‘‘मैं तुम्हारे साथ तुम्हारी प्रेमिका व दोस्त बन कर रहने को तैयार हूं, पर शादी कर के साथसाथ जिंदगी गुजारने का मजा ही कुछ और होगा. इस बारे में क्या कहते हो राकेश?’’ करीब महीना भर पहले सीमा ने राकेश के फ्लैट में उसे बैड टी पेश करते हुए यह सवाल पूछ ही लिया था.
‘‘तुम तैयार हो तो मैं तुम से आज ही दूसरी शादी करने को तैयार हूं,’’ राकेश ने उस के सवाल का जवाब मजाकिया अंदाज में दिया.
‘‘वैसा करना तो खुद को धोखा देना होगा, राकेश,’’ सीमा गंभीर बनी रही.
‘‘अगर तुम ऐसा समझती हो, तो शादी करने की बात क्यों उठा रही हो?’’
‘‘अपने मन की इच्छा तुम्हें नहीं, तो किसे बताऊंगी.’’
‘‘वह ठीक है, पर हमारी शादी होने का कोई रास्ता है भी तो नहीं.’’
‘‘तुम मुझे दिल की गहराइयों से प्रेम करते हो न?’’
‘‘बिलकुल,’’ राकेश ने उस के होंठों को चूम लिया.
‘‘तुम ने हमेशा मुझ से कहा है कि तुम्हारी पत्नी वंदना नहीं, बल्कि मैं तुम्हारे दिल पर राज करती हूं. यह सच है न?’’
‘‘हां, वंदना मेरे दोनों बेटों की मां है. वह सीधीसादी औरत वैसे आकर्षक व्यक्तित्व की मालकिन नहीं जैसी मैं चाहता था. अपने मातापिता की पसंद से मुझे शादी नहीं करनी चाहिए थी, पर अब मैं अपना कर्तव्य समझ कर वंदना के साथ जुड़ा हुआ हूं,’’ राकेश ने गंभीर लहजे में उस से अपने मन की बात कही.
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‘‘क्या हमारी खुशियों की खातिर तुम वंदना को तलाक नहीं दे सकते हो?’’ सीमा ने तनावग्रस्त लहजे में अपनी इच्छा बयान कर ही दी.
‘‘नहीं, और इस बारे में तुम मुझ पर कभी दबाव भी मत बनाना, सीमा. वंदना मुझे छोड़ने का फैसला कर ले, तो बात जुदा है. उस से तलाक लेने की बात करते हुए मैं अपनी नजरों में बुरी तरह गिर जाऊंगा, क्योंकि वह तो मेरे प्रति पूरी तरह से समर्पित है. बिना कुसूर उसे तलाक की पीड़ा से गुजारना बिलकुल अन्यायपूर्ण होगा,’’ राकेश के बोलने का लहजा ऐसा कठोर था कि सीमा ने इस विषय पर आगे एक शब्द नहीं कहा.
उसी दिन सीमा ने वंदना से मिलने का फैसला मन ही मन कर लिया था. ऐसा करने का कोई साफ मकसद उसे समझ नहीं आया, पर वह वंदना के व्यक्तित्व को समझने की इच्छुक जरूर थी. मन के किसी कोने में शायद यह उम्मीद छिपी थी कि वंदना खुद राकेश से अलग हो जाए और इस लक्ष्य को पूरा करने का कोई रास्ता इस मुलाकात के जरीए सीमा के हाथ लग जाए.
वंदना उसे बहुत सीधीसादी साधारण सी महिला लगी. उस ने सीमा का खुले दिल से स्वागत किया, तो सीमा के लिए उस के प्रति अपने मन में चिड़, नाराजगी व दुश्मनी के भाव पैदा करना मुश्किल हो गया.
वंदना के प्रति उसे राकेश का व्यवहार जरूर अजीब लगा. अगर वह राकेश से प्रेम न करती होती, तो उसे अपने प्रेमी का उस की पत्नी से व्यवहार सरासर गलत, घटिया और अन्यायपूर्ण लगता.
