Romantic Story: कहीं यह प्यार तो नहीं- विहान को किससे था प्यार

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Romantic Story: कहीं यह प्यार तो नहीं- भाग 1 : विहान को किससे था प्यार

‘‘अरवाह, हो गई तुम्हें जौब औफर. प्राउड औफ यू बेटा. यहां दिल्ली में ही यह कंपनी या कहीं और जाना पड़ेगा?’’

‘‘मम्मा, बस निकल ही रहा हूं कालेज से. घर आ कर बताता हूं सब.’’

बेटे विहान से फोन पर बात होते ही कावेरी पति सुनील से उत्साह में भर कर बोली, ‘‘सुनो, विहान को एक मल्टीनैशनल कंपनी ने नौकरी दी है. मैं अभी जूही के घर जा कर यह खुशखबरी दे दे आती हूं.’’

‘‘वाह, अब कमाऊ हो जायेगा अपना बेटा. मैं भी चलता हूं तुम्हारे साथ. पड़ोसियों को दे ही देते हैं यह गुड न्यूज.’’

‘‘पड़ोसी नहीं, समधी कहो. अब जल्द ही कर देंगे जूही और विहान का रिश्ता पक्का.’’

दोनों खिलखिलाते हुए घर से निकल पड़े.

बीटैक फाइनल ईयर में पढ़ रहे विहान के कालेज में कुछ कंपनियां आज कैंपस प्लेसमैंट के लिए आई थीं. तीक्ष्ण बुद्धि और आकर्षक व्यक्तित्व के विहान को 5 मिनट का साक्षात्कार ले कर ही चुन लिया गया. वह जानता था कि मातापिता को यह बात सुन कर जितनी प्रसन्नता होगी, उतनी ही निराशा यह सुन कर होगी कि उसे समैस्टर पूरा होते ही जौइनिंग के लिए बैंगलुरु जाना होगा.

पड़ोस में रहने वाली जूही विहान की बचपन की मित्र थी. गोरा रंग, औसत कद, भूरी आंखें और मुसकराते भोलेभाले चेहरे वाली जूही विहान से 1 साल छोटी थी. दोनों एक ही स्कूल में पढ़े थे. 12वीं के बाद विहान ने एक इंजीनियरिंग कालेज में एडमिशन ले लिया. कंप्यूटर साइंस से बीटैक कर रहे विहान के कालेज से सटा भवन जूही का इंस्टिट्यूट था, जहां वह ग्राफिक डिजाइन में बैचलर्स कर रही थी. प्रतिदिन दोनों साथसाथ कालेज आतेजाते थे. आज प्लेसमैंट के लिए इंटरव्यू चल रहे थे, इसलिए विहान देर तक कालेज में रुका हुआ था.

विहान के घर पहुंचते ही पहला प्रश्न नौकरी के स्थान को ले कर हुआ.

‘‘जौब मिली भी तो कहां? मु झे तो लगा था कि आसपास ही नोएडा या गुरुग्राम में होगी कंपनी, लेकिन इतनी दूर,’’ कावेरी के मुख पर प्रसन्नता व निराशा के भाव आ जा रहे थे.

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‘‘अरे, कब तक बेटे को अपने पास बैठा कर रखोगी? उड़ने दो पंख फैला कर,’’ सुनील प्रयास कर रहा था कि कावेरी मन से डर को निकाल दे.

‘‘मम्मा, परेशान क्यों होती हो? मैं अकेला थोड़े ही जा रहा हूं. कुछ और फ्रैंड्स का सिलैक्शन भी तो हुआ है न, वे भी तो जाएंगे मेरे साथ,’’ विहान कावेरी के कंधे पर हाथ रखते हुए सांत्वना दे रहा था.

‘‘मैं सोच रही हूं कि क्यों न जाने से पहले तुम्हारी और जूही की सगाई करवा दी जाए? फिर अगले साल उस की डिगरी हो जाएगी तब शादी करवा देंगे. कोई देखने वाला होगा तुम्हें तो हमें चिंता नहीं होगी. पता नहीं कब तक रहना पड़ेगा वहां,’’ कावेरी ने कहा तो सुनील ने सहमति में सिर हिला दिया.

