज भी एक ठौरठिकाना रहता मायके का.’’  वाकई, एकलौती संतान का मायका भी तभी तक होता है जब तक मातापिता इस दुनिया में होते हैं. उन के बाद कोई दूसरा घर नहीं होता मायके के नाम पर.

भाईभाभी से झगड़ा:

‘‘सावित्रीजी, आप को इस बात का अफसोस है कि आप के पास भाईभाभी नहीं हैं और मुझे देखो मैं ने अनर्गल बातों में आ कर अपने भैयाभाभी से झगड़ा मोल ले लिया. मायका होते हुए भी मैं ने उस के दरवाजे अपने लिए स्वयं बंद कर लिए,’’ श्रेया ने भी अपना दुख बांटते हुए कहा.

ठीक ही तो है. यदि झगड़ा हो तो रिश्ते बोझ बन जाते हैं और हम उन्हें बस ढोते रह जाते हैं. उन की मिठास तो खत्म हो गई होती है. जहां दो बरतन होते हैं, वहां उन का टकराना स्वाभाविक है, परंतु इन बातों का कितना असर रिश्तों पर पड़ने देना चाहिए, इस बात का निर्णय आप स्वयं करें.

भाईबहन का साथ:

भाई बहन का रिश्ता अनमोल होता है. दोनों एकदूसरे को भावनात्मक संबल देते हैं, दुनिया के सामने एकदूसरे का साथ देते हैं. खुद भले ही एकदूसरे की कमियां निकाल कर चिढ़ाते रहें लेकिन किसी और के बीच में बोलते ही फौरन तरफदारी पर उतर आते हैं. कभी एकदूसरे को मझधार में नहीं छोड़ते हैं. भाईबहन के झगड़े भी प्यार के झगड़े होते हैं, अधिकार की भावना के साथ होते हैं. जिस घरपरिवार में भाईबहन होते हैं, वहां त्योहार मनते रहते हैं, फिर चाहे होली हो, रक्षाबंधन या फिर ईद.

मां के बाद भाभी:

शादी के 25 वर्षों बाद भी जब मंजू अपने मायके से लौटती हैं तो एक नई स्फूर्ति के साथ. वे कहती हैं, ‘‘मेरे दोनों भैयाभाभी मुझे पलकों पर बैठाते हैं. उन्हें देख कर मैं अपने बेटे को भी यही संस्कार देती हूं कि सारी उम्र बहन का यों ही सत्कार करना. आखिर, बेटियों का मायका भैयाभाभी से ही होता है न कि लेनदेन, उपहारों से. पैसे की कमी किसे है, पर प्यार हर कोई चाहता है.’’

दूसरी तरफ मंजू की बड़ी भाभी कुसुम कहती हैं, ‘‘शादी के बाद जब मैं विदा हुई तो मेरी मां ने मुझे यह बहुत अच्छी सीख दी थी कि शादीशुदा ननदें अपने मायके के बचपन की यादों को समेटने आती हैं. जिस घरआंगन में पलीबढ़ीं, वहां से कुछ लेने नहीं आती हैं, अपितु अपना बचपन दोहराने आती हैं. कितना अच्छा लगता है जब भाईबहन संग बैठ कर बचपन की यादों पर खिलखिलाते हैं.’’

मातापिता के अकेलेपन की चिंता:

नौकरीपेशा सीमा की बेटी विश्वविद्यालय की पढ़ाई हेतु दूसरे शहर चली गई. सीमा कई दिनों तक अकेलेपन के कारण अवसाद में घिरी रहीं. वे कहती हैं, ‘‘काश, मेरे एक बच्चा और होता तो यों अचानक मैं अकेली न हो जाती. पहले एक संतान जाती, फिर मैं अपने को धीरेधीरे स्थिति अनुसार ढाल लेती. दूसरे के जाने पर मुझे इतनी पीड़ा नहीं होती. एकसाथ मेरा घर खाली नहीं हो जाता.’’

एकलौती बेटी को शादी के बाद अपने मातापिता की चिंता रहना स्वाभाविक है. जहां भाई मातापिता के साथ रहता हो, वहां इस चिंता का लेशमात्र भी बहन को नहीं छू सकता. वैसे आज के जमाने में नौकरी के कारण कम ही लड़के अपने मातापिता के साथ रह पाते हैं. किंतु अगर भाई दूर रहता है, तो भी जरूरत पर पहुंचेगा अवश्य. बहन भी पहुंचेगी परंतु मानसिक स्तर पर थोड़ी फ्री रहेगी और अपनी गृहस्थी देखते हुए आ पाएगी.

पति या ससुराल में विवाद:

सोनम की शादी के कुछ माह बाद ही पतिपत्नी में सासससुर को ले कर झगड़े शुरू हो गए. सोनम नौकरीपेशा थी और घर की पूरी जिम्मेदारी भी संभालना उसे कठिन लग रहा था. किंतु ससुराल का वातावरण ऐसा था कि गिरीश उस की जरा भी सहायता करता तो मातापिता के ताने सुनता. इसी डर से वह सोनम की कोई मदद नहीं करता.

मायके आते ही भाई ने सोनम की हंसी के पीछे छिपी परेशानी भांप ली. बहुत सोचविचार कर उस ने गिरीश से बात करने का निर्णय किया. दोनों घर से बाहर मिले, दिल की बातें कहीं और एक सार्थक निर्णय पर पहुंच गए. जरा सी हिम्मत दिखा कर गिरीश ने मातापिता को समझा दिया कि नौकरीपेशा बहू से पुरातन समय की अपेक्षाएं रखना अन्याय है. उस की मदद करने से घर का काम भी आसानी से होता रहेगा और माहौल भी सकारात्मक रहेगा.

पुणे विश्वविद्यालय के एक कालेज की निदेशक डा. सारिका शर्मा कहती हैं, ‘‘मुझे विश्वास है कि यदि जीवन में किसी उलझन का सामना करना पड़ा तो मेरा भाई वह पहला इंसान होगा जिसे मैं अपनी परेशानी बताऊंगी. वैसे तो मायके में मांबाप भी हैं, लेकिन उन की उम्र में उन्हें परेशान करना ठीक नहीं. फिर उन की पीढ़ी आज की समस्याएं नहीं समझ सकती. भाई या भाभी आसानी से मेरी बात समझते हैं.’’

भाईभाभी से कैसे निभा कर रखें:

भाईबहन का रिश्ता अनमोल होता है. उसे निभाने का प्रयास सारी उम्र किया जाना चाहिए. भाभी के आने के बाद स्थिति थोड़ी बदल जाती है. मगर दोनों चाहें तो इस रिश्ते में कभी खटास न आए.

सारिका कितनी अच्छी सीख देती हैं, ‘‘भाईभाभी चाहे छोटे हों, उन्हें प्यार देने व इज्जत देने से ही रिश्ते की प्रगाढ़ता बनी रहती है नाकि पिछले जमाने की ननदों वाले नखरे दिखाने से. मैं साल भर अपनी भाभी की पसंद की छोटीबड़ी चीजें जमा करती हूं और मिलने पर उन्हें प्रेम से देती हूं. मायके में तनावमुक्त माहौल बनाए रखना एक बेटी की भी जिम्मेदारी है. मायके जाने पर मिलजुल कर घर के काम करने से मेहमानों का आना भाभी को अखरता नहीं और प्यार भी बना रहता है.’’

