स्कूलके प्रिंसिपल अमनजी के सामने प्रिया और संदीप आंखों में चिंता और तनाव के भाव लिए बैठ गए.
‘‘आप के बेटे समीर को इस वक्त स्कूल में होना चाहिए पर वह यहां नहीं है. पिछले 2 हफ्तों में उस ने यह 5वीं छुट्टी करी है,’’ अमनजी ने बिना कोई भूमिका बांधे यह सूचना दे कर उन दोनों को जोरदार झटका दिया.
‘‘ऐसा कैसे हो सकता है? वह तो रोज सुबह तैयार हो कर स्कूल जाने को घर से निकलता है,’’ प्रिया की आंखों में फौरन हैरानी और उलझन के भाव उभरे.
‘‘क्या वह रोज स्कूल बस में आप की आंखों के सामने बैठता है?’’
‘‘आजकल वह बस से नहीं बल्कि अपने दोस्त रवि के साथ कार से स्कूल आता है.’’
‘‘आप दोनों रवि के बारे में क्या जानते हैं?’’
‘‘यही कि उस के मातापिता दोनों आईटी कंपनी में अच्छी पोस्टों पर हैं. कुछ दिन पहले समीर से मैं ने उस के पिछले टैस्टों में आए नंबर पूछे थे. मेरा अंदाजा है कि वह पढ़ने में ज्यादा अच्छा नहीं है,’’ इस बार जवाब संदीप ने दिया.
अमनजी ने कुछ पलों की खामोशी के बाद गंभीर लहजे में उन्हें बताया, ‘‘रवि के मातापिता बहुत दौलतमंद हैं, संदीपजी मेरी नजरों में वह एक बिगड़ा हुआ रईसजादा है. ट्यूशनों के बल पर वह 12वीं कक्षा तक अपनी गाड़ी खींच ले जाएगा पर उस के कभी अच्छे नंबर नहीं आएंगे. उसे अच्छे नंबर लाने की चिंता भी नहीं है क्योंकि अपने मातापिता की गांव की जमीन के बल पर वह कोई डिगरी विदेश में जा कर ले लेगा. क्या समीर के लिए भी आप दोनों ने ऐसा ही कुछ सोच रखा है?’’
‘‘उसे विदेश में पढ़ाने की हमारी औकात नहीं है, सर. हमारी तो बड़े बाजार में गारमैंट की छोटी शौप है.’’
‘‘समीर के 10वीं कक्षा के बोर्ड में 88% आए थे, लेकिन इस साल वह पढ़ने में पिछड़ता जा रहा है. मुझे यह बताते हुए बहुत अफसोस हो रहा है कि वह आजकल गलत दोस्तों के साथ घूमने लगा है.’’
‘‘क्या उस के ये नए, गलत दोस्त भी स्कूल से गायब रहते हैं?’’
‘‘जी, हां.’’
‘‘सर, क्या आप को मामूल है कि ये सब इस वक्त कहां हैं?’’
‘‘रवि के घर. जिस दिन भी क्रिकेट का वन डे मैच होता है ये 4-5 लड़के स्कूल नहीं आते हैं. मुझे इन की गलत आदतों की रिपोर्ट कल ही इन के एक साथी से मिली है. क्या आप दोनों ने समीर के अंदर ऐसा कोई बदलाव महसूस नहीं किया जो उस के यों बिगड़ने की तरफ इशारा करता हो?’’
प्रिया ने फौरन अपने बेटे की उन से शिकायत करी, ‘‘आजकल वह काफी जिद्दी, बदतमीज और झगड़ालू हो गया है. जरा सा डांटो तो फट पलट कर जवाब देता है. अपने दोस्तों की तारीफ करता है और उसे हर चीज बढि़या और ब्रैंडेड चाहिए… यूनिट टैस्ट में तो उस के नंबर कम आ ही रहे हैं.’’
‘‘किसी भी किशोर के बिगड़ने के ये सब शुरुआती लक्षण हैं. औफिस के बाहर उस के दोस्त मोहित और कपिल के मातापिता बैठे हुए हैं. आप सब एकसाथ रवि के घर जाइए और देखिए कि वहां क्या हो रहा है. कल सुबह आप दोनों समीर के साथ मुझ से मिलने आएं,’’ संदीप से मिलाने को हाथ बढ़ा कर प्रिंसिपल साहब ने मुलाकात समाप्त होने का इशारा कर दिया.