‘‘क्या जूही और मेरी इंगेजमैंट? मम्मा, यह क्या कह रही हो?’’ विहान का मुंह खुला का खुला रह गया.

‘‘गलत तो कुछ कहा नहीं कावेरी ने शायद. क्या तुम दोनों…’’

सुनील की बात पूरी भी नहीं हुई थी कि विहान ने प्रश्नसूचक दृष्टि से देखते हुए पूछा, ‘‘हम दोनों क्या पापा?’’

‘‘अरे, दोनों एकदूसरे को कितना चाहते हो. आज जूही के घर पर भी यही बात कर रहे थे हम सब,’’ कावेरी आश्चर्यचकित थी.

‘‘मैं ने तो कभी जूही को अपनी गर्लफ्रैंड सम झा ही नहीं. ये सब क्या है? अभी उसे कौल करता हूं,’’ विहान जूही का नंबर मिला कर अपने रूम की ओर चल दिया.

‘‘हैलो जूही.’’

‘‘बधाई… आ गए कालेज से? मैं तुम्हें कौल करने ही वाली थी.’’

‘‘थैंक्स जूही… एक बात पूछनी है तुम से.’’

‘‘पूछो.’’

‘‘क्या हम दोनों एकदूसरे से लव करते हैं?’’

‘‘मतलब इश्क वाला लव? यानी जो प्रेमीप्रेमिका के बीच होता है?’’

‘‘हां बाबा हां, वही.’’

‘‘यह हो क्या रहा है? मैं खुद तुम से पूछने वाली थी. आज मेरी मौम भी तुम्हारा नाम ले कर मु झ से अजीब सा मजाक कर रही थीं.’’

‘‘क्या यार, मेरे मम्मीपापा ने तो हमारी मैरिज का प्लान भी बना लिया. बचपन से हम दोनों फ्रैंड्स हैं, एकदूसरे की कंपनी में खुश रहते हैं, लेकिन इस का यह मतलब तो नहीं कि हमें प्यार है.’’

‘‘वही तो… एकदूसरे की केयर प्यार थोड़े ही है. देखा नहीं मूवीज में कि प्यार होते ही कैसे सब हवा में उड़ने लगते हैं. यहां तो ऐसा नहीं है.’’ जूही ने बात समाप्त की तो दोनों खिलखिला कर हंस दिए.

समैस्टर समाप्त हुआ और विहान बैंगलुरु चला गया. मित्रों ने मिल कर एक फ्लैट ले लिया. काम करने के लिए मेड और कुक का प्रबंध भी हो गया.

अपनी नई जिंदगी से संतुष्ट विहान अपनी औफिस टीम में लोकप्रिय होने लगा. उसी टीम में सुगंधा भी कार्य कर रही थी. अपनी स्मार्टनैस के लिए मशहूर सुगंधा किसी से सीधे मुंह बात नहीं करती थी. काम में व्यस्त विहान चोर नजरों से उसे देखा करता था. कभी स्कर्ट, कभी जंपसूट तो कभी जींस पहने सुगंधा की ड्रैस सैंस से विहान पहले दिन ही प्रभावित हो गया था. पिंक, पीच या किसी अन्य हलके रंग की लिपस्टिक में लिपटे उस के होंठ और आई मेकअप से सजी बड़ीबड़ी आंखें विहान को बेहद आकर्षक लगती थीं.

उस दिन मुसकराते हुए सुगंधा ने विहान को ‘हाय हैंडसम’ कहा तो विहान की धड़कनें बढ़ गईं. अदा से चलती हुई विहान की सीट तक आ कर वह पास रखी चेयर पर बैठ गई. बात शुरू हुई तो सुगंधा विहान के कपड़ों, जूतों और रिस्ट वौच की प्रशंसा करते हुए उस की पसंद की दाद देने लगी. विहान के मन में लड्डू फूट रहे थे.

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कुछ देर बात करने के बाद जब सुगंधा उठी तो प्लाजो सूट पर लिया उस का दुपट्टा लहराता हुआ विहान के चेहरे से टकरा गया. नाक से होते हुए परफ्यूम की खुशबू विहान के मन में उतर गई.

