बुलडोजर : कैसे पूरे हुए मनोहर के सपने

लेखका- चितरंजन भारती

मनोहर की आंखों में बड़ेबड़े सपने थे, मगर उस की पढ़ाई बीच में ही छूट गई थी. आटोमोबाइल में आईटीआई पास करने के बाद वह जेसीबी मशीन औपरेटर बन गया था. दरअसल, मनोहर ने अपने टीचर के एक भाई राम सिंह से जेसीबी मशीन चलाना सीखा था. वक्त का मारा मनोहर अपने 3 छोटे भाईबहनों और मां की परवरिश की खातिर राम सिंह का सहायक लग गया था. आईटीआई का प्रमाणपत्र उस के पास था. मगर नौकरी कब मिलती, पता नहीं. उन के ठेकेदार ने उस की अच्छी कदकाठी देखी, जेसीबी मशीन चलानेसमझने का हुनर देखा और उसे काम मिलने लगा, जिस से उस के घर की माली हालत सुधरने लगी थी. भाईबहनों की परवरिश और पढ़ाई से अब मनोहर निश्चिंत था. मां का पार्टटाइम काम छुड़ा कर उस ने चैन की सांस ली थी. एक दिन अचानक मनोहर को एक दूरदराज के गांव में जाने का मौका मिला. ठेकेदार का आदमी उसे गाड़ी में बिठा कर पहले ही साइट दिखा गया था. सो वह निश्चिंत था. अपनी धीमी मगर मस्त चाल से चलते जेसीबी मशीन को वहां पहुंचतेपहुंचते शाम हो गई. खेतों के बीच एक जगह पर ईंट का भट्ठा बनाने की तैयारी चल रही थी. मनोहर को वहां मिट्टी की खुदाई करनी थी. उस के पीछे ही एक इंजीनियर के साथ ठेकेदार आया और उसे गड्ढे का नापजोख समझाने लगा.

मनोहर भी खेत में उतर कर कहे मुताबिक मिट्टी काटने लगा. थोड़ी देर बाद ही वे सब वापस चले गए. अब वहां कोई नहीं था. उस ने सोचा कि क्यों न एकाध घंटे काम और कर लिया जाए, सो वह मिट्टी काटने में रम गया. अचानक मनोहर का ध्यान उस जगह की तरफ गया, जहां की मिट्टी थोड़ी भुरभुरी थी. थोड़ा और खोदने पर उसे एक बोरा दिखाई दिया. उस बोरे में कुछ चीजें थीं. वह मशीन से उतरा और मिट्टी के ढेर से बोरा बाहर निकाला. उस बोरे में एक साड़ी, चादर और कुछ जेवरात भी थे, जिन की चमक से उस की आंखें चुंधियां गईं. पुराने डिजाइन की एक भारीभरकम सोने की चेन, सोने की ही 4 चूडि़यां और कान के बुंदे थे. साड़ी में लहू के छींटे लगे थे, जो अब कत्थई हो चुके थे. मनोहर को कुछ समझ नहीं आया कि इस बोरे से मिली चीजों का क्या करे. फिर भी उस ने उन्हें वहीं वापस गाड़ दिया कि ऐसे खतरे की चीजें अपने पास रखने पर वह भी फंस सकता है. ठेकेदार ने वहीं एक झोंपड़ी बना कर मनोहर के रहने का इंतजाम किया था, सो उसे कहीं जाना तो था नहीं.

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अब मनोहर क्या करे? यह एक बड़ा सवाल था. यहां से शहर और पुलिस चौकी भी काफी दूर थे. अचानक मनोहर ने देखा कि एक लड़की अकेले जा रही थी. मनोहर ने उस लड़की से बात की, ताकि नजदीक के गांव के बारे में कुछ जान सके. बातोंबातों में उसे पता चला कि वह बीए की छात्रा थी. हाल ही में उस के इम्तिहान खत्म हुए थे. अभी वह किसी काम से शहर से गांव लौट रही थी. बहुत कुरदने पर उस लड़की ने बताया कि वह पुलिस स्टेशन गई थी, क्योंकि उस की विधवा मां एक हफ्ते से लापता थी. वह निकट के गांव में उस के साथ अकेली रहती थी. रिश्तेदारों के साथ उन लोगों का जमीन का कुछ झगड़ा था. पहले तो उन लोगों ने गांव में उन की जमीन दबा कर अपना मकान बढ़ा लिया था और अब वे उन के खेत हथियाना चाहते थे. उस लड़की को पूरा शक था कि उन लोगों ने ही उस की मां को गायब कर दिया है. पुलिस भी उन से मिली हो सकती है, ऐसा भी शक था.

