सवाल-
मैं 26 वर्षीय विवाहिता व 3 वर्षीय बेटे की मां हूं. विवाह से पूर्व मैं नौकरी करती थी. शादी चूंकि दूसरे शहर में हुई है, इसलिए नौकरी छोड़नी पड़ी. अब मैं चाहती हूं दोबारा नौकरी कर लूं. पति से इस विषय में बात की तो वे मना करने लगे. चूंकि हम यहां अकेले रहते हैं, घर में कोई बड़ा बच्चे को संभालने के लिए नहीं है. बच्चे को क्रैच में छोड़ने के वे सख्त खिलाफ हैं. इस के अलावा उन का कहना है कि जब आर्थिक तौर पर हम सक्षम हैं तो फिर मैं क्यों नौकरी करना चाहती हूं. मैं कैसे समझाऊं कि आर्थिक निर्भरता के लिए नहीं अपनी इच्छा के लिए नौकरी करना चाहती हूं. यदि मैं ने और 2-4 साल यों ही बरबाद कर दिए तो मेरा कैरियर चौपट हो जाएगा. बताएं क्या करूं?
जवाब
शादी के बाद पारिवारिक कारणों से खासकर बच्चों की परवरिश के लिए अधिकांश महिलाएं नौकरी छोड़ देती हैं. उन्हें इस बात का मलाल भी नहीं होता, क्योंकि घरगृहस्थी और बच्चों का लालनपालन अपनेआप में एक फुल टाइम जौब है. दोनों को एकसाथ मैनेज करना, खासकर तब जब बच्चे की देखरेख करने के लिए परिवार का कोई सदस्य न हो, बहुत मुश्किल होता है. जहां तक क्रैच में बच्चे को छोड़ने की बात है, पहले तो अच्छे क्रैच मिलते नहीं और मिल भी जाएं तो भी उतनी अच्छी देखभाल बच्चे की नहीं हो पाती जितनी उस की मां करती है. अत: यदि आप को किसी प्रकार की आर्थिक तंगी नहीं है तो आप को नौकरी के लिए जिद नहीं करनी चाहिए. घर में अतिरिक्त समय में आप अपनी कोई हौबी विकसित या ट्यूशन आदि कर सकती हैं.
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‘‘शादी…यानी बरबादी…’’ जब उस की मां ने उस के सामने उस की शादी की चर्चा छेड़ी तो सुलेखा ने मुंह बिचकाते हुए कहा था, ‘‘मां मुझेशादी नहीं करनी है, मैं हमेशा तुम्हारे साथ रह कर तुम्हारा देखभाल करना चाहती हूं.’’
‘‘नहीं बेटा ऐसा नहीं कहते,’’ मां ने स्नेहभरी नजरों से अपनी बेटी की ओर देखा.
‘‘मां मुझेशादी जैसी रस्मों पर बिलकुल भरोसा नहीं… विवाह संस्था एकदम खोखली हो चुकी है… आप जरा अपनी जिंदगी देखो, शादी के बाद पापा से तुम्हें कौन सा सुख मिला है? पापा ने तो तुम्हें किसी और के लिए तलाक…’’ कहती हुई वह अचानक रुक गई और फिर आंसू भरे नेत्रों से मां की ओर देखने लगी.
मां ने दूसरी तरफ मुंह घुमा अपने आंसुओं को छिपाने की कोशिश करते हुए बोलीं, ‘‘अरे छोड़ो इन बातों को… इस वक्त ऐसी बातें नहीं करते और फिर लड़कियां तो होती ही हैं पराया धन. देखना ससुराल जा कर तुम इतनी खो जाओगी कि अपनी मां की तुम्हें कभी याद भी नहीं आएगी,’’ और फिर बेटी को गले लगा कर उस के माथे को चूम लिया.
मालती अपनी बेटी को बेहद प्यार करती हैं. आज 20 वर्ष हो गए उन्हें अपने पति से अलग हुए, जब मालती का अपने पति से तलाक हुआ था तब सुलेखा सिर्फ 5 वर्ष की थी. तब से ले कर आज तक उन्होंने सुलेखा को पिता और मां दोनों का प्यार दिया. सुलेखा उन की बेटी ही नहीं उन की सुखदुख की साथी भी थी. अपने टीचर की नौकरी से जितना कुछ कमाया वह अपनी बेटी पर ही खर्च किया. अच्छी से अच्छी शिक्षादीक्षा के साथसाथ उस की हर जरूरत का खयाल रखा. मालती ने अपनी बेटी को कभी किसी चीज की कमी नहीं होने दी भले खुद कितना भी कष्ट झेलना पड़ा हो.