सोनाक्षी सिन्हा को बचपन की यादें सताती हैं
मशहूर अभिनेता व राजनेता शत्रुघ्न सिन्हा की बेटी तथा बौलीवुड में कई कलाकारों के साथ काम कर चुकीं अभिनेत्री सोनाक्षी सिन्हा यह बात मानती हैं कि समय व उम्र के साथ दीवाली पर्व को मनाने में उन की अपनी भूमिका बदलती रही है. पर उन्हें इस बात का एहसास नहीं हुआ.
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सोनाक्षी कहती हैं, ‘‘बचपन में मेरे लिए दीवाली का मतलब अपनी मनपसंद चीजें खरीदना ज्यादा होता था. उस वक्त घर में बनने वाले पकवान, मिठाई आदि पर हमारा ध्यान ज्यादा रहता था. दीवाली के दिन घर पर हम सभी एकसाथ बैठ कर ट्रैडिशनल भोजन करते थे. मु झे याद है कि उन दिनों हमारे यहां बच्चों के लिए पटना से मिट्टी तथा शक्कर के बने हुए खास खिलौने आ जाया करते थे. उस तरह के खिलौने तब मुंबई में मिलते नहीं थे. बचपन की दीवाली के अपने अलग माने थे जोकि समय के साथ बदलते गए.’’
राजकुमार राव की दीवाली
राष्ट्रीय पुरस्कार विजेता अभिनेता राजकुमार राव अब तक ‘लव सैक्स और धोखा’, ‘शाहिद’, ‘अलीगढ़,’ ‘बरेली की बर्फी’ और ‘स्त्री’ सहित कई सफलतम फिल्मों में विविधतापूर्ण किरदार निभा चुके हैं.
राजकुमार राव तो दीवाली का त्योहार परंपरागत तरीके से ही मनाने में यकीन करते हैं. वे कहते हैं, ‘‘मैं हमेशा परंपरागत तरीके से दीवाली मनाता हूं. मेरे लिए यह त्योहार मिठाई खाने की स्वतंत्रता वाला है. कलाकार के तौर पर मिठाई खाने को ले कर हमें कई तरह की बंदिशों का पालन करना होता है. दीवाली के मौके पर हम एकदम स्वतंत्र होते हैं. दोस्तों के साथ आतिशबाजी करते हैं, कम प्रदूषण फैलाने वाले एकदो पटाखे फोड़ते हैं. दोस्तों के संग फन के लिए ताश का खेल भी खेलते हैं, पर इस खेल में पैसों का कोई लेनदेन नहीं होता.’’
मृणाल दत्त रखते हैं प्रदूषण का खयाल
कई टीवी सीरियलों के अलावा वैब सीरीज ‘कोल्ड लस्सी चिकन मसाला’, ‘हेलो मिनी’ में अभिनय कर चुके मृणाल दत्त मूलतया दिल्ली से हैं. वे दीवाली को ले कर कहते हैं, ‘‘मेरे लिए दीवाली का मतलब सैलिब्रेशन है, उत्सव है. इस का जश्न मनाया जाना चाहिए. हम बचपन से दीवाली मनाते आए हैं. बचपन में हमें मिठाई और पटाखे के लिए ही दीवाली के आगमन का इंतजार रहता था. पर अब समय बदला है. हम भी सम झदार हो गए हैं, अब हमारी सोच बदली है.
‘‘मगर हमारी सोच यह कहती है कि दीवाली का जश्न मनाते हुए हम इतना खुशी में न झूम जाएं कि बेतहाशा पटाखे फोड़ें और प्रदूषण को निमंत्रण दे कर संकट मोल ले लें. देखिए, दीवाली के समय सर्दी का मौसम शुरू हो जाता है और दिल्ली जैसे शहर में सर्दी के मौसम में प्रदूषण के कारण लोगों की जिंदगी पर बन आती है. ऐसे में हमें इस बात का खास खयाल रखना चाहिए कि हम जश्न मनाएं पर उस से हमें या दूसरों को तकलीफ न हो.’’
मौनी रौय की मिठाइयां
‘क्योंकि सास भी कभी बहू थी,’ ‘नागिन’ जैसे कई सफलतम सीरियलों के साथ 9 वर्ष तक टैलीविजन पर अभिनय करती रही अभिनेत्री मौनी रौय ने फिल्म ‘गोल्ड’ से अक्षय कुमार के साथ बौलीवुड में कदम रखा था. फिर वे जौन अब्राहम के साथ फिल्म ‘रौ’ में नजर आईं. अब वे अपनी अगली फिल्म ‘मेड इन चाइना’ में नजर आएंगी. दीवाली को ले कर वे कहती हैं, ‘‘हमारे घर पर हर वर्ष दीवाली के अवसर पर कई तरह की ढेर सारी मिठाइयां बनती हैं. इस बार भी यही योजना है. इस बार दीवाली के अवसर पर मेरी फिल्म ‘मेड इन चाइना’ प्रदर्शित होने वाली है. यदि इस फिल्म ने बौक्स औफिस पर सफलता के झंडे गाड़ दिए, तो मेरे लिए यह दोहरा जश्न मनाने का मौका हो जाएगा. मु झे तो पूरी उम्मीद है कि ऐसा ही होगा.’’
