उसे सताने वाला न जाने कहां गायब हो गया था. उस के लिए अब कोई फूल या उपहार रख कर नहीं जाता था. उन पुरानी बातों को भूल कर रिया एक बार फिर से अपनी पढ़ाई में दिलोजान से जुट गई. उसे लगने लगा कि जिंदगी में अब सब ठीक चल रहा है.
एक दिन भीड़ में किसी उचक्के ने रिया को छूने की कोशिश की तो रिया ने विरोध किया. रोहित उस के साथ ही खड़ा था. उस ने तैश में आ कर उस गुंडे का कौलर पकड़ लिया.
नौबत मारपीट तक आ गई तो रिया घबरा गई. उस ने किसी तरह रोहित को समझाबुझा कर मामला शांत करवाया.
दोनों अपने गंतव्य स्टेशन पर ट्रेन से उतर गए. ‘‘तुम्हें क्या जरूरत थी इस तरह उस गुंडे से उलझने की?’’ रिया बोली तो रोहित बोल पड़ा, ‘‘हिम्मत भी कैसे हुई उस की तुम्हें हाथ लगाने की? और क्या करता मैं? चुपचाप तमाशा देखता?’’
‘‘तो क्या उस की जान ले लेते?’’ रिया खीझ कर बोली.
‘‘अगर तुम न रोकती तो मैं सच में उस की जान ले लेता,’’ रोहित ने जवाब दिया.
रिया अवाक रह गई. उस ने रोहित की तरफ देखा. उस का चेहरा गुस्से में लाल था. ‘‘क्या बोल रहे हो, रोहित? मामूली बात पर कोई किसी की जान लेता है क्या?’’ रिया को हंसी आ रही थी उस की बातों पर.
‘‘रिया, अगर कोई भी तुम्हें छुए तो मैं…’’ कहतेकहते रोहित अचानक चुप हो गया. फिर नरम लहजे में बोला, ‘‘मेरे दोस्तों के साथ कोई बदतमीजी करे तो मुझे गुस्सा आ जाता है.’’
‘‘हाऊ स्वीट, तुम सच में कितने अच्छे हो जो दोस्तों की इतनी परवा करते हो,’’ रिया ने उस का गाल पकड़ कर खींचा.
उसे हमेशा घर के पास तक छोड़ने के बाद रोहित वापस चला जाता था. हाथमुंह धो कर जब रिया फारिग हुई तो उस की नजर उस किताब पर पड़ी जो वह अपने साथ ले आई थी. यह किताब हमेशा रोहित के हाथ में रहती थी. उस गुंडे से हाथापाई के दौरान किताब रोहित के हाथों से गिर पड़ी थी जिसे रिया ने उठा लिया था और बातोंबातों में उसे देना भूल गई थी.
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उस ने यों ही किताब के पन्ने पलटे. कुछ पन्नों पर कुछ लिखावट की गई थी. एक पन्ने पर उसे अपना नाम लिखा हुआ मिला. उस ने गौर से देखा, लिखावट कुछ जानीपहचानी लगी. कुछ और पन्ने रिया ने पलटे, ज्यादातर पन्नों पर उस का नाम था और उस के नाम के साथ एक और नाम लिखा हुआ था. 2 नामों को एकसाथ दिल के आकार में जोड़ कर लिखा गया था.
उस ने उन लिखे हुए अक्षरों को बारबार देखा. कोई संदेह नहीं था कि किताब में लिखे शब्दों की लिखावट उन गिफ्टकार्ड के अक्षरों से हुबहू मिलती थी.
रिया सन्न रह गई. अचानक सारा राज ताश के पत्तों की तरह उस के सामने खुल गया. रिया के लिए यकीन करना मुश्किल था कि वह रोहित ही था जो उसे गुमनाम तोहफे भेजा करता था. खौफ की ठंडी लहर उस की रीढ़ की हड्डी से गुजर गई. जिस डर पर काबू पाने में उसे इतना वक्त लगा था वह अब एक नाम और चेहरे के साथ उस की जिंदगी में लौट आया था.
इस वक्त वह घर पर बिलकुल अकेली थी. शिखा अपनी पारिवारिक व्यस्तता के चलते कुछ दिनों के लिए शहर से बाहर गई थी. मगर क्यों? उस ने मेरे साथ ऐसा क्यों किया? उस के मन में ऐसे तमाम सवाल उमड़ रहे थे जिन का जवाब सिर्फ रोहित दे सकता था.
