जजमेंटल है क्या रिव्यू: कंगना या राज कुमार राव, आखिर कौन है मेंटल?

निर्माताः एकता कपूर, शोभा कपूर, शैलेंद्र सिंह

निर्देशक: प्रकाश कोवेलामुदी

कलाकार: कंगना रनौत, राज कुमार राव, जिम्मी शेरगिल, अमायरा दस्तूर, अमृता पुरी और अन्य

अवधिः दो घंटे एक मिनट

रेटिंग: तीन स्टार

कहानी
बचपन में घटी घटनाओं के कारण बौबी (कंगना रानौत) वयस्क होने तक सायकोसिस जैसे गंभीर मनोरोग की शिकार हो जाती हैं. बौबी एक वौइस ओवर आर्टिस्ट हैं और वह जिन किरदारों को अपनी आवाज देती हैं, खुद को उन्हीं किरदारों जैसा समझने लगती हैं. अपने साथ काम करने वाले पर हमला करने के लिए उसे मेंटल हौस्पिटल भेज दिया जाता है. तीन महीने बाद उसे दवाएं लेने की सलाह के साथ वहां से वापस घर भेज दिया जाता है. बौबी को बार-बार काकरोच नजर आते हैं, जिनसे उसे डर लगता है. पर काकरोच की उपस्थिति उसका भ्रम है.

बहरहाल, बौबी के ही बंगले में नए किराएदार बनकर एक दंपति केशव (राज कुमार राव) और रीमा (अमायरा दस्तूर) रहने आते हैं. केशव की कंपनी पेस्टीसाइड बनाती है. बौबी इस दंपति की रोजमर्रा की जिंदगी और उनकी प्रेम कहानी में खो जाती हैं. केशव के घर में पेस्टीसाइड के डिब्बे देखकर बौबी सवाल करती है, तो केशव कहता है कि इससे काकरोच जल्दी मर जाते हैं. दूसरे दिन बौबी, केशव की ही फैक्टरी से पेस्टीसाइड का एक डिब्बा उठा लाती है.

ये भी पढ़ें- सलमान खान: ‘आज तक नहीं आया कोई रिश्ता…’

तभी एक दिन रीमा की हत्या हो जाती है. इसके लिए बौबी, केशव को अपराधी समझती हैं. जबकि केशव का दावा है कि रसोईघर मे अंधेरा था और पेस्टीसाइड का डिब्बा खुला था, जिसकी गैस फैली होगी और जैसे ही रीमा ने गैस चूल्हा जलाने की कोशिश की, कमरे में फैली पेस्टीसाइड के चलते वह जलकर मर गयी. पुलिस इंस्पेक्टर (सतीश कौशिक) और हवलदार (ब्रजेंद्र काला) जांच करने के बाद दुर्घटना बताकर केस को बंद कर देते हैं. पर बौबी अभी भी केशव को हत्यारा मानती है. इससे केशव त्रस्त होने का दिखावाकर बौबी पर परेशान करने का आरोप लगाते है. तब बौबी के दादा (ललित बहल) उसे एक बार फिर इलाज के लिए भेज देते हैं.

दो साल बाद कहानी लंदन पहुंच जाती है. जहां केशव श्रवण बनकर बौबी की कजिन मेघा (अमृता पुरी) से शादी करके रह रहा है. मेघा एक थिएटर कलाकार है. वह गर्भवती होती है तो उसकी देखभाल के लिए बौबी के दादाजी उसे लंदन भेजते हैं. मेघा, बौबी को ‘‘फ्यूचरिस्टिक रामायण’’ नाटक में सीता का किरदार निभाने के लिए कहती है और नाटक के निर्देशक (जिम्मी शेरगिल) से मिलवाती है. मेघा के पति के रूप में केशव को देखकर बौबी मेघा को सच बताती है कि वह रीमा का हत्यारा केशव है. जिसने नाम बदलकर उससे शादी की है. पर केशव अपना नाम केशव कुमार श्रवण बताकर उसे चुप कराने का असफल प्रयास करता है. उसके बाद बौबी अपनी बात को साबित करने के लिए सबूत जुटाने लगती है, तो वहीं केशव इस कोशिश में लग जाता है कि किस तरह बौबी को भारत वापस भेजा जाए. पर सवाल ये है कि केशव हत्यारा है या बौबी का भ्रम है. इस राज को जानने के लिए आपको फिल्म देखनी होगी.

