बुल्लीबाई एप: इंटरनेट का दुरुपयोग

बुल्लीबाई एप बना कर 18-20 साल के लडक़ेलड़कियों ने साबित कर दिया है कि देश की औरतें सोशल मीडिया की वजह से कितनी अनसेफ हो गई है. सोशल मीडिया पर डाली गई अपने दोस्तों के लिए फोटो का दुरुपयोग कितनी आसानी से हो सकता है और उसे निलामी तक के लिए पेश कर फोटो वाली की सारी इज्जत धूल में मिटाई जा सकती है.

सवाल यह है कि अच्छे मध्यम वर्ग के पढ़ेलिखे युवाओं के दिमाग में इस तरह की खुराफातें करना सिखा कौन रहा है. सोशल मीडिया एक यूनिवॢसटी बन जाता है जहां ज्ञान और तर्क नहीं बंटता, जहां सिर्फ गालियां दी जाती है और गालियों को सोशल मीडिया के प्लेटफार्मों के फिल्टरों (…..) से कैसे बचा जाए यह सिखाया जा रहा है.

उम्मीद थी कि सारी दुनिया जब धाएधाए हो जाएगी, दुनिया में भाईचारा फैलेगा और देशों के बार्डर निरर्थक हो जाएंगे. वल्र्ड वाइड वेब, डब्लूडब्लूडब्लू, से उम्मीद की कि यह देशों की सेनाओं के खिलाफ जनता का मोर्चा खोलेगी और लोगों के दोस्त, सगे, जीवन साथी अलगअलग धर्मों के, अलगअलग रंगों और अलगअलग बोलियों के होंगे. अफसोस आज यह इंटरनेट खाइयों खोद रहा है, अपने देशों में, एक ही शहर में, एक ही मोहल्ले में और यहां तक कि आपसी रिश्तों में भी. अमेरिका में गोरों ने कालों और हिप्सैनिकों को जम कर इंटरनेट के माध्यम से बुराभला कहा जिसे पिछले राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने खुल्लमखुल्ला बढ़ावा दिया. फेसबुक और ट्विटर को उन्हें, एक भूतपूर्व राष्ट्रपति को, बैन करना पड़ा.

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बुल्लीबाई में इधरउधर से चुराई गई औरतों की तस्वीरें मुसलिम वेशभूषा में हैं और उन की निलामी की गई यह कौन चला रहा था – एक 18 साल की लडक़ी, एक 21 साल का लडक़ा और एक और लडक़ा 24 साल का. इतनी छोटी उम्र में बंगलौर, उत्तराखंड और असम के ये बच्चे से मुसलिम समाज की बेबात में निंदा में लगे थे क्योंकि इंटरनेट के माध्यम से अपनी बात कुछ हजार तक पहुंचाना आसान है और वे हजार लाखों तक पहुंचा सकते हैं, घंटों में. अपने सही नाम छिपा कर या दिखा कर किया गया यह काम इन बच्चों का तो भविष्य चौपट कर ही देगा. क्योंकि ये पकड़े गए पर इन्होंने समाज में खाइयों की एक और खेप खोद डाली.

इन की नकल पर बहुत छोटे और बहुत बड़े पैमाने पर काम किया जा सकता है, राहुल गांधी को बदनाम करने के लिए उस के भाषणों का आगापीछा गायब कर के प्रसारित करने वाले ही उसे बुल्लीबाई के लिए जिम्मेदार हैं जो साबित करना चाहता है कि इस देश में एक धर्म चले. उन्हें यह समझ नहीं कि कभी किसी देशों में कोई राजा, क्रूरता भरे कामों से भी पूरी तरह न विरोधियों को, न दूसरी नसल वालों को, न दूसरे धर्म वालों को, न दूसरी भाषा वालों को खत्म कर गया. बुद्धिमान राजाओं ने तो उन्हें सम्मान दिया ताकि उन के देश दुनिया भर के योग्य लोग जमा हों.

एक शुष्क कैसी युवती चाहती है? जो हिंदूमुसलिम नारे लगाने में तेज हो या प्यार करने में? एक युवती कैसा शुष्क चाहती है? जो समझदार हो, उसे समझता हो, उस की देखभाल कर सके या ऐसा जो पड़ोसी का सिर फोडऩे को तैयार बैठा रहें. हिंदूमुसलिम 100 साल से साथ रह रहे हैं. पाकिस्तान और बांग्लादेश बनने के बाद भी वहां भी ङ्क्षहदू हैं चाहे और अपने दमखम पर जीते हैं. ये छोकरेछोकरी इंटरनेट को ढाल समझ कर बरबादी की बातें सुनसुन कर पगला गए हैं और उन्होंने जो किया है वह लाखों कर रहे हैं जब वे विधर्मी का मखौल उड़ाते मैसेज फौरवर्ड करते हैं. इसका नतीजा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देख लिया जब किसान बिल ही वापिस नहीं लेने पड़े, पंजाब में जनवरी के पहले सप्ताह में रैली रद्द करके लौटना पड़ा. बहाना चाहे कोर्ई हो, यह पक्का है कि रैली स्थल पर 70000 कुॢसयां उस समय भरी हुई नहीं थी जब प्रधानमंत्री एक फ्लाई ओवर पर 20 मिनट तक 12 करोड़ की गाड़ी में बैठे सोच रहे थे कि क्या करना चाहिए. इंटरनेट ने पंजाब में किसानों के प्रति खूब जहर भरा है क्योंकि किसान आंदोलन की शुरुआत वहीं से हुई थी और तब जहर भरे मैसेज इधरउधर फेंके गए थे. बदले में दिल्ली को घेराव मिला और अब प्रधानमंत्री मोदी को मजा चखना पड़ा.

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बेबात में इंटरनेट का दुरुपयोग लोगों को एकदूसरे से दूर कर रहा है. लोग पुरानी दोस्तियां तोड़ रहे हैं, रिश्तों में दरारें आ रही हैं, पति पत्नी के अंतरंग फोटो जनता में उनका मखौल उड़ा रहे हैं. आई लव यू अब कम इंटरनेट पर पौपुलर हो रहा है, अब आई हेट यू, आई हेट योर फैमिली, आई हेट और रिजिलन हो रहा है. व्हाट्सएप शटअप में बदल रहा है, फेसबुक अगली फेस में. इंटरनेट इंटरफीयङ्क्षरग हो गया है.

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