उस ने ठान लिया कि वह रोहित को बेनकाब कर के रहेगी. इतने दिनों से वह रिया का दोस्त बन कर उस के भरोसे का फायदा उठा रहा था. जो उस का गुनाहगार था उसे ही रिया अपना सब से बड़ा हमदर्द समझती रही.
अगले दिन रिया बहुत देर तक बेसब्री से रोहित का इंतजार करती रही. मैट्रो में सफर करने वालों की भीड़ एक के बाद एक आ कर गुजर गई मगर रोहित उसे कहीं नजर न आया. अंत में निराश हो कर वह अपने इंस्टिट्यूट के लिए चल पड़ी.
देर शाम घर वापस आते हुए रिया को कई बार लगा कि कोई उस का पीछा कर रहा है. वह गली के पास मुड़ी और एक खंभे की आड़ में छिप गई.
बहुत हुआ लुकाछिपी का खेल. आज तो वह उस साए को धर दबोचेगी. रिया ने पूरी हिम्मत जुटा ली, चाहे कुछ हो जाए वह जान कर रहेगी कि आखिर कौन उस का पीछा करता है.
जैकेट के हेडकवर से चेहरे को छिपाए उस शख्स ने गली में कदम रखा ही था कि रिया ने झपट कर उस का नकाबरूपी हुड खींच लिया.
उस शख्स को जब तक संभलने का मौका मिलता, उस का चेहरा बेनकाब हो चुका था.
‘‘रोहित.’’ रिया को एक और झटका मिला, ‘‘अच्छा तो छिपछिप कर मेरा पीछा करने वाले भी तुम ही हो और मुझे वो फूल और गिफ्ट भी तुम ही भेजते थे.’’ सिर झुकाए रोहित चुपचाप रिया के सामने खड़ा था.
‘‘अब चुप क्यों हो? जवाब दो,’’ उसे नफरत से देखते हुए रिया ने कहा.
‘‘मुझे माफ कर दो, रिया. ये सब मैं ने तुम्हारे प्यार को पाने के लिए किया. बहुत प्यार करता हूं मैं तुम से.’’
‘‘तुम ने यह सोचा भी कैसे? तुम सिर्फ मेरे दोस्त थे और अब आज से हमारा दोस्ती का रिश्ता भी खत्म हो गया. आज के बाद मुझ से मिलने की कोशिश भी मत करना.’’
‘‘प्लीज रिया, ऐसा मत करो. देखो, मान जाओ. न जाने कब से मैं तुम्हारे प्यार के लिए तरस रहा हूं,’’ रोहित गिड़गिड़ाया.
‘‘नहीं रोहित, मेरी जिंदगी में प्यारमुहब्बत के लिए कोई जगह नहीं है. मेरे लिए सब से जरूरी मेरा परिवार और मेरा कैरियर है. पर तुम नहीं समझोगे ये सब,’’ रिया अब तक अपने गुस्से को सब्र में बंधे हुए थी.
‘‘रिया, मेरा प्यार कुबूल कर लो, प्लीज,’’ रोहित उस से प्यार की भीख मांग रहा था.
रिया रोहित के छल और फरेब से पहले ही आहत थी. उस ने रोहित के घडि़याली आंसुओं की कोई परवा नहीं की.
जनून में आ कर रोहत ने रिया का रास्ता रोक लिया. ‘‘रिया, अगर तुम ने मेरा प्यार कुबूल नहीं किया तो मैं खुद को मार डालूंगा,’’ धमकी भरे अंदाज में रोहित ने कहा.
‘‘तो मार डालो खुद को,’’ रिया ने दांत भींच कर सख्ती से कहा और एक जोर का धक्का दे कर रोहित को अपने रास्ते से हटाया.
‘‘ठीक है, रिया, मैं मरूंगा तो तुम्हें भी मरना होगा, तुम मेरी नहीं हो सकती तो किसी और की भी नहीं हो पाओगी.’’
रोहित की जबान से इतनी खतरनाक धमकी सुन कर रिया सन्न रह गई. उस ने पलट कर रोहित को देखा. अंधेरे में रोहित के इरादे खूंखार लग रहे थे. उस ने अपने कपड़ों में छिपा बड़ा सा खंजर निकाल लिया. उस की आंखों में वहशीपन देख कर रिया के चेहरे का रंग उड़ गया.