घर पहुंच कर वह सुगंधा के बारे में सोचता रहा. अगले दिन अच्छी तरह दाढ़ी शेव कर नहाने के बाद अपने ऊपर खूब डियो छिड़क लिया. अपनी पसंदीदा काली टीशर्ट पहन बारबार अपने को दर्पण में देखने के बाद समय से आधा घंटा पहले ही औफिस पहुंच गया. कमरे में सुगंधा को आया देख यह सोचते हुए कि दोनों तरफ आग बराबर लगी है, वह प्रसन्न हो उठा.

सुगंधा के पास जा विहान ने उल्लासित हो बातचीत करना शुरू कर दिया, लेकिन सुगंधा में पहले दिन सा जोश नहीं था. कल जिन नैनों में विहान को प्यार का सागर छलकता दिख रहा था, आज अजनबी रंग लिए वही निगाहें दरवाजे पर लगी थीं. कुछ देर बाद मैनेजर ने प्रवेश किया तो सुगंधा की आंखें चमक उठीं.

बातचीत अधूरी छोड़ वह मुसकरा कर ‘गुड मौर्निंग’ कह इठलाती हुई मैनेजर के पीछेपीछे चल दी. उस के साथ बातें करते हुए एक बार भी उसे विहान का ध्यान नहीं आया. बातचीत के बीच जिस तरह ठहाके लग रहे थे, उस से विहान ने अनुमान लगा लिया कि वहां औफिस के काम की बातें तो बिलकुल नहीं हो रहीं. मैनेजर ने कुछ देर बाद कौफी मंगवा ली. कमरे में उन दोनों के अलावा विहान ही था, लेकिन उस से किसी ने पूछना भी जरूरी नहीं सम झा.

जब अन्य लोग भी आने लगे तो मैनेजर वहां से चलता बना. सुगंधा अपने गु्रप के मित्रों को चटखारे ले कर बताने लगी कि किस प्रकार उस ने बौस के कपड़ों की प्रशंसा कर आज उसे उल्लू बना दिया. ये सब उस ने आने वाले सप्ताह में छुट्टियां लेने के लिए किया था.

‘‘मार डालती हो यार तुम तो अपने गोरे रंग से सभी को, फिर यह मैनेजर का बच्चा क्या चीज है?’’ मनीष के कहते ही सब का मिलाजुला जोरदार ठहाका कमरे में गूंज उठा.

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कहीं यह प्यार तो नहीं- भाग 2 : विहान को किससे था प्यार

विहान का मन विरक्त हो रहा था. उसे कल सुगंधा की कही हुई बातें याद आने लगीं. विहान की तारीफ कर उसे तरहतरह से खुश करते हुए वह काम निबटाने में उस की मदद लेना चाह रही थी. सुगंधा पर एक हिकारत भरी नजर डाल वह मन ही मन खिन्न हो उठा.

घर आ कर भी वह स्वयं को उपेक्षित सा महसूस करता रहा. रात को जूही से वीडियो कौल करने का मन हुआ. उस समय जूही सोने की तैयारी कर रही थी. कौल कनैक्ट हुई तो जूही को अपने कमरे में स्किन कलर की औफ शोल्डर नाइट ड्रैस में बैठे देख विहान की सांस ठहर गई. जूही का गोरा तन ऐसा लग रहा था जैसे संगमरमर की कोई प्रतिमा हो. विहान ने सुगंधा वाली घटना बताने के लिए वीडियो चैट करने का निर्णय लिया, लेकिन मंत्रमुग्ध सा वह कुछ बोल ही नहीं पा रहा था, ‘‘आज तुम बोलती रहो, मैं सिर्फ सुनूंगा,’’ कहते हुए वह अपलक उस के रूपलावण्य को निहारता ही रहा.

चैट के बाद सोते हुए वह सोच रहा था कि जिस निगाह से सुगंधा को देखा था, उस नजर से शायद मैं ने जूही को कभी देखा ही नहीं था. जूही तुम कितनी खूबसूरत हो.