ये आसान सी बातें इस रिश्ते की प्रगाढ़ता बनाए रखेंगी:

– भैयाभाभी या अपनी मां और भाभी के बीच में न बोलिए. पतिपत्नी और सासबहू का रिश्ता घरेलू होता है और शादी के बाद बहन दूसरे घर की हो जाती है. उन्हें आपस में तालमेल बैठाने दें. हो सकता है जो बात आप को अखर रही हो, वह उन्हें इतनी न अखर रही हो.

– यदि मायके में कोई छोटामोटा झगड़ा या मनमुटाव हो गया है तब भी जब तक आप से बीचबचाव करने को न कहा जाए, आप बीच में न बोलें. आप का रिश्ता अपनी जगह है, आप उसे ही बनाए रखें.

– यदि आप को बीच में बोलना ही पड़े तो मधुरता से कहें. जब आप की राय मांगी जाए या फिर कोई रिश्ता टूटने के कगार पर हो, तो शांति व धैर्य के सथ जो गलत लगे उसे समझाएं.

– आप का अपने मायके की घरेलू बातों से बाहर रहना ही उचित है. किस ने चाय बनाई, किस ने गीले कपड़े सुखाए, ऐसी छोटीछोटी बातों में अपनी राय देने से ही अनर्गल खटपट होने की शुरुआत हो जाती है.

– जब तक आप से किसी सिलसिले में राय न मांगी जाए, न दें. उन्हें कहां खर्चना है, कहां घूमने जाना है, ऐसे निर्णय उन्हें स्वयं लेने दें.

– न अपनी मां से भाभी की और न ही भाभी से मां की चुगली सुनें. साफ कह दें कि मेरे लिए दोनों रिश्ते अनमोल हैं. मैं बीच में नहीं बोल सकती. यह आप दोनों सासबहू आपस में निबटा लें.

– आप चाहे छोटी बहन हों या बड़ी, भतीजोंभतीजियों हेतु उपहार अवश्य ले जाएं. जरूरी नहीं कि महंगे उपहार ही ले जाएं. अपनी सामर्थ्यनुसार उन के लिए कुछ उपयोगी वस्तु या कुछ ऐसा जो उन की उम्र के बच्चों को भाए, ले जाएं.

Raksha bandhan Special: इकलौते भाईबहन को संजो कर रखें

अब संयुक्त परिवार वाला समय नहीं रहा जब कई सारे भाईबहन होते थे. उस वक्त एक या दो भाई बहन से बातचीत बंद हो जाए तो भी चलता था. मगर आजकल जब आप के पास कुल एक भाई या बहन है तो आप बिलकुल भी रिस्क नहीं ले सकते. आप को उस इकलौते भाई या बहन को बहुत संजो कर रखना होगा. जरूरत के वक्त वही आप के काम आएगा. उसे ही आप अपना परिवार कह सकती हैं. उस की फॅमिली के साथ ही आप अपनापन बाँट सकती हैं. उसी के साथ आप ने पूरा बचपन की शैतानियां और किशोरावस्था के राज बांटे हैं. वही आप को समझता है और उसी के साथ आप सुरक्षित महसूस करती हैं. फिर उस भाई जैसे अनमोल रत्न को आप खो कैसे सकती हैं. इसलिए सारे ईगो परे हटा कर भाई पर जी भर कर प्यार लुटाइए.

त्यौहार प्यार बढ़ाने का दिन है –

त्यौहार के रूप में आप को बहाने मिल जाते हैं अपनों के करीब आने का, पुरानी गलती सुधारने का और कुछ ऐसा कर दिखाने का जिस से सामने वाला आप को फिर से गले लगा ले. इस मौके को न गंवाएं. आप अपने भाई या बहन के लिए कोई प्यारा सा गिफ्ट खरीदें जो उस की पसंद का भी हो और सालों उस के पास भी रह सके.

गिफ्ट की कीमत नहीं प्यार देखें – 

रक्षाबंधन के मौके पर आप के भाई या भाभी ने आप को जो भी गिफ्ट दिया हो उसे प्यार लें. किसी भी तरह का असंतोष या नाराजगी न दिखाएं क्योंकि गिफ्ट में पैसा नहीं भावनाएं देखी जाती हैं. आज आप लड़ाई कर लेंगी तो कल को उस छोटे से गिफ्ट के लिए भी तरसेंगी. इसलिए छोटी सी बात पर अपने रिश्तों में किसी तरह की कड़वाहट न आने दें. बहुत सी बहनों की आदत होती है कि रक्षा बंधन से महीने भर पहले से ही अपने भाई या भाभी को गाइड करने लगती हैं या फरमाइश करने लगती हैं कि इस बार उन्हें यह गिफ्ट चाहिए. भाई पर इस तरह हक़ ज़माना गलत नहीं मगर कई बार संभव है कि आप का भाई ज्यादा पैसे खर्च करने की हालत में न हो या उस की कोई और प्रॉब्लम हो. ऐसे में अपनी फरमाइश रखने के बजाए प्यार से इन्तजार करें कि वह क्या देता है. जो भी उपहार आप को मायके से मिले उसे सम्मान के साथ स्वीकार करें.

त्यौहार के दिन कोई झगड़ा नहीं – 

साल भर के बाद रक्षा बंधन का दिन आता है. इस खूबसूरत दिन को लड़झगड़ कर बर्बाद कतई न करें. लड़ने के तो सौ बहाने मिल जाएंगे मगर फिर साल भर आप के दिल में कठोर बातें जब तीर बन कर चुभती रहेंगी तो आप खुद को माफ़ नहीं कर पाएंगी. इसलिए किसी भी तरह बात न बढ़ा कर प्यार और सम्मान के साथ उस दिन को गुजरने दे.

इस दिन के लिए कोई बहाना या एक्सक्यूज़ नहीं –

इस दिन भाई या उस के परिवार से मिलने जरूर जाएं. कोई बहाना या एक्सक्यूज़ न बनाएं. क्योंकि एक बार आप जाने से मन करेंगी तो अगली बार से आप को बुलाना भी कम कर दिया जाएगा. धीरेधीरे दूरी बढ़ती जाएगी. इसलिए मिलने के नियम को कठोरता से बरकरार रखें. खासकर जब आप एक ही शहर में हैं तब तो कोई भी बहाना बनाने की बात सोचें भी नहीं. इस दिन दूसरे मुद्दे बीच में न लाएं. सिर्फ भाई बहन का प्यार और मां बाप का दुलार ही याद रहे. रिश्ते में कितने भी मसलें हों मगर इस दिन जरूर मिलें.