ये भी पढ़ें- क्या सचमुच ‘अनुराग-प्रेरणा’ का हो गया ब्रेकअप?

पटकथा लेखन व निर्देशन…

एक पुराने अंग्रेजी नाटक ‘‘गैस लाइट’’ के साथ रामायण की कथा को मिलाते हुए मनोरोगी की मनःस्थिति की बात करने वाली ब्लैक कौमेडी की पटकथा लिखते समय लेखक का प्रयास पूरी तरह से सफल नही रहा. अंग्रेजी नाटक की कहानी के अनुसार एक पुरुष अपनी पत्नी के इस संदेह को दूर करने के लिए कि वह हत्यारा है, कुछ मनोवैज्ञनिक हेर फेर करता है और फिर ‘गैस लाइटिंग’ शब्द का ईजाद हो गया. रहस्य प्रधान फिल्म ‘‘जजमेंटल है क्या’’ के शुरू होने के कुछ समय बाद ही यह साफ हो जाता है कि फिल्म की नायिका बौबी ग्रेवाल उस मानसिकता की शिकार है, जो औरतें पुरुष की पवित्रता पर सवाल उठाकर उनके सामने खड़ी हो जाती हैं.

फिल्म की गति काफी धीमी है. इंटरवल से पहले फिल्म रहस्य, रोमांच व डरावने अंदाज में बांधकर रखती है. रोमांच को बचाने के लिए निर्देशक ने रंगों का बाखूबी इस्तेमाल कर सेट बनाए हैं. निर्देशक प्रकाश कोवेलामुदी ने स्टाइलिश निर्देशन कर फिल्म को अपनी तरफ से सशक्त बनाने की कोशिश की है.

उन्होने फिल्म के अंदर खेले जा रहे रामायण नाटक के पात्रों की अवाज का भी अच्छा इस्तेमाल किया हे. इंटरवल के बाद निर्देशक की फिल्म पर से पकड़ ढीली हो जाती है. फिल्म का क्लायमेक्स यानी कि अंत क्या होगा, इसकी भनक दर्शक को फिल्म के शुरूआती सीन्स के साथ ही लग जाती है.

ये भी पढ़ें- मिस्ट्री बौय के साथ नजर आईं श्रीदेवी की बेटी, वायरल हुई फोटोज

अभिनयः
जहां तक अभिनय का सवाल है,तो फिल्म के दोनो कलाकारों कंगना रनौत और राज कुमार राव ने बेहतरीन परफार्मेंस दी है. बौबी के किरदार में पागल और दुःखी होने के बीच वह सहज रहती है. पूरी फिल्म में कंगना की अभिनय क्षमता का ही कमाल है कि उसने बौबी को कैरीकेचर नहीं बनने दिया. वह एक मनोरोगियों का हाल बयां करने में पूरी तरह से सफल रही हैं. केशव के किरदार में राज कुमार राव ने भी जबरदस्त अभिनय किया है. बौबी के प्रेमी के रूप में हुसैन दलाल को अच्छा स्कोप मिला है और वह लोगों का मनोरंजन करने में कुछ हद तक सफल रहे हैं. छोटी भूमिका में जिम्मी शेरगिल अपनी छाप छोड़ ही जाते हैं. अमायरा दस्तूर व अमृता पुरी भी ठीक ठाक ही हैं.

अनलिमिटेड कहानियां-आर्टिकल पढ़ने के लिएसब्सक्राइब करें