उधर जूही विहान के चले जाने से अकेली पड़ गई थी. मन लगाने के लिए एक दिन उस ने सहेलियों के साथ घूमने का कार्यक्रम बना लिया. मौल में घूमते हुए खूब मस्ती हो रही थी, फिर भी विहान उसे याद आ ही जाता था. किसी शौप में कोई भी आकर्षक सामान देख विहान को बताने की इच्छा होती.

कपड़ों के शोरूम में एक डमी को वायलेट शर्ट और ब्लैक ट्राउजर्स में देख अपनी उंगली से इशारा करते हुए वह सहेलियों से बोल पड़ी कि उस मैनेकिन की जगह विहान होता तो इन कपड़ों की वैल्यू बढ़ जाती… इस पुतले पर तो ये बिलकुल जम ही नहीं रहे. सहेलियों ने एक बार नजर घुमा कर उधर देखा और फिर बातों में लग गईं. जूही का मन उदास हो गया.

सभी सहेलियों ने अपने लिए कुछ न कुछ खरीदा, लेकिन जूही को विहान की पसंदनापसंद जाने बिना जैसे शौपिंग करने की आदत ही नहीं थी.

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खरीदारी पूरी कर वे सब खाना खाने फूड कोर्ट में पहुंच गए. इस से पहले कि जूही अपनी पसंद बताती, गु्रप की सभी सहेलियों ने एकमत हो पिज्जा और कोल्डड्रिंक का और्डर दे दिया. जूही को वहां के चाट कौर्नर की आलूटिक्की और लच्छा टोकरी बहुत स्वादिष्ठ लगती थी. विहान के साथ जब भी वह उस मौल में आती, विहान उस की पसंद को ध्यान में रख सब से पहले चाट की दुकान पर जाता था.

जब तक वे सब मौल में रहे, जूही को उदासी ने घेरे रखा. उस का जी चाह रहा था कि अभी विहान को कौल कर ले, लेकिन औफिस में उसे डिस्टर्ब करना ठीक नहीं यह सोच कर मोबाइल नहीं निकाला. उसे क्या पता था कि बैंगलुरु में बैठा विहान भी उस समय जूही को याद कर उस से बात करने को अधीर हो रहा है.

विहान जब बीटैक कर रहा था तब जूही और वह दिन में कई बार एकदूसरे के पास पहुंच कर बातें शेयर किया करते थे. कालेज पासपास होने से कोई असुविधा भी नहीं होती थी उन्हें, लेकिन उन का यह मिलनाजुलना जूही के साथ पढ़ने वाले राहुल को बहुत खटकता था. जूही की सुंदरता पर मुग्ध राहुल को विहान के रहते हुए जूही के निकट आने का कभी अवसर नहीं मिला था. विहान के जाते ही धीरेधीरे वह जूही से मित्रता बढ़ाने लगा. जूही तो पहले ही एक करीबी दोस्त की कमी महसूस कर रही थी.

अपने जन्मदिन पर राहुल ने दोस्तों को क्नाट प्लेस के एक महंगे रैस्टोरैंट में ट्रीट देने का प्रोग्राम बनाया. जूही भी आमंत्रित थी. बहुत दिनों बाद आज अपने भीतर वह एक उमंग का अनुभव कर रही थी. वार्डरोब से उस ने वही मिनी स्कर्ट निकाली जिसे एक बार तब पहना था जब विहान के साथ आर्ट गैलरी में लगी पेंटिंग्स की प्रदर्शनी देखने गई थी. प्रदर्शनी में उन की भेंट राहुल से हो गयी थी. राहुल ने ही आज उसे वही एग्जीबिशन वाली ड्रैस पहनने को कहा था.

जूही जब घर से निकल रही थी तो राहुल का मैसेज आ गया कि वह राजीव चौक मैट्रो स्टेशन के बाहर उस की प्रतीक्षा करेगा. जूही मैट्रो में चढ़ी तो सैकड़ों घूरती आंखों से बचने का असफल प्रयास करती रही. उसे याद आ रहा था जब पहले उस ने वह ड्रैस पहनी थी तो विहान उसे देखते ही बोला था, ‘‘आज तो हमें कैब करनी पड़ेगी.’’