आधे घंटे बाद सब लड़कों के मातापिता रवि के पिता के नए फ्लैट के अंदर थे. घर के नौकर ने उन्हें ड्राइंगरूम में बैठा कर के भीतर जाने से रोकना चाहा, पर वे जबरदस्ती रवि के बैडरूम तक जा पहुंचे.
रवि के कमरे में सिगरेट के धुएं की गंध भरी हुई थी. मेज पर बीयर की बोतलें और
गिलास रखे थे. एक लड़की रवि की बगल में उस के साथ सट कर बैठी हुई थी. उस ने किसी और स्कूल की वरदी पहनी हुई थी. टीवी पर आईपीएल मैच चल रहा था.
उन्हें अचानक सामने देख वे सब घबराए से चौंक कर उठ खड़े हुए. मोहित और कपिल के पेरैंट्स की तरह संदीप ने वहीं समीर को डांटना शुरू नहीं किया और उस का हाथ पकड़ उसे कमरे से बाहर ड्राइंगहौल में ले आया.
‘‘आप दोनों को यहां नहीं आना चाहिए था,’’ समीर शर्मिंदा होने के बजाय उलटा उन पर नाराज हो उठा.
‘‘यहां नहीं आते तो तुम्हारी करतूतों का कैसे पता लगता? तुम सिगरेट और शराब पीने लगे हो. शर्म आनी चाहिए तुम्हें,’’ उस के बोलने का गलत ढंग देख संदीप को तेज गुस्सा आ गया.
‘‘थोड़ी सी बीयर पी लेने में शर्म आने की क्या बात है? आप भी तो रोज शाम को पीते हो?’’ समीर ने अपना हाथ झटके से छुड़ाया और मेज पर रखा बैग उठा कर बाहर की तरफ चल पड़ा.
‘‘मेरे साथ तमीज से पेश नहीं आओगे तो मैं थप्पड़ मारमार कर तुम्हारे दांत तोड़ डालूंगा.’’
‘‘शोर कैसे न मचाऊं? क्या तुम हमारी नाक कटाने वाले काम नहीं कर रहे? कल को तुम्हारी यही गंदी आदतें तुम्हारे फेफड़ों और जिगर को खराब कर डालेंगी, बेवकूफ लड़के.’’
समीर ने इस बार उलट कर कोई जवाब नहीं दिया और हौल से बाहर निकल गया.
सारे रास्ते संदीप और प्रिया उसे डांटतेसमझते हुए आए, पर मुंह सुजा कर बैठे समीर ने एक शब्द भी अपने मुंह से नहीं निकाला. जब घर के सामने कार रुकी तो वह झटके से दरवाजा खोल कर उतरा और पैर पटकता अंदर चला गया.
अंदर आने के बाद संदीप ने उसे गुस्से से भरी आवाज में कई बार पुकारा तो ही वह अपने कमरे से निकल कर ड्राइंगरूम में आया. अब तक समीर की दादी भी अपने कमरे से निकल कर वहीं आ गई थीं.
समीर के तेवर ऐसा दर्शा रहे थे मानो वह अपने मातापिता से उलझने के लिए पूरी तरह से तैयार था और हुआ भी ऐसा ही. संदीप ने अपने बेटे को डांटना शुरू किया तो उस ने पलट कर उलटे जवाब देने शुरू कर दिए.
कुछ देर तक दादी ने चुप रह कर सारे मामले को समझ और फिर ऊंची आवाज में बोलीं, ‘‘अब सब शांत हो कर आपस में बात करो. समीर अभी हम सब से प्रौमिस करेगा कि वह सिगरेट और शराब से दूर रहेगा और ज्यादा मेहनत से पढ़ाई भी करेगा.’’
अपनी मां की सलाह को नजरअंदाज करते हुए संदीप ने समीर पर गुस्सा करना जारी रखा, ‘‘तुम्हारे तेवर देख कर ऐसा बिलकुल नहीं लग रहा है कि तुम रत्ती भर भी बदलोगे. आज तुम्हारी कलई खुली है. तुम शराब, सिगरेट और गलत कंपनी के शिकार बन चुके हो. स्कूल न जा कर बदमाश दोस्तों के साथ आवारागर्दी करते हो.’’