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‘‘नहीं रोहित, प्लीज मुझे जाने दो,’’ रिया गिड़गिड़ाई. रोहित के हाथ में चाकू देख कर रिया के पसीने छूट गए, किस हद तक जा सकता है वह, उस ने सोचा नहीं था.
रोहित उस की तरफ खतरनाक इरादे से बढ़ता ही जा रहा था. वह पूरी ताकत के साथ रोहित से बचने के लिए भाग रही थी. दूरदूर तक कोई मदद नहीं दिख रही थी. वह चीख कर मदद की गुहार लगा रही थी. रोहित किसी साए की तरह उस के पीछे लगा हुआ था. कुछ ही दूर पर उसे अपना घर नजर आया. दोगुनी ताकत लगा कर वह दौड़ रही थी. किसी तरह वहां तक पहुंच जाए एक बार उस की सांसें उखड़ने लगी थीं. मगर उस के पैर नहीं रुके.
किसी जानवर की सी ताकत से उस का पीछा करता रोहित उस के पास पहुंच गया था. रिया ने उसे परे धकेलने के लिए जोर लगाया. रोहित ने उस का हाथ अपनी मजबूत गिरफ्त में ले लिया. बेबस रिया उस की गिरफ्त से छूटने के लिए छटपटाने लगी. वह बारबार मदद के लिए पुकार रही थी. तभी रोहित ने खंजर से उस पर वार कर दिया. विस्फारित नजरों से रिया ने अपने ही खून को पानी की तरह बहते देखा.
वह अर्धमूर्छित हालत में जमीन पर गिर पड़ी. उस की आंखें मुंदने लगी. मां का आंचल उस की आंखों में तैरने लगा. उस के बाद उसे कुछ होश न रहा.
पूरे शहर में इस घटना की चर्चा थी. न्यूज चैनलों से ले कर गलीमहल्लों के नुक्कड़ों पर लोग इस खौफनाक वारदात के बारे में ही बातें कर रहे थे. महज 20 साल की एक महत्त्वाकांक्षी, होनहार लड़की किसी सिरफिरे दरिंदे के जनून का शिकार हो गई.
अस्पताल के डाक्टरों के मुताबिक, रिया को करीब 10 से 12 बार चाकू से गोदा गया था. पुलिस पोस्टमौर्टम रिपोर्ट का इंतजार कर रही थी.
रिया के घर वाले सदमे में थे और मां को बारबार बेहोशी के दौरे पड़ रहे थे. शिखा और रिया के दोस्तों से पूछताछ के नतीजे में पुलिस ने रोहित को गिरफ्तार कर लिया था. शिखा को अपनी गलती पर बारबार पछतावा हो रहा था, आखिर क्यों उस ने उस दिन पुलिस स्टेशन में जा कर रिपोर्ट दर्ज नहीं करवाई. अगर उस दिन वह रिया की बात न मान कर पुलिस स्टेशन में शिकायत कर देती, तो शायद रोहित बहुत पहले ही गिरफ्तार हो चुका होता और आज उस की सब से अजीब दोस्त रिया जिंदा होती.
एक सिरफिरे के जनून ने एक मासूम कली को खिलने से पहले ही कुचल डाला था.
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वह रिया को टकटकी लगाए देखे जा रहा था, कभी उस के एकदम पास आ जाता, कभी उस की गरम सांसें रिया के चेहरे से टकरा जातीं. वह जितना दूर जाने की कोशिश करती, वह उस के उतने ही करीब आ रहा था. रिया अब असहज होने लगी, सारा मजा किरकिरा हो चला था.
न जाने क्या था उन आंखों की गहराई में कि उस का मन चाहा कि वह फौरन वहां से हट जाए. हाथ में बियर का बड़ा सा मग ले कर शिखा लौटी तो रिया ने चैन की सांस ली.
‘‘बहुत देर से डांस कर रही हूं, मैं थक गई हूं, अब चलते हैं,’’ रिया उस के कान में फुसफुसाई. पार्टी देर तक चलने वाली थी मगर शिखा के साथ रिया वहां से चली आई. वे 2 आंखें अब भी रिया का पीछा कर रही थीं. अपने कमरे में बिस्तर पर लेटते ही रिया को गहरी नींद ने आ घेरा. न जाने कितनी देर से उस के मोबाइल की घंटी बज रही थी. नींदभरी आंखें मलतेमलते उस का हाथ अपने मोबाइल तक पहुंचा.