पुराने बचपन के दिन याद करें –

जब आप भाई से मिलें तो कुछ समय के लिए सारी परेशानियां और उलझनें भूल जाएं. कुछ समय बस एकदूसरे के साथ बिताएं. बचपन की वो यादें और शरारतें याद करें. अपने बच्चों को भी पुराने किस्से सुनाएं. इस से वे भी इस रिश्ते का सम्मान करना सीखेंगे. पुरानी यादों के बहाने आप एकदूसरे के और करीब भी आएंगे.

बात पसंद न आए तो तुरंत कहें –

इस रिश्ते में सब से ज्यादा दरार तब आने लगती है जब भाई और बहन आपस में अपनी भावनाओं को शेयर नहीं करते. अगर आप को बहन या भाई से कोई शिकायत है तो उस से खुल कर बात करें. मन में बात रखने से मसला सुलझेगा नहीं बल्कि आप के बीच की दूरियां बढ़ेगी. इस से मन में नेगेटिव फीलिंग्स बढ़ेगी जो किसी गलत समय बाहर निकलेगी और रिश्ते के मिठास को पूरी तरह ख़त्म कर देगी.

दोस्तों की तरह शेयर करें छोटीछोटी बात – 

शादी के बाद भी आपस में अपने दुखसुख शेयर करें. इस से आप के बीच की दूरियां कम होगी और रिश्ता मजबूत होगा. अगर हर छोटी छोटी बात एकदूसरे से शेयर की जाए तो भाईबहन का रिश्ता दोस्ती का रिश्ता बन जाता है. आप किसी मुसीबत में भी है तो भाई से तुरंत बात शेयर करें. इस से आप की प्रॉब्लम का सलूशन भी निकल जाएगा और आप के बीच का तालमेल भी ठीक रहेगा.

एकदूसरे के लिए रखें त्याग की भावना –

अक्सर देखा जाता है कि भाईबहन किसी चीज को ले कर लड़ने लगते है कि वह उसे क्यों मिली मुझे क्यों नहीं. ऐसी स्थिति में एकदूसरे के प्रति ईर्ष्या की भावना पैदा होती है जो उन के रिश्ते में दरार ले कर आती है. इस के विपरीत त्याग की भावना आप को करीब लाती है.अनोखा होता है भाईबहन का प्यार

खट्टी मिठ्ठी तकरार में छिपा होता है प्यार –

शायद ही ऐसे कोई भाई बहन होंगे जिन के बीच छोटी मोटी नोकझोंक न होती है. लेकिन उन की इस तकरार के पीछे भी प्यार छिपा होता है जिसे वह वक्त आने पर एकदूसरे के लिए दिखाने में बिल्कुल भी पीछे नहीं रहते हैं. यही कारण है कि भाई और बहन का रिश्ता देखने में तो उतना मजबूत नहीं लगता, मगर समय पड़ने पर दोनों का प्यार साफ नजर आता है. वह एकदूसरे से प्यार करते हैं तो नफरत भी करते हैं. एकदूसरे का मजाक उड़ाते हैं तो तालमेल भी बिठा लेते हैं. भाई बहनों की बॉन्डिंग बहुत स्ट्रॉन्ग होती है. भाई या बहन हो तो जिंदगी का मजा दोगुना हो जाता है. शायद यही वजह है कि एक बेटा और एक बेटी से परिवार को पूरा माना जाता है. इस से बच्चों का बचपन भी अच्छा रहता है और उन के बीच एक मजबूत रिश्ता भी बनता है.

बन जाते हैं बेस्ट फ्रेंड –

जिंदगी में कई बातें ऐसी होती हैं जिन्हें आप मातापिता से खुल कर शेयर नहीं कर पाते हैं लेकिन अपने भाई या बहन से आसानी से साझा कर पाते हैं. इसी दौरान आप एकदूसरे के बेस्ट फ्रेंड भी बन जाते हैं. वहीं कई घर ऐसे भी होते हैं जहां बड़ा भाई या बहन पैरेंट्स की जगह मजबूत सहारा बन कर आप की जिंदगी में खड़ा होता है. ऐसे में आप अपनी छोटी से छोटी बात उन से शेयर करने लग जाते हैं और आप का रिलेशनशिप स्ट्रांग होता चला जाता है.

मुश्किल वक्त में देते हैं एकदूसरे का साथ –

जब भी किसी लड़की को कोई लड़का परेशान कर रहा होता है तो वह सब से पहले अपने भाई के पास जाती है. बहनों को ले कर भाई हमेशा ही बहुत प्रोटेक्टिव रहते हैं. उन्हें कोई भी तकलीफ हो तो वे पूरा घर सिर पर उठा लेते हैं. वहीं बहन भी अपने भाई को पैरेंट्स की हर डांट से बचाने के साथ ही उन के कठिन समय में उन का साथ देने का काम करती हैं. परेशानी के समय भाई या बहन के पास आप को रोने के लिए सब से मजबूत और कोमल कंधे मिलते हैं. यही बातें भाई और बहन के रिश्ते को मजबूत बनाती हैं.

Raksha bandhan Special: कितना प्यारा भाई-बहन का रिश्ता

रक्षाबंधन का त्यौहार आने वाला था. घर में सब बहुत खुश थे मगर नेहा के मन में एक कसक उठ रही थी. दरअसल उस के अपने भाई ने पिछले 7 साल से उस से कोई संबंध नहीं रखा था. उस का हर रक्षाबंधन और भाईदूज वीराना जाता था और ऐसा पिछले 7 साल से हो रहा था.

नेहा को याद है 7 साल पहले रक्षाबंधन के दिन जब वह अपने भाई के घर गई थी तो उपहार को ले कर एक छोटी सी बात पर दोनों भाईबहन के बीच झगड़ा हुआ जो बढ़ता ही गया. मांबाप ने रोकना चाहा पर यह झगड़ा रुका नहीं और उस दिन से दोनों के बीच बातचीत बंद थी. हर रक्षाबंधन को नेहा अपने भाई को याद करती है लेकिन उस के घर कभी नहीं जाती. इस तरह उस का रक्षाबंधन अधूरा ही रह जाता है और इस दिन जो ख़ुशी वह पहले अनुभव करती थी उस से वंचित रह जाती है. देखा जाए तो आज के समय में हमारे पास बहुत सारे भाईबहन नहीं होते.

सामान्यतः एक या दो भाईबहन ही होते हैं. अगर वे ही आपस में लड़ लें या बातचीत बंद कर दें तो त्यौहार का मजा ही जाता रहता है. खासकर रक्षाबंधन तो भाईबहन का ही त्यौहार है. होलीदिवाली भी ऐसे त्यौहार हैं जब इंसान अपनों का साथ पाकर खिल उठता है. एकदूसरे के घर जाता है. महिला अपने मायके में ढेर सारा प्यार बटोर कर घर लौटती है. मगर यदि आप ने अपनों के घर आनेजाने या मिलने का रास्ता ही बंद कर रखा है तो आप के लिए त्यौहार की खुशियां ही बेमानी हो जाती हैं.