उस लड़की का नाम सीमा था. अपनी पढ़ाई पूरी कर के वह गांव के ही एक स्कूल में टीचर की नौकरी करने लगी थी. सीमा की डबडबाई आंखें उस की मजबूरी बयान कर रही थीं. मनोहर को बड़ा गुस्सा आया कि कैसेकैसे लोग हैं यहां, जो अपनों का ही शोषण करते हैं. ‘‘तुम चिंता मत करो, मैं पहले तुम्हें तुम्हारी मां को ढूंढ़ने में मदद करूंगा…’’ मनोहर बोला, ‘‘मुझे कुछ चीजें मिली हैं. क्या तुम उन्हें पहचान सकती हो?’’ मनोहर उस जगह पर गया और बोरे से सावधानी से उन जेवरात समेत कपड़ों को बाहर निकाल लाया. उन्हें देखते ही सीमा सुबकने लगी, ‘‘अरे, ये तो मेरी मां के कपड़े हैं. और ये जेवरात तो वे हमेशा पहने रहती थीं. पता नहीं, बदमाशों ने उन के साथ क्या सुलूक किया होगा.’’

‘‘अब जो हुआ सो हुआ. अपने मन को कड़ा करो और आगे की सोचो.’’

‘‘आगे का क्या सोचना है. मैं अकेली क्या कर सकती हूं. सारा गांव उन से डरता है, फिर पुलिस भी उन्हीं के साथ है…’’ सीमा बोली, ‘‘मगर, पहले मां का कुछ पता तो चले.’’

‘‘अब पता क्या करना है…’’ मनोहर गुस्से से बोला, ‘‘जरूर उन लोगों ने उन्हें मार दिया होगा. मन करता है कि अभी जा कर उन लोगों के घर पर बुलडोजर चला दूं.’’

‘‘आप यहां के लिए अजनबी हैं. आप को उन के पैसे और पहुंच का अंदाजा नहीं है. वे बड़े खतरनाक लोग हैं,’’ सीमा ने बताया.

‘‘कितने भी खतरनाक हों, मैं उन्हें देख लूंगा,’’ मनोहर गुस्से में भर कर बोला, ‘‘तुम मेरा मोबाइल नंबर लिख लो.’’ सीमा ने मनोहर का मोबाइल नंबर लिखा और फिर उसे अपना नंबर भी दे दिया. इस के बाद सीमा अपने रास्ते चली गई. अब मनोहर दोपहर खेत में जेसीबी मशीन से मिट्टी काटने में लगा था. मगर इस बार मिट्टी काटने में वह काफी सावधानी बरत रहा था. उसे शक के हिसाब से एक जगह की भुरभुरी मिट्टी के बीच एक बड़ी गठरी दिखी. एक काले कंबल में एक औरत की लाश लपेट कर वहां गाड़ दी गई थी. बड़ी सावधानी के साथ उस ने वह गठरी निकाली. फिर तुरंत सीमा को फोन किया. वह भागती हुई आई और अपनी मां की लाश को देख कर रो पड़ी. खेत के किनारे पूरा गांव उमड़ पड़ा था. ऐसे समय में जाहिर है कि लोग तरहतरह की बातें बनाते थे, लेकिन सीमा एकदम शांत थी.

‘‘जाने दो बेटी…’’ सीमा का एक बुजुर्ग पड़ोसी उस से कह रहा था, ‘‘अब जाने वाले को कौन रोकता है. हम तुम्हारी पूरी मदद करेंगे.’’

‘‘यही तो मदद की है आप ने कि मेरी मां को मार डाला…’’ वह उन के मुंह पर थूकते हुए चिल्लाई, ‘‘पहले घर छीना और अब हमारी जमीन छीनना चाहते हैं. आप इनसान नहीं हैवान हैं.’’