इस बार समीर ने जोर से चिल्ला कर जवाब दिया, ‘‘गलत कंपनी में घूमना मेरी मजबूरी है, डैड. अरे, मैं उन्हीं लड़कों के साथ घूमूंगा न जो मुझे अपना दोस्त बना कर मेरे साथ घूमने को तैयार होंगे. जो लड़के मुझ पर हंसें, जो मेरा मजाक उड़ाएं और मुझ से कटें मैं क्यों उन के साथ घूमूंगा?’’
‘‘लड़के तुम पर क्यों हंसते हैं?’’
‘‘आप दोनों के रोजरोज के लड़ाईझगड़ों ने मुझे तमाशा बनवा दिया है.’’
‘‘ज्यादा बकवास मत करो. हम पहले मातापिता नहीं हैं जिन के बीच लड़ाईझगड़ा होता है. तुम्हारे पढ़ाई में पिछड़ने और बिगड़ने का असली कारण यही है कि तुम गलत सोहबत में पड़ चुके हो. फिर कोई अच्छा सहपाठी तुम्हारे साथ क्यों घूमेगा?’’
‘‘सारा दोष मेरे सिर मढ़ने की कोशिश मत करो, पापा,’’ समीर उन के सामने तन कर खड़ा हो गया, ‘‘असली कारण तो यह है कि हमारे घर में आप दोनों के कारण 24 घंटे मची रहने वाली हायतोबा और गालीगलौज के कारण मैं ढंग से पढ़ नहीं पाता हूं. इसी कारण मैं गलत कंपनी में भी पड़ा हूं. मैं महीने में 10 दिन नानाजी के घर से स्कूल जाता हूं, 20 दिन यहां से. लोग मुझ से इस का कारण पूछते हैं तो मैं शर्म से जमीन में गड़ जाता हूं. मैं उन्हें कैसे बताऊं कि मेरी मां आए दिन लड़ कर मायके भाग आती है? साल में 8 बार तो आप पापा की बिना मरजी के इस तीर्थ और उस आश्रम में रहने चली जाती हैं और पापा अपने काम के बदले राजनीति करने चले जाते हैं. दादी ही घर में रह जाती हैं. क्या मैं पूछ सकता हूं कि अपने व्यवहार के कारण आप दोनों ने मेरी जिंदगी में इतनी टैंशन क्यों भर रखी है? मुझे अपने सहपाठियों के बीच हंसी का पात्र क्यों बनवा रखा है?’’
‘‘इस वक्त बात हमारी नहीं बल्कि तुम्हारी हो रही है.’’
‘‘अपनेआप को कठघरे में खड़ा देखना किसी को अच्छा नहीं लगता डैड. आप दोनों को मेरी फिक्र होती तो रातदिन क्लेश न करते रहते. आप दोनों को तो आपस में मारपीट करने से भी परहेज नहीं है. अगर मुझे आप की नाक कटाने वाला काम नहीं करना चाहिए तो क्या यही बात आप दोनों पर नहीं लागू होती है? पापा, आप बचपन से न जाने कौन सा इतिहास पढ़पढ़ कर ऊंचनीच, भेदभाव, इतिहास का बदला लेने जुलूसों में जा कर पथराव करते रहे हैं और अब मां से झगड़ते हैं. पड़ोस के खान अंकल को तो आप पीठ पीछे न जाने क्याक्या कहते रहते हैं.’’
‘‘इन बातों को छोड़ और यह सोच कि अपनी पढ़ाई का नुकसान कर के तुम
अपना कितना ज्यादा नुकसान कर रहे हो,’’ इस बार संदीप सुर नीचा कर के बोले.
‘‘मुझे पता है कि मैं फेल नहीं होऊंगा. वैसे भी मुझे बिजनैस करना है, कोई डाक्टर, इंजीनियर नहीं बनना है,’’ समीर ने लापरवाही से जवाब दिया.
‘‘बेकार की बात मत कर. तुझे पता तो है कि हमारे पास तेरे दोस्त के पिता जितनी दौलत नहीं है जो 40-50 लाख लगा कर बिजनैस करा सकें. तू हवा में उड़ना बंद कर और पढ़ाई में मन लगा.’’