इसलिए जरूरी है कि आप अपने इकलौते भाई या बहन को संजो कर रखें. उन का प्यार एक ऐसा खजाना है जिस से महरूम रह कर आप खुश नहीं रह सकते. याद रखें आप को आप के भाई या बहन से ज्यादा और कोई नहीं समझ सकता. आप ने उन के साथ अपना बचपन बिताया है. साथ बड़े हुए हैं. मांबाप का प्यार साझा किया है. 20 – 22 साल का यह खूबसूरत साथ कभी भुलाया नहीं जा सकता. उन के साथ मिलने वाली ख़ुशी, पुराने बचपन के दिनों को याद करने का सुख और कोई नहीं दे सकता.

रक्षाबंधन भाई बहन के स्नेह का प्रतीक है. यह त्यौहार श्रावण मास की पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है. इस दिन बहनें अपने भाइयों की कलाई पर रक्षाबंधन बांध कर उन की लंबी उम्र और कामयाबी की कामना करती हैं. भाई भी अपनी बहन की रक्षा करने का वचन देते हैं.

भारत के सभी राज्यों में यह त्यौहार अलगअलग नाम से मनाया जाता है. उत्तरांचल में रक्षा बंधन को श्रावणी के नाम से जाना जाता है. महाराष्ट्र में नारियल पूर्णिमा तो राजस्थान में राम राखी कहा जाता है. दक्षिण भारतीय राज्यों में इसे अवनि अवित्तम कहते हैं. रक्षाबंधन का सामाजिक और पारिवारिक महत्व भी है.

वैसे आधुनिकता की बयार में बहुत कुछ बदल गया है. आज के ग्लोबल माहौल में रक्षाबंधन भी हाईटेक हो गया है. वक्त के साथसाथ भाई बहन के पवित्र बंधन के इस पावन पर्व को मनाने के तौरतरीकों में विविधता आई है. व्यस्तता के इस दौर में काफी हद तक त्यौहार महज रस्म अदायगी तक ही सीमित हो कर रह गए हैं.

अब बहुत सी महिलाएं बाबुल या प्यारे भईया के घर जाने की जहमत भी नहीं उठातीं. कुछ मजबूरीवश ऐसा नहीं कर पाती. रक्षाबंधन से पहले की तैयारियां और मायके जा कर अपने अजीजों से मिलने के इंतजार में बीते लम्हों का मीठा अहसास ज्यादातर महिलाएं नहीं ले पातीं. कभी भाई दूर देश चला जाता है तो कभी दिल से दूर हो जाता है और कभी व्यस्तता का आलम. मगर मत भूलिए कि ऑनलाइन राखी की रस्म अदायगी में अहसासों का वह मंजर नहीं खिल पाता जो भाईबहन के रिश्तों में मजबूती लाता है.

आप कितनी भी व्यस्त क्यों न हों या भाई से कितनी भी नाराज ही क्यों न हों इस दिन भाई से जरूर मिलें. अपनों के साथ समय बिताने और मीठी नोकझोंक के साथ रिश्ते में प्यार की मिठास घोलने का मौका मत गंवाइए.

क्या कहता है विज्ञान

भाईबहन पर दुनियाभर की चुनिंदा यूनिवर्सिटी में हुईं रिसर्च ये साबित करती हैं कि इन का रिश्ता एकदूसरे को काफी कुछ सिखाता है और ये दोनों परिवार के लिए कितने जरूरी हैं.

अमेरिकी शोधकर्ताओं के मुताबिक भाईबहन एकदूसरे की संगत से जीवन के उतारचढ़ाव सीखते हैं और समाज में कैसे आगे बढ़ना है इस की समझ बढ़ती है क्योंकि सब से लम्बे समय तक यही एकदूसरे के साथ रहते हैं.

भाईबहन एकदूसरे का अकेलापन कितना दूर कर पाते हैं इसे जानने के लिए तुर्की में एक रिसर्च हुई. रिसर्च के मुताबिक बहनें अपने भाइयों के लिए ज्यादा केयरिंग होती हैं. वह इस रिश्ते को अधिक गंभीरता से निभाती हैं. वहीं भाई अपनी बहनों पर कई बार गुस्सा दिखाते हैं या नाराज हो जाते हैं. ऐसा बहनों की तरफ से बहुत कम होता है.

सिबलिंग इफेक्ट

नॉर्थवेस्टर्न यूनिवर्सिटी की प्रोफेसर और सायकोलॉजिस्ट लौरी क्रेमर के मुताबिक भाईबहन के सम्बंधों से बढ़ने वाली समझ को सिबलिंग इफेक्ट कहते है. यह सिबलिंग इफेक्ट दोनों पर कई तरह से असर डालता है. भाईबहन एकदूसरे की दिमागी क्षमता को बढ़ाते हैं. इन में गंभीरता बढ़ने के साथ ये एकदूसरे को समाज में अपनी जगह बनाना सिखाते हैं.

अमेरिका की पार्क यूनिवर्सिटी ने भाईबहन के रिश्तों को समझने के लिए सिबलिंग प्रोग्राम शुरू किया और पेन्सेल्वेनिया राज्य के 12 स्कूलों को शामिल किया गया. इस प्रोग्राम का लक्ष्य था कि भाईबहन की जोड़ी मिल कर कैसे निर्णय लेते हैं और जिम्मेदारी किस तरह निभाते हैं. रिसर्च में सामने आया कि कम उम्र से एकदूसरे का साथ मिलने की वजह से इन में समझदारी जल्दी विकसित होती है. इस की वजह से इन में डिप्रेशन, शर्म और अधिक हड़बड़ी जैसा स्वभाव नहीं विकसित होता.

जब कोई व्यक्ति सिबलिंग रिलेशनशिप में बड़ा होता है तो उस में सहानुभूति, साझा करने और करुणा के भाव भी विकसित होते हैं. एक अध्ययन के अनुसार इस से बच्चे विशेष रूप से लड़के दूसरों के प्रति अधिक दयालु और निस्वार्थ बन सकते हैं.

स्वीडन के एक अध्ययन से पता चला है कि सिबलिंग रिलेशनशिप आप को खुश रहना वाला व्यक्ति बनाती है. जीवन के बाद के वर्षों में भी यह असर कायम रहता है.  बहन के साथ सपोर्टिव रिलेशनशिप आप की मेंटल हेल्थ के लिए अच्छा है. बड़ी ब हन आप को आइसोलेशन, गिल्टी आदि से बचाती है.

सिबलिंग होने से बच्चों में सोशल और इंटरपर्सनल स्किल्स को बढ़ावा मिलता है. जो बच्चे सिबलिंग रिलेशनशिप में बड़े होते हैं वे अपने साथियों के साथ बेहतर तरीके से बातचीत कर सकते हैं. सिबलिंग होने से आप अपने लक्ष्यों को पाने के लिए मेहनत करते हैं और अपने लक्ष्य हासिल करते हैं.