‘‘हैलो,’’ उस ने फोन उठाया, ‘‘हैलो, हैलो.’’
दूसरी तरफ से कोई जवाब न पा कर उसे झल्लाहट हुई. कुछ देर खामोशी रही और दूसरी तरफ से फोन कट गया.
रात के 2 बज रहे थे. न जाने किस का फोन था. उस ने करवट बदली और एक बार फिर से नींद की आगोश में चली गई.
सुबहसुबह शिखा ने चहकते हुए उसे उठाया, ‘‘उठ रिया देख तेरे लिए क्या आया है?’’
‘‘क्या है?’’ खीझ कर रिया उठ बैठी.
‘‘कोई तुम्हारे लिए यह रख कर गया है दरवाजे पर. कौन है मैडम, हमें कभी बताया नहीं,’’ शरारती लहजे में शिखा खिलखिला रही थी.
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दिलकश महकते फूलों से सजा हुए एक बुके था, साथ में लगा हुए एक छोटा सा कार्ड. रिया ने उलटपलट कर उस गुलदस्ते को देखा, कार्ड पर उस का नाम लिखा था फौर रिया विद लव.
‘‘मुझे नहीं पता यह किस ने भेजा और क्यों?’’ रिया का दिमाग चकराया. आज तो उस का जन्मदिन भी नहीं था, फिर किस ने उसे फूल भेजे हैं.
‘‘यार, नहीं बताना चाहती तो ठीक है, नाटक क्यों कर रही है,’’ शिखा बुरा लगने के अंदाज में बोली.
दोनों की दोस्ती इतनी गहरी थी कि दोनों एकदूसरे से कुछ नहीं छिपाती थीं कभी. रिया ने शिखा का मूड ठीक करने के लिए उसे कस कर आलिंगन में भर लिया. ‘‘सच में मुझे कुछ नहीं पता, ये फूल किस ने भेजे.’’ उस ने कसम खाने के लिए गले को छुआ.
‘‘फिर तो बड़ी अजीब बात है कि कोई यों ही फूल भेज रहा है,’’ शिखा कंधे उचका कर बोली.
‘‘तू उदास मत हो, क्या पता कल तेरे नाम का बुके आ जाए,’’ रिया ने चुहल की और दोनों जोरों से हंस पड़ीं.
बुके उठा कर रिया ने अपनी मेज पर सजा दिया. मगर यह सिलसिला सिर्फ फूलों तक नहीं थमा. रोज कोई चुपके से उस के दरवाजे पर उपहार रख के चला जाता था. रिया को लगा कोई उस के साथ शरारत कर रहा है. वह उपहारों को उठा लेती, शिखा के साथ मिल कर उन्हें खोलती और दोनों एकदूसरे को छेड़ कर खूब हंसतीं. मगर, मामला अब धीरेधीरे गंभीर हो चला.
तोहफे अब भी आते थे लेकिन रिया को अब हंसी नहीं आती थी, बल्कि एक अजीब सा खौफ उस के मन में छाने लगा. कोई जानपहचान वाला उसे तंग करने के लिए यह सब नहीं कर रहा था.
फूलों और तोहफों के सिलसिले ने जब थमने का नाम नहीं लिया तो रिया के मन का डर बढ़ने लगा. वह हर वक्त यही खैर मनाती कि उसे आज कोई फूल या उपहार न मिले दरवाजे पर. मगर वहां कुछ न कुछ रोज ही रखा रहता. लाल रंग के दिल के आकार के तकिए, महंगी विदेशी ब्रैंड की चौकलेट्स और बड़ेबड़े गिफ्टकार्ड जिन पर उस का नाम सजा होता. लेकिन कौन था इन तोहफों को भेजने वाला, यह राज था.
एक दिन घर लौटते वक्त उसे लगा कि कोई उस का पीछा कर रहा है. उस ने कई बार पलट कर देखा, 2-3 बार अलगअलग दुकानों में बेमतलब घुस गई. लोगों की भीड़ में आखिर वह किस पर शक करती.