‘‘आप जितना लगा सको, उतना पैसा लगा देना. बाकी का फाइनैंस मेरे दोस्त संभाल लेंगे.’’ इन में से कुछ की रिश्वत की मोटी कमाई है और कुछ ने गांव में करोड़ों की जमीन बेची हैं.
‘‘तेरे ये दोस्त तेरा साथ देंगे, ऐसी गलतफहमी का शिकार मत बनो.’’
‘‘आप दोनों अपनी जिंदगी अपने ढंग से जी रहे हो तो वैसा ही मुझे भी करने दो,’’ समीर ने रुखाई से जवाब दिया.
‘‘तेरा दिमाग खराब हो गया है क्या? तिल बराबर अक्ल नहीं है तेरे पास और चला है खुद अपनी जिंदगी के फैसले करने. पहले मुझे यह बताओ कि शराब और सिगरेट खरीदने को तुम्हारे पास पैसे कहां से आते हैं?’’ संदीप ने प्रिया की तरफ नाराजगी से देखते हुए सवाल किया.
‘‘मेरी तरफ गुस्से से देखने की जरूरत नहीं है. मैं इसे जेबखर्च से ज्यादा पैसे नहीं देती हूं,’’ प्रिया एकदम से गुस्सा उठीं.
‘‘आप दोनों आपस में झगड़ना शुरू करो, उस से पहले मैं ही बता देता हूं कि मैं पैसे कहां से पाता हूं,’’ समीर ने उन का मजाक उड़ाने वाले लहजे में बोलना शुरू किया.
‘‘रात को पीने के बाद क्या सुबह तक आप को याद रहता है कि आप के पर्स में
कितने रुपए थे? क्या किसी को याद है कि मुझे इस महीने की स्कूल फीस किस ने दी थी?’’
‘‘तुम को फीस मैं ने दी थी,’’ प्रिया ने जवाब दिया.
‘‘नहीं, मैं ने दी थी,’’ संदीप ने हर शब्द पर जोर देते हुए कहा.
‘‘आप दोनों के अलावा दादी ने भी मुझे फीस दी थी,’’ समीर के होंठों पर व्यंग्य भरी मुसकान झलक उठी.
‘‘इस ने आ कर बताया था कि फीस के पैसे खो गए थे…यह बोला कि तुम पीटोगे, तो मैं ने भी फीस दी थी. अरे शैतान, तू मुझ से भी झठ बोलने लगा है,’’ दादी ने पोते को गुस्से से घूरा.
‘‘सौरी दादी, आप से तो मैं ने रुपए अपने एक दोस्त की फीस भरने को लिए थे,’’ समीर ने दादी से माफी मांगी और फिर अपने मातापिता से शिकायती स्वर में बोला, ‘‘आप दोनों मेरे बारे में या किसी भी और विषय पर आपस में बात ही कहां करते हो. मैं पहले भी ऐसा घोटाला कर चुका हूं. तब क्या आप मुझे पकड़ पाए थे?’’
‘‘शर्म नहीं आ रही है तुझे अपने गलत कामों की तारीफ करते हुए?’’ संदीप गुस्से से फट पड़े.
‘‘मेरे लिए यहां आप दोनों के सामने शर्मिंदा होना कोई बड़ी बात नहीं है, पर मैं अपने दोस्तों के सामने शर्मिंदा नहीं हो सकता हूं. वे 4 दफा मुझ पर पैसे खर्च करेंगे तो 1 बार मुझे भी करने पड़ेंगे या नहीं? मेरी पौकेट मनी बहुत कम है और तभी मुझे हेराफेरी और चोरी करनी पड़ती है.’’
‘‘मेरा दिल कर रहा है कि हंटर मारमार कर तेरी चमड़ी उधेड़ दूं,’’ संदीप उस की तरफ आक्रामक लहजे में बढ़े.
‘‘आप ने अगर मुझ पर हाथ उठाया तो मैं आत्महत्या कर लूंगा. आप भी जुलूसों में कितना मारने की बातें करते हैं. कितनी बार दुकान बंद कर के हल्ला मचाने भीड़ में जाते रहते हैं. आप मारने की धमकियां देते हैं, मैं खुद मर जाऊंगा.’’
समीर की इस धमकी को सुन संदीप का मुंह हैरानी के मारे खुला का खुला रह गया.