अपने घर में राकेश उस के साथ खूब खुल कर हंसबोल रहा था. उसे न सीमा का हाथ पकड़ने से परहेज था, न रोमांटिक वाक्य मुंह से निकालने से. कहीं वंदना यह सब देख न ले, इस बात का भय सिर्फ सीमा को था, राकेश को नहीं. जब एक मौके पर राकेश ने उसे अचानक बांहों में भर कर उस के होंठों को चूमा, तो सीमा बहुत घबरा उठी.
‘‘यह क्या कर रहे हो राकेश? अगर वंदना ने हमें ऐसी गलत हरकत करते देख लिया, तो कम से कम मुझे बहुत शर्मिंदगी महसूस होगी,’’ वह सचमुच परेशान और नाराज हो उठी.
‘‘रिलैक्स, सीमा,’’ राकेश लापरवाह अंदाज में मुसकराया, ‘‘मेरे दिल में तुम्हारे लिए सच्चा प्यार है. तुम मेरे लिए सिर्फ वासनापूर्ति का साधन नहीं हो. जो वंदना से कभी नहीं मिली, वह खुशी तुम से जुड़ कर पाई है मैं ने.’’
‘‘लेकिन यहां… वंदना की मौजूदगी में… उस के घर में तुम मुझे प्यार करो, यह मुझे बिलकुल अच्छा नहीं लगा.’’
‘‘अब कुछ गड़बड़ नहीं करूंगा, पर तुम एक बात का ध्यान रखो.’’
‘‘किस बात का?’’
‘‘वंदना से डरो मत. अगर कभी उस ने मुझे मजबूर किया, तो मैं तुम्हारा साथ चुनूंगा और उसे छोड़ दूंगा,’’ राकेश की अत्यधिक भावुकता सीमा को अच्छी तो लगी, पर उस के दिल का एक कोना बेचैन भी हो उठा.
सीमा के मन में वंदना के साथ वार्त्तालाप करने की इच्छा अचानक बहुत बलवती हो गई. उस के व्यक्तित्व, उस की खूबियों व कमियों को जाननासमझना सीमा के लिए अहम था. ऐसा किए बिना वह राकेश को उस से अलग करने का कोई रास्ता नहीं ढूंढ़ सकती थी.
उसे अपने मन की इच्छा पूरी होती नजर आ रही थी. राकेश एक पल के लिए उस के पास से उठने के मूड में नहीं था. उस की दिलचस्पी वंदना को बुला कर उसे वार्त्तालाप में शामिल करने में रत्ती भर न थी. वंदना भोजन की तैयारी में व्यस्त थी. सीमा का मन कह रहा था कि वह जानबूझ कर उन दोनों से दूर रहने को अति व्यस्तता का बहाना बना रही थी.
वंदना ने उन के साथ खाना भी नहीं खाया. सीमा ने काफी जोर लगाया, पर वह साथ खाने नहीं बैठी.
‘‘वंदना हमेशा मुझे खिला कर खाना खाती है. तुम शुरू करो, यह बाद में खा लेगी,’’ राकेश लापरवाही से बोला और फिर बड़े उत्साह के साथ सीमा की प्लेट भरने में लग गया.
सीमा ने नोट किया कि सारी चीजें राकेश की पसंद की और स्वादिष्ठ बनी थीं.
‘‘खाना कैसा बना है?’’ राकेश ने यह सवाल वंदना की उपस्थिति में सीमा से पूछा.
‘‘बहुत बढि़या,’’ सीमा ने उत्साहित लहजे में सचाई बयान करी.
‘‘वंदना वाकई बहुत अच्छा खाना बनाती है. इसी कारण मैं वजन नहीं कम कर पाता हूं.’’
सीमा ने देखा कि राकेश के मुंह से अपनी जरा सी तारीफ सुन कर वंदना का चेहरा फूल सा खिल उठा. राकेश उस की तरफ देख भी नहीं रहा था, पर वंदना की प्यार भरी नजरों का केंद्र वही था.
‘वंदना राकेश को बहुत चाहती है. शायद यह उसे तलाक देने को कभी राजी नहीं होगी,’ सीमा के मन में यह विचार अचानक उभरा और वह बेचैनी से भर गई.
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खाना खाने के बाद राकेश ड्राइंगरूम में पड़े दीवान पर लेट गया. कुछ देर सीमा से बातें करने के बाद उस की आंख लग गई. सीमा उस के पास से उठ कर वंदना से मिलने रसोई में पहुंच गई.
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