रेटिंगः दो स्टार
निर्माताः टी बी पटेल, बीएमएक्स मोषन पिक्चर्स
लेखक व निर्देषकः श्रवण तिवारी
कलाकारः जिम्मी शेरगिल, अभिमन्यू सिंह,इंद्रनील सेन गुप्ता, रजा मुराद,गोविंद नाम देव, सयाजीष्दे, मुष्ताक खान, संजीव त्यागी,अली खान,अभिजीत सिन्हा,विवेक घमंडे, आलोक पांडे व अन्य.
अवधिः दो घंटे आठ मिनट
अंडरवर्ल्ड और अंडरवर्ल्ड से जुड़ी कहानियां हमेशा से बॉलीवुड के फिल्मकारों को अपनी तरफ आकर्षित करती रही हैं.अब अंडरवर्ल्ड में प्यादे के शहंशाह बनने की रोमांचक कहानी ‘आजम’ लेकर फिल्मकार श्रवण तिवारी आए हैं,जो कि 26 मई से सिनेमाघरों में दिखायी जा रही है..फिल्मकार ने अपनी इस फिल्म के माध्यम से इस बात को रेखांकित किया है कि अंडरवर्ल्ड डॉन तब तक रहता है,जब तक उस पर सरकार और पुलिस विभाग का वरदहस्त रहता है.
कहानीः
फिल्म ‘‘आजम’’ कीक हानी के केंद्र में अंडरवर्ल्ड डॉन की कुर्सी
हथियाने की मंशा रखने वाले जावेद (जिम्मी शेरगिल) के इदगिर्द घूमती है.वह अपने दोस्त कादर (अभिमन्यु सिंह) और मुंबई के माफिया डॉन नवाब (रजा मुराद) के लिए काम करता है.नबाब मरणासन्न है और नबाब अपने बेटे कादर को अपनी गद्दी सौंपना चाहते हैं.जबकि जावेद खुद उस गद्दी पर बैठना चाहता है. हालांकि वह अकेला नहीं है जो -रु39याहर का सबसे बड़ा डॉन बनने की को-िरु39या-रु39या कर रहा है.इसलिए साइबर क्राइम माहिर विशाल ( आलोक पांडे ) की मदद से जावेद हर किसी को अपने रास्ते से हटाने का निर्णय लेता है.एक ही रात में लगातार हत्याओं का दौर चलता है.पुलिस अपने स्तर पर काम कर रही है.तो वहीं गृहमंत्री से लेकर मुख्यमंत्री तक अपने आदमी को नबाब की कुर्सी पर बैठाना चाहते हैं.कादर,जावेद की मंषा व योजनाओं को समझे बगैर जावेद की बनायी गयी रणनीति के अनुसार प्रताप शेट्टी (गोविंद नामदेव) के बेटे अन्या ( विवेक घमंडे ) की हत्या कर देता है.उसके बाद एक के बाद एक हत्याओें का दौर चलता है.जावेद खुद प्रताप के सामने ही कादर को गाली मार देता है.प्रताप को नबाब मरवा देता है.अंततः नबाब की कुर्सी पर बैठने का सपना देख रहे सारे गैंगस्टर मारे जाते हैं.तब मुख्यमंत्री देषमुख, जावेद को नबाब की कुर्सी का हकदार स्वीकार कर लेते हैं. अंडरवर्ल्ड डॉन की कुर्सी पर बैठने से पहले खुद जावेद,नबाब को गोली मार देता है.
लेखन व निर्देशनः
कुछ समाचार पत्रों में मार्केटिंग हेड के रूप में काम करते हुए फिल्मकार बन जाने वाले श्रवण तिवारी ने सबसे पहले गुजराती भाुनवजयाा में ‘‘द एडवोकेट’’ बनायी थी. उसके बाद उन्होने ‘706’ और ‘कमाठीपुरा’ जैसी फिल्में बनायीं. अब ‘‘आजम’’ लेकर आए हैं. कहानी के स्तर पर वह एक बेहतरीन कहानी लेकर आए हैं. मगर कथा कथन की उनकी शैली के चलते फिल्म में बार बार अवरोध आते हैं.बार-बार जावेद यानी कि जिम्मी शेरगिल के अतीत की कहानियों के चलते कहानी ठहर सी जाती है.फिल्म के षुरू होने के 20 मिनट के अंदर ही जिम्मी षेरगिल की मंशा साफ हो जाने से रहस्य व रोमांच में कमी आ जाती है.एक तरह से फिल्म पर से उनकी पकड़ -सजयीली हो जाती है.नबाब के बेटे कादर को जिस तरह से मूर्ख दिखाया गया है,वह गले नहीं उतरता.इसी तरह लगभग हर किरदार को मारने को लेकर एक कहानी है.इतने सारे किरदार हैं कि दर्षक भ्रमित हो जाता है.मगर पटकथा जबरदस्त है.फिल्म का क्लायमेक्स भी प्रभावित करता है.अंडरवर्ल्ड,सियासत और पुलिस के संबंधो को वह ठीक से परदे पर उकेरने में असफल रहे हैं.फिल्म का पार्ष्व संगीत कानफोडू है.एडीटिंग भी गड़बड़ है.फिल्म की गति भी काफी धीमी है.
अभिनयः
जिम्मी शेरगिल एक बेहतरीन अभिनेता हैं,इस बात को वह कई बार साबित कर चुके हैं.पिछले कुछ समय से वह पुलिस अफसर के किरदार में ज्यादा नजर आ रहे थे,पर लंबे समय बाद वह एकदम अलग तरह के गेंगस्टर के किरदार में नजर आए है और अपनी अभिनय प्रतिभा से वह लोगों दिलों मे पहुॅच जाते हैं.उनका अंदाज धारदार है. वह कम बोलते हैं,मगर उनकी आंखें और चुप्पी बहुत कुछ कह जाती है.कादर के किरदार मे अभिमन्यू सिंह निराष करते हैं.रजा मुराद अपनी छाप छोड़ जाते हैं. डीसीपी जोशी के किरदार में इंद्रनील सेनगुप्ता का अभिनय भी अच्छा है. सयाजीशेंद ठीक ठाक हैं.प्रताप शेट्टी के किरदार में गोविंद नामदेव का अभिनय लाजवाब है.मगर अनंग देसाई व मुष्ताक खान सहित कई प्रतिभाषाली कलाकारों की प्रतिभा को जाया किया गया है.