ब्रिघम यंग यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर ने 395 परिवारों पर स्टडी की जिन के एक से ज्या दा बच्चेप थे और उन के कम से कम एक बच्चे की उम्र 10 साल या इस से कम थी. डाटा इकट्ठा करते समय प्रोफेसर ने इस बात पर गौर किया कि छोटी या बड़ी बहन होने से सिबलिंग कोई बुरी आदत या व्यवहार से दूर रहते हैं जैसे हिचकिचाना या डरना.

अन्यो स्टेडी में खुलासा हुआ कि जब भाई या बहन लड़ते हैं तो इस से दोनों को बहस करना और अपनी भावनाओं को कंट्रोल करने का हुनर सीखने का मौका मिलता है. अगर किसी की बहन है तो वे नकारात्मक चीजों से ज्यादा दूर रहते हैं. इन में अकेलापन, डर और शर्मीलापन कम देखा जाता है. ये चीजें मिल कर किसी इंसान के रवैये में नकारात्मकता ला सकती हैं और उसे डिप्रेशन या किसी खाने या किसी चीज से नफरत हो सकती है. यहां तक कि कुछ मामलों में इंसान खुद को ही नुकसान पहुंचा सकता है.

बहन होने से इन सब चीजों को सकारात्मक तरीके से हैंडल करने में मदद मिलती है. जिन लोगों की बहन होती है वो आसानी से अपनी भावनाओं को व्यक्त कर पाते हैं और अपने मतभेदों को सुलझा पाते हैं. अगर भाई बहन के बीच प्यार हो तो दोनों के व्यवहार में सकारात्मकता आती है जो कि केवल पेरेंट्स के प्यार से नहीं मिल सकती है.

Raksha bandhan Special: भाई-बहन आपकी सबसे बड़ी संपत्ति 

टीनएज जीवन का ऐसा पड़ाव होता है, जहां अपने पराए लगने लगते हैं और पराए अपने. इस उम्र में हमारी आंखों पर ऐसी पट्टी पड़ जाती है कि हमें अपने भाईबहन भी अपने जानी दुश्मन लगने लगते हैं. हम उनसे भी अपनी बातें शेयर करना पसंद नहीं करते हैं. यहां तक कि मुसीबत में पड़ने पर भी उन्हें बताने से डरते हैं कि इन्हें बताने से पापामम्मी को पता चल जाएगा और जिससे उन्हें डांट पड़ेगी , जिसका नतीजा यह होता है कि हम गलतियां करते जाते हैं और उनका खामियाजा अकेले ही भुगातना पड़ता है और कई बार तो हमें इसकी वजह से कई मुसीबतों का भी सामना करना पड़ता है. इसलिए ये समझना बहुत जरूरी है कि भाईबहन हमारे दुश्मन नहीं बल्कि हमारी असली संपत्ति होते हैं. जी हां , आइए जानते हैं कैसे.

1. मुसीबत में हमें बचाते

नेहा जो बहुत ही स्मार्ट और पैसे वाली थी, जिसके कारण हर लड़का उससे फ्रेंडशिप करने को उत्सुक रहता था. और जिसके कारण नेहा भी किसी को खुद के सामने कुछ नहीं समझती थी. और उसकी इसी बेवकूफी का फायदा उसके बोयफ्रेंड साहिल ने उठाया. उसने नेहा से पैसे ऐंठने के चक्कर में उससे कुछ न्यूड फोटोज क्लिक करने को कहा. कहते हैं न कि प्यार में सब जायज होता है. उसने बिना सोचेसमझे साहिल को फोटोज भेज दी. अब तो वह उसे इन फोटोज से ब्लैकमेल करके पैसे ऐंठने लगा. जिसके कारण वह परेशान रहने लगी. लेकिन उसके भाई से ये सब देखा न गया और उसने बहन को कसमें देकर उससे परेशानी की वजह को जान ही लिया. और फिर भाई का फर्ज निभाते हुए उसने मम्मीपापा को बताए बिना साहिल को ऐसा सबक सिखाया कि आगे वह कभी नेहा जैसी लड़कियों को धोखा देने के बारे में सोचेगा भी नहीं. इस घटना के बाद नेहा को समझ आ गया कि भाई से प्यारा कोई नहीं. इससे धीरेधीरे दोनों के बीच बोंडिंग स्ट्रोंग बनती चली गई.

2. चीजें शेयर करने में हिचकिचाते नहीं 

भाईबहन का रिश्ता ऐसावैसा नहीं होता है. चाहे आपस में कितनी भी लड़ाई क्यों न हो जाए , लेकिन मुसीबत या फिर एकदूसरे के चेहरे पर खुशी लाने के लिए दोनों एकदूसरे के लिए कुछ भी करने को तैयार हो जाते हैं. यहां तक कि अपनी सबसे प्यारी चीज भी शेयर करने से नहीं  हिचकिचाते हैं. शोभा जो पढ़ाई के साथसाथ पार्टटाइम जोब करती थी, क्योंकि एक तो वह खुद कुछ करना चाहती थी और दूसरा पिता के बीमार होने के बाद से उसके घर की हालत भी ठीक नहीं थी. उसने मेहनत करके पैसा कमाया. और फिर घर की जरूरतों को पूरा करते हुए फिर अपने लिए एक लैपटोप भी खरीदा. जिसे खरीदने का वह काफी समय से सपना देख रही थी. इसे पाकर वह बहुत खुश भी थी. लेकिन इस बीच उसके भाई की भी ऑनलाइन क्लासेज शुरू हो गई और उसे भी लैपटोप की जरूरत पड़ी. तो शोभा ने बिना कुछ सोचे अपनी सबसे प्यारी चीज को अपने भाई को दे दिया. ताकि उसे किसी भी तरह की कोई दिक्कत न हो. जो इस बात की और इशारा करता है कि चाहे चीज कितनी भी कीमती व जरूरी  क्यों न हो, लेकिन इस रिश्ते से बड़ी व कीमती नहीं हो सकती.

3. करते हैं  मोटिवेट 

कई बार जीवन में ऐसे पड़ाव भी आते हैं , जिसमें हम हिम्मत छोड़ने लगते हैं. जीवन जीने की इच्छा ही खत्म होने लगती है. हमें ऐसा लगने लगता है कि हम कुछ नहीं कर सकते, बस सामने हार ही हार नजर आती है. ऐसे में भाई हो या बहन एकदूसरे का हौसला बढ़ाकर उसे आगे बढ़ने के लिए मोटिवेट करते हैं. राहुल के साथ भी कुछ ऐसा ही हुआ. उसके नौंवी में बहुत कम मार्क्स आए , जिससे उसके मन में ये बात बैठ गई कि उसका कैरियर चौपट सा हो गया है, अब इसकी वजह से न ही घर में उसे प्यार सम्मान मिलेगा और न ही स्कूल में. सब उसका मजाक बनाएंगे. जिसकी वजह से उसके चेहरे की हंसी भी गायब होने लगी थी. ऐसे में उसकी बहन ने उसे समझाया कि जरूरी नहीं कि जो जीवन में एक बार हार जाए या फिर असफल हो जाए , उसे बारबार हार का ही सामना करना पड़ेगा. हमारे सामने है अल्बर्ट अ ाइंटरिन का उदाहरण. जो दुनिया में जीनियस के तौर पर जाने जाते हैं. वे चार साल तक बोल और सात साल तक की उम्र तक पढ़ नहीं पाते थे. जिससे उनके शिक्षक और पेरेंट्स उन्हें सुस्त  छात्र के रूप में देखते थे. जिसके कारण उन्हें स्कूल से निकाल दिया गया. इन सबके बावजूद वे भौतिक विज्ञान की दुनिया में सबसे बड़ा नाम साबित हुए. तुम्हें  भी इससे सीख लेकर आगे कुछ कर दिखाने के लिए जीतोड़ मेहनत करने की जरूरत है न की आज की परिस्तितियों से हार मानकर बैठ जाने की. और इसमें मैं तुम्हें जितना सपोर्ट कर सकूंगी करूंगी , लेकिन तुम्हें  इस तरह हार नहीं मानने दूंगी. यही होती है भाईबहन के रिश्ते की असली सच्चाई.

