लेखक- अनीस फातमा
किशन अपने पड़ोसी अली के साथ कोचिंग सैंटर में पढ़ने जाता था. उस दिन अली को देर हो गई, तो वह अकेला ही घर से निकल पड़ा. सुनसान सड़क के फुटपाथ पर बैठे एक बाबा ने उसे आवाज दी, ‘‘ऐ बालक, तुझे पढ़ालिखा कहलाने का बहुत शौक है. पास आ और फकीर की दुआएं लेता जा. कामयाबी तेरे कदम चूमेगी.’’
किशन डरतेडरते बाबा के करीब आ कर चुपचाप खड़ा हो गया.
‘‘किस जमात में पढ़ता है?’’ बाबा ने पूछा.
‘‘जी, कालेज में…’’ किशन ने बताया.
‘‘बहुत खूब. जरा अपना दायां हाथ दे. देखता हूं, क्या बताती हैं तेरी किस्मत की रेखाएं,’’ कहते हुए बाबा ने किशन का दायां हाथ पकड़ लिया और उस की हथेली की आड़ीतिरछी लकीरें पढ़ने लगा, ‘‘अरे, तुझे तो पढ़नेलिखने का बहुत शौक है. इसी के साथ तू निहायत ही शरीफ और दयालु भी है.’’
तारीफ सुन कर किशन मन ही मन खुश हो उठा. इधर बाबा कह रहा था, ‘‘लेकिन तेरी किस्मत की रेखाएं यह भी बताती हैं कि तुझे अपनेपराए की समझ नहीं है. घर के कुछ लोग तुझे बातबात पर झिड़क दिया करते हैं और तेरी सचाई पर उन्हें यकीन नहीं होता.’’
किशन सोचने लगा, ‘बाबा ठीक कह रहे हैं. परिवार के कुछ लोग मुझे कमजोर छात्र होने के ताने देते रहते हैं, जबकि ऐसी बात नहीं है. मैं मन लगा कर पढ़ाई करता हूं.’
बाबा आगे बताने लगा, ‘‘तू जोकुछ भी सोचता है, वह पूरा नहीं होता, बल्कि उस का उलटा ही होता है.’’
यह बात भी किशन को दुरुस्त लगी. एक बार उस ने यह सोचा था कि वह गुल्लक में खूब पैसे जमा करेगा, ताकि बुरे समय में वह पैसा मम्मीपापा के काम आ सके, लेकिन ऐसा हुआ नहीं.
अभी किशन कुछ ही पैसे जमा कर पाया था कि एक दिन मोटे चूहे ने टेबल पर रखे उस की गुल्लक को जमीन पर गिरा कर उस के नेक इरादे पर पानी फेर दिया था. इसी तरह पिछले साल उसे पूरा यकीन था कि सालाना इम्तिहान में वह अच्छे नंबर लाएगा, लेकिन जब नतीजा सामने आया, तो उसे बेहद मायूसी हुई.
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बाबा ने किशन के मन की फिर एक बात बताई, ‘भविष्य में तू बहुत बड़ा आदमी बनेगा. तुझे क्रिकेट खेलने का बहुत शौक है न?’’
‘‘जी बहुत…’’ किशन चहक कर बोला.
‘‘तभी तो तेरी किस्मत की रेखाएं दावा कर रही हैं कि आगे जा कर तू भारतीय क्रिकेट टीम का बेहतरीन खिलाड़ी बनेगा. दुनिया की सैर करेगा, खूब दौलत बटोरेगा और तेरा नाम शोहरत की बुलंदी पर होगा,’’ इस तरह बाबा ने अपनी भविष्यवाणी से किशन को अच्छी तरह से संतुष्ट और खुश कर दिया, फिर थैले से एक तावीज निकाल कर उस की तरफ बढ़ाते हुए कहा, ‘‘यह तावीज अपने गले में अभी डाल ले बालक. यह तुझे फायदा ही फायदा पहुंचाएगा.’’