‘‘हां, हम हैवान हैं और तू इस गांव के सब से रसूखदार आदमी राम प्रसाद पर थूकती है,’’ वह बुजुर्ग गुस्से में उस की चोटी पकड़ कर चिल्लाया, ‘‘तेरी यह हिम्मत कि तू मुझ पर थूके.’’ वह बुजुर्ग उसे बेतहाशा मार रहा था और चिल्ला रहा था, ‘‘गांव में है किसी की हिम्मत, जो मुझे रोक सके. हां, मैं ने तेरा घर उजाड़ा है और अब तेरी सारी जमीन छीन कर तुझे सड़क की भिखारिन बना दूंगा.’’ सारा गांव तमाशा देख रहा था. अचानक मनोहर को तैश आया और उस ने लपक कर बुजुर्ग को पीछे से दबोचते हुए कहा, ‘‘एक तो दिनदहाड़े गलत काम किया, गरीब बेसहारा को लूटा और उस की हत्या कर दी और अब एक लड़की पर हाथ उठाते हुए शर्म नहीं आती.’’

मनोहर उसे मारते हुए बोला, ‘‘इस गांव में जैसे सभी नामर्द हैं तो क्या हुआ, मैं तेरी सारी हेकड़ी हवा कर दूंगा.’’ अब देखादेखी गांव की भीड़ भी जैसे मनोहर के साथ हो गई.

‘‘अब देखते क्या हो..’’ भीड़ में से एक आवाज आई, ‘‘पुलिस तो आने से रही और हम भी इस के खिलाफ गवाही देंगे कि यह कितना दुष्ट है. मगर, इस ने जो किया है, उस की सजा इसे जरूर मिलनी चाहिए.’’

‘‘मन करता है कि इस के घर पर बुलडोजर चला दूं,’’ वह दांत पीस कर बोला, ‘‘तभी यह सबक सीखेगा.’’

‘‘तो चला दो न. मना कौन करता है?’’ भीड़ में से किसी ने कहा. और देखते ही देखते उस की जेसीबी मशीन राम प्रसाद के घर को मटियामेट कर गई. समय बीतने के साथ उन दोनों की दोस्ती गाढ़ी हो चुकी थी. सीमा ने उस का घरपरिवार, रहनसहन वगैरह सबकुछ देखसमझ लिया था. मनोहर को झिझक थी कि एक पढ़ीलिखी लड़की से उस का शादी होना क्या ठीक रहेगा. क्या कहीं यह शादी बेमेल तो नहीं होगी? लोग क्या कहेंगे कि एक कम पढ़ेलिखे लड़के ने एक पढ़ीलिखी लड़की को फंसा लिया? फिर भी सीमा से मनोहर का मिलनाजुलना चलता रहा. इस बीच एक रुकावट आ गई. सीमा के एक रिश्तेदार शंभु प्रसाद, जो उस के रिश्ते में मामा लगते थे, एक किसान थे और अब उसी के साथ उसी के घर में रहने लगे थे. भले ही उन की माली हालत गिर चुकी थी, मगर पुराने जमींदारों वाली ठसक उन में अभी बाकी थी. उन्हें मनोहर फूटी आंख नहीं सुहाता था.

‘‘यह किस आदमी को चुना है शादी के लिए तुम ने…’’ वे दहाड़े, ‘‘न शक्लसूरत, न ढंग का कामधाम, दिनभर टूटीफूटी सड़कों की मरम्मत करता फिरता है या खंडहरों को गिराता चलता है.’’

‘‘मैं शादी करूंगी तो उसी से,’’ सीमा चीख कर बोली थी, ‘‘जब मेरी मां की हत्या हुई और मेरा घर हथिया लिया गया था, तब आप कहां थे.’’

‘‘आग लगे ऐसी जवानी में,’’ शंभु प्रसाद की पत्नी यानी सीमा की मामी चिल्लाई थीं, ‘‘कोई ढंग का रूपरंग भी तो हो. बेडौल ढोल जैसा बदन है उस का. उस की टेढ़ी नाक देखी है तुम ने. यह लड़की तो मेरी नाक कटाने पर ही तुली है.’’ मनोहर को भी घबराहट होती. नाहक उस के चलते सीमा के घर में बवाल मचता है. लेकिन फिर भी वह उस के सपनों में आती थी. इन 5 साल में मनोहर को क्या मिला? सिर्फ चंद सूखी रोटी और सब्जी. कभी किसी को खयाल आया कि वह भी कुछ है कि उस के भी कुछ अरमान होंगे. ठीक है कि वह भद्दा है, मगर क्या ऐसे लोग जिंदगी नहीं जीते. इतना कुछ होने के बावजूद उसी के चलते तो उस का परिवार सुखी और संतुष्ट है. यह सड़क बनाने का काम भी अजीब है. ठेकेदारों का क्या है, बस लोग भर दिए. लगे रहो काम पर. करते रहो खुदाई और भराई का काम. यह भारीभरकम मशीन चलाना हर किसी के बस की बात थोड़े ही है. चिलचिलाती धूप हो या मूसलाधार बारिश या कड़ाके की ठंड क्यों न हो, इसे चलाना है. पीछे मजदूरों का कारवां चला करता है, जैसे हाथी के साथ पैदल सेना चल रही हो. सभी उसी के समान दुखियारे और बेचारे. जो कहीं काम न पाने के चलते यहां अपने हाड़ जलाने पहुंच जाते हैं.