4. इमोशनली स्ट्रौंग बनाते

हम जिससे सबसे ज्यादा प्यार करते हैं , कई बार हम उनसे दूर हो जाते हैं. जैसे अचानक से परिवार के किसी प्रिय सदस्य का निर्धन हो जाना , या फिर पढ़ाई या जॉब के कारण अपनों से दूर हो जाना या फिर बेस्ट फ्रेंड का दूर हो जाना, जो हमें अंदर ही अंदर परेशान करके रख देता है. ऐसे में भाईबहन ही वो टूल होते हैं , जो हमें इन परिस्तितियों से लड़कर आगे बढ़ना सिखाते हैं. हमें प्यार से समझाते हैं कि भले ही आज ये वक्त थम सा गया है, लेकिन हमें खुद को अंदर से इतना ज्यादा कमजोर नहीं बनाना है कि हम भी बस इस वक्त के साथ थम कर रह जाएं. बल्कि स्ट्रौंग बनकर आगे बढ़ना सीखना होगा. परिवार के साथ कंधे से कंधा मिलाकर चलना होगा, एकदूसरे को समझना होगा. अगर खुद को  इमोशनली स्ट्रौंग बनाओगे तो ये वक्त भी गुजर जाएगा. ऐसे समय में भले ही भाईबहन खुद टूट जाए , लेकिन चेहरे पर नहीं दिखाते हैं और अपने भाईबहन को फुल सपोर्ट करके इस परिस्तिथि से लड़कर आगे बढ़ना सिखाते हैं.

5. हमारे लिए लड़ जाते हैं लोगों से 

ये तो दुनिया की रीत है कि आप चाहे लोगों के लिए कितना भी अच्छा कर लो, लेकिन जरूरी नहीं कि वह आपकी तारीफ करे ही. किसी बात पर कोई आपकी तारीफ भी कर सकता है तो कोई आपकी बुराई भी . लेकिन हम किसी का मुंह नहीं रोक सकते. तनवी के साथ भी कुछ ऐसा ही हुआ. उसने एक बार अपने फ्रेंड के साथ असाइनमेंट क्या शेयर नहीं किया, कि उसके फ्रेंड्स ने उससे बात करनी ही छोड़ दी. और वे  सब यूनिटी बनाकर उसका मजाक बनाने लगे. जिससे परेशान होकर तनवी ने कॉलेज जाना ही छोड़ दिया. ऐसे में उसके भाई ने उसे लोगों का मुकाबला करना सिखाया और यहां तक कि उसके लिए उसके दोस्तों तक से भी लड़ गया. वे ये हरगिज नहीं देख पाया कि किसी और की वजह से उसकी बहन की आंखों में आंसू आए. यही वो रिश्ता है , जिसमें चाहे भाईबहन आपस में कितना भी लड़ लें , लेकिन कोई और उनके अपने को परेशान करे, ये उन्हें गवारा नहीं होता.

6. लाइफ को मेमोरेबल बनाते 

कभी बहन के कपड़े छुपा देना तो कभी भाई का फोन छुपा देना, खाना खाते हुए कोई ऐसी बात कर देना, जिससे भाई या बहन गुदगुदा कर हंस दे. बचपन में तू कैसे कपड़े पहनती थी, कैसी सी लगती थी, बालों में तेल और दो चोटी करके स्कूल जाना, जिसके कारण तेरे फ्रेंड्स तुझे चिपकूचिपकू कहते थे. भाई तू भी कुछ कम नहीं था. याद है मुझे वो श्रुति का किस्सा , जिसके पीछे तूने मम्मीपापा से भी झूठ बोला था. तू कितना उसके पीछे पड़ा था और वो तुझे पतलू कहकर तुझे घास तक नहीं डालती थी. यही सब बातें भाईबहन के रिश्ते को यादगार बनाती है और ताउम्र हसने का मौका देती है.

7. उदासी को पल में दूर भगाते 

तुम मेरे लिए कितने कीमती हो, इसे शब्दों में बयान करना मुश्किल है. बस इतना कह सकता हूं कि तुझे उदास देख मैं भी हो उठता हूं उदास. ऐसे में भाईबहन एकदूसरे की उदासी को दूर करने के लिए कभी उनकी पसंद की डिश बनाते हैं , तो कभी उन्हें घुमाने के बहाने उनका दिल बहलाने की कोशिश करते हैं. उनके चेहरे की उदासी को दूर करने के लिए उनके लिए गुनगुनाते हैं , क्योंकि संगीत से मन को खुशी जो मिलती है. उनके साथ खेलते हैं , साथ वक्त बिताते हैं , उनकी परेशानी को दूर करने की कोशिश करते हैं. उन्हें कोई कुछ न कहे , और परेशान न करें इसके लिए उनके बॉडीगार्ड बनकर आगे पीछे घूमते रहते हैं. बस इसी प्रयास में लगे रहते हैं कि भाई या बहन के चेहरे की उदासी दूर हो जाए और वह फिर से मुस्कुराने लगे.  इस तरह भाईबहन का रिश्ता बहुत अनमोल होता है, जिसकी हमेशा कद्र करनी चाहिए.

सलाह दें कि मैं अपने प्रति भाई की नफरत को कैसे कम करूं?

सवाल

मैं 22 वर्षीय युवती हूं और अपने भाई भाभी के साथ रहती हूं. मेरी समस्या यह है कि मेरा भाई मुझ से नफरत करता है. मैं नहीं जानती मेरे प्रति उस के इस व्यवहार का क्या कारण है? सलाह दें कि मैं अपने प्रति भाई की नफरत को कैसे कम करूं क्योंकि भाई की नफरत के साथ उस घर में रहना मेरे लिए मुश्किल हो रहा है.

जवाब

सब से पहले आप अपने भाई से उस के मन में आप के प्रति नफरत का कारण जानने की कोशिश करें. भाई की नफरत का कारण बचपन की कोई घटना हो सकती हैं. जिस की वजह से भाई के दिल पर आप के प्रति नाराजगी पैदा हो गई हो. भाइयों को कई बार लगता है कि बहन संपत्ति में हिस्सा मांगेगी और बिना मांगे ही उसे शत्रु मान लेते हैं.