‘शायद मेरा वहम है,’ उस ने खुद को ही तसल्ली दी. रोज की तरह रिया ने जब सुबह का अखबार उठाने के लिए दरवाजा खोला तो पाया वहां आज फिर एक डब्बा रखा हुआ था. वह समझ गई कि उस में क्या होगा. सिर से पैर तक एक बिजली सी उस के तन में कौंध गई. आज उस का गुस्सा सातवें आसमान पर था. उस ने डब्बा उठाया और बगैर खोले गैस का चूल्हा जला कर उस पर रख दिया.
शिखा ने गैस पर आग की लपटें देखीं. वह तुरंत भागती हुई आई और चूल्हा बुझा कर डब्बे पर पानी की बालटी उड़ेल दी. ‘‘यह क्या कर रही है रिया,होश में तो है? अभी पूरा घर ही जल जाता.’’
‘‘मैं तंग आ गई हूं, शिखा. अब बरदाश्त नहीं होता. न जाने कौन है जो मुझे चैन से जीने नहीं दे रहा. अब तो सुबह के खयाल से ही डर लगता है. वही फूल, वही सब रोजरोज नहीं झेला जाता.’’
रिया फफकफफक कर रोने लगी. उस के सब्र का बांध टूट गया था. उस की इस हालत पर शिखा बहुत परेशान हो उठी. आखिर वह भी एक लड़की थी. रिया के दुख से वह वाकिफ थी.
शिखा ने उसे अपने आलिंगन में ले लिया, फिर बोली, ‘‘चुप हो जा, रिया. तू रो मत. जो भी तेरे साथ ये सब कर रहा है, अब बचेगा नहीं. तू आज ही मेरे साथ पुलिस स्टेशन चल. तुझे तंग करने वाले को अब पुलिस ही सबक सिखाएगी.’’
‘‘नहीं, मैं पुलिस के पास नहीं जाऊंगी. बात मेरे घर वालों तक पहुंच जाएगी.’ मांबाबूजी का चेहरा रिया की आंखों के आगे तैर गया.
‘‘तू नहीं जानती, शिखा, मेरे मांबाबूजी को. बहुत कमजोर दिल के हैं वे लोग. फौरन मुझे वापस बुला लेंगे. और मेरे सारे सपने अधूरे…’’ कहते हुए रिया की रुलाई फूट पड़ी.
रिया के पास बैठ कर बड़ी देर तक शिखा उसे हौसला बंधाती रही. उस का दिमाग रिया की परेशानी दूर करने का उपाय ढूंढ़ रहा था.
मानसिक तनाव की वजह से रिया का मन अब ट्रेनिंग में नहीं लग रहा था, उसे यों लगता था मानो कोई उस के हर पल की खबर रख रहा है. रातों को अजीबअजीब से सपने आते. मन का डर उस के चेहरे पर दिखने लगा. चेहरे पर हरदम बनी रहने वाली मुसकान अब गायब हो गई थी.
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एक दिन उस की ट्रेनर मिस सिन्हा ने उसे अपने पास बुलाया, ‘‘क्या बात है, रिया? कई दिनों से देख रही हूं आजकल तुम कुछ खोईखोई सी रहती हो, क्लास में भी अब पहले जैसा उत्साह नहीं दिखाती? एनी प्रौब्लम?’’
रिया इस प्रश्न से सकपका गई. यह बात अगर जगजाहिर हुई तो उस का मखौल बन कर रह जाएगा. ‘‘नो, मैम, सब ठीक है. कोई प्रौब्लम नहीं है,’’ रिया ने मुसकरा कर कहा.
‘‘हूं, आई होप सो,’’ मिस सिन्हा बोलीं.
एक सीसीटीवी कैमरा घर के गेट पर लगाने का खयाल शिखा के दिमाग में आया. रिया को भी यह बात दुरुस्त लगी. जो भी गिफ्ट रखने दरवाजे के पास आएगा, उन्हें कैमरे में उस की तसवीर दिख जाएगी. उन्होंने मकानमालकिन से कैमरा लगवाने की बात की तो उस ने शकभरी नजर से दोनों को घूरा.
दोनों ने महल्ले में बढ़ती चोरी की वारदात का जिक्र किया तो वह मान गई.
यह अजीब इत्तेफाक था कि सीसीटीवी कैमरे के लगते ही फूल और गिफ्ट आने एकाएक बंद हो गए. हफ्ता बगैर किसी परेशानी के गुजर गया.