‘‘क्यों?’’ पूछ बैठी थी जूही.

‘‘मिनी स्कर्ट में इतनी क्यूट लग रही हो कि मैट्रो में सब तुम्हें घूरघूर कर देखेंगे, मु झे अच्छा नहीं लगेगा.’’

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तब जूही की हंसी रोके नहीं रुकी थी, लेकिन आज सचमुच कुछ लोगों की लोलुप दृष्टि उसे निरंतर उद्विग्न किए थी. वह बेसब्री से राजीव चौक आने की प्रतीक्षा कर रही थी. जानती थी कि वहां राहुल मिल जाएगा. अच्छा दोस्त कवच के समान होता है, यही कहता था उस का अनुभव. स्टेशन आया तो उस की जान में जान आ गई. बाहर निकली तो राहुल खड़ा था. साथ में कुछ अन्य युवक भी थे. उन में से कोई भी उन के कालेज का नहीं था.

‘‘अपने गु्रप के बाकी लोग कहां हैं?’’ जूही ने घबराते हुए पूछा.

‘‘उन्हें नहीं बुलाया. आज अपने पुराने साथियों को तुम से मिलवाना था,’’ कहते हुए राहुल ने जूही का हाथ पकड़ लिया.

जब जूही ने कसमसा कर हाथ छुड़ाना चाहा तो उन में से एक दोस्त हंसते हुए बोला, ‘‘शाय गर्ल.’’

राहुल सब के सामने उस से ऐसे बात कर रहा था जैसे वह उस की गर्लफ्रैंड हो. जूही ने बातोंबातों में सब को एहसास दिलाना चाहा कि वे दोनों किसी रिलेशनशिप में नहीं हैं, लेकिन राहुल निर्लज्जता से उस पर अधिकार जमाने का प्रयास कर रहा था.

रैस्टोरैंट में अपनी चेयर से जूही की चेयर सटा कर बैठा राहुल बारबार उस का स्पर्श कर रहा था. उस के दोस्त जूही की सुंदरता की प्रशंसा करते हुए एक ओर राहुल की पसंद की दाद दे रहे थे तो दूसरी ओर मिनीस्कर्ट में दिख रहे उस के पैरों को बेहूदगी से ताक रहे थे. राहुल सब सम झते हुए भी अनजान बना बैठा था.

आगे पढ़ें- जूही के लिए वहां एक मिनट भी…

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कहीं यह प्यार तो नहीं- भाग 3 : विहान को किससे था प्यार

जूही के लिए वहां एक मिनट भी ठहरना मुश्किल हो रहा था. सूप पीने के बाद उस ने अपनी तबीयत ठीक न होने का बहाना बनाया और बिना खाना खाए वापस लौट आई.

घर पहुंच कर उसे लग रहा था जैसे किसी शिकारी के जाल से बच कर आई हो. जूही का जी चाह रहा था कि अभी विहान के पास पहुंच जाए और उस के सीने में अपना मुंह छिपा ले. विहान फिर उसे खूब प्यार करे. स्वयं पर आश्चर्यचकित हो जूही सोच रही थी कि राहुल के हाथ पकड़ने पर उस का मन घृणा से भर उठा था, लेकिन विहान के बाहुपाश में समाने को वह व्याकुल हो रही है. अचानक उस का दिल पूछ बैठा कि कहीं यह प्यार तो नहीं?

रात को सोने से पहले जूही ने व्हाट्सऐप पर विहान को लिखा, ‘‘बहुत याद आ रहो आज, मन कर रहा है मिलने का, साथ में उदास चेहरे वाला इमोजी भी लगा दी.’’

विहान का तुरंत जवाब आ गया कि मोबाइल से हाथ बाहर निकालो. अभी खींच लूंगा.

‘‘मैं मजाक नहीं कर रही हूं. आ जाऊंगी किसी दिन मिलने. आमनेसामने बैठ कर बातें किए कितने दिन हो गए.’’

‘‘मु झे भी अच्छा ही लगेगा तुम्हारा आना, लेकिन एक प्रौब्लम है.’’

‘‘क्या?’’