वैसे भी हमारे देश में पुरुष अपने को बहन का रखवाला मानते हैं और लड़के पिता की तरह पेश आते हैं. आप भाई के अच्छे मूड को देख कर उस से बात करें. भाभी को अपनी समस्या बताएं और आप उस कड़वाहट को आमनेसामने बैठ कर सुलझाने का प्रयास करें. बात करने से ही नफरत का कारण पता चलेगा और समस्या का समाधान भी तभी निकल पाएगा.

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जलन नहीं हो आपस में लगन

यों तो पैदा होते ही एक शिशु में कई सारी भावनाओं का समावेश हो जाता है, जो कुदरती तौर पर होना भी चाहिए, क्योंकि अगर ये भावनाएं उस में नजर न आएं तो बच्चा शक के दायरे में आने लगता है कि क्या वह नौर्मल है? ये भावनाएं होती हैं प्यार, नफरत, डर, जलन, घमंड, गुस्सा आदि.

अगर ये सब एक बच्चे या बड़े में उचित मात्रा में हों तो उसे नौर्मल समझा जाता है और ये नुकसानदेह भी नहीं होतीं. लेकिन इन में से एक भी भाव जरूरत से ज्यादा मात्रा में हो तो न सिर्फ परिवार के लिए, बल्कि पूरे समाज के लिए समस्या का कारण बन जाता है, क्योंकि किसी भी भावना की अति इंसान को अपराध की तरफ ले जाती है. जैसे कुछ साल पहले भाजपा के प्रसिद्ध नेता प्रमोद महाजन के भाई ने अपनी नफरत के चलते उन्हें गोली मार दी.

कहने का तात्पर्य यह है कि जलन और द्वेष की भावना इंसान को कहीं का नहीं छोड़ती. अगर द्वेष और जलन की यही भावना 2 बहनों के बीच होती है, तो उन से जुड़े और भी कई लोगों को इस की आग में जलना पड़ता है. ज्यादातर देखा गया है कि 2 बहनों के बीच अकसर जलन की भावना का समावेश होता है. अगर यह जलन की भावना प्यार की भावना से कम है, तो मामला रफादफा हो जाता है, लेकिन इस जलन की भावना में द्वेष और दुश्मनी का समावेश ज्यादा है, तो यह काफी नुकसानदेह भी साबित हो जाती है.

द्वेष व जलन नहीं

अगर 2 बहनों के बीच जलन का कारण ढूंढ़ने जाएं तो कई कारण मिलते हैं. जैसे 2 बहनों में एक का ज्यादा खूबसूरत होना, दोनों बहनों में एक को परिवार वालों का ज्यादा अटैंशन मिलना या दोनों में से किसी एक बहन को मां या पिता का जरूरत से ज्यादा प्यार और दूसरी को तिरस्कार मिलना, एक बहन का ज्यादा बुद्धिमान और दूसरी का बुद्धू होना या एक बहन के पास ज्यादा पैसा होना और दूसरी का गरीब होना. ऐसे कारण 2 बहनों के बीच जलन और द्वेष के बीज पैदा करते हैं.

इसी बात को मद्देनजर रखते हुए 20 वर्षीय खुशबू बताती हैं कि उन के घर में उस की छोटी बहन मिताली को जो उस से सिर्फ 3 साल छोटी है, कुछ ज्यादा ही महत्ता दी जाती है. जैसे अगर दोनों बहनें किसी फैमिली फंक्शन में डांस करें, जिस में खुशबू चाहे कितना ही अच्छा डांस क्या करें, लेकिन उस की मां तारीफ उस की छोटी बहन की ही करती हैं.

खुशबू बताती है कि वह अपने घर में अपने सभी भाईबहनों में कहीं ज्यादा होशियार और बुद्धिमान है, बावजूद इस के उस को कभी प्रशंसा नहीं मिलती. वहीं दूसरी ओर उस की बहन में बहुत सारी कमियां हैं बावजूद इस के वह हमेशा सभी के आकर्षण का केंद्र बनी रहती है. इस की वजह हैं खासतौर पर खुशबू की मां, जो सिर्फ और सिर्फ खुशबू की छोटी बहन की ही प्रशंसा करती हैं. इस बात से निराश हो कर कई बार खुशबू ने आत्महत्या तक करने की कोशिश की, लेकिन उस के पिता ने उसे बचा लिया.

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वजह दौलत भी

खुशबू की तरह चेतना भी अपनी बहन की जलन का शिकार है, लेकिन यहां वजह दूसरी है. चेतना छोटी बहन है और उस की बड़ी बहन है आशा. जलन की वजह है चेतना की खूबसूरती. बचपन से ही चेतना की खूबसूरती के चर्चे होते रहते थे वहीं दूसरी ओर आशा को बदसूरत होने की वजह से नीचा देखना पड़ता था, जिस वजह से आशा चेतना को अपनी दुश्मन समझने लगी. चेतना की गलती न होते हुए भी उस को अपनी बहन के प्यार से न सिर्फ वंचित रहना पड़ा, बल्कि अपनी बड़ी बहन की नफरत का भी शिकार होना पड़ा.

कई बार 2 बहनों के बीच जलन, दुश्मनी, द्वेष का कारण जायदाद, पैसा व अमीरी भी बन जाती है. इस संबंध में नीलिमा बताती हैं, ‘‘हम 2 बहनों ने एक जैसी शिक्षा ली, लेकिन मैं ने मेहनत कर के ज्यादा पैसा कमा लिया. अपनी मां के कहे अनुसार बचत करकर के मैं ने अपनी कमाई से कार और फ्लैट भी खरीद लिया जबकि मेरी बहन ज्यादा पैसा नहीं कमा पाई और गरीबी में जीवन निर्वाह कर रही थी. इसी वजह से उस की मेरे प्रति जलन की भावना इतनी बढ़ गई कि वह दुश्मनी में बदल गई. आज हमारे बीच जलन का यह आलम है कि हम बहनें एकदूसरे का मुंह तक देखना पसंद नहीं करतीं. बहन होने के बावजूद वह हमेशा मेरे लिए गड्ढा खोदती रहती है. हमेशा इसी कोशिश में रहती है कि मेरे घरपरिवार वाले मेरे अगेंस्ट और उस की फेवर में हो जाएं.’’

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मेरी भाभी मुझ पर गंभीर आरोप लगाती हैं, मैं क्या करुं?

सवाल

मैं अविवाहित युवती हूं. माता पिता नहीं हैं. मैं भाई भाभी के साथ रहती हूं. समस्या यह है कि मेरी भाभी मुझ पर आरोप लगाती हैं कि मेरे और भैया के बीच गलत संबंध हैं. मुझे उन का यह आरोप बहुत परेशान करता है. समझ नहीं आता कि भैया से इस बारे में बात करूं या नहीं, सलाह दें.