घर से इंस्टिट्यूट तक वह मैट्रो ट्रेन में सफर करती थी. मैट्रो की भीड़ में अपने लिए जगह तलाश करती रिया को अचानक किसी ने नाम ले कर पुकारा. रिया ने चौंक कर पुकारने वाले की तरफ देखा. कुछ जानापहचाना सा लगा उसे वह लड़का जो उस के लिए एक सीट खाली करा कर उसे बैठने का इशारा कर रहा था.
‘‘थैंक्स,’ रिया ने मुसकरा कर शुक्रिया अदा किया.‘ आप मेरा नाम कैसे जानते हैं?’’ रिया ने पूछा.
‘‘उस दिन पार्टी में मैं आप से मिला था.’’
रिया को याद आया. यह वही लड़का था जो उस दिन विवेक के जन्मदिन की पार्टी में उस के साथ डांस कर रहा था.
रोहित ने उसे बताया कि वह किसी पौलिटैक्निक कालेज का छात्र है. उन की मुलाकात अब रोज ही होने लगी. रिया के लिए वह हमेशा कोई सीट खाली करा देता ताकि वह आराम से सफर कर सके. उस की तहजीब और शराफत से रिया के मन में अब उस की छवि बदल गई थी.
पार्टी में रिया को रोहित बदतमीज किस्म का लगा था पर कुछ दिनों में रोहित की शराफत और तहजीबभरे रवैए से रिया प्रभावित हुए बिना न रह सकी. रिया रोहित पर आंख मूंद कर विश्वास करने लगी थी. रिया की हर छोटीबड़ी मुश्किल में रोहित हमेशा मदद के लिए आगे रहता था.
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रिया बेतहाशा भाग रही थी उस साए से बचने के लिए, मगर उस की पुकार सुनने वाला वहां कोई नहीं था. भयभीत हिरनी की तरह शिकारी से बचने के लिए उस ने मदद के वास्ते अपनी नजरें चारों तरफ दौड़ाईं. मगर कहीं कोई नजर नहीं आया. पूरा शहर जैसे रातोंरात वीरान हो गया था. अब तक वह नकाबपोश उस के बेहद करीब पहुंच चुका था, भागने का कोई रास्ता अब बचा नहीं था. खुद को बचाने की कोशिश में उस ने पूरी ताकत लगा कर उस नकाबपोश का मुकाबला करना चाहा, मगर उस की कोशिशें उस दरिंदे की ताकत के सामने हार गईं. कपड़ों की तह में छिपा खंजर निकाल उस ने रिया पर हमला बोल दिया. दर्द में तड़पती हुई वह खून से लथपथ जमीन पर गिर पड़ी.
‘‘मुझे बचा लो, मां, मुझे बचा लो,’’ वह बदहवास लहजे में चीख रही थी.
‘‘रिया उठ, रिया क्या हुआ? रिया, रिया,’’ कोई उसे झंझोड़ कर उठाने की कोशिश कर रहा था.
उस ने आंखें खोलीं तो देखा, वह अपने कमरे के बिस्तर पर लेटी हुई थी. उस की कुरती पसीने से भीगी हुई थी, पूरा शरीर अब भी थरथर कांप रहा था.
‘‘कोई बुरा सपना देखा क्या? बाप रे, कितनी जोर से चीखी तुम, मैं तो डर ही गई थी.’’ रूममेट शिखा हैरानपरेशान उस के सिरहाने खड़ी थी.
‘‘बहुत डरावना सपना देखा, यार. कोई मेरी जान लेने की कोशिश कर रहा था,’’ रिया ने माथे का पसीना पोंछते हुए कहा.
‘‘सपना ही था न, खत्म हो गया, बस. अब उठ कर जल्दी से तैयार हो जा वरना आज फिर क्लास लगेगी,’’ शिखा ने कहा.
मगर रिया अभी तक उस सपने के सदमे में थी. कुछ देर तक वह यों ही चुपचाप बैठी रही. फिर उन बुरे खयालों को दिमाग से झटक कर वह बाथरूम में घुस गई.
उस की एयरहोस्टैस की ट्रेनिंग को अभी कुछ ही अरसा गुजरा था. इस नए शहर में उस के लिए सबकुछ नया था. शहर की तेजतर्रार जिंदगी के साथ रिया अभी कदम से कदम मिला कर चलना सीख रही थी. अपने घरपरिवार से दूर इस बड़े शहर में आने का उस का एक ही मकसद था, अपने भविष्य को सुनहरा बनाना और इस के लिए वह जीजान से मेहनत भी कर रही थी.
