अभिनेता मानव गोहिल फिल्म और टीवी के एक जाने-माने अभिनेता है, उन्होंने थिएटर से अपने कैरियर की शुरुआत की, इसके बाद उन्होंने टीवी और फिल्मों में काम किया है, सौम्य और हंसमुख मानव ने हमेशा अलग किरदार निभाया है. उनकी सबसे चर्चित शो ‘कहानी घर घर की’ और रियलिटी शो ‘नच बलिये 2’रही, जिसकी वजह से वे इंडस्ट्री में चर्चित हुए. हिंदी के अलावा उन्होंने गुजराती फिल्मों में भी काम किये है. वे अपने उत्कृष्ट अभिनय के लिए भी इंडस्ट्री में प्रसिद्ध है. काम के दौरान उनकी मुलाकात अभिनेत्री श्वेता क्वात्रा से हुई, पहले दोनों दोस्त बने फिर शादी हुई और एक बेटी के पिता बने.
मानव कीगुजराती वेब शो ‘मत्स्य भेदन’ है, जो मी शेमारूमी पर रिलीज होने वाली है. मानव गुजरात से मुंबई आकर इंडस्ट्री में अपनी एक इमेज कैसे बनाया, आइये जानते है उनकी कहानी उनकी जुबानी.
अभिनय बना पैशन
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गुजरात से मुंबई आने पर मानव ने अभिनय के बारें में नहीं सोचा था, एम् बी ए करने के बाद उन्होंने खुद का व्यवसाय शुरू किया था. इससे पहले गुजरात में उन्होंने मॉडलिंग शुरू की थी, उस दौरान एक पेजेंट हुआ, जिसमे मानव को ‘मैन ऑफ़ गुजरात’ का टाइटल मिला,जिससे उनका हौसला बढ़ा और 6 महीने मुंबई आकर कुछ काम की तलाश में जुट गए.कुछ विज्ञापनों में काम मिला और धीरे-धीरे उनकी रूचि अभिनय की होने लगी.
मुंबई देती है सहारा
मानव आगे कहते है कि मुंबई एक ऐसी शहर है, जो बहुत कुछ मांगती है. समय, धैर्य, मेहनत यहाँ करने पर कुछ अवश्य मिलता है. हालाँकि मैंने कुछ फैल्योर लोगों को भी देखा था, मॉडलिंग करते-करते लगा कि मैं सबसे बहुत पीछे हूं, मुझे कुछ जल्दी काम करना चाहिए. इसके बाद मैंने थिएटर ज्वाइन किया और यही से लगाव अभिनय के प्रति बढ़ने लगा. अच्छा भी लगने लगा.
अलग किरदार निभाना है जरुरी
अभिनेता मानव कहते है कि अब तक की भूमिका से अलग और डार्क,थ्रिलर सीरीज गुजराती में है, मैंने अबतक गुजराती फिल्में की है, क्योंकि मैं गुजराती हूं और भाषा जानता हूं. ये भूमिका चुनौतीपूर्ण होने की वजह से मैं भी देखना चाहता था कि मैं कितना अच्छा कर पाता हूं, लुक पर मैंने अधिक काम किया, दाढ़ी बढाई थी. इस शो को एक साल पहले शूट किया था.मैंने उस समय कुछ पुरानी डार्क ज़ोन वाली फिल्मे देखी, जिससे मैं इसमें एकदम अलग दिखने की कोशिश की, जरुरत के अनुसार मैंने बदलाव किया. मत्स्य भेदन एक अलग तरीके की फिल्म है. इसमें प्राचीन काल की तुलना आज के परिवेश से की गई है.
योगदान सभी शो का
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अपनी पॉपुलैरिटी के बारें में मानव कहते है कि अगर शो की बात करें, तो सभी शो के साथ मेरी जिंदगी बदली है. कहानी घर-घर की बहुत चर्चित शो थी, उसके बाद कुसुम, कसौटी जिंदगी की आदि कई धारावाहिकों में काम करने का मौका मिला, असल में हर चरित्र के साथ कुछ नया सीखने के साथ-साथ पॉपुलैरिटी बढती है और मैं नए – नए लोगों के बीच में प्रसिद्ध हो गया. मेरे कैरियर में हर एक शो का योगदान रहा है. देखा जाय तो डेली सोप का दौर मेरे लिए काफी अच्छा था.