प्रिया ने उसे खींच कर समीर से दूर किया और अपने मन की चिंता व्यक्त करी, ‘‘अब ये बातें छोडि़ए और कल अमनजी से होने वाली मुलाकात के बारे में सोचिए. वहां भी अगर इस ने ऐसी ही बदतमीजी दिखाई तो वे इसे स्कूल से निकाल देंगे.’’
‘‘मौम, डौंट वरी अबाउट हिम. वो रवि को स्कूल से निकालने की हिम्मत नहीं कर सकते हैं क्योंकि रवि के पापा स्कूल के चेयरमैन के गांव के हैं और फिर उन का पैसा भी स्कूल में लगा हैं. अगर रवि स्कूल से नहीं निकलेगा तो हम में से कोई भी नहीं निकलेगा,’’ समीर फिर से लापरवाह नजर आने लगा.
‘‘तुम्हें रवि का साथ छोड़ अपने को सुधारना होगा,’’ प्रिया ने भावुक हो कर उसे सलाह दी.
‘‘अगर तुम ने अपने को फौरन नहीं बदला तो एक दिन बहुत पछताओगे,’’ संदीप अब दुखी और परेशान दिख रहे थे.
‘‘सिर्फ मुझे ही नहीं बल्कि घर में हरेक को बदलना और सुधरना होगा, अब भी आप ऐसा क्यों नहीं कह रहे हो?’’ समीर ने चुभते लहजे में पूछा.
प्रिया और संदीप दोनों से फौरन ही उसे कोई जवाब देते नहीं बना. उन्हें चुप करा कर समीर निडर, विद्रोही भाव से अपने कमरे की तरफ चल पड़ा. दोनों उसे रोकने की हिम्मत नहीं कर सके.
दोनों थकेहारे और टूटे से नजर आ रहे थे. दोनों को आपस में लड़ने या एकदूसरे पर आरोप लगाने की ताकत भी अपने अंदर महसूस नहीं हो रही थी. वे समीर को कैसे डांटते या समझते क्योंकि वह तो उन्हीं को कठघरे में खड़ा कर
गया था.
कुछ देर की खामोशी के बाद प्रिया ने रोनी सूरत बना कर कहा, ‘‘हमारे स्वार्थी
और नासमझ भरे व्यवहार से समीर को गुमराह होने का मौका मिला. पता नहीं वह अब कभी ठीक रास्ते पर लौट भी पाएगा या नहीं? न जाने क्यों हम घर और दुकान का काम छोड़ कर राजनीति के पचड़े में पड़ गए.’’
‘‘हम उसे किसी अच्छे मनोवैज्ञानिक को दिखाएंगे,’’ संदीप ने उस का हाथ पकड़ कर धैर्य बंधाने की कोशिश करी.
दादी ने दोनों को समझते हुए सलाह दी, ‘‘कुछ महीने पहले तक समीर पढ़ाई में पूरी दिलचस्पी लेता था. उस के व्यवहार से भी हमें कोई शिकायत नहीं थी. अब तेज झटका खाने के बाद अगर आगे हम सब समझदारी और प्यार से काम लेंगे तो वह निश्चित रूप से सही राह पर लौट आएगा. गलत व्यवहार की जड़ें अभी उस के मन में ज्यादा गहरी नहीं गई हैं.’’
‘‘हम दोनों आपसी संबंधों का सुधारेंगे क्योंकि समीर के भविष्य से ज्यादा महत्त्वपूर्ण हमारे लिए कुछ भी नहीं है,’’ प्रिया की आंखों से आंसू बहने लगे थे.
समीर ने उस का हाथ पकड़ कर प्यार से चूमा और फिर भावुक हो कर कहा, ‘‘मुझे विश्वास है कि हमारे बदलते ही सबकुछ ठीक
हो जाएगा. हमारी अगर उसे कमियों ने गलत
राह पर धकेला है तो हमारे अंदर आने वाला अच्छा बदलाव उसे सही रात पर आने की प्रेरणा भी देगा.’’
अतीत के सारे गिलेशिकवे भुला कर दोनों लंबे समय के बाद अपनेआप को दूसरे के बहुत करीब महसूस कर रहे थे. समीर की दादी ने सदा सुखी और खुश रहने का आशीर्वाद देते हुए दोनों को अपने गले से लगा लिया था.
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