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उस के छोटे से कसबे में इतनी सुविधाएं नहीं थीं कि रिया अपने सपनों की उड़ान भर पाती. 12वीं की परीक्षा अच्छे अंकों में पास करने के बाद उस के हौसले और मजबूत हो गए थे. कुछ करने की तमन्ना उस के मन में शुरू से ही थी. छोटी सी रिया जब अपनी छत पर से गुजरने वाले हवाईजहाजों को देखती तो उस का जी चाहता कि वह भी किसी जहाज में बैठ कर आसमान की ऊंचाइयों से नीचे झांके, अपना छोटा सा घरआंगन और आंगन में अपने परिवार वालों को ऊपर से देख कर हाथ लहराए.
बड़ी मानमनौवल के बाद उस के बाबूजी किसी तरह राजी हुए थे और मां तो इस खयाल से ही डर रही थी कि उस की बिटिया इतने बड़े शहर में अकेले कैसे रहेगी. यह रिया का ही जनून था जो उस ने अकेले अपने दम पर ट्रेनिंग इंस्टिट्यूट में दाखिला लेने के लिए भागदौड़ की थी.
घर छोड़ते वक्त मां के आंसू रुकने का नाम नहीं ले रहे थे. बाबूजी ने किसी तरह पैसों का इंतजाम किया था. कर्ज का बोझ और गरीबी की लाचारी उन के चेहरे पर हर वक्त झलकती थी. रिया मांबाप की सारी परेशानियां समझती थी, इसीलिए नौकरी कर के वह अपने परिवार का सहारा बनना चाहती थी. बड़ी बहादुरी से उस ने अपने आंसू रोक कर मां को तसल्ली दी कि बस, एक बार अच्छी सी नौकरी मिल जाए तो वह बाबूजी के सारे कर्ज उतार देगी. इतना सुख देना चाहती थी अपने मांबाप को वह कि लोग उस की मिसाल दें.
शहर में अकेले रहने की चुनौतियां कुछ कम नहीं थीं. शिखा से उस की मुलाकात इंस्टिट्यूट में ही हुई थी. एक ही इंस्टिट्यूट में होने के कारण दोनों का मकसद भी एक था और साथ में रहने से उन दोनों के खर्चे बचते. दोनों ने फैसला लिया कि वीमेन होस्टल के बजाय एक कमरा किराए पर ले कर रहा जाए.
एक ढंग का कमरा तो मिला मगर मकानमालकिन उम्रदराज और कुछ खब्ती निकली. उस की शर्त थी कि किसी तरह का कोई बवाल या हुड़दंग नहीं होना चाहिए और 3 महीने का अग्रिम किराया एकमुश्त देना होगा. इतना खर्च करना उस की जेब पर भारी पड़ रहा था, लेकिन यह तसल्ली थी कि एक सुरक्षित माहौल में रह कर दोनों अपनी ट्रेनिंग पूरी कर सकती हैं.
जल्द ही रिया ट्रेनिंग इंस्टिट्यूट के होनहार छात्रों में शुमार हो गई. उस का एक ही लक्ष्य था और उस के लिए वह पूरी लगन के साथ अपनी पढ़ाई में ध्यान देती थी. इसी दौरान उस के बहुत से नए दोस्त भी बन गए. उन दोस्तों की संगत में उसे बड़े शहर के बहुत से अनछुए पहलुओं को जानने का मौका मिला. दोस्तों के साथ मिल कर मौजमस्ती करना, पब और डिस्को जाना आदि बातें अब उस की जिंदगी का हिस्सा थीं.
कभी सादगी से रहने वाली रिया अब किसी फैशन पत्रिका की मौडल सी नजर आने लगी थी. यह कायाकल्प उस के ग्लैमर से भरे एयरहोस्टैस की नौकरी की पहली जरूरत भी थी.
रिया में खूबसूरती के साथसाथ आत्मविश्वास भी गजब का था. उसे पसंद करने वालों में उस के कई पुरुष मित्र थे. ट्रेनिंग में साथी लड़के उस की एक नजर के लिए तरसते और वह जैसे जान के भी अनजान बन जाती. प्यार के चक्कर में पड़ कर वह अपनी मंजिल से भटकना नहीं चाहती थी.