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मनोहर उन का दुख देख कर अपना दुख भूल जाता है. कम से कम उस के सिर पर बुलडोजर की टिन की छत तो है, जिस से वह कड़ी धूप या बारिश से बच जाता है. राह चलते लोग या गाडि़यों पर बैठे सरपट भागते लोगों को क्या समझ आएगा यह सब. उन्हें तो बस हड़बड़ी रहती है काम पर जाने की या घर पहुंचने की. अचानक एक दिन सड़क हादसे में सीमा के रिश्तेदार शंभु प्रसाद जख्मी हो गए थे. चारों तरफ खून ही खून फैला हुआ था. डाक्टर ने खून चढ़ाने की बात कही थी, मगर खून दे तो कौन. सीमा की मामी चारों ओर जैसे बिलखती फिरीं. पास में पैसे नहीं थे. आमदनी के नाम पर बस थोड़ी सी जमीन की उपज थी, जिस से परिवार का खर्च बमुश्किल चलता था. तभी तो सीमा को भी टीचर की नौकरी करनी पड़ रही थी. ऐसे मुसीबत के समय में सारे रिश्तेदारों और पड़ोसियों ने किनारा कर लिया था. आखिर में इस मुसीबत के समय मनोहर ही सामने आया. हफ्ते भर के अंदर उस ने अपने शरीर के पूरे 5 बोतल खून दे डाले थे. दवाओं के खर्च में भी उस ने पूरी मदद की और उस ने यह सब किसी लालच के चलते नहीं, बल्कि इनसानियत के नाते किया था. हालांकि अब उस का सीमा के घर में आनाजाना उस के मामा मामी की अनदेखी के चलते काफी कम हो गया था. और अब मनोहर ही सीमा के घर में सब से अच्छा दिखने लगा था. अब सब को यही लगता कि सीमा के मामा को उस ने जिंदगी दी है. एक हद तक यह बात सही भी थी. एक शाम सीमा के मामा उस के घर आए. उस ने उन्हें आदर के साथ बिठाया और आवभगत की. वे उस से बोले, ‘‘आजकल तुम मेरे घर नहीं आते?’’

‘‘बस ऐसे ही,’’ मनोहर संकोच के चलते बोला, ‘‘ज्यादा काम की वजह से…’’ ‘‘हां भाई साहब, इसी की वजह से ही हमारा घर संभला है,’’ मनोहर की मां बोलीं, ‘‘अपने भाईबहनों के लालनपालन, पढ़ाईलिखाई की जिम्मेदारी इसी पर है.’’

‘‘मगर, इस की भी तो शादी होनी चाहिए. उम्र काफी हो रही है.’’

‘‘इस लड़के से कौन शादी करेगा? ढंग का कामधाम और रूपरंग भी तो हो.’’

‘‘ढंग का कामधाम कैसे नहीं है इस के पास. अभीअभी तो आप ने कहा था कि पूरे घर की जिम्मेदारी इसी ने संभाली हुई है. फिर लड़के की सूरत नहीं, सीरत देखी जाती है बहनजी,’’ सीमा के मामा बोले, ‘‘मैं इस से अपनी बेटी सीमा की शादी कराना चाहूंगा. उम्मीद है कि आप इनकार नहीं करेंगी.’’ ‘‘तो ठीक है अगले लगन में शादी हो जाएगी,’’ मनोहर की मां बोलीं, ‘‘मगर, आप सोच लीजिए कि हम एक साधारण परिवार से हैं. लड़का भी कुछ खास नहीं है.’’ ‘‘मैं ने सबकुछ देख और सोच लिया है. इस से बढि़या दामाद मुझे नहीं मिलेगा,’’ वे उठते हुए बोले. अब उन्हें मनोहर काफी खूबसूरत दिख रहा था. वे सोच रहे थे, ‘सचमुच खूबसूरती इनसान में नहीं, नजरिए में होती है.’

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