‘‘यहां 4 कमरे हैं और दोस्त भी 4. सब के कमरे में अपनाअपना सिंगल बैड है. तुम कहां सोओगी रात में?’’

‘‘क्या विहान, मु झे अपने पास नहीं सुला सकते? इतना भी एडजस्ट नहीं करोगे मेरे लिए? तुम बदल गए हो,’’ इस मैसेज के साथ जूही ने रोते चेहरे वाले 2 इमोजी लगा दी.

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‘‘अरे, नहींनहीं… बदला नहीं हूं. आ जाना जब चाहो. मैं इंतजार करूंगा. नाराज मत होना, मेरी जान निकल जाएगी,’’ मैसेज के अंत में लगाने के लिए इमोजी ढूंढ़ते हुए विहान का मन किस करती इमोजी पर जा कर ठहर गया. मन में हलचल होने लगी. जीवन में पहली बार किसी को वह चुंबन करते चेहरे वाला इमोजी भेज रहा था.

विहान की ओर से किसिंग फेस इमोजी और वह भी उस दिन जब जूही कल्पना में विहान के गले लगी हुई थी. जूही के गाल तपने लगे. सोच में पड़ गई कि अब क्या टाइप करे?

जब कुछ देर तक जवाब नहीं आया तो बातचीत का रुख बदलते हुए विहान ने लिखा, ‘‘कल मैं अपने औफिस न जा कर एमजी रोड जाऊंगा, वहां के एक औफिस में काम है. 4 फ्रैंड्स भी जा रहे हैं साथ. तीन दिन रुक कर वापस आएंगे हम सब… और हां… उन चारों फ्रैंड्स में एक लड़की भी है.’’

जवाब में जूही ने लिखा, ‘‘सो व्हाट…? लड़की ही तो जा रही है न या फिर वह कोई भूतनी है कि स्पैश्ली बता रहे हो?’’ मैसेज भेजते ही अपने डाउनलोड किए स्टिकर्स में से  झाड़ू पर बैठी विच का स्टिकर लगाना नहीं भूली जूही.

विहान की हंसी छूट गई. उस ने लिखा, ‘‘भूतनी हो या हूर की परी, मु झे किसी और से क्या लेनादेना अब?’’

जूही के मन की वीणा के तार  झंकृत होने लगे. पूछना तो चाहती थी कि फिर अब किस से लेनादेना है यह तो बता दो, लेकिन संकोचवश लिख नहीं पाई. जवाब में एक गुलाब का फूल पोस्ट कर दिया.

कुछ देर बाद विहान का मैसेज आ गया, ‘‘अब सोना है मु झे क्योंकि कल जल्दी उठना है. आज से ही आधे बैड पर सोने की प्रैक्टिस शुरू कर दूंगा, तुम प्रोग्राम बना ही लो आने का… गुड नाइट.’’

जूही ने इस बार जवाब दिया,’’ गुड नाइट… मैं भी सो जाती हूं. सपनों में मिलेंगे.’’

विहान जूही को याद कर बेचैन हो सोने का प्रयास करने लगा. लग रहा था जैसे जूही आ कर उस के पास बिस्तर पर लेटी है. वीडियो चैटिंग वाले दिन देखा जूही का रूप उस के मनमस्तिष्क पर छा रहा था. कल्पना में महकती जूही उसे कुछ और सोचने ही नहीं दे रही थी. ‘कहीं यह प्यार तो नहीं?’ सोच कर वह मुसकरा दिया.

एमजी रोड बैंगलुरु का एक व्यस्त इलाका है, जहां विभिन्न कंपनियों के कार्यालय भी हैं और घूमनेफिरने के लिए सुंदर स्थल भी. पहले दिन का काम निबटा कर विहान मित्रों के साथ यूबी सिटी मौल चला गया. दिल्ली में उस ने इस प्रकार के मौल नहीं देखे थे. लक्जरी मौल होने के कारण सभी प्रमुख इंटरनैशनल ब्रैंड्स के उत्पाद उपलब्ध थे वहां.