अपने पैरों पर खड़ी होने का सपना ही उस का पहला प्यार था जिसे हर हाल में उसे पूरा करना था. मां का उदास चेहरा याद आते ही एक आग सी लग जाती उस के तनबदन में और वह खुद को दोगुनी ऊर्जा से भर कर ट्रेनिंग में झोंक देती.
रिया की सहेली का खास दोस्त था विवेक, जिस के जन्मदिन की पार्टी में रिया और बाकी दोस्त आमंत्रित थे. पैसे वाले बाप के बेटे विवेक को पार्टियां देने और खूबसूरत लड़कियों से दोस्ती करने का शौक था. इन पार्टियों का सारा खर्च उस के कारोबारी पिता के लिए किसी मामूली जेबखर्च से अधिक नहीं होता था, जहां शराब पानी की तरह बहाई जाती और जवानी के जोश में डूबे कमउम्र लड़केलड़कियां देर रात तक हुड़दंग मचाते.
फाइवस्टार होटल की दावत के अनुरूप कपड़े खरीदने के लिए रिया ने पूरे 2 महीने तक कंजूसी कर के पैसे बचाए थे. कपड़े, मेकअप से ले कर नए जूते तक खरीद डाले थे उस ने. पहली बार किसी फाइवस्टार होटल के नजारे देख कर उस की आंखें चुंधिया गईं. शानोशौकत क्या होती है, यह उसे आज एहसास हुआ.
विवेक अपने दोस्तों के साथ बैठ कर जाम पे जाम चढ़ाए जा रहा था. रिया की तरह ही कई बला की खूबसूरत लड़कियां वहां मेहमान थीं और महफिल की शान में चारचांद लगा रही थीं. विवेक रिया को ललचाई नजरों से घूर रहा था. रिया ने हाथ मिला कर उसे जन्मदिन की बधाई दी तो बहुत देर तक उस ने रिया का हाथ नहीं छोड़ा.
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उत्तेजक संगीत की धुन में कई जवान जोड़े डांसफ्लोर पर थिरक रहे थे. शिखा ने हाथ पकड़ कर रिया को डांसफ्लोर की तरफ खींचा. ‘‘नहींनहीं, मुझे नाचना नहीं आता,’’ रिया ने प्रतिरोध में हाथ छुड़ाया.
‘‘कम औन रिया, चल न, बड़ा मजा आएगा,’’ शिखा पूरे मूड में थी.
‘‘यार, मुझे नहीं आता नाचना. मेरा मजाक बन के रह जाएगा,’’ रिया को झिझक हो रही थी.
‘‘चल मेरे साथ, मैं सिखा दूंगी,’’ रिया के मना करने के बावजूद शिखा उसे अपने साथ ले चली.
कुछ ही देर में रिया भी उसी मस्ती के माहौल में डूबने लगी. एक सुरूर सा उस के तनमन पर छाने लगा. उस का चेहरा लाखों में एक था, उस पर कमसिन उम्र और मासूम अदाएं. सुर्ख लाल रंग की मिनी ड्रैस में वह आज कहर ढा रही थी. उस की छठी इंद्रिय अनजान नहीं थी इस बात से कि न जाने कितनी ही बेकरार नजरें उसे निहार रही थीं.
मगर, एक जोड़ी आंखें उस का पीछा तब से कर रही थीं जब से उस ने यहां कदम रखा था. रिया पर से वे आंखें एक पल को भी नहीं हटी थीं. मगर इस से बेखबर रिया डांसफ्लोर पर किसी नागिन सी झूम रही थी.
‘‘गला सूख रहा है. मैं अभी आई कुछ पी कर,’’ शिखा उस के कान में लगभग चीखती हुई बोली.
‘‘मेरे लिए भी कुछ लेते आना,’’ रिया ने भी चिल्ला कर कहा. पुरजोर बजते कानफोड़ू संगीत में कुछ सुनाई नहीं दे रहा था.
‘‘ठीक है,’’ कह कर शिखा होटल के बार की तरफ बढ़ गई.
‘‘मे आई हैव द प्लेजर टू डांस विद यू,’’ उस अजनबी ने रिया के पास आ कर पूछा. रिया औपचारिकता से मुसकरा दी तो वह अजनबी उस के साथ थिरकने लगा.
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