रिश्ता बनाता हूं अच्छा
हालांकि एकता कपूर के साथ काम करना आसान नहीं होता, लेकिन उनकी शो में काम कर लोग प्रसिद्ध भी हो जाते है, पर मानव का उनके साथ बहुत अच्छा रिलेशन रहा, वे कडक होने के साथ-साथ बहुत अच्छी व्यवहार अपने आर्टिस्टों के साथ भी रखती है. सबको मौका और काम देती है. काम में कमिटमेंट एकता हमेशा चाहती है, क्योंकि उनकी इतनी बड़ी एम्पायर को चलाने में ऐसा रहना जरुरी भी है.
संतुष्ट जर्नी से
अभिनेता मानव की जर्नी बहुत अच्छी रही है. वे कहते है कि मैंने जो चाहा उनसे कही अधिक मुझे मिला है. मैं बहुत संतुष्ट हूं, मुझे एक नई चुनौती हमेशा अच्छा फील करवाती है. मैं पूरे जीवन अभिनय करना चाहता हूं, कोई रिग्रेट नहीं है, काम की बेसिक चैलेंज अब खत्म हो गयी. बेटी की भविष्य के बारें में सोचकर काम कर रहा हूं.
दोस्ती से बनी जिंदगी
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मानव गोहिल का श्वेता क्वात्रा से मिलना धारावाहिक ‘कहानी घर – घर की से वर्ष 2001 में हुआ और 4 साल बाद शादी की थी. उनका कहना है कि मैं गुजरात के एक साधारण परिवार से हूं, जबकि श्वेता दिल्ली की है, उसकी एक्सपोजर और लाइफस्टाइल मुझसे अलग थी. मैं बालों में तेल लगाकर घुमने वाला लड़का था. पहले हम दोनों दोस्त बने, कभी लगा नहीं था कि हमदोनो एक दूसरे के लिए बने है. शादी की बात बाद में आई, क्योंकि श्वेता पहले डायनामिक लड़की थी और आज भी वैसी है, वह लाइव वायर है. सभी उनसे सेट पर बात करने से डरते थे. मैं भी बात करने से कतराता था, लेकिन जान-पहचान के बाद पता चला कि वह एक दिल से अच्छी इंसान है.
बदलाव है अच्छा
पहले से आज के फिल्मो की कहानियों में अंतर के बारें में मानव बताते है कि परिवर्तन केवल कहानियों में नहीं, उनके खपत में भी हुआ है, लोग अब जिस तरह की कहानिया देखना चाहते है, वैसा पहले नहीं था. बदलाव होता है और इंडस्ट्री अपने आप में बदलती रही है, जिसमे तकनीक से लेकर अभिनय सब में बदलाव आया है. विजुअल ट्रीट बहुत अधिक होने लगा है. फिल्मे रियलिटी और हकीकत पर आधारित है, जबकि कुछ फिल्में फेंटासी होती है. मेरे हिसाब से हर फिल्म के लिए दर्शक है, किसी को हॉरर तो किसी को एक्शन पसंद होता है,मुझे हॉरर पसंद नहीं, मैं सोचता हूं कि डरावनी पिक्चर क्यों देखना, क्योंकि देखने के बाद कही आने -जाने में डर लगे, लेकिन लोग पसंद करते है. हर मूड के पिक्चर होते है.
काम के बिना खुद को सम्हालना मुश्किल
मानव कई सालों तक बिना काम किये घर पर रहे है, लेकिन उन्होंने इसे अपने ऊपर हावी नहीं होने दिया. वे कहते है कि काम न मिल पाने की वजह से मैंने कुछ दिन नहीं, कई साल बिना काम के गुजारे है. हर कलाकार के जीवन में ऐसा समय आता है, जब उन्हें मनचाहा काम नहीं मिलता. मेरा भी ऐसा ही अनुभव है, उस समय मेरा परिवार और मेरा फिटनेस मुझे सकारात्मक बनाये रखा, मनोबल टूटने नहीं दिया. हिंदी सिनेमा जगत में एंट्री किसी के लिए आसान नहीं होती, ये न तो पहले आसान था और न आज है.
काम मिलना होता है कठिन
मानव का अभिनय के क्षेत्र में आने वाले यूथ के लिए कहना है कि मैं 25 साल पहले आया था, तब टीवी चैनल भी कम थे, अभी बहुत सारे प्लेटफॉर्म है, काम भी बहुत हो रहा है, लेकिन न तो तब काम मिलना आसान था और न अब. मुंबई में टिके रहना मुश्किल है, इसलिए मेरा सुझाव है कि पहले खुद का आंकलन करें और अभिनय क्षमता को जान लें. सफलता जो लोग बाहर से देखते है, वह बहुत सारे फैल्योर के बाद ही मिलता है.