‘‘तू जोकुछ भी सोचेगा, इस तावीज में छिपा जिन उसे पूरा कर देगा. यकीन नहीं हो रहा, तो यह देख…’’ इन शब्दों के साथ बाबा उस तावीज को मुट्ठी में भींच कर बुदबुदाने लगा, ‘‘ऐ तावीज के गुलाम जिन, मुझे 2 हजार रुपए का एक नोट अभी चाहिए,’’ फिर बाबा ने मुट्ठी खोल दी, तो हथेली पर उस तावीज के अलावा 2 हजार रुपए का एक नोट भी नजर आया, जिसे देख कर किशन के अचरज का ठिकाना नहीं रहा. वह बोला, ‘‘बड़ा असरदार है यह तावीज…’’
‘‘हां, बिलकुल. मेरे तावीज की तुलना फिल्म ‘लगे रहो मुन्ना भाई’ के बटुक महाराज से बिलकुल मत करना बालक. फिल्मी फार्मूलों का इनसानी जिंदगी की सचाई से दूरदूर का रिश्ता नहीं होता है.’’
‘‘बाबा, इस तावीज की कीमत क्या है?’’ किशन ने पूछा.
‘‘महज 5 सौ रुपए बेटा,’’ बाबा ने कहा.
तावीज की इतनी महंगी कीमत सुन कर किशन गहरी सोच में डूब गया, फिर बोला, ‘‘बाबा, 5 सौ रुपए तो मेरे पास जरूर हैं, लेकिन यह रकम पापा ने कोचिंग सैंटर की फीस जमा करने के लिए दी है. पर कोई बात नहीं, आप से तावीज खरीद लेने के बाद मैं इस के चमत्कार से ऐसे कितने ही 5 सौ रुपए के नोट हासिल कर लूंगा,’’ यह कह कर किशन ने 5 सौ रुपए का नोट निकालने के लिए जेब में हाथ डाला ही था कि तभी अली पीछे से आ धमका और बोला, ‘‘किशन, यह तुम क्या कर रहे हो?’’
‘‘तावीज खरीद रहा हूं अली. बाबा कह रहे हैं कि इस में एक जिन कैद है, जो तावीज खरीदने वाले की सभी मुरादें पूरी करता है,’’ किशन बोला.
‘‘क्या बकवास कर रहे हो. ऐसी दकियानूसी बात पर बिलकुल भरोसा मत करो. क्या हम लोग झूठे अंधविश्वास की जकड़न में फंसे रहने के लिए पढ़ाईलिखाई करते हैं या इस से छुटकारा पा कर ज्ञान, विज्ञान और तरक्की को बढ़ावा देने के लिए पढ़ाईलिखाई करते हैं?’’ अली ने किशन से सवाल किया.
तभी बाबा गुर्रा उठा, ‘‘ऐ बालक, खबरदार जो ज्ञानविज्ञान की दुहाई दे कर जिन, तावीज और बाबा के चमत्कार को झूठा कहा. जबान संभाल कर बात कर.’’
‘‘चलो, मैं कुछ देर के लिए मान लेता हूं कि तुम्हारा तावीज चमत्कारी है, लेकिन इस का कोई ठोस सुबूत तो होना चाहिए,’’ अली बोला.
बाबा के बजाय किशन बोला, ‘‘अली, मेरा यकीन करो. यह तावीज वाकई चमत्कारी है. बाबा ने अभी थोड़ी देर पहले इस में समाए जिन को आदेश दे कर उस से 2 हजार रुपए का एक नोट मंगवाया था.’’
अली बोला, ‘‘अरे नादान, तेरी समझ में नहीं आएगा. यह सब इस पाखंडी बाबा के हाथ की सफाई है. तुम रोजाना घर से निकलते हो ट्यूशन पढ़ कर ज्ञानी बनने के लिए, लेकिन यह क्या… आज तो तुम एक सड़कछाप बाबा से अंधविश्वास और नासमझी का पाठ पढ़ने लगे हो.’’
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अली के तेवर देख कर बाबा को यकीन हो गया था कि वह उस की चालबाजी का परदाफाश कर के ही दम लेगा, इसलिए उस ने अली को अपने चमत्कार से भस्म कर देने की धमकी दे कर शांत करना चाहा, लेकिन अली डरने के बजाय बाबा से उलझ पड़ा, ‘‘अगर तुम वाकई चमत्कारी बाबा हो, तो मुझे अभी भस्म कर के दिखाओ, वरना तुम्हारी खैर नहीं.’’