मिखिल मुसाले को ट्रिपल सैलिब्रेशन का मौका
गुजराती फिल्म के लिए राष्ट्रीय पुरस्कार हासिल कर चुके मिखिल मुसाले अब बतौर निर्देशक हिंदी फिल्म ‘मेड इन चाइना’ ले कर आए हैं. मूलतया महाराष्ट्रियन मगर पिछले 25 वर्षों से गुजरात में रह रहे मिखिल खुद को अब गुजराती ही सम झते हैं. मगर जब त्योहार का मामला होता है तो वह महाराष्ट्रियन पद्धति से ही त्योहार मनाते हैं.
दीवाली की चर्चा चलने पर मिखिल कहते हैं, ‘‘दीवाली के समय हमारी फिल्म रिलीज हो रही है और उसी सप्ताह में मेरा जन्मदिन भी है. यह ट्रिपल सैलिब्रेशन है. उत्साह है, नर्वस भी हूं.’’
वे आगे कहते हैं, ‘‘हम सब से ज्यादा दीवाली मनाते हैं. हम लोग रंगोली व मिठाई बनाने से ले कर आकाश कैंडिल तक बनाते हैं. मैं और मेरी बहन हम दोनों की क्राफ्ट में कुछ ज्यादा ही रुचि है. हम बचपन से रंगोली व आकाश कैंडिल बनाते आए हैं.’’
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गुलशन देवैय्या का पशु प्रेम
‘हंटर’, ‘हेट स्टोरीज’ सहित कई सफल फिल्मों व ‘स्मोक’ जैसी वैब सीरीज के अभिनेता गुलशन देवैया दीवाली नहीं मनाते हैं. वे कहते हैं, ‘‘पशु प्रेमी होने के चलते मैं दीवाली नहीं मनाता. मेरे घर में 3-3 बिल्लियां हैं. उन के लिए दीवाली का समय बहुत खौफ का समय होता है. पटाखों की आवाज से बेचारी बहुत डरती हैं. मु झे उन के लिए बहुत बुरा लगता है. बचपन में मैं बहुत पटाखे फोड़ा करता था. अब अंदर से भी पटाखे फोड़ने की इच्छा नहीं होती. दोस्तों के साथ पार्टी कर लेता हूं, मिठाइयां खा लेता हूं. मेरे कुछ दोस्त ताश खेलते हैं, पर मु झे उस का भी शौक नहीं है. मु झे ताश खेलना आता ही नहीं है.’’
सोनम कपूर को भाती है रोशनी और दीये
अदाकारा सोनम कपूर दीवाली को ले कर बेहद उत्साहित रहती हैं. वे कहती हैं, ‘‘मु झे रोशनी और दीयों से कुछ ज्यादा ही प्यार है, इसी कारण मु झे दीवाली का त्योहार ज्यादा पसंद है. वैसे भी दीवाली इस कदर खुशियों भरा त्योहार होता है कि हर कोई इसे मनाना चाहता है. स्वाभाविक तौर पर हम दीवाली के दिन दीये जलाते हैं. पूरे घर को रंगबिरंगे दीयों से रोशन करते हैं. लोगों को मिठाइयां बांटते हैं. इसी के साथ हम सभी एकसाथ मिल कर अच्छा समय गुजारते हैं.’’
पटाखों से रहती हैं दूर
नारी उत्थान की बात करने वाली अदाकारा तापसी पन्नू इस बार दीवाली के ही अवसर पर प्रदर्शित हो रही अपनी फिल्म ‘सांड़ की आंख’ को ले कर अतिउत्साहित हैं, जिस में उन्होंने 60 वर्ष की शार्प शूटर प्रकाशी तोमर का किरदार निभाया है.
दीवाली की चर्चा चलने पर तापसी कहती हैं, ‘‘बचपन में तो दीवाली के पहले से ही पटाखे फोड़ने लगती थी. फिर एक दिन मेरी सोच बदल गई क्योंकि सम झ में आया कि इस से प्रदूषण फैलता है. हुआ यह था कि हमारे घर के अंदर बहुत प्रदूषण हो गया था. मु झे अपने किचन से बैडरूम का दरवाजा साफसाफ नहीं दिख रहा था. उस दिन से मेरी सोच बदल गई और पटाखे जलाने बंद कर दिए. रंगोली बचपन से बनाती थी, अभी भी बनाती हूं. ताश के पत्ते या जुआ खेलने में कभी यकीन नहीं रहा. मु झे रंगोली बनाना बहुत पसंद है. अच्छी या बुरी जैसी भी हो, पर मु झे बनानी है. मैं अभी भी दीये पर पेंट करती हूं.’’