विहान मौल में घुसा तो लगा जैसे विदेश में आ गया हो. जगमगाता ऊंचा चौका ऐस्कलेटर, चकाचौंध कर देने वाली गुंबदनुमा छत, खूबसूरत इंटीरियर वर्क और बड़ेबड़े स्टोर्स. इतना भव्य स्थान और जूही का साथ न होना, विहान जैसे भीड़ में अकेला सा हो गया. दोस्त अपनी बातों में मस्त थे और विहान यादों में उल झा हुआ था.

अगले दिन उन सभी ने देर तक रुक कर काम निबटा लिया और अंतिम दिन घूमनेफिरने के नाम कर दिया. सुबह होते ही वे नाश्ता कर कब्बन पार्क पहुंच गए. सुंदरसुंदर फूलों से लदे छायादार पेड़ों के नीचे लगे बैंच, मूर्तियां, ब्रिटिश काल के पुस्तकालय की सुंदर लाल बिल्डिंग व रंगबिरंगे फुहारे वातावरण को सुखद बना रहे थे. हाथों में हाथ डाले प्रेमी युगल विहान को जूही और अपना प्रतिरूप लग रहे थे, एक ऐसा रूप जो उस के दिल में कहीं छिपा बैठा था, लेकिन दिमाग तक पहुंचने में बहुत समय लग गया.

पार्क से निकल पास के एक होटल में लंच कर सभी मित्र उल्सूर  झील देखने निकल पड़े. वहां बोटिंग करते हुए नाव जब एक टापू पर रुकी तो विहान को बचपन याद आ गया. जूही और वह जब गुड्डेगुडि़या का खेल खेलते थे तो विहान टब में पानी ले कर उसे  झील कहता था. छोटेछोटे डब्बों पर मिट्टी और घास रख वह जब  झील में टापू बनाता तो जूही उछल पड़ती थी.

जूही को खुश करने के लिए बारबार वह भिन्नभिन्न प्रकार से टापुओं को सजाता. विहान सोच रहा था कि जूही आज यहां होती तो  झील में बने छोटेछोटे टापुओं को देख कर कितनी प्रसन्न होती कि कल्पना साकार हो गई है.

शाम हुई तो सभी चाय पीने बैठ गए. चाय वाले की टपरी पर हिंदी गाने बज रहे थे. अचानक किशोर कुमार की आवाज में ‘कुदरत’ फिल्म का गाना सुन विहान ने जूही को फोन मिला दिया और उस से हैलो कहते ही बोल पड़ा, ‘‘पता है कौन सा गाना सुन रहा हूं मैं अभी?’’

‘‘अचानक इस समय फोन और ऐसी बहकी सी बात, ठीक हो न?’’ जूही अचरज में पड़ गई.

सब छोड़ो और सुनो न गाने के बोल, ‘‘‘हमें तुम से प्यार कितना ये हम नहीं जानते, मगर जी नहीं सकते तुम्हारे बिना…’’’

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जूही को ऐसा लगा जैसे गुलाब की सैकड़ों पंखुडि़यां उस पर लगातार गिरती जा रही हैं. अभिभूत हो वह बोल उठी, ‘‘मेरे मन में तो इसी फिल्म का कोई और गाना गूंज रहा है, लता मंगेशकर का गाया हुआ.’’

‘‘कौन सा?’’ विहान भी प्यार में डूबा था.

‘‘‘तूने ओ रंगीले कैसा जादू किया, पियापिया बोले मतवाला जिया…’’’

‘‘जूही मु झे नहीं पता प्यार कैसा होता है, पर मैं रह नहीं सकता तुम्हारे बिना… यही सच है,’’ विहान अब चुप नहीं रह सका.

‘‘जो जादू तुम ने मु झ पर किया शायद उसे ही कहते हैं प्यार… कितना खूबसूरत है यह एहसास,’’ जूही की आवाज में नमी थी,

प्रेम था और लज्जा भी.

‘‘जल्दी आऊंगा दिल्ली. मम्मीपापा से आज ही बात करता हूं,’’ विहान कह उठा.

जूही की खनकती हंसी सुन विहान ने ‘बाय’ कह फोन काट दिया. ‘हमें तुम से प्यार कितना…’

गाना  झील से टकरा कर उसे अभी भी तरंगित कर रहा था.

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