अली की ललकार से बौखला कर बाबा उलटासीधा बड़बड़ाने लगा.
‘‘क्या बाबा, तुम कब से बड़बड़ा रहे हो, फिर भी मुझे अब तक भस्म न कर सके? अरे, सीधी सी बात है कि तुम्हारी तरह तुम्हारा जंतरमंतर भी झूठा है.’’
अली की बातों से खिसिया कर बाबा अपना त्रिशूल हवा में लहराने लगा. इस पर अली डरे हुए किशन को खींच कर दूर हट गया और जोरजोर से चिल्लाने लगा, ताकि सड़क पर चल रहे मुसाफिर उस की आवाज सुन सकें, ‘‘यह बाबा त्रिशूल का इस्तेमाल हथियार की तरह कर रहा है…’’
अली की आवाज इतनी तेज थी कि सादा वरदी में सड़क से गुजर रहे 2 कांस्टेबल वहां आ गए और मामले को समझते ही उन्होंने बाबा को धर दबोचा, फिर उसे थाने ले गए.
‘‘आखिर तुम इतने नासमझ क्यों हो किशन?’’ भीड़ छंटने के बाद अली ने किशन पर नाराजगी जताई, तो वह बोला, ‘‘मैं हैरान हूं कि बाबा अगर गलत इनसान थे, तो फिर उन्होंने मेरे हाथ की लकीरें पढ़ कर मेरे मन की सच्ची बातें कैसे बता दीं?’’
अली बोला, ‘‘बाबा ने यह भविष्यवाणी की होगी कि तुम पढ़नेलिखने में तेज हो, तुम बहुत अच्छे बालक हो, लेकिन लोग तुम्हें समझने की कोशिश नहीं करते, तुम जोकुछ सोचते हो, उस का बिलकुल उलटा होता है.’’
‘‘कमाल है, मेरे और बाबा के बीच की बातें तुम्हें कैसे मालूम हुईं अली?’’ पूछते हुए किशन अली को हैरान नजरों से देखने लगा. अली बोला, ‘‘यह कमाल नहीं, बल्कि आम बात है. बाबा जैसे पाखंडी लोग अपने शिकारी का शिकार करने के लिए इसी तरह की बातों का सहारा लिया करते हैं.’’
‘‘अच्छा, एक बात बताओ अली, बाबा ने मुझ से कहा था कि मुझे क्रिकेट का खेल बेहद पसंद है. एक दिन मैं भारतीय क्रिकेट टीम का बेहतरीन खिलाड़ी बनूंगा और ऐसा मेरा दिल भी कहता है. लेकिन मेरे दिल की यह बात भी बाबा को कैसे मालूम हो गई?’’
‘‘दरअसल, भारत में क्रिकेट एक मशहूर खेल है. इसे बच्चे, बूढ़े, जवान सभी पसंद करते हैं. तभी तो उस पाखंडी ने तुम्हें यह सपना दिखाया कि एक दिन तुम भारतीय क्रिकेट टीम के खिलाड़ी बनोगे.’’
किशन अली की बातें गौर से सुनतेसुनते बोला, ‘‘अच्छा, एक बात बताओ दोस्त, क्या मैं वाकई कभी बड़ा आदमी नहीं बन सकूंगा?’’
‘‘क्यों नहीं बन सकते हो. बड़ा आदमी कोई भी बन सकता है, लेकिन सपने देख कर नहीं, बल्कि सच्ची मेहनत, लगन और ज्ञानविज्ञान के सहारे. आइंदा से तुम ऐसे धोखेबाज लोगों से बिलकुल खबरदार रहना.
‘‘किशन, तुम खुद सोचो कि अगर बाबा का तावीज चमत्कारी होता, तो फिर वह फुटपाथ पर बैठा क्यों नजर आता? तावीज के चमत्कार से पहले तो वह खुद ही बड़ा आदमी बन जाता.’’
‘‘तुम ठीक कह रहे हो अली,’’ किशन ने अपनी नादानी पर शर्मिंदा होने के अलावा यह मन ही मन तय किया कि अब वह कभी किसी के झांसे में नहीं आएगा.
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