जवाब

लगता है आप की भाभी को आप का उन के साथ रहना अखरता है. वे आप के प्रति अपनी व आप के भैया के जिम्मेदारी से बचने के लिए ऐसा आरोप लगा रही है. भाई से अपनी शादी कराने के लिए कहें. जैसा भी पति मिले, उस के साथ शादी करने को हां कह दें. यह क्लेश सब को भारी पड़ सकता है.

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न बहकें कदम

पिछले दिनों एक समाचारपत्र में खबर आई थी कि एक विवाहित महिला का एक युवक से प्रेमसंबंध चल रहा था. दुनिया की आंखों में धूल झोंक कर दोनों अपने इस संबंध का पूरी तरह से आनंद उठा रहे थे. महिला के घर में सासससुर, पति और उस के 2 बच्चे थे. पति जब टूअर पर जाता था, तो सब के सो जाने पर युवक रात में महिला के पास आता था. दोनों खूब रंगरलियां मना रहे थे.

एक रात महिला अपने प्रेमी के साथ हमबिस्तर थी, तभी उस का पति उसे सरप्राइज देने के लिए रात में लौट आया. आहट सुन कर महिला और युवक के होश उड़ गए. महिला ने फौरन युवक को वहां पड़े एक खाली ट्रंक में लिटा कर उसे बंद कर दिया. पति आ गया. वह उस से सामान्य बातें करती रही. काफी देर हो गई. पति को नींद नहीं आ रही थी. महिला को युवक को ट्रंक से बाहर निकालने का मौका ही नहीं मिला. बहुत घंटों बाद उस ने ट्रंक खोला. ट्रंक में दम घुटने से युवक की मृत्यु हो चुकी थी.

उस के बाद जो हुआ, उस का अंदाजा आसानी से लगाया जा सकता है. चरित्रहीनता का प्रत्यक्ष प्रमाण, तानेउलाहने, पुलिस, कोर्टकचहरी, परिवार, समाज की नजरों में जीवन भर के लिए गिरना. क्या कुछ नहीं सहा उस महिला ने. बहके कदमों का दुष्परिणाम उस ने तो सहा ही, युवक का परिवार भी बरबाद हो गया. बहके कदमों ने 2 परिवार पूरी तरह बरबाद कर दिए.

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कभी न भरने वाले घाव

ऐसा ही कुछ मेरठ में हुआ. 2 पक्की सहेलियां कविता और रेखा आमनेसामने ही रहती थीं. दोनों की दोस्ती इतनी पक्की थी कि कालोनी में मिसाल दी जाती थी. दोनों के 2-2 युवा बच्चे भी थे. पता नहीं कब कविता और रेखा के पति विनोद एकदूसरे की आंखों में खोते हुए सब सीमाएं पार कर गए. कविता के पति अनिल और रेखा को जरा भी शक नहीं हुआ. पहले तो विनोद रेखा के साथ ही कविता के घर जाता था. फिर अकेले भी आने लगा.

कालोनी में सुगबुगाहट शुरू हुई तो दोनों ने बाहर मिलना शुरू कर दिया. बाहर भी लोगों के देखे जाने का डर रहता ही था. दोनों हर तरह से सीमा पार कर एक तरह से बेशर्मी पर उतर आए थे. अपने अच्छेभले जीवनसाथी को धोखा देते हुए दोनों जरा भी नहीं हिचकिचाए और एक दिन कविता और विनोद अपनाअपना परिवार छोड़ घर से ही भाग गए.

रेखा तो जैसे पत्थर की हो गई. अनिल ने भी अपनेआप को जैसे घर में बंद कर लिया. दोनों परिवार शर्म से एकदूसरे से नजरें बचा रहे थे. हैरत तो तब हुई जब 10 दिन बाद दोनों बेशर्मी से अपनेअपने घर लौट कर माफी मांगने का अभिनय करने लगे.

रेखा सब के समझाने पर बिना कोई प्रतिक्रिया दिए भावशून्य बनी चुप रह गई. बच्चों का मुंह देख कर होंठ सी लिए. विनोद को उस के अपने मातापिता और रेखा के परिवार ने बहुत जलील किया पर अंत में दिखावे के लिए ही माफ किया. सब के दिलों पर चोट इतनी गहरी थी कि जीवन भर ठीक नहीं हो सकती थी.

कविता को अनिल ने घर में नहीं घुसने दिया. उसे तलाक दे दिया. बाद में अनिल अपना घर बेच कर बच्चों को ले कर दूसरे शहर चला गया. लोगों की बातों से बचने के लिए, बच्चों के भविष्य का ध्यान रखते हुए रेखा का परिवार भी किसी दूसरे शहर में शिफ्ट हो गया. रेखा को विनोद पर फिर कभी विश्वास नहीं हुआ. दोस्ती से उस का मन हमेशा के लिए खट्टा हो गया. उस ने फिर किसी से कभी दोस्ती नहीं की. बस बच्चों को देखती और घर में रहती. विनोद हमेशा एक अपराधबोध से भरा रहता.

क्षणिक सुख

दोनों घटनाओं में अगर अपने भटकते मन पर नियंत्रण रख लिया जाता, तो कई घर बिखरने से बच जाते. कदम न बहकें, किसी का विश्वास न टूटे, इस तरह के विवाहेत्तर संबंधों में तनमन को जो खुशी मिलती है वह हर स्थिति में क्षणिक ही होती है. इन रिश्तों का कोई वजूद नहीं होता. ये जितनी जल्दी बनते हैं उतनी ही जल्दी टूट भी जाते हैं.

अपनी बेमानी खुशियों के लिए किसी के पति, किसी की पत्नी की तरफ अगर मन आकर्षित हो तो अपने मन को आगे बढ़ने से पहले ही रोक लें. इस रास्ते पर सिर्फ तबाही है, जीवन भर का दुख है, अपमान है. परपुरुष या परस्त्री से संबंध रख कर थोड़े दिन की ही खुशी मिल सकती है. ऐसे संबंध कभी छिपते नहीं.

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यदि आप के वैवाहिक रिश्ते में कोई कमी, कुछ अधूरापन है तो अपने जीवनसाथी से ही इस बारे में बात करें, उसे ही अपने दिल का हाल बताएं. पति और पत्नी दोनों का ही कर्तव्य है कि अपना प्यार, शिकायतें, गुस्सा, तानेउलाहने एकदूसरे तक ही रखें.

स्थाई साथ पतिपत्नी का ही होता है. पतिपत्नी के साथ एकदूसरे के दोस्त भी बन कर रहें तो जीने का मजा ही और होता है. अपने चंचल होते मन पर पूरी तरह काबू रखें वरना किसी भी समय पोल खुलने पर अपनी और अपने परिवार की तबाही देखने के लिए तैयार रहें.

अगर आपकी भी ऐसी ही कोई समस्या है तो हमें इस ईमेल आईडी पर भेजें- submit.rachna@delhipress.biz   सब्जेक्ट में लिखे…  गृहशोभा-व्यक्तिगत समस्याएं